Voyager Mission (वॉयेजर मिशन) : Traveler Of The Universe-1

वॉयेजर मिशन (Voyager Mission ) मानवता का एक अद्भुत प्रयास है जो अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 1977 में प्रक्षेपित हुए वॉयेजर 1(Voyager 1 ) और वॉयेजर 2, (Voyager 2  ) ये जुड़वाँ अंतरिक्ष यान, बाहरी ग्रहों का अध्ययन करने और अंतरस्थलीय अंतरिक्ष में प्रवेश करने के लिए एक महत्वाकांक्षी यात्रा पर निकले। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम वॉयेजर मिशन(Voyager Mission ) की आश्चर्यजनक उपलब्धियों, वैज्ञानिक खोजों और उसके चिरस्थायी विरासत की गहराई में जायँगे  ।

 

ये पोस्ट दो भाग में है इस प्रथम भाग में हम जानेगे  वॉयेजर मिशन क्या है ये कैसे काम करता है इसका मुख्य उदेश्य क्या है और इसका टेक्निकल जानकारी अदि

वॉयेजर मिशन: ब्रह्मांड के रहस्यों का खुलासा -Voyager Mission

 

नासा वायेजर मिशन क्या है (WHAT IS NASA VOYAGER MISSION)

वौयेजर मिशन (Voyager Mission ) दुनिया के बाहर स्थित ग्रहों की अध्ययन करने के लिए एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है। यह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) द्वारा संचालित किया जाता है। वौयेजर मिशन (Voyager Mission ) का उद्देश्य है सौरमंडल के दूरस्थ ग्रहों का अध्ययन करके हमारे ब्रह्मांड में स्थिती के बारे में नई जानकारी प्राप्त करना।

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वौयेजर मिशन (Voyager Mission ) के द्वारा दो अलग-अलग अंतरिक्ष यानों, वौयेजर 1 और वौयेजर 2, को सोलर सिस्टम  के बाहर भेजा गया है। ये यानें 1977 में प्रक्षेपित की गईं थीं और अब भी सक्रिय रूप से अपना कार्य जारी रख रही हैं।

वौयेजर मिशन (Voyager Mission ) के यानों ने सौरमंडल के कई महत्वपूर्ण और दूरस्थ ग्रहों का अध्ययन किया है, जिनमें जुपिटर, सेबर्नस, नेप्च्यून और यूरेनस शामिल हैं। ये यानें अपने संदेशों को धरातल पर भेजती हैं और अपनी यात्रा के दौरान नई जानकारी, चित्र, और डेटा भी भेजती हैं।

वौयेजर मिशन (Voyager Mission ) के द्वारा प्राप्त ज्ञान ने हमें सौरमंडल के ग्रहों, उनके वायुमंडल, गतिशीलता, चंद्रमाओं, तापमान, गैसों, और अन्य विज्ञानिक प्रश्नों के बारे में नई जानकारी प्रदान की है। इसमें विशेष रूप से जुपिटर के चार मुख्य उपग्रहों का अध्ययन, सेबर्नस के अद्भुत रिंग और नेप्च्यून के गहरे बादलों का पता चलना, इत्यादि शामिल है।

वौयेजर मिशन (Voyager Mission )का एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि इन यानों ने मानव निर्मित वाहनों के रूप में सौरमंडल से बाहर निकलने का रास्ता दिखाया है। वौयेजर 1 ने 2012 में सौरमंडल के बाहर जाकर अंतरिक्ष में पहली बार "इंटरस्टेलर स्पेस" में प्रवेश किया। यह इसे मानव निर्मित सबसे दूरस्थ विज्ञान यात्रा बनाता है।

वौयेजर मिशन ने अंतरिक्ष और ब्रह्मांड के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और नई जानकारी प्रदान की है। ये यानें बहुत दूरस्थ ग्रहों तक पहुंची हैं और विज्ञानियों को इस अनजाने ग्रह अदि  को समझने में मदद की है। वौयेजर मिशन के माध्यम से हमें ब्रह्मांड की विशालता, गतिशीलता, और रहस्यों के बारे में नई जानकारी मिली है, जो हमारी धार्मिक, दर्शनिक, और वैज्ञानिक सोच को परिवर्तित कर सकती है।


फ़िलहाल वोयाजर 1 सूर्य से 22.3 बिलियन किलोमीटर (149.0 AU) की दूरी पर है। तथा वोयाजर 2 18.5 अरब किलोमीटर (123.6 एयू) की दूरी पर है वोयाजर 1 प्रति वर्ष लगभग 3.6 एयू की गति से सौर मंडल मैं यात्रा कर रहा है है।वोयाजर 2 प्रति वर्ष लगभग 3.3 एयू की गति से वोयाजर 1 25 अगस्त 2012 को इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश किया। वोयाजर 2, 5 नवंबर 2018 को इंटरस्टेलर स्पेस पर पहुंच गया ।

वॉयेजर कैसे काम करते हैं How the Voyagers work

वॉयेजर यानें (Voyager spacecraft) एकीकृत अनुसंधान यांत्रिकी का प्रतीक हैं जो अंतरिक्ष में संचालित होने वाले हैं। वॉयेजर 1 और वॉयेजर 2 दोनों यानें सार्वभौमिक ग्रहों के पारयात्रा कर रही हैं। इन्हें 1977 में लॉन्च किया गया था और वे अब भी सक्रिय रूप से संचालित हैं।

ये यानें अपने काम को करने के लिए कई प्रमुख उपकरणों का उपयोग करती हैं। इनमें संचालन साधन, डाटा संग्रह और प्रेषण, स्वतंत्र नेविगेशन और ऊर्जा संचयन शामिल होते हैं। ये यानें वैकल्पिक शक्ति स्रोत प्लूटोनियम-238 द्वारा चलाए जाने वाले थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर्स का उपयोग करती हैं जो इसके प्राथमिक ऊर्जा स्रोत होते हैं।

ये यानें निम्नलिखित प्रमुख तकनीकों का उपयोग करती हैं:

अंतरिक्षीय डिश: (Space Dish)

प्रत्येक वॉयेजर यान में 3.7 मीटर (12 फीट) के रेडियो डिश होता है, जो संकेत लेने और डेटा को पृथ्वी के संपर्क स्थलों तक पहुंचाने के लिए उपयोगी होता है।

थ्रस्टर:Thruster:

प्रत्येक यान में 16 थ्रस्टर्स होते हैं जो यान के झुकाव को नियंत्रित करने और डिश को पृथ्वी की ओर दिखाने में मदद करते हैं। ये थ्रस्टर्स हाइड्रोजन ईंधन से चलते हैं।

वैज्ञानिक उपकरण: Scientific Instruments:

प्रत्येक वॉयेजर यान में कई वैज्ञानिक उपकरण हैं। इनमें से कुछ उपकरणों का उद्देश्य संपूर्ण ग्रहों के अवलोकन करना था, जबकि अन्यों का उपयोग विशेषाधिकार वाले ग्रहों की जांच के लिए था। उपकरणों में कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, मैग्नेटोमीटर, कॉस्मिक रेडिएशन इंस्ट्रुमेंट, और प्लाज्मा की जांच के लिए उपकरण शामिल हैं।

नेविगेशन सिस्टम: Navigation System:

वोयाजर अंतरिक्ष यान ने स्वतंत्र रूप से नेविगेट करने के लिए स्टार ट्रैकर्स, संघों पर आधारित नेविगेशन उपकरण और सूर्य के बारे में जानकारी का उपयोग किया।

डाटा अधिग्रहण: Data Acquisition

वॉयेजर्स में विभिन्न उपकरण हैं जो विभिन्न वैज्ञानिक मापों और अवलोकनों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। उपकरण इलेक्ट्रॉनिक सेंसर, कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, मैग्नेटोमीटर, अल्ट्रावायलेट इमेजर, रेडियो डिश, और प्लाज्मा डेटेक्टर जैसे हैं। ये उपकरण अपने पर्याप्त डेटा संग्रह करते हैं।

इन तकनीकों की सहायता से, वॉयेजर यानें संचार करती हैं, डेटा एकत्र करती हैं, नेविगेशन करती हैं और ग्रहों की जांच करती हैं। वोयेजर यानें पृथ्वी से दूरीगम और आवक द्वीपों के पार यात्रा करती हैं और इसके लिए वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण डेटा और ज्ञान प्रदान करती हैं। ये यानें अंतरिक्ष में अद्वितीय ग्रहों की अनुसंधान और उनकी समझ में महत्वपूर्ण योगदान करने में मदद करती हैं।

वॉयेजर मिशन का मुख्य उद्देश्य(Main objective of Voyager mission)

वॉयेजर मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर मंडल के अध्ययन करना और उससे संबंधित ज्ञान प्राप्त करना था। इस मिशन के जरिए नासा ने सौरमंडलीय ग्रहों, उनके उपग्रहों, और अंतरिक्ष में अन्य क्षेत्रों के अवलोकन और अध्ययन का अद्यतन जानकारी प्राप्त किया है।

वॉयेजर मिशन के उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

ग्रहों का अध्ययन: वॉयेजर यानों ने ज्यूपिटर, सेक्सटस, यूरेनस, और नेपच्यून जैसे सौरमंडलीय ग्रहों का विस्तृत अध्ययन किया है। इन ग्रहों की ज्यामिति, वायुमंडल, आपसी संबंध, तापमान, आकार, रासायनिक संरचना, मौसम प्रणाली, उपग्रहों का अध्ययन, और इसके अलावा उनकी छोटी सत्ताओं का भी अध्ययन किया गया है।

अंतरिक्ष और सौर प्रणाली का अध्ययन: वॉयेजर मिशन ने सौरमंडलीय रेखा, हेलिओस्फेयर, हेलीोपॉज, वायुमंडलीय रेखा, आदित्य ताप, रेडिएशन विज्ञान, गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष की अन्य क्षेत्रों का अध्ययन किया है। इससे अंतरिक्ष और सौर प्रणाली संबंधी महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ है।

गहरे अंतरिक्ष का अध्ययन: वॉयेजर मिशन ने सौर मंडल के भीतर गहरे अंतरिक्ष के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये गहरे स्थान अंतरतारकीय माध्यम, हेलियोस्फीयर, हेलिओपॉज़ और अंतरिक्ष के अन्य क्षेत्रों को कवर करते हैं।

वॉयेजर मिशन द्वारा प्राप्त ज्ञान ने हमें सौरमंडलीय विज्ञान में बहुतायती मानवीय बदलाव लाने में मदद की है। इसके अलावा, वॉयेजर मिशन ने सौरमंडलीय यात्राओं के लिए नए मार्ग, उपकरण, और आगे के अंतरिक्ष मिशनों के लिए मूलभूत ज्ञान प्रदान किया है। इस मिशन के माध्यम से हमें सौरमंडल के अद्यतित और व्यापक ज्ञान की प्राप्ति हुई है जो हमारे ब्रह्मांडिक ज्ञान को बढ़ावा देने में मदद करता है।

 

वॉयेजर  के  उपकरण (Voyager's Instruments)

BUS (Backup Utility Subsystem) Housing Electronics बस बैकअप यूटिलिटी सबसिस्टम) हाउसिंग इलेक्ट्रॉनिक्स

वॉयेजर मिशन के भीतर एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह उपकरण विज्ञानी औजारों को संचार और तारबंध सिस्टम के माध्यम से कनेक्ट करने के लिए एक मुख्य इलेक्ट्रॉनिक आवास का कार्य करता है।

BUS Housing Electronics बस हाउसिंग इलेक्ट्रॉनिक्स

उपकरण वॉयेजर अंतरिक्ष यान के सिस्टम के माध्यम से प्राथमिक संचार और निरंतर तारबंध ज्ञान को सुनिश्चित करने के लिए उपयोग होता है। इस उपकरण में विज्ञानी औजारों के लिए आवश्यक सभी इलेक्ट्रॉनिक आवास, संचार साधन, संचार प्रोटोकॉल और सुरक्षा प्रणाली स्थापित होती है।

BUS Housing Electronics बस हाउसिंग इलेक्ट्रॉनिक्स

 उपकरण वॉयेजर-1 और वॉयेजर-2 यानों में मौजूद हैं। यह विज्ञानी औजारों के संचार को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न विशेषताओं के साथ एक मजबूत और सुरक्षित प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। इसका प्रमुख कार्य वॉयेजर मिशन के संचार प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।

BUS Housing Electronics बस हाउसिंग इलेक्ट्रॉनिक्स

 उपकरण में शामिल संचार साधनों में उच्च-गुणवत्ता एंटेना, ट्रांसीवर, डेटा प्रोसेसिंग यूनिट और सुरक्षा प्रणाली शामिल होती हैं। यह उपकरण वॉयेजर मिशन के अन्य भागों के साथ संचार जोड़ने और एकीकृत करने का महत्वपूर्ण कार्य करता है।

BUS Housing Electronics बस हाउसिंग इलेक्ट्रॉनिक्स

 उपकरण की यह सुनिश्चित क्षमता है कि विज्ञानी औजार डेटा को सुरक्षित रूप से स्थानांतरित किया जाता है और वॉयेजर मिशन के अवसरों की अवधारणा और समझ के लिए महत्वपूर्ण ज्ञान प्रदान किया जाता है। यह वॉयेजर मिशन के सफलतापूर्वक प्राथमिक संचार और तारबंध कार्यों के लिए एक निर्भर उपकरण है।

BUS Housing Electronics बस हाउसिंग इलेक्ट्रॉनिक्स

 उपकरण का उपयोग करके वॉयेजर मिशन के वैज्ञानिकों ने संचार को सुनिश्चित किया है, जिससे उन्हें आपूर्ति की विवरण, आकाशीय विज्ञान और अन्य महत्वपूर्ण डेटा का प्राप्त हो सका है। इस उपकरण की महत्वपूर्ण भूमिका ने वॉयेजर मिशन को इतिहास में एक महत्वपूर्ण और सफल मिशन बनाया है।

High-Gain Antenna (HGA) हाई-गेन एंटीना (HGA)

वॉयेजर मिशन का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह उपकरण वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट के संचार सिस्टम का हिस्सा है और पृथ्वी से डेटा प्राप्त करके इसे बैक बनाने का कार्य करता है।

High-Gain Antenna को हाई-गेन एंटेना भी कहा जाता है क्योंकि इसकी अपेक्षाकृत ऊँची गुणवत्ता है जो सुनिश्चित करती है कि डेटा की अच्छी गुणवत्ता में संचार हो सके। इसका आकार बड़ा होता है जो उसे विभिन्न भूकंपों और ऊर्जा रेखाओं का सामना करने में सक्षम बनाता है।

HGA का प्रमुख कार्य पृथ्वी के साथ संचार करना है। इसे उपकरण के द्वारा प्राप्त होने वाले डेटा को पृथ्वी के निर्देशांक डेटा में बदलने के लिए उपयोग किया जाता है। एक्स-बैंड और एस-बैंड हैंडलिंग के लिए दो फ्रीक्वेंसी चैनल होते हैं।

एक्स-बैंड चैनल में विज्ञान और इंजीनियरिंग डेटा शामिल होता है। यह चैनल लगभग 8.4 गीगाहर्ट्ज़ पर कार्य करता है और इंजीनियरिंग और विज्ञान डेटा की उच्च दरें संभव करता है। विज्ञान डेटा दरें सेकंड प्रति 7.2 किलोबिट्स तक हो सकती हैं।

वॉयेजर मिशन में High-Gain Antenna ने सुनिश्चित किया है कि अच्छी गुणवत्ता वाले डेटा को पृथ्वी तक संचारित किया जा सके। इसके माध्यम से वॉयेजर मिशन के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण विज्ञान और इंजीनियरिंग डेटा को प्राप्त कर सका है जिसने इस मिशन को सफल बनाया है।

 Cosmic Ray Subsystem (CRS) कॉस्मिक रे सबसिस्टम (सीआरएस)

 वॉयेजर मिशन का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह सबसे पहला उपकरण है जो कॉस्मिक रे के विभिन्न प्रकारों को मापने के लिए बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य सौर में होने वाले कॉस्मिक रे के प्रवाह का अध्ययन करना है।

CRS में प्रमुखतः दो उपकरण होते हैं - वनरेडियो रे टेक्टर (One Radioisotope Thermoelectric Generator - ORTEC) और लोएनर्जी चार्ज्ड पार्टिकल्स (Low-Energy Charged Particles - LECP)। वनरेडियो रे टेक्टर द्वारा कॉस्मिक रे के प्रकारों को मापा जाता है और उनकी गति, दिशा और ऊँचाई का पता लगाया जाता है। लोएनर्जी चार्ज्ड पार्टिकल्स द्वारा निकटवर्ती वातावरण में पाए जाने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स का अध्ययन किया जाता है।

Imaging Science Subsystem (ISS) इमेजिंग साइंस सबसिस्टम (आईएसएस)

 वॉयेजर मिशन का एक और महत्वपूर्ण उपकरण है। इसका उद्देश्य ग्रह और उनके उपग्रहों की छवियाँ बनाना और उन्हें विश्लेषण करना है। ISS में दो उपकरण होते हैं - नॉर्मल और वाइड एंगल कैमरा (Narrow Angle and Wide Angle Camera)। ये कैमरे ऊर्जा स्रोत की प्रक्रिया को कैप्चर करते हैं और उच्च गुणवत्ता में छवियाँ बनाते हैं।

ISS द्वारा प्राप्त की जाने वाली छवियों के आधार पर वैज्ञानिकों ने ग्रहों, उपग्रहों, उनकी मार्गों, सतही विशेषताओं, वातावरणीय प्रक्रियाओं और अन्य वैज्ञानिक महत्वपूर्णताओं का अध्ययन किया है। ISS ने हमें सूक्ष्म विवरण और अनुपातिक छवियाँ प्रदान करके ब्रह्मांडिक गतिविधियों की समझ में मदद की है।

Infrared Interferometer Spectrometer and Radiometer (IRIS) इन्फ्रारेड इंटरफेरोमीटर स्पेक्ट्रोमीटर और रेडियोमीटर (आईआरआईएस)

 वॉयेजर मिशन का एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपकरण है। यह उपकरण भूमध्य विज्ञान के लिए बनाया गया है और इंटरफेरोमीटर स्पेक्ट्रोमीटर और रेडियोमीटर के रूप में जाना जाता है।

IRIS का मुख्य कार्य सूर्य के प्रकाश के विभिन्न ऊर्जा स्तरों का अध्ययन करना है। यह उपकरण सूर्य के प्रकाश को इंटरफेरन्स और स्पेक्ट्रोमीट्री के द्वारा विश्लेषण करके ऊर्जा के स्रोतों की अधिकतम जानकारी प्रदान करता है। यह वॉयेजर मिशन के दौरान सूर्य और उसके ऊर्जा प्रकारों के बारे में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा प्राप्त करने में मदद करता है।

Low-Energy Charged Particles (LECP) कम ऊर्जा आवेशित कण (एलईसीपी)

 वॉयेजर मिशन के एक उपकरण है जो विभिन्न अल्प ऊर्जा वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स का अध्ययन करता है। यह उपकरण चार्ज्ड पार्टिकल्स की प्राकृतिक उपस्थिति, गति, दिशा, ऊँचाई, और उनके प्रकारों को मापता है। LECP डेटा वॉयेजर मिशन के वैज्ञानिकों को सूर्य के निकटवर्ती वातावरण में चार्ज्ड पार्टिकल्स की प्रकृति और उनके द्वारा प्रभावित किए जाने वाले ग्रहों और उपग्रहों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

Magnetometer (MAG) मैग्नेटोमीटर (एमएजी)

 वॉयेजर मिशन का एक और महत्वपूर्ण उपकरण है जो विभिन्न ग्रहों के चुंबकीय आकर्षण के अध्ययन के लिए बनाया गया है। MAG की मदद से वॉयेजर मिशन के वैज्ञानिकों ने ग्रहों के चुंबकीय विश्लेषण और उनके मैग्नेटिक विशेषताओं का अध्ययन किया है। यह उपकरण चुंबकीय क्षेत्रों के विभिन्न पैरामीटरों जैसे कि दिशा, शक्ति, और स्थिति को मापता है और इसे उपयोग करके वैज्ञानिकों को ग्रहों के चुंबकीय विश्लेषण के आधार पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

Optical Calibration Target ऑप्टिकल अंशांकन लक्ष्य

 वॉयेजर मिशन का एक उपकरण है जो वैज्ञानिकों को विभिन्न ऑप्टिकल उपकरणों के परीक्षण और निर्धारण के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य है वॉयेजर मिशन के दौरान उपयोग होने वाले ऑप्टिकल उपकरणों की समय-समय पर परीक्षण करके उनकी सुधार और तारक निर्धारण करना।

Photopolarimeter Subsystem (PPS) फोटोपोलरीमीटर सबसिस्टम (पीपीएस)

 वॉयेजर मिशन का एक वैज्ञानिक उपकरण है जो प्रकाश के ध्रुवीयता और तारक सूक्ष्मता के अध्ययन के लिए बनाया गया है। PPS के द्वारा वैज्ञानिकों को ग्रहों के प्रकाश के गुणवत्ता, ध्रुवीयता, और ऊष्मा ज्योति की जांच करने में मदद मिलती है। यह उपकरण सूर्य के प्रकाश के प्रभाव में होने वाली परिवर्तनों को निरीक्षण करता है और इससे ग्रहों के जलवायु और वातावरणीय प्रक्रियाओं का अध्ययन होता है।

Planetary Radio Astronomy (PRA) ग्रहीय रेडियो खगोल विज्ञान (पीआरए)

वॉयेजर मिशन का एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो ग्रहों के रेडियो आकाशविज्ञान के लिए बनाया गया है। PRA के माध्यम से वैज्ञानिकों को ग्रहों से आने वाले रेडियो संकेतों का अध्ययन करने का अवसर मिलता है। यह उपकरण ग्रहों के आवासीय साधनों, गैस और धूल के वातावरण, सूर्य के प्रभाव में परिवर्तन, और अन्य रेडियो विज्ञान संबंधी प्रश्नों का अध्ययन करता है।

Plasma Science (PLS) प्लाज्मा विज्ञान (पीएलएस)

 वॉयेजर मिशन का एक प्रमुख वैज्ञानिक उपकरण है जो प्लाज्मा विज्ञान के लिए बनाया गया है। PLS के माध्यम से वैज्ञानिकों को ग्रहों के प्लाज्मा वातावरण का अध्ययन करने का अवसर मिलता है। यह उपकरण प्लाज्मा के गुणवत्ता, संरचना, और उसकी गतिविधियों को मापता है और ग्रहों के प्लाज्मा के विभिन्न प्रकारों के अध्ययन में मदद करता है।

Plasma Wave Subsystem (PWS) प्लाज्मा वेव सबसिस्टम (PWS)

 वॉयेजर मिशन का एक उपकरण है जो प्लाज्मा तरंगों का अध्ययन करने के लिए बनाया गया है। PWS के माध्यम से वैज्ञानिकों को ग्रहों में मौजूद प्लाज्मा तरंगों की पहचान करने और उनके गुणवत्ता, गति, और प्रकारों का अध्ययन करने का अवसर मिलता है। यह उपकरण ग्रहों के प्लाज्मा वातावरण में होने वाली तरंगों के प्रकाश और ध्वनि संकेतों को मापता है और उनके गुणवत्ता और मौजूदगी का अध्ययन करता है।

Radioisotope Thermoelectric Generators (RTG) रेडियोआइसोटोप थर्मोइलेक्ट्रिक जेनरेटर (आरटीजी)

 वॉयेजर मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा संचालक हैं। RTG ग्रहों के ऊर्जा सप्लाई के लिए उपयोग होते हैं। ये ऊर्जा जनरेटर संचालित होते हैं और वॉयेजर मिशन के लिए आवश्यक बिजली उत्पन्न करते हैं। RTG धातुओं के उपयोग से ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और ग्रहों के संचालन के लिए आवश्यक बिजली उत्पन्न करते हैं।

Ultraviolet Spectrometer (UVS) पराबैंगनी स्पेक्ट्रोमीटर (यूवीएस)

 वॉयेजर मिशन का एक वैज्ञानिक उपकरण है जो अत्यधिक प्रतीक्षानिक तरंगदैर्य विस्तार के लिए बनाया गया है। UVS के माध्यम से वैज्ञानिकों को ग्रहों के उच्च उर्जा सूर्य के प्रकाश के विस्तार, ग्रहों के ऊष्मा बंद, और अन्य तारों के उर्वरकीय लाइनों का अध्ययन करने का अवसर मिलता है। UVS सूर्य के अलावा ग्रहों के ऊर्वरकीय लाइनों की पहचान करने और उनकी गुणवत्ता का मापन करने में मदद करता है

वॉयेजर मिशन की शुरुआत(The Beginnings of the Voyager)

अंतरिक्ष अन्वेषण का एक महान चरम बिंदु, वॉयेजर मिशन, 1977 में शुरू हुआ। यह दुनिया के बाहरी ग्रहों की अद्भुत जांच करने और अंतरस्थलीय अंतरिक्ष में जाने का प्रयास करता था। इस मिशन के माध्यम से मानवता ने सौरमंडलिक विज्ञान में नई सीमाएं छूने का महान क्षण देखा।

वॉयेजर मिशन का प्रारंभ अप्रैल 1977 में हुआ। इस मिशन के लिए दो यान तैयार किए गए - वॉयेजर 1 और वॉयेजर 2। ये जुड़वाँ अंतरिक्ष यान अपने अद्भुत प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक उपकरणों के लिए मशहूर हुए। इनकी मुख्य उद्देश्यों में से एक था ग्रहों के चारों ओर से जाकर वैज्ञानिक ज्ञान में बदलाव लाना।

वॉयेजर मिशन (Voyager Mission )का पहला महत्वपूर्ण चरण यह था कि ये अंतरिक्ष यान ग्रहों के पास से गुजरकर जाने का निर्णय लिया। इसे "ग्रैंड टूर" के नाम से जाना जाता है। ये ग्रैंड टूर जुपिटर, सूर्य से सबसे बड़ा ग्रह, और फिर सैटर्न, यूरेनस और नेपच्यून के आस-पास से होने वाले पारिक्रमिक यात्रा को शामिल करता है।

वॉयेजर मिशन: ब्रह्मांड के रहस्यों का खुलासा -Voyager Mission

 

वॉयेजर मिशन (Voyager Mission ) का एक और रोचक तत्व था "गोल्डन रिकॉर्ड"। इस रिकॉर्ड में मानवता ने पृथ्वीवासियों की पहचान को दुनियाभर के दूसरे जीवित ग्रहों के लोगों को प्रदर्शित करने के लिए संदेश भेजे। इस रिकॉर्ड में धरती की ध्वनियां, संगीत, भाषाओं का संग्रह, और मानवता के रहस्यमय और सांस्कृतिक पहलुओं की जानकारी शामिल थी।

 

वॉयेजर मिशन: ब्रह्मांड के रहस्यों का खुलासा -Voyager Mission

जून 1979 में, वॉयेजर 1 ने जुपिटर के पास से गुजरकर अपने पहले महत्वपूर्ण संपर्क को स्थापित किया। इससे पहले लॉन्गर टर्म मिशन के लिए तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। वॉयेजर 1 के द्वारा प्राप्त डेटा ने हमें जुपिटर के रहस्यों का खुलासा किया और उसके वातावरण और उसकी तापमान की जांच की। वॉयेजर 2 ने सूर्य से थोड़ी दूरी पर ही सैटर्न का पारिक्रमिक संपर्क स्थापित किया और उसने बाद में यूरेनस और नेपच्यून की खोज की।

वॉयेजर मिशन ने सौरमंडलिक ज्ञान में आदर्श उपलब्ध कराया है और इसने अंतरिक्ष अन्वेषण की नई दृष्टि प्रदान की है। ये यान सूर्यमंडल के प्रत्येक ग्रह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं, जिसने हमारी समझ को बदल दिया है। इसके साथ ही, वॉयेजर मिशन ने नई संभावित ग्रहों की खोज के लिए रास्ता बनाया है और आगामी मिशनों के लिए मूलभूत तकनीक को स्थापित किया है।

 

 

सवाल 1: वॉयेजर मिशन क्या है?

उत्तर: वॉयेजर मिशन एक संगठित अंतरिक्ष मिशन है जिसका मुख्य उद्देश्य सौरमंडल के बाहरी ग्रहों और अन्य नगरिक अंतरिक्ष चरणों का अध्ययन करना है।

सवाल 2: वॉयेजर मिशन कैसे काम करता है?


उत्तर: वॉयेजर मिशन ग्रहों के पास से गुजरकर उनके करीब से होकर जाता है और तब वहां नगरिक अंतरिक्ष चरणों का अध्ययन करता है। यह मानव निर्मित अंतरिक्ष यान हैं जिन्हें विभिन्न उपकरण और साधनों के साथ सुसज्जित किया गया है।

सवाल 3: वॉयेजर मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?


उत्तर: वॉयेजर मिशन का मुख्य उद्देश्य सौरमंडल के बाहरी ग्रहों और अन्य नगरिक अंतरिक्ष चरणों को अध्ययन करना है ताकि हम सौरमंडल, ग्रहों, उनके वातावरण, और अंतरिक्ष की विस्तारित समझ प्राप्त कर सकें।

सवाल 4: वॉयेजर मिशन कितने वॉयेजर स्‍पेसक्राफ्‍ट्स के माध्यम से किया गया?


उत्तर: वॉयेजर मिशन दो वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट्स (वॉयेजर 1 और वॉयेजर 2) के माध्यम से किया गया।

सवाल 5: वॉयेजर 1 और वॉयेजर 2 मिशन कब लांच किए गए थे?


उत्तर: वॉयेजर 1 मिशन 5 सितंबर 1977 को और वॉयेजर 2 मिशन 20 अगस्त 1977 को लॉन्च किए गए थे।

सवाल 6: वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट्स कौन से नगरिक अंतरिक्ष चरणों का अध्ययन कर रहे हैं?


उत्तर: वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट्स सौरमंडल के बाहरी ग्रहों के जैसे जुपिटर, सेक्स, यूरेनस, नेपच्यून और अन्य ग्रहों का अध्ययन कर रहे हैं।

सवाल 7: वॉयेजर मिशन में कौन-कौन से उपकरण शामिल हैं?


उत्तर: वॉयेजर मिशन में अनेक उपकरण शामिल हैं, जिनमें ग्रहों के चित्रण और उनके तत्वों का विश्लेषण करने के लिए नीट्रेन और आर्गन के माध्यम से गैस का विश्लेषण, जैसे गैस के माध्यम से मात्राएँ और तापमान का मापन, प्लाज्मा अवधारणा इकाई, सूर्यमंडलीय रेडिएशन, और बाह्य ग्रहों से आविकीय नमूनों के ग्रहाण के लिए इंडेक्स और इंटरफेस का उपयोग किया जाता है। इनके अलावा, स्पेसक्राफ्ट में कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, इन्फ्रारेड संवेदक, चिल्लर उपकरण, उर्वरकीय बेन के जरिए नमूना संग्रहण के लिए ब्रह्मसुप्ति, रेडियोमीटर, और ध्वनिक संवेदक शामिल हैं।

सवाल 8: वॉयेजर मिशन के सबसे महत्वपूर्ण परिणाम क्या हैं?


उत्तर: वॉयेजर मिशन के सबसे महत्वपूर्ण परिणामों में से कुछ शामिल हैं: सूर्य के विस्तृत तस्वीरें, जूनो मून के विस्तृत तस्वीरें, ग्रहों के गर्मियों की पहचान, जिपीएल से प्राप्त तस्वीरें, उरणस के गर्मी और मानसे के संकेतों की पहचान, विद्युत प्रभावित क्षेत्रों का पता लगाना, और ग्रहों के चंद्रमा के तत्वों की खोज।

सवाल 9: वॉयेजर मिशन का अवधारणा काल क्या है?


उत्तर: वॉयेजर मिशन की अवधारणा काल 1960 के दशक में हुई, और इसे 1970 के दशक में विकसित और लॉन्च किया गया।

सवाल 10: वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट्स कितनी दूर तक पहुंचे हैं?


उत्तर: वॉयेजर 1 और वॉयेजर 2 दोनों स्पेसक्राफ्ट्स ने सौरमंडल के बाहरी ग्रहों तक अपना मिशन पूरा किया है। वॉयेजर 1 ने सन् 2012 में हाइड्रोजन बाँद को पार करते हुए हेलिओपॉजिक नामक क्षेत्र तक पहुंच गया है, जबकि वॉयेजर 2 ने सन् 1989 में नेप्च्यून के आस-पास से गुजरते हुए मार्ग समाप्त किया था।

सवाल 11: वॉयेजर मिशन के लॉन्चर कौन थे?


उत्तर: वॉयेजर मिशन के लॉन्चर क्यूएसएल-एवी-3 (केपेवी-3) द्वारा किए गए थे, जो कि एक विकसित राष्ट्रीय एकक द्वारा निर्मित विज्ञान उपग्रह है।

सवाल 12: वॉयेजर मिशन की प्राथमिकता क्या थी?


उत्तर: वॉयेजर मिशन की प्राथमिकता सौरमंडल के बाहरी ग्रहों और उनके वातावरण को अध्ययन करना थी, ताकि हम ब्रह्माण्ड, ग्रहों, उनके उपकरणों, और अंतरिक्ष के बारे में और बेहतर समझ प्राप्त कर सकें।

सवाल 13: वॉयेजर मिशन का अवधारणा और विकास किसने की थी?


उत्तर: वॉयेजर मिशन का अवधाराना और विकास अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (NASA) द्वारा किया गया था। यह मिशन जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के अधीन था, जो NASA का एक प्रमुख केंद्र है जो गहनायन मिशनों का प्रबंधन करता है।

सवाल 14: वॉयेजर मिशन ने कितने संवेदनशील डेटा भेजे हैं?


उत्तर: वॉयेजर मिशन ने संवेदनशील डेटा का विस्तारित संग्रह किया है। इन संग्रहों में से कुछ प्रमुख तस्वीरें, ग्रहों के रूपांतरण, सतहीय तत्वों की जांच, और वातावरणीय डेटा शामिल हैं।

सवाल 15: वॉयेजर मिशन का वर्तमान स्थिति क्या है?


उत्तर: वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट्स अभी भी संपर्क स्थापित रख रहे हैं, हालांकि वे अब अत्यधिक दूर हैं और नगरिक अंतरिक्ष के अध्ययन के लिए उपयोगी नहीं हैं। वॉयेजर 1 सौरमंडल से बहुत दूर हो चुका है, जबकि वॉयेजर 2 भी नेप्च्यून के पास से गुजर चुका है। ये स्पेसक्राफ्ट्स अब अंतरिक्ष में अपवाद पत्थरों के रूप में चल रहे हैं और इंसानी कार्यों के लिए इंतजार कर रहे हैं।

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