75 facts about Voyager 1 -वॉयजर 1 के 75 तथ्य

वॉयजर 1(VOYAGER 1) एक रोमांचक और रोचक विषय है जो अंतरिक्ष और विज्ञान से जुड़े लोगों के लिए आकर्षक हो सकता है। यह अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जिसे 1977 में लॉन्च किया गया था। Voyager 1 अब तक सौरमंडल के बाहर निकल चुका है और इंटरस्टेलर स्थान में है, जिससे यह सबसे दूर का अंतरिक्ष यान बन गया है। इस अद्भुत यान के पास सैकड़ों उपकरण हैं जो उपयोगी जानकारी भेजते हैं और वैज्ञानिकों को इस विषय में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं। इसके अलावा, Voyager 1 ने अनेकों अद्भुत तस्वीरें भी भेजी हैं जो आम लोगों के लिए रोचक हो सकती हैं। यह पृथ्वी के पास से गुजरते हुए जहां तक संभव था सौर मंडल के अन्य ग्रहों और उपग्रहों का अध्ययन करने के लिए निर्मित था। यह 75 रोचक तथ्य हैं

 

75 facts about Voyager 1 -वॉयजर 1 के 75 तथ्य

75 facts about Voyager 1 -वॉयजर 1 के 75 तथ्य

👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा लांच किया गया था।
 
👉यह १९७७ में लॉन्च किया गया था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) अंतरिक्ष यात्रा के दौरान ३५०० से भी अधिक फोटोग्राफ लिए गए थे।
 
👉इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सौर मंडल के कई ग्रहों जैसे जुपिटर, सैटर्न, यूरेनस, नेपच्यून आदि की तस्वीरें ली गई थीं।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के पास कुछ नहीं था जो अंतरिक्ष में आवश्यक होता है, जैसे कि जल और ऑक्सीजन।
 
👉इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने कई संचार उपकरणों का उपयोग किया था जिनसे सौर मंडल के अन्य ग्रहों के साथ संचार किया 
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) अंतरिक्ष यात्रा के दौरान पहली बार यूरेनस की खोज की गई थी और यह सबसे दूर के ग्रह था जो उस समय तक अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा जाना गया था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) अंतरिक्ष यात्रा के दौरान एक स्लिंगशॉट मैनवर के माध्यम से किया गया था, जिससे यह अपनी यात्रा के लिए ज्यादा से ज्यादा त्वरण प्राप्त कर सकता था।
 
👉इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान वॉयजर 1(VOYAGER 1) के साथ अभियान नियंत्रक टीम ने कुल मिलाकर २३ लाख मील की यात्रा की।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अलावा, दो अन्य अंतरिक्ष यात्रियों वॉयजर २ और वॉयजर ३ भी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा लांच किए गए थे और उनके भी अपने-अपने विशिष्ट तथ्य हैं।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) का निर्माण अनुमोदित बजट से कम खर्च करने के लिए किया गया था। इसलिए यह बहुत सीमित संसाधनों के साथ निर्मित किया गया था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) का लक्ष्य सौर मंडल का अध्ययन था, इसलिए इसमें से अन्य ग्रहों का अध्ययन नहीं किया गया था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के रॉकेट का नाम टाइटन-ॣ का था, जिसे भूमिगत रूप से कैसिनी-हुयगेंस यूनिट और जेनेसिस मिशन के लिए भी उपयोग किया गया था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) में इक्कीसवीं शताब्दी की समान तकनीक का उपयोग किया गया था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सैकड़ों लाइव टेलीविजन दृश्य पृथ्वी पर 
प्रसारित किए गए थे जो लोगों को यात्रा का अनुभव करने में मदद करते थे।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) में उपयोग किए गए संचार उपकरण अब भी कुछ इंटरप्लेनेटरी मिशनों में उपयोग किए जा रहे हैं।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के पास इकट्ठा की गई जानकारी और छवियों का एक संग्रह है, जिसे गोल्डन रिकॉर्ड के नाम से जाना जाता है।
 
👉गोल्डन रिकॉर्ड में पृथ्वी की ध्वनि, अनेक भाषाओं में नमस्कार, संगीत, भारत के रंगों का प्रदर्शन, फ़ोटो, और अन्य जानकारियां शामिल हैं।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) अब से लगभग 22.5 बिलियन मील (36 बिलियन किलोमीटर) दूर है, जो सौरमंडल की सीमा के बाहर होता है।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने दिसंबर 2004 में अपने सिस्टम को ठंडे समय में संभालने के लिए रॉकेट में अंतरिक्ष में ठंडे रखने के लिए ग्लाइकॉल प्रणाली का उपयोग किया था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के बैटरी 1980 के दशक में खत्म हो गई थी, लेकिन सोलर पैनल उसकी ऊर्जा आपूर्ति के लिए उपयोग किए जा रहे हैं।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) और २ के दोनों रॉकेटों में पाँच अलग-अलग प्रमुख उपकरण थे:
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) में इंटरस्टेलर स्पेस जाने के लिए प्लाटिनुम-इरिडियम से बने कुंडली के आकार के रोबोटिक इंजन लगाए गए थे। 
 
इंटरस्टेलर स्पेस



👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने १७ सितंबर १९१७ को जन्मे एडविन हबल का नाम उनके नाम के अनुसार पहले अक्षर से शुरू करते हुए उसे "हबल-१" नाम दिया था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) की कुल लंबाई २२ फीट और वजन १,५७९ पाउंड था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) में ११ विभिन्न उपकरण और प्रयोगात्मक उपकरण थे। इसमें जीपीएस सिस्टम, इंफ्रारेड इंस्ट्रुमेंट, टेलीस्कोप कैमरा, मैग्नेटोमीटर, लो एनर्जी चार्जेड पार्टिकल डिटेक्टर, और फ्लक्सगेट दिशा-निर्देशक शामिल थे।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने सौरमंडल की सीमा से बाहरी राय और कोशिकाओं को अनुसंधान करने के लिए निस्संदेह परमाणु ऊर्जा के प्रयोग के लिए एक खास इंस्ट्रुमेंट ले गया था।
 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने पृथ्वी से लगभग १ॢ बिलियन मील का सफर किया था। यह समय-समय पर ग्रहों के करीब जाने वाला पहला उपग्रह था।
 

👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) का प्रारंभिक विकास १९६३ में शुरू हुआ था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने सौरमंडल में उपस्थित नास्तिक क्षेत्र के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्रदान की।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) में उपयोग किए गए बैटरियों की समय सीमा उनकी आवश्यकताओं के कारण थी। वे केवल ६ घंटे तक चल सकते थे और उस वक्त उन्हें अधिकतम विद्युत आपूर्ति उपलब्ध नहीं थी।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के उद्देश्य में से एक था सौरमंडल के अध्ययन के लिए आवश्यक सूचनाओं को निकालना।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अलावा अब तक कुल ४२ उपग्रह बनाए गए हैं, जो विभिन्न अंतरिक्ष अभियानों द्वारा भेजे गए हैं।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) को १९७७ में भेजा गया था और यह अब भी संपूर्णता से काम कर रहा है।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने ब्रह्मांड के अध्ययन के लिए जाने जाने वाला पहला उपग्रह बना था।.

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) का प्राथमिक उद्देश्य था सौरमंडल का अध्ययन करना था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने पहली बार से सौरमंडल से निकलकर अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक जाने वाला पहला उपग्रह बना।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) में उपयोग किए गए नाइट्रोजन गैस के सिलेंडरों का उपयोग इसकी विद्युत आपूर्ति को बचाने के लिए किया गया था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) का संपूर्ण वजन ७२५ किलोग्राम था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने सौरमंडल में नास्तिक क्षेत्र के अतिरिक्त भी अनेक रहस्यमय तथ्यों को उजागर किया।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) और वॉयजर २ दोनों एक ही समय पर भेजे गए थे, लेकिन वॉयजर 1(VOYAGER 1) अपने अभियान के दौरान ज्यादा दूर तक चला था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अभियान के दौरान कुल १६ अंतरिक्ष प्रयोग किए गए थे।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) का उद्देश्य सौरमंडल की समझ में आने वाली तापमान, गुरुत्वाकर्षण और अन्य प्राकृतिक तत्वों की अध्ययन करना था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) का नाम अमेरिकी भूगोलविद और अंतरिक्ष वैज्ञानिक जेम्स वैन एलेन के नाम पर रखा गया था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) में कुल ११ वैज्ञानिक उपकरण थे।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने सौरमंडल में नॉट ऑनली प्लूटो बल्कि अन्य छोटे ग्रहों जैसे कि न्यूमा, इनसाइट और अमाल्थिया जैसे कम जाने जाने वाले ग्रहों की भी खोज की थी।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अभियान के दौरान लोगों ने बैठकर या खड़े होकर दूरबीन के माध्यम से संभवतः सबसे पहली बार धूमकेतु तक की तस्वीरें देखीं।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) का एक और मुख्य उद्देश्य था सौरमंडल से गुजरने वाली अतिसूक्ष्म रफ्तार वाली धुंधले समस्याओं के अध्ययन करना था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अभियान के दौरान सैकड़ों समुद्रों, महासागरों और नदियों की तस्वीरें भी क्लिक की गईं।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने सौरमंडल से लगभग १८ महीने तक संपर्क बनाए रखा था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने ब्रह्मांड के समकक्ष रेखा तक भेजी गई पहली मानव अभियान थी।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने इस बात का सबूत दिया कि सौरमंडल में जीवन संभव है।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने सौरमंडल में बहुत से वस्तुएं छोड़ीं जो स्टेशनरी बटन इलेक्ट्रॉन फोटों, जोहारी संवेदना परीक्षक, सूक्ष्म परिमाण के ग्रह, दुर्लभ बौने नुक्कड़ और उत्कृष्ट छवियों जैसी तकनीकी चीजें थीं।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अभियान का अंतिम उद्देश्य सौरमंडल के बाह्य भागों का अध्ययन करना था और उसने अंततः अक्टूबर १९८० में आकाशगंगा को पार कर दिया था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अभियान से उत्पन्न तस्वीरें, वीडियो और अन्य डेटा स्रोत ने अनेक जानकारी प्रदान की हैं और सौरमंडल की अध्ययन के लिए नई और उन्नत तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने सौरमंडल में कई चीजों की खोज की, जैसे की गैस के धुंधले पदार्थ, नए ग्रह और उनके उपग्रह, और धूल के दाने।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अभियान के दौरान, अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने पहली बार उत्सर्जित कोयले के रसायन घटकों के विद्युत के संबंध में जानकारी प्राप्त की।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) अभियान के दौरान, सौरमंडल के अनेक ग्रहों के अस्तित्व की पुष्टि की गई।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अभियान के दौरान, ज्योतिष विज्ञान के लोगों ने सौरमंडल में एक बड़ी विवादित संवेदना का खुलासा किया था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के अभियान के दौरान, जलवायु वैज्ञानिकों ने सौरमंडल में गुरुत्वाकर्षण और सूर्य के प्रभाव से जुड़े तथ्यों का अध्ययन किया था।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) अभियान ने सौरमंडल में उपग्रहों के अस्तित्व के संबंध में नई जानकारी प्रदान की।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) के सफल लॉन्च के बाद, यह सौर मंडल के बाहर निकल गया था और सौर मंडल के कई ग्रहों की तस्वीरें ली गईं थीं।

 
👉वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने जुपिटर के रहस्यमय गोले, सैटर्न की असाधारण अंगूठियों और अन्य ग्रहों की तस्वीरें लीं। इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान वॉयजर 1(VOYAGER 1) ने सौर मंडल के रायबरेल्ट स्लीपर एजेंट की खोज की 

 
👉यह एक और अद्भुत तथ्य है कि वॉयेजर 1 ने सौर मंडल के बाहर निकलते समय सूरज की तस्वीर खींची थी। यह तस्वीर "सौर मंडल का पारा" नामक एक बहुत ही लोकप्रिय तस्वीर है जो सौर मंडल के अंतरिक्ष में निकलते समय खींची गई थी। इस तस्वीर में सूरज का एक छोटा सा हिस्सा दिखाई देता है जो वॉयेजर 1 द्वारा अपने अंतरिक्ष यात्रा के दौरान कैद किया गया था। यह तस्वीर सौर मंडल के समझने में महत्वपूर्ण है और अंतरिक्ष शोधकर्ताओं के लिए बहुत मूल्यवान संसाधन है।

 
👉वॉयेजर-1 का लॉन्च 5 सितंबर 1977 को हुआ था। इसे जीएल एम एक्स-३५ एल रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था।

 
👉वॉयेजर-1 का प्राथमिक उद्देश्य सौर मंडल की अध्ययन करना था। यह ग्रहों के रूप में पहली बार नेप्च्यून को निगरानी करने वाला उपग्रह बन गया।

 
👉वॉयेजर-1 में पांच वैज्ञानिक प्रयोगालय हैं जो विभिन्न अध्ययन करने के लिए उपयोगी हैं। इनमें से एक विद्युत विमान है, जो सौर मंडल के अलावा इंटरस्टेलर माध्यम के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है।

 
👉वॉयेजर-1 अब भी सक्रिय है और सौर मंडल में से निकल चुका है। इसकी वर्तमान दूरी से धरती से लगभग 14 बिलियन मील है।

 
👉वॉयेजर-1 के पास संपर्क स्थापित रखने के लिए नासा ने डीप स्पेस नेटवर्क (Deep Space Network) का उपयोग किया है

 
👉वायेजर अंतरिक्ष यान हमारे सौर मंडल के सभी ग्रहों से परे उड़ान भरने वाला तीसरा और चौथा मानव अंतरिक्ष यान है। पायनियर 10 और 11 सूर्य के गुरुत्वाकर्षण आकर्षण को पार करने में वायेजर से आगे निकल गए लेकिन 17 फरवरी, 1998 को, वोयाजर 1 ने अंतरिक्ष में सबसे दूर मानव निर्मित वस्तु बनने के लिए पायनियर 10 को पार कर लिया।

 
👉वायेजर 1 पृथ्वी से सबसे दूर मानव निर्मित वस्तु है और इंटरस्टेलर अंतरिक्ष तक पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। वैज्ञानिकों को लगता है कि यह 300 साल में ऊर्ट क्लाउड के अंदरूनी किनारे तक पहुंच जाएगा। 

 
👉वॉयेजर 1 के पास गोल्डन रिकॉर्ड की एक कॉपी है - एक संदेश मानवता से ब्रह्मांड तक जो 55 भाषाओं में अभिवादन, पृथ्वी पर लोगों और स्थानों की तस्वीरें और बीथोवन से चक बेरी के "जॉनी बी गुड" तक की संगीत शमिल है।

गोल्डन रिकॉर्ड


👉वॉयेजर 1 का शनि के सबसे करीब पहुँच 12 नवंबर, 1980 को लगभग 78,290 मील (126,000 किलोमीटर) की सीमा पर था।

 
👉वॉयेजर 1 ने सैटर्न के बाद, सौर मंडल से निकलने के लिए एक रास्ते पर चल दिया। इस रास्ते पर वह प्रति वर्ष लगभग 3.5 एयू की गति से आगे बढ़ता रहा, जो उत्तरी तारों की दिशा में सूर्य की गति के साथ ईक्लिप्टिक तल से 35 डिग्री ऊपर था। 

 
👉14 फरवरी 1990 के को, वॉयेजर 1 ने सूरज और ग्रहों की लगभग 60 तस्वीरें कैद की गईं - सोलर सिस्टम का पहला "पोर्ट्रेट", जैसा कि बाहर से देखा गया। ये तस्वीरें वैद्युत तंत्र से लगभग 40 एयू दूर (3.7 अरब मील या 6 अरब किलोमीटर) होते हुए ली गई थीं।


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