सौरमंडल (Solar System ) के बारे में बहुत सी जानकारियां मौजूद हैं। सौरमंडल (Solar System ) एक विस्तृत ग्रह तंत्र है जिसमें सूर्य, उसके चारों ओर घूमते हुए ग्रह और अन्य छोटे उपग्रह शामिल होते हैं। इन ग्रहों में से आठ ग्रह जो कि धरती से अलग हैं अंतरिक्ष यानों द्वारा अब तक जाए जा चुके हैं। सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह जो कि धरती के सबसे करीब है वह है मंगल ग्रह। सौरमंडल (Solar System )में कुल 8 ग्रह हैं जो सब अपने-अपने विशेषताओं से अलग होते हैं। सौरमंडल के ग्रहों में से कुछ ग्रह जैसे वृहस्पति ग्रह वास्तव में अत्यधिक बड़े होते हैं जबकि कुछ जैसे मर्क्यरी ग्रह बहुत छोटे होते हैं। सौरमंडल अनेक रहस्यों से भरा है और अंतरिक्ष अन्वेषण इसे अधिक समझने के लिए निरंतर प्रयासरत रहता है।
इस लेख के माध्यम से जानेगे हमारे Solar System के बारे में की Solar System क्या है इसमें कितने ग्रह और उपग्रह है इसकी उत्पति कैसे हुई इस लेख के माध्यम से हम अपने सूरज चन्द्रमा ग्रह अदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेंगे

सौर मंडल क्या है ( What is Solar System)
सौर मंडल (Solar System) क्या है ,सौर मंडल (Solar System) जिसमे सौर का मतलब सूर्य और मंडल का मतलब सूरज के आस पास स्थित खगोलीय वस्तुएँ जो गुरुत्वाकर्षण के द्वारा एक दूसरे से बंधे होते है।
आप सौर मंडल (Solar System) की परिभासा इस प्रकार दे सकते है की सौर मंडल (Solar System)सूर्य के आस पास घूमने वाली सभी वस्तुओं से मिलकर बना जो गुरुत्वाकर्षण के द्वारा एक दूसरे से बंधे होते है।
हम जिस गैलेक्सी में रहते है उसे मिल्की वे गैलेक्सी कहते है हमारा सौर मंडल (Solar System) इसी गैलेक्सी में मौजूद है हमारा सौर मंडल (Solar System)मिल्की वे गैलेक्सी में ज्ञात 500 सौर मंडल (Solar System) में से एक है
हमारा सौर मंडल (Solar System) प्रणाली Milky Way galaxy.की बाहरी सर्पिल भुजा में स्थित है। हमारे सौर मंडल (Solar System) में सूर्य के अलावा आठ ग्रह, 140 से अधिक चंद्रमा, धूमकेतुओं का एक समूह, क्षुद्रग्रह, अंतरिक्ष चट्टानें, बर्फ और कई बौने ग्रह, जैसे प्लूटो है हमारा सौर मंडल सूर्य की परिक्रमा करने वाले आठ ग्रहों से कहीं अधिक दूर तक फैला हुआ है। सौर मंडल में कुइपर बेल्ट भी शामिल है जो नेप्च्यून की कक्षा से पहले स्थित है। यह बर्फीले पिंडों का एक दुर्लभ घेरा है।
सौर मंडल का निर्माण कैसे हुआ है (How Solar System Was Formed)
- टेरेस्ट्रियल (Terrestrial)
- जोविएन (Jovian )
टेरेस्ट्रियल ग्रह क्या है (What is Terrestrial Planets)
- टेरेस्ट्रियल (Terrestrial) चट्टानों से बने होते है
- टेरेस्ट्रियल (Terrestrial) का कोई रिंग नहीं होता है
- टेरेस्ट्रियल (Terrestrial) का सतह हार्ड होता है
- टेरेस्ट्रियल (Terrestrial) इसका कोई चन्द्रमा नहीं होता है या अगर होता है तो बहुत कम
- टेरेस्ट्रियल (Terrestrial) अपेक्षाकृत छोटे होते है
बुध ग्रह (Mercury Planets )
बुध ग्रह (Mercury Planets ) सबसे छोटा और सूर्य के सबसे नज़दीक का ग्रह है जिसका ऑर्बिट (सूर्य के चारो और घूमने में लगा टाइम ) हमारे सोलर सिस्टम में बहुत छोटा है ये पृथ्वी के चन्द्रमा से थोड़ा ही बड़ा है- बुध ग्रह (Mercury Planets ) पृथ्वी के चन्द्रमा से थोड़ा ही बड़ा ।
- बुध ग्रह (Mercury Planets ) हमारे सौर मंडल में ऑर्बिट करने वाला सबसे तेज ग्रह है ।
- इसकी गति 47 kilometers किलोमीटर पर सेकंड है।
- बुध ग्रह (Mercury Planets ) का एक वर्ष 88 पृथ्वी दिन के बराबर होता है ।
- बुध ग्रह (Mercury Planets ) का वातावरण ऑक्सीजन (O2), सोडियम (Na), हाइड्रोजन (H2), हीलियम (He), और पोटेशियम (K) से मिलकर बना है ।
- बुध ग्रह (Mercury Planets )का कोई चन्द्रमा नहीं है ।
- बुध ग्रह (Mercury Planets ) का कोई रिंग भी नहीं होता है ।
- बुध ग्रह (Mercury Planets ) पर जीवन की सम्भवना नहीं है।
- बुध ग्रह (Mercury Planets ) पर अभी तक नासा का दो मिशन भेजा जा चूका है मेरिनर 10 और मे सेंगर ।
- बुध ग्रह (Mercury Planets ) की सूर्य से दुरी 68801957 KM है या 0.4 AU ।
- बुध ग्रह (Mercury Planets ) पर सूर्य की लाइट को पहुचंने में 3 के करीब लगता है ।
- बुध ग्रह (Mercury Planets ) का नाम गति के रोमन देवता(Roman god of speed) के नाम पर पड़ा है ।
शुक्र ग्रह (Venus, Planets )
टेरेस्ट्रियल ग्रह (Terrestrial Planets) में दूसरा ग्रह है शुक्र ग्रह सूर्य से दूसरा नंबर का ग्रह और हमारे पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी है शुक्र ग्रह (Venus, Planets )
चुकी शुक्र ग्रह का आकार और संरचना पृथ्वी के सामान है इसलिए इसे पृथ्वी जुड़वा कहा जाता है चुकी इसका आकार और संरचना लगभग पृत्वी के सामान है लेकिन इसका सतह अत्यधिक गर्म और इसका वातावरण अधिक घना,और जहरीला है।- सूर्य से शुक्र की दुरी लगभग 108531926 किलोमीटर है ।
- शुक्र का एक साल पृथ्वी के 225 दिन के बराबर होता है जिससे शुक्र का दिन अपने वर्ष से अधिक लंबा हो जाता है!।
- शुक्र के पास एक ठोस SURFACE (सतह ) है है जो ज्वालामुखियों दरारों और पहाड़ों से ढकी है।
- शुक्र हमारे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है जिसकी सतह का तापमान लगभग 700°F तक होता है ।
- शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड के घने, जहरीले बादलों से घिरा हुआ है बादलों से सड़े अंडे जैसी गंध आती है!।
- शुक्र हमारे सौर मंडल के अधिकांश ग्रहों की तुलना में अपनी धुरी पर पीछे की ओर घूमता है। इसका अर्थ है कि सूर्य पश्चिम में उगता है और पूर्व में अस्त होता है
- शुक्र का नाम प्राचीन प्रेम की रोमन देवी के नाम पर पड़ा है ।
- AU में शुक्र की दुरी सूर्य से 0.7 AU है।
- शुक्र का कोई चन्द्रमा नहीं है।
- शुक्र का कोई रिंग नहीं है ।
- शुक्र का कुल छेत्रफल लगभग 12,756 kilometers है ।
पृथ्वी (Earth)
हमारा गृह ग्रह पृथ्वी ही जिसके बारे में हम जानते है की जीवित चीज़ो का एकमात्र निवास स्थान है यह हमारे सौर मंडल का एकमात्र ग्रह है जिसकी सतह पर तरल पानी है।
पृथ्वी सूर्य से लगभग 150 मिलियन किमी की दूरी पर तीसरा ग्रह है।
पृथ्वी का एक दिन 24 घंटे का और साल लगभग 365 दिन का होता है।
पृथ्वी का वातावरण 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन और 1 प्रतिशत अन्य अवयव है ।
पृथ्वी का एक चंद्रमा है।
पृथ्वी का कोई वलय नहीं है।मंगल (The Mars)
टेरेस्ट्रियल ग्रह (Terrestrial Planets) में चौथा ग्रह है मंगल (Mars) इस ग्रह को रेड प्लेनेट भी कहते है- मंगल ग्रह पर एक दिन 24 घंटे से कुछ अधिक समय लेता है। मंगल 687 पृथ्वी दिनों में सूर्य के चारों ओर एक पूर्ण कक्षा (मंगल ग्रह के समय में एक वर्ष) बनाता है।
- मंगल एक चट्टानी ग्रह है। इसकी ठोस सतह को ज्वालामुखियों, प्रभावों, हवाओं, क्रस्टल संचलन और रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा बदल दिया गया है।
- मंगल का एक पतला वातावरण है जो ज्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), आर्गन (Ar), नाइट्रोजन (N2) और थोड़ी मात्रा में ऑक्सीजन और जल वाष्प से बना है।
- मंगल के फोबोस और डीमोस नाम के दो चंद्रमा हैं।
- मंगल के चारों ओर कोई छल्ले नहीं हैं।
- कई मिशनों ने इस ग्रह का दौरा किया है, फ्लाईबीज़ और ऑर्बिटर्स से लेकर सतह पर रोवर्स तक। मंगल मिशन की पहली सच्ची सफलता 1965 में मेरिनर 4 फ्लाईबाई थी।
- इस समय, मंगल ग्रह की सतह जीवन का समर्थन नहीं कर सकती जैसा कि हम जानते हैं। वर्तमान मिशन जीवन के लिए मंगल के अतीत और भविष्य की क्षमता का निर्धारण कर रहे हैं।
- मंगल ग्रह को लाल ग्रह के रूप में जाना जाता है क्योंकि मंगल ग्रह की मिट्टी में मौजूद लोहे के खनिजों का ऑक्सीकरण या जंग लग जाता है, जिससे मिट्टी और वातावरण लाल दिखाई देता है।
जोविएन पलेनेट क्या है (what is jovin planet )
बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून ( Jupiter, Saturn, Uranus, and Neptune ) को जोविएन पलेनेट (jovin planet ) कहते है जोविएन पलेनेट (jovin planet ) में बृहस्पति, शनि Jupiter, Saturn गैस से बने होते है जबकि यूरेनस और नेपच्यून बर्फ सेगैस जेंट्स अधिकतर हायड्रोजन और हीलियम से बने होते है जबकि आइस जेंट्स चट्टान बर्फ अमोनिया मीथेन पानी के मिक्सचर से बना होता है ।
- जोविएन पलेनेट (jovin planet ) के बहुत सारे चन्द्रमा होता है ।
- जोविएन पलेनेट (jovin planet ) का अपना रिंग होता है ।
- जोविएन पलेनेट (jovin planet ) का कोई सॉलिड सरफेस नहीं होता है ।
- जोविएन पलेनेट (jovin planet ) अन्य पलेनेट से आकार मेंबहुत बड़े होते है।
बृहस्पति ग्रह (Jupiter planet)
बृहस्पति ग्रह सौरमंडल का पंचवां ग्रह है और सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह गुरु ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। इसका आकार सबसे बड़ा है, और यह सौरमंडल में आकार वाला ग्रह है।
बृहस्पति एक गैस से बना ग्रह है जो धातुओं या चट्टानों से नहीं बना हुआ है, इसलिए यह एक गैस जादू ग्रह है। यह नीले रंग का होता है और इसके ऊपर एक बड़ा लाल धब्बा होता है, जो इसे पहचानने में मदद करता है।
बृहस्पति ग्रह का एक चक्रवाती तापमान होता है, जो इसे धरती से अलग रखता है। इसके धुंएदार माहौल में धेर सारी विद्युत चमकती हैं जो बड़े स्पेक्ट्रम को कवर करते हैं। इसके अलावा, बृहस
बृहस्पति ग्रह के बारे में प्राचीन ज्योतिषी और वैज्ञानिक दोनों विश्वास करते हैं कि इसका अस्तित्व सदियों से है।
पूर्व संस्कृत शास्त्रों में बृहस्पति को देवताओं के गुरु और बुद्धि का स्वामी माना जाता था। इसके अलावा, बृहस्पति को ज्ञान, विद्या, दानशीलता, सुख, संपत्ति और सफलता का प्रतीक माना जाता है।
इसके अलावा, बृहस्पति ग्रह को उत्तर नोड और दक्षिण नोड के बीच से गुजरते हुए बुरे योगों से बचाने के लिए भी जाना जाता है। इसे कुंडली मिलान और विवाह में भी ध्यान में रखा जाता है।
वैज्ञानिक रूप से, बृहस्पति ग्रह का अध्ययन विशेष रूप से 17 वीं शताब्दी में शुरू हुआ। इसके बाद से, इस ग्रह के बारे में अधिक जानकारी मिलने लगी है,
बृहस्पति ग्रह अपनी धुंधली झिलमिलाहट के कारण एक दृष्टिगोचर ग्रह होता है। इसका आकार सूर्य के आकार के तुलनात्मक बड़ा होता है, लेकिन इसकी गहराई और वजन कुछ कम होते हैं। यह ग्रह अपनी गति को लेकर सबसे तेज ग्रहों में से एक है, जिससे इसे सौरमंडल का सबसे तेज ग्रह माना जाता है।
बृहस्पति ग्रह का वायुमंडल अत्यधिक गर्म होता है, जो इस ग्रह को उष्णकटिबंधीय ग्रह बनाता है। इसके वायुमंडल में अनेक वायुमंडलीय विस्फोट होते हैं, जिससे इसकी वायुमंडलीय समझ और उन्नति के बारे में जानकारी मिलती है।
इस ग्रह के वायुमंडल में अनेक गैसों की मौजूदगी होती है, जैसे हीलियम, हाइड्रोजन, मेथेन, एमोनिया और मेथेने। इन गैसों के बीच एक घने बादल प्रवाहित होते हैं, जो इस ग्रह को उन्हीं बड़े और सुंदर रंगों में ढक देते हैं।
बृहस्पति ग्रह के वायुमंडल में कुछ उपग्रह होते हैं। इनमें से दो बहुत ही महत्वपूर्ण उपग्रह हैं - गणमेद और कलिस्तो।
गणमेद बृहस्पति ग्रह का सबसे बड़ा उपग्रह है और सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह भी है। इसके आकार का अनुमान 5,262 किलोमीटर है। इस उपग्रह की सतह अनेक चांदों और रंगों से भरी हुई है।
कलिस्तो बृहस्पति ग्रह का सबसे भारी उपग्रह है और सौरमंडल का दूसरा सबसे भारी उपग्रह है। इसका आकार 4,800 किलोमीटर होता है। कलिस्तो अपनी सतह के कुछ हिस्सों पर लहरों के निशान रखता हुआ एक अत्यंत सुंदर उपग्रह है।
इसके अलावा, बृहस्पति ग्रह के कुछ और उपग्रह हैं, जिनमें थेबा, लेडा, हिमालिया, एलारा और लिसिथिया शामिल हैं। ये उपग्रह छोटे होते हैं और इनकी सतह बहुत ही विस्तृत नहीं होती है।
बृहस्पति ग्रह कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:(Some Fact Of Jupiter)
- बृहस्पति ग्रह सौरमंडल का पांचवां ग्रह है।
- यह ग्रह सूर्य से सबसे दूर है।
- इसका आकार सौरमंडल के अन्य ग्रहों से बहुत बड़ा है। इसका आकार 86,881 मील (139,822 किलोमीटर) है।
- बृहस्पति एक गैस वाला ग्रह है और इसकी वायुमंडलीय तन्त्र एक बार सूर्य के चारों तरफ पूरा होता है, जिसे साल में एक बार आमतौर पर "जोवियन यान" के नाम से जाना जाता है।
- बृहस्पति के धुंएदार वायुमंडल में कई बड़े तूफान होते हैं, जिनमें बड़ी तरंग और रेखाएँ होती हैं।
- बृहस्पति के उपग्रहों में गणमेद नाम का सबसे बड़ा उपग्रह है।
- बृहस्पति के कुल 79 उपग्रह हैं।
- इन उपग्रहों में से दो उपग्रह बृहस्पति के चारों ओर घूमते हुए दिखते हैं और बाकी उपग्रह इसके एक ही दिशा में घूमते हैं।
- बृहस्पति के उपग्रहों में से सबसे बड़ा उपग्रह गणमेद है, जो धरती से करीब 7.5 गुना बड़ा है।
- गणमेद के अलावा, बृहस्पति के अन्य प्रमुख उपग्रह हैं लो, एलमेथे, हिमालिया, लिसिथिया, एज्मुंड, थेबा, मेगा कले और सिनोपे।
- बृहस्पति ग्रह का एक और रोचक तथ्य है कि इसके तटीय वायुमंडलों में बहुत बड़े लाल रंग के बादल होते हैं, जिन्हें ग्रेट रेड स्पॉट नाम दिया जाता है।
- बृहस्पति के कुछ मुख्य उपग्रह हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं:
- मेटीबा (Metis)
- एड्रस्टे (Adrastea)
- अमल्थेया (Amalthea)
- थेबा (Thebe)
- लेडा (Leda)
- हिमालिया (Himalia)
- लिसिथिया (Lysithea)
- एलमेथे (Europa)
- गणमेद (Ganymede)
- कलिस्टो (Callisto)
- लो (Lo)
शनि ग्रह (Saturn Planet)
शनि ग्रह हमारे सौर मंडल में उसकी सूर्य से दूसरी स्थान पर स्थित है। यह एक गैसी ग्रह है जो एक सुनहरा और कुछ बौने छोटे से रिंग के अलावा कोई विशेष विशेषता नहीं रखता है। यह ग्रह भौतिक रूप से बड़ा है लेकिन दूसरे ग्रहों के मुकाबले यह चक्रवाती त्वचा के कारण शिखरों और खोंचों से भरा हुआ है।
शनि ग्रह एक उल्टे दायें संचालन वाला ग्रह है, जिसका अर्थ है कि यह अपने धुरीय अक्ष पर एक बार लगभग 29 साल में घूमता है। शनि ग्रह के उपग्रहों की संख्या 82 होती है। शनि ग्रह धन, उद्यम और सफलता के ग्रह माना जाता है। शनि का धर्म एवं न्याय के सम्मान को दर्शाता है।
शनि ग्रह, सौरमंडल में सात ग्रहों में से एक है और इसकी दूरी सूर्य से लगभग 1.4 बिलियन किलोमीटर है। यह ग्रह धरती से सबसे दूर स्थित है और इसकी उत्तर ध्रुव से दूरी लगभग 10 बिलियन किलोमीटर है। शनि ग्रह का ज्योतिषीय संबंध मान्यताओं में विशेष महत्व रखा जाता है और इसका इतिहास बहुत प्राचीन है।
शनि ग्रह को प्राचीन भारतीय ज्योतिषीय ग्रंथों में "शनि" या "शनैश्चर" के नाम से जाना जाता है। इसे हिंदू धर्म में "संवत्सर के ग्रह" भी कहा जाता है। शनि ग्रह का इतिहास शास्त्रों और पुराणों में विस्तार से वर्णन किया गया है।
वैदिक काल में, शनि ग्रह को मनुष्यों के दुखों और कष्टों का कारण माना जाता था। इसकी शान्ति और कृपा के लिए विभिन्न पूजा विधियां विकसित की गई थीं।
शनि ग्रह कुंडली में शनि दोष के रूप में जाना जाता है और शनि की दशा के समय व्यक्ति के जीवन में कष्ट और कठिनाई आती है।
शनि ग्रह का उत्तर ध्रुव से दूरी लगभग 10 बिलियन किलोमीटर है।
इसका अधिकतम घनत्व धरती के अधिकतम घनत्व के तुलना में कम होता है। इसका परिक्रमणीय समय 29.5 वर्ष है, यानी इस ग्रह को एक बार अपनी धुरी के आस-पास पूरी तरह से घूमने में 29.5 वर्ष लगते हैं। शनि ग्रह पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण कम होता है, जिससे उस पर जलने वाली चीजों का वेग बढ़ता है।
शनि ग्रह के ऊपर अनेक उपग्रह हैं, जिनमें रिंग या हाला वाला उपग्रह सबसे विशेष है। यह रिंग जल्दी जल्दी घूमते है।
शनि ग्रह के उपग्रह में से सबसे लोकप्रिय उपग्रह है शनि की रिंग या हाला। इसे आमतौर पर "शनि के अंगूठे" या "शनि की डाकू" भी कहा जाता है।
शनि की रिंग एक घनी धुंआकार घेरा है, जो शनि ग्रह के आसपास फैला हुआ है। इसका आकार वृत्ताकार होता है और यह अत्यंत थिना होता है। शनि की रिंग में लगभग एक बिलियन छोटे-छोटे पत्थर शामिल होते हैं जो कि चुनिंदा रंगों में चमकते हैं।
शनि की रिंग के बारे में अधिकतर जानकारी हाल ही में NASA के अंतरिक्ष यान कैसिनी द्वारा दी गई है। इस अंतरिक्ष यान ने शनि की रिंग की अध्ययन करने के लिए बहुत समय तक काम किया था। इससे पता चला कि शनि की रिंग चार भागों में विभाजित होती है, जो एक दूसरे से थोड़ी दूर होते हुए घूमते हैं। यह रिंग ज्योतिष के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है और कई लोगों को लगता है कि इसकी शुभता लाभदायक होती है।
यूरेनस ग्रह (Uranus Planet)
यूरेनस एक ग्रह है जो सौरमंडल के बाहर स्थित है। यह ग्रह नैसर्गिक रूप से बहुत ही ठंडा है जिससे इसे "बर्फीला ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। यूरेनस का नाम यूरेनस यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन के नाम से रखा गया था।
यूरेनस का आकार बृहत नहीं है, इसका विस्तार सौरमंडल के अन्य ग्रहों के मुकाबले बहुत कम है। इसका निर्देशांक ७५००० किलोमीटर है, जो कि पृथ्वी के निर्देशांक के समान होता है।
यूरेनस की आयु को अभी तक सटीक रूप से निर्धारित नहीं किया जा सका है। वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार, यह करीब ४५०००००००० साल पुराना हो सकता है।
यूरेनस का एक छोटा सा चंद्रमा भी है, जिसे यूरेनस के साथ "मिरांदा" के नाम से जाना जाता है। मिरांदा, जो यूरेनस के कुछ हजार किलोमीटर दूर है, यूरेनस का सबसे छोटा चंद्रमा है। मिरांदा एक असमान चंद्रमा है जिसकी ऊंचाई करीब ४८० किलोमीटर है। मिरांदा के सतह पर गहरे दरार हैं, जो इसे बहुत रोमांचक बनाते हैं।
यूरेनस के अलावा, इसके आस-पास कुछ रिंग भी होते हैं। ये रिंग काफी पतले होते हैं और कुछ वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन रिंगों का मूल कारण उत्पत्ति और टूटने की घटनाओं में भी हो सकता है।
यूरेनस ग्रह के अभी तक 27 चंद्रमाएं पायी गई हैं, जिनमें से कुछ बहुत छोटे हैं। यहां उन सभी चंद्रमाओं के नाम हैं:
कोरडेलिया ओफीलिया कालिबांते क्रेसीडा डेसडेमोना साम अरियेल उंब्रियल टितानिया ओबेरोन फ्रानसीस मिरांदा कोर्देलिया लयगू सबेलिंदा फास्टो आरवेटी जुलिएट पोर्टिया रोजलाइन कार्में मेगनस्टा नैमे सिंथेसिसिया पुक जनुस एप्रोडिते
यहां दो चंद्रमाएं, कॉलिबांते और डेसडेमोना, हाल ही में खोजी गई हैं।
यूरेनस ग्रह का वातावरण अत्यंत खराब है। यह ग्रह दूसरे सौरमंडलीय ग्रहों की तुलना में बहुत अधिक गर्म होता है। इसकी तापमान सतह पर लगभग 470 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचती है, जो लगभग चाय के उबलने की तापमान से भी अधिक होती है।
इसके अलावा, यूरेनस ग्रह का वायुमंडल भी बहुत खराब है। इसके वायुमंडल में ज्वालामुखी जैसी उग्र तड़के होते हैं जो बार-बार वायुमंडल को घुमा देते हैं। इसके कारण यहां पर वायुमंडल अत्यंत अस्थिर होता है। यह वायुमंडल में मेथेन और हाइड्रोजन जैसे विषैले गैस भी पाए जाते हैं, जो यहां के वातावरण को और भी अधिक खराब करते हैं।
इसके अलावा, यूरेनस ग्रह का वातावरण अत्यंत खंडहरी होता है। इसकी सतह पर बड़ी चट्टानें, खुले मैदान और विस्फोटक प्रवाहों वाले कन्याकुमारी की तरह कुछ स्थान होते हैं।
यूरेनस के कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:(Some interesting facts about Uranus)
- यूरेनस का आकार धरती के आकार से काफी कम है, लेकिन इसके बावजूद यह दूसरे ग्रहों की तुलना में काफी भारी है।
- यूरेनस में सबसे बड़ी खासियत है इसके उल्टे पड़े चाँद, जिसे विवेकानंद नाम दिया गया है।
- यूरेनस ग्रह के ऊपरी वायुमंडल में मौजूद ज़्यादातर गैस हेलियम और हाइड्रोजन होते हैं।
- यूरेनस के उपग्रह मिरांदा, अरिएल, उंब्रियल, तितानिया और ओबरन हैं।
- यूरेनस ग्रह में सर्दियों की तापमान बहुत कम होती है जो उसमें मौजूद आयामों के कारण होता है।
- यूरेनस के उपग्रह विवेकानंद पर सबसे अधिक क्रैटर हैं।
नेपच्यून ग्रह(Planet Neptune)
नेपच्यून ग्रह सौरमंडल का आठवाँ ग्रह है जो सूर्य से लगभग 45 एयू (4.5 बिलियन किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है। यह एक बृहस्पति के समान गैस ग्रह है, लेकिन इसमें थोड़ी कम वस्तुएं होती हैं।
नेपच्यून ग्रह का दूसरा नाम अंडे का ग्रह है क्योंकि यह गोलाकार है और इसके सतह के कुछ हिस्से अंडे जैसे दिखते हैं। इसके अलावा, नेपच्यून ग्रह के पास एक बड़ा गहरा समुद्र है जिसे विशाल तापमान और दबाव के कारण मूल्यांकन करना मुश्किल है।
नेपच्यून ग्रह के वातावरण में मेथेन, एमोनिया और हाइड्रोजन जैसे गैस होते हैं। इसके अलावा, नेपच्यून ग्रह पर बड़े बड़े तूफान होते हैं जो सामान्यतया तूफान के नाम से जाने जाते हैं। इन तूफानों में हाइड्रोजन, हेलियम और मेथेन जैसे गैस शामिल होते हैं और ये तूफान बहुत बड़ी गति से घूमते हैं।
नेपच्यून ग्रह के चार छोटे उपग्रह हैं, जिनके नाम नीद, थालेस, प्रोटीथीस और नेरीड हैं। इनमें से नेरीड सबसे बड़ा है, जो अन्य तीनों के आकार का लगभग दोगुना है। ये उपग्रह नेपच्यून ग्रह के समीप ताराबलियों में घूमते हैं और अधिकतर आकार में बड़े चट्टानों और क्रेटरों से बने होते हैं।
नेपच्यून ग्रह अन्य ग्रहों की तुलना में बहुत अधिक पुराना है। इसे 1846 में जर्मन गणितज्ञ योहानेस गैल द्वारा खोजा गया था। नेपच्यून का नाम रोमन देवता नेपच्यून के नाम पर रखा गया था।
नेपच्यून अपने विशाल वायुमंडल और अन्य विशेषताओं के कारण धरती से दूर स्थित होने के कारण इसे खोजना बहुत मुश्किल था। इसलिए, नेपच्यून के बारे में बहुत कम जानकारी है।
नेपच्यून पर अब तक कोई मानवीय अभियान नहीं भेजा गया है। हालांकि, 1989 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा वॉयेजर 2 मिशन के दौरान नेपच्यून के पास से गुजरा था और इससे नेपच्यून के बारे में कुछ जानकारी मिली थी।
नेपच्यून ग्रह के चारों ओर एक छोटा पर्वतमाला होती है जिसे "लीवरेज बेल्ट" या "रिंग" कहा जाता है। यह रिंग बहुत हल्की होती है और नक्शीरेखाओं के साथ बहुत अनुकूल होती है। इसे पहली बार वॉयेजर-2 अंतरिक्ष यान द्वारा खोजा गया था।
नेपच्यून के रिंग में लगभग 5 उपवर्तियां होती हैं, जिसमें से दो बहुत चौड़ी होती हैं और तीन बहुत हल्की होती हैं। यह रिंग जल बने हुए पानी धब्बों से बना होता है जो ग्रह के उपग्रहों से टकराते हुए इसमें फंस जाते हैं। रिंग में आमतौर पर बादल, धूल और इस्तरी के टुकड़ों को भी देखा जाता है।
नेपच्यून ग्रह एक गैसी ग्रह है जिसका वायुमंडल बहुत गर्म और भारी गैसों से भरा हुआ है। नेपच्यून के वायुमंडल में हाइड्रोजन, हेलियम और मेथेन जैसी गैसें होती हैं। नेपच्यून के वायुमंडल की तापमान बहुत नीची होती है, लगभग -200 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचती है।
नेपच्यून के वायुमंडल में हाइड्रोजन गैस का 80% हिस्सा होता है, हेलियम 19% हिस्सा होता है और बाकी छोटे-छोटे वस्तुओं का हिस्सा होता है। इसके अलावा, मेथेन, अमोनिया, निट्रोजन और अक्सीजन जैसी अन्य वस्तुओं के भी पते चले हैं।
नेपच्यून के वायुमंडल में बहुत तेज हवाओं के उल्लंघन होते हैं जो गैस को बहुत तेज़ी से घुमाते हुए चलते हैं। इसके अलावा, वायुमंडल में बड़े बादल और तूफान होते हैं। नेपच्यून के गैसी वायुमंडल में जीवन की कोई संभावना नहीं है।
नेपच्यून एक गैस ज्योतिषीय ग्रह है जो सौरमंडल के बाहर छह वृहद ग्रहों में से एक है। नेपच्यून का व्यास धरती से करीब 4 गुना बड़ा है और यह सौरमंडल का सबसे दूरवर्ती ग्रह है।
नेपच्यून के तथ्य (Some Fact Of Neptune)
- नेपच्यून का व्यास लगभग 49,000 किलोमीटर है, जो इसे धरती से करीब 4 गुना बड़ा बनाता है।
- नेपच्यून का तापमान करीब -200 डिग्री सेल्सियस है, इससे यह सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है।
- नेपच्यून के धुंधले और अस्पष्ट दिखने वाले वायुमंडल ने इसे एक "विषुवती ग्रह" के रूप में जाना जाता है।
- नेपच्यून में पाये जाने वाले सबसे बड़े अवकाश में से एक है "ग्रेट डार्क स्पॉट", जो लगभग धरती के आकार का होता है।
- नेपच्यून के चार मुख्य उपग्रह हैं - ट्रिटोन, नेराइड, प्रोटीड और ठेसेरोन. ट्रिटोन नेपच्यून का सबसे बड़ा उपग्रह है और नेपच्यून सिस्टम में सबसे ठंड
बौना ग्रह (Dwarf planet)
बौद्धिक रूप से ड्वार्फ ग्रह एक आकार विशेष वाले घूर्णवद्य तारे होते हैं जो सौरमंडल के आस-पास घूमते हैं। ये घूर्णवद्य तारे समुदाय में सबसे छोटे ग्रह होते हैं। ड्वार्फ ग्रहों का एक विशेष विशेषता यह है कि वे अन्य ग्रहों के आकार की तुलना में बहुत छोटे होते हैं।
अमेरिकी खगोल विज्ञानी क्लाइड टंबा के अनुसार, ड्वार्फ ग्रह के चार लक्षण होते हैं:
- वह गैस या धूल में गोल नहीं होते हैं।
- उनके आस-पास अन्य ग्रह होते हैं जिनसे वे समय से पहले बने होते हैं या फिर बनाने वाले प्रक्रिया का अंतिम चरण नहीं होते हैं।
- वे स्वयं अपनी अकार्यकारण सामग्री से गोल नहीं होते हैं।
- उनका घूर्णण करने का कोई अन्य तारा नहीं होता है।
ड्वार्फ ग्रहों की कुल संख्या सौरमंडल में 5 से 10 तक हो सकती है। उनमें से दो सबसे लोकप्रिय ड्वार्फ ग्रह हैं, एक है प्लूटो और दूसरा है सेरेस।
Kuiper Belt(कुइपर बेल्ट)
कुइपर बेल्ट एक ऐसा क्षेत्र है जो सौरमंडल के नेपच्यून के पश्चात् विस्तृत है और जिसमें कई छोटे ठंडे ग्रह और ऊनी वस्तुएं होती हैं। कुइपर बेल्ट का नाम डच-अमेरिकी खगोल विज्ञानी जेरार्ड कुइपर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1950 के दशक में इसकी अस्तित्व की पूर्वानुमान लगाया था।
कुइपर बेल्ट कई तरह से एस्टेरॉइड बेल्ट से मिलता-जुलता है, जो मंगल और बृहस्पति के बीच होता है, लेकिन यह बहुत बड़ा होता है और अलग प्रकार की वस्तुओं का समूह होता है। जबकि एस्टेरॉइड बेल्ट मुख्य रूप से चट्टानी और धातु वस्तुएं से मिलता-जुलता है, कुइपर बेल्ट जम्हुरिय ग्रह, उप-ग्रह और अन्य ट्रांस-नेपच्यूनियन वस्तुओं जैसे कि कॉमेट आदि से बना होता है। कुइपर
बेल्ट में कुछ सबसे प्रसिद्ध वस्तुओं में प्लूटो शामिल है, जो 2006 में एक उप-ग्रह के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया था, और ईरिस, एक और उप-ग्रह ह
सौरमंडल में पाए जाने वाले अन्य वस्तुए (Other Objects Found In The Solar System)
सौरमंडल में अनेक छोटे-बड़े ग्रह होते हैं जो एक चक्र के रूप में सूर्य के आस-पास घूमते हैं। सौरमंडल में कुछ ग्रह बहुत बड़े होते हैं जिन्हें ग्रहों की श्रेणी में शामिल किया जाता है, लेकिन अन्य ग्रह छोटे होते हैं जैसे कि एस्टेरॉइड, कॉमेट और मीटियोर आदि।
एस्टेरॉइड: एस्टेरॉइड छोटे ग्रह होते हैं जो सूर्य के आस-पास घूमते हैं। ये अकसर चट्टानों और धातुओं से बने होते हैं और सूर्य के आस-पास के इलाकों में अधिक मात्रा में होते हैं।
कॉमेट: कॉमेट भी सूर्य के आस-पास घूमते हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर ऊनी पदार्थ होते हैं। जब कॉमेट सूर्य के निकट आते हैं, तो उनका ऊन पिघलने लगता है जिससे तारे जैसी धूमिल धारा उत्पन्न होती है।
मीटियोर: मीटियोर उन छोटे टुकड़ों को कहते हैं जो आकाश से पृथ्वी की ओर आते हुए जलते हुए होते हैं। जब ये धरती के वातावरण में आते हैं,