Kamakhya Mandir: कामाख्या मंदिर और इसके रहस्य

 भारत देश विश्व में अपनी धार्मिकता, संस्कृति और प्राचीन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर एक नगर और गांव के पीछे एक रोमांचकारी इतिहास छिपा होता है। भारतीय उपमहाद्वीप में असाम राज्य भी अपने आश्चर्यजनक स्थलों के लिए जाना जाता है और इसमें से एक है "कामाख्या मंदिर"।(Kamakhya temple)  यह स्थान अपने अनूठे प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस लेख में, हम कामाख्या (Kamakhya temple) मंदिर के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

 

Kamakhya Mandir: कामाख्या मंदिर अद्भुत धार्मिक स्थल

 

कामाख्या मंदिर का परिचय:  Kamakhya Mandir

नाम: कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple)

स्थान: गुवाहाटी, असम (Guwahati, Assam)

धार्मिक महत्व: शक्ति पीठों में से एक, मां दुर्गा के योनि के अंश को स्थानीय भाषा में "गर्भगृह" के रूप में पूजा जाता है।

 समय: वर्षभर में कई पर्व और महोत्सवों के अवसर पर श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।

 

कामाख्या मंदिर: (Kamakhya Temple),कामाख्या मंदिर फोटो

कामाख्या मंदिर (Kamakhya temple) भारत के असाम राज्य में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर अपने प्राचीनता, सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए लोगों के बीच अत्यंत प्रसिद्ध है। कामाख्या मंदिर (Kamakhya temple) को अनेक पुराणों और स्थानीय कथाओं से जोड़ा जाता है।

इस मंदिर का नाम "कामाख्या" संस्कृत शब्द "काम" और "अख्या" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है "कामना की पूर्ति करने वाली"। इस मंदिर में मां दुर्गा के योनि के अंश का पूजन किया जाता है, और इसे "गर्भगृह" के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।

कामाख्या मंदिर (Kamakhya temple)  के प्रति श्रद्धालुओं की भक्ति अत्यंत उच्च है। विभिन्न धार्मिक उत्सव और महोत्सवों के अवसर पर, लाखों श्रद्धालु इस मंदिर का दर्शन करने आते हैं। अम्बुबाची मेला इसका सबसे विख्यात उत्सव है, जो वर्षभर में चार दिन तक चलता है।

कामाख्या मंदिर
(Kamakhya temple) का पर्वतीय वातावरण भी इसे अत्यंत आकर्षक बनाता है। यहां से आप गुवाहाटी के सुंदर नजारों का भी आनंद ले सकते हैं। इस प्राचीन मंदिर के चारों ओर के वन और घाटियाँ भी अपने आप में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं।

Kamakhya Mandir: कामाख्या मंदिर अद्भुत धार्मिक स्थल
 
कामाख्या मंदिर भारतीय संस्कृति और धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालु देवी मां कामाख्या के दर्शन करने आते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक बनाने का प्रयास करते हैं। इस अद्भुत स्थल का दर्शन करके शक्ति और शांति का अनुभव होता है जो मन को शुद्ध करता है।

यदि आप धार्मिक यात्रा का आनंद उठाने के इच्छुक हैं, तो इस विशेष स्थल को अपने नजदीकी शहर से भी जोड़ सकते हैं। इसके आलावा, अम्बुबाची मेला जैसे अनेक उत्सवों का भी आनंद उठा सकते हैं जो इस मंदिर में आयोजित किए जाते हैं। इससे आपको न केवल आनंद मिलेगा, बल्कि आपके आत्मा को शांति और सकारात्मकता का अनुभव होगा।

कामाख्या मंदिर का इतिहास (History of Kamakhya Temple)

कामाख्या मंदिर  (Kamakhya temple) गुवाहाटी, असम में स्थित है और 7 किमी की दूरी पर विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर देश के सबसे बड़े शक्ति मंदिरों में से एक माना जाता है और यह नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित है, जिसे तांत्रिक उपासकों और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है।

यह मंदिर प्राचीन समय से ही अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रसिद्ध है। पूर्व मंदिर को काला पहाड़ द्वारा नष्ट कर दिया गया था, जिसे बाद में 1565 में चिलाराई द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था, जो कोच राजवंश का शासक था। वर्तमान समय में भी इस मंदिर को नवीनीकृत करने के लिए समय-समय पर परिष्कृत किया गया है, जो आकर्षक दृश्यों और सुंदर स्थलों की विशेषता को बनाए रखता है।
कामाख्या मंदिर (Kamakhya temple) मां शक्ति के विभिन्न रूपों सुंदरी, त्रिपुरा, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी और छिन्नमस्ता को समर्पित है। मंदिर के प्रांगण में एक पवित्र परिसर स्थित है, जो भक्तों को धार्मिक अनुष्ठान और ध्यान के लिए एक सकारात्मक वातावरण प्रदान करता है। मंदिर का पश्चिमी कक्ष आयताकार और मध्य कक्ष चौकोर है। मध्य कक्ष में नरनारायण के शिलालेख और चित्र हैं, जो आकर्षक दिखते हैं। सबसे पवित्र मंदिर मंदिर के भीतर स्थित है, जो तीसरा कक्ष भी है और आधारशिला में योनि जैसी दरार वाला तीसरा कक्ष एक गुफा के रूप में है। इस मंदिर में एक प्राकृतिक झरना भी है, जो दरार से होकर बहता है। यह स्प्रिंग चैम्बर को नम रखने में मदद करता है।

Kamakhya Temple Story कामाख्या मंदिर की कथा

कामदेव कथा के अनुसार, भगवान शिव की तीसरी आंख से निकली अग्नि ने कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी, रति, भगवान शिव से विनती करते हुए उन्हें बताई कि उनके पति की वह कोई गलती नहीं थी, क्योंकि देवताओं ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था और कामदेव को पुनर्जीवित करने के लिए भी कहा था। भगवान शिव ने प्रेम के अवतार होने के कारण उनकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और कामदेव को जीवनदान दिया। हालांकि, कामदेव की पहले की गई सुंदरता ख़त्म हो गई थी। इसके बाद, रति और कामदेव ने दोबारा उन्हें उसके मूल स्वरूप में लौटाने के लिए भगवान शिव से फिर से प्रार्थना की। तब भगवान ने कामदेव को नीलाचल पर्वत में पवित्र योनि मुद्रा खोजने और वहां देवी की पूजा करने की सलाह दी, तभी वह अपनी सुंदरता को पुनः प्राप्त कर सकेंगे। कई वर्षों की तपस्या के बाद, कामदेव अंततः देवी का आशीर्वाद पाने और अपनी खोई हुई सुंदरता को वापस पाने में सफल रहा। तब कृतज्ञ कामदेव ने विश्कर्मा की सहायता से योनि मुद्रा के ऊपर एक भव्य मंदिर बनवाया। इस क्षेत्र को बाद में कामरूप के नाम से जाना जाने लगा क्योंकि कामदेव ने यहां अपनी सुंदरता या रूप को पुनः प्राप्त कर लिया था।

 

Kamakhya Mandir: कामाख्या मंदिर अद्भुत धार्मिक स्थल

 

9वीं शताब्दी के आसपास लिखा गया "शाक्त" संप्रदाय के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक "कालिका पुराण" मंदिर की उत्पत्ति के बारे में एक पौराणिक कहानी प्रदान करता है। इसमें उल्लेख किया गया है कि प्राचीन कामरूप में नीलाचला वह स्थान था जहां भगवान शिव और शक्ति अपनी शारीरिक इच्छा यानी काम को पूरा करते थे। कालिका पुराण में कामाख्या मंदिर के बारे में कई विवरण हैं।

कालिका पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार मिथला का एक राजा  
नरका से है, जिसके  संबंध कामाख्या मंदिर से है। ऐसा माना जाता है कि अपना बचपन मिथिला में बिताने के बाद, नरका अपने पिता  के आदेश पर प्रागज्योतिष आये थे। नरक ने किरातों को हराया, जो देवी कामाख्या के सबसे पहले उपासक माने जाते थे;  हालांकि शुरू में नरका देवी कामाख्या का अनुयायी था लेकिन बाद में सोनितपुर के राजा बाणासुर के प्रभाव से उसमें नकारात्मक गुण विकसित हो गए। कहा जाता है कि नरका ने ऋषि वसिष्ठ को देवता के दर्शन करने से रोका था, जिसके कारण वसिष्ठ ने  नरका को श्राप दिया था। जब नरका द्वारा किए गए अत्याचार बहुत बढ़ गए, तो भगवान विष्णु को हस्तक्षेप करना पड़ा और उसे मारना पड़ा।

क्यों किया जाता है कामाख्या मंदिर में योनि की पूजा 


"योगिनी तंत्र," एक अन्य प्राचीन साहित्य माना जाता है जो 16वीं शताब्दी के आसपास लिखा गया था, जहां देवी कामाख्या के बारे में उल्लेख मिलता है। "योगिनी तंत्र" में प्रजनन के प्रतीक के रूप में कामाख्या के उद्भव से संबंधित किंवदंती है। "योगिनी तंत्र" में वर्णित प्रसंग इस प्रकार है।

सृष्टि की रचना करने के बाद भगवान ब्रह्मा अपनी सर्वोच्च रचनात्मकता की शक्ति के कारण अहंकारी हो गए। इसने देवी  काली को उसे सबक सिखाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ब्रह्मा के शरीर से केसी नामक राक्षस को उत्पन्न किया। जैसे ही उनका जन्म हुआ, राक्षस उन्हें निगलने के लिए ब्रह्मा की ओर दौड़ा। ब्रह्मा विष्णु की संगति में भाग गये। ब्रह्मा को जल्द ही अपने पाप का एहसास हुआ और वे विष्णु के साथ मदद के लिए देवी के पास पहुंचे। तब देवी उनके बचाव में आईं और राक्षस को मार डाला। तब देवी ने ब्रह्मा और विष्णु से राक्षस केसी के मृत शरीर पर एक पर्वत बनाने के लिए कहा; जहाँ मवेशियों के लिए घास होगी और उसने उन्हें यह भी बताया कि कामरूप पृथ्वी पर सबसे पवित्र स्थान है। ब्रह्मा और विष्णु को योनिमंडल (महिला जननांग) के सामने प्रार्थना और ध्यान करने के लिए कहा गया जो बाद में प्रकट हुई।

मंदिर की उत्पत्ति के बारे में एक और कहानी है जो कोच राजा विश्व सिंहा से संबंधित है।

अहोमों के साथ लड़ाई के दौरान, विश्व सिंघा और उनके भाई शिव सिंघा अपना रास्ता भटक गए और नीलाचला पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गए। उनकी मुलाकात एक बूढ़ी महिला से हुई जिसने उन्हें देवी कामाख्या का पीठस्थान दिखाया और उनसे वहां सोने से एक मंदिर बनाने का अनुरोध किया। राजा ने प्रार्थना की और वचन दिया कि यदि उसकी मनोकामना पूरी हुई तो वह अवश्य ऐसा करेगा। तदनुसार, उनकी इच्छा पूरी होने के बाद, राजा विश्व सिंह ने ईंटों से एक मंदिर बनाने की कोशिश की लेकिन वह काम नहीं आया। तब देवी उनके सपने में आईं और उन्हें केवल सोने से मंदिर बनाने की उनकी प्रतिबद्धता के बारे में याद दिलाया। राजा ने देवी से ऐसा करने में असमर्थता का उल्लेख करते हुए प्रार्थना की और तब देवी ने उन्हें ईंटों के साथ कम से कम थोड़ी मात्रा में सोना रखने की सलाह दी। इसके बाद मंदिर बनाया गया जो बाद में नष्ट हो गया। सटीक कारण ज्ञात नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि इसे एक मुस्लिम आक्रमणकारी कालापहाड़ ने ध्वस्त कर दिया था, जबकि कई विद्वान इसे किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ मानते हैं।

इसके बाद, महान कोच राजा नरनारायण, जो विश्व सिंघा के उत्तराधिकारी बने, ने अपने भाई चिलाराय के साथ मिलकर पहले के खंडहरों पर मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।

कामाख्या मंदिर का वास्तुकला (Kamakhya Temple Architecture)

कामाख्या मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। यह मंदिर असम के गुवाहाटी शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित है। मंदिर का स्थान एक ऊँचे पहाड़ी चोटी पर होने के कारण इसे देवी शक्ति के स्थानीय संस्कृति में बड़ा महत्व दिया जाता है।

कामाख्या मंदिर का शिखर बहुत ऊँचा है और वास्तुकला में उत्कृष्ट नक्शा है। मंदिर का मुख्य गोपुरम विशाल और सजावटी आकृति में बना हुआ है। इसमें भव्य द्वारपालक और देवी कामाख्या के मूर्ति संस्कृति की विषेशता है।

मंदिर के भीतर भगवान शिव और शक्ति की विविध भवनाएं हैं, जो अलग-अलग वास्तुकला शैलियों में बनी हैं। इनमें भव्य मंच, यज्ञ वेदी, प्रधान मंदिर और अन्य उपासना स्थल हैं।

मंदिर की सिलाइयों में भारतीय वास्तुकला के सुंदर चित्र, मूर्ति और वृत्तचित्र बने हुए हैं। यहां की सजावटी भवनाएं और सिलाइयाँ मंदिर की शान और विशालता को दर्शाती हैं।

भगवान शिव और शक्ति के प्रतिमाएं भी मंदिर की सुंदरता को बढ़ाती हैं। इनमें विविध भवनाएं और देवी के विभिन्न रूप दिखाए जाते हैं, जो संस्कृति और धरोहर को प्रतिबिंबित करते हैं।

कामाख्या मंदिर का वास्तुकला में एक अद्भुत संगम है। इसकी सुंदरता, भव्यता और रूपरंगता से यह मंदिर दर्शनीय स्थलों में से एक है। विश्वास किया जाता है कि इस मंदिर में आकर मनुष्यों को शक्ति और शांति की अनुभूति होती है।.

कामाख्या मंदिर का महत्व (Importance of Kamakhya Temple)

कामाख्या मंदिर का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे हिन्दू धर्म में एक प्रमुख तांत्रिक और शाक्त पीठ के रूप में माना जाता है। यहां के महत्व के कुछ मुख्य कारण हैं:

1. मां कामाख्या की आदि शक्ति: कामाख्या मंदिर में मां कामाख्या का पुजारी योनि रूप में पूजा जाता है, जो शक्ति की प्रतीक होती है। यह शक्ति का स्थल माना जाता है और इसे वर्णनीय शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

2. शक्ति की महत्वपूर्ण उपासना: कामाख्या मंदिर में तांत्रिक और शक्ति उपासना की परंपरा है, जिसमें विशेष मंत्रों और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। यहां पर देवी के आराधक अपने आध्यात्मिक और तांत्रिक साधना के लिए आते हैं।

3. प्रकृति का महत्व: कामाख्या मंदिर के पास ब्रह्मपुत्री नदी के निकट एक प्राकृतिक प्रशांत वातावरण है, जिसका महत्व धार्मिक और पार्यटनिक है। यहां पर प्राकृतिक सौन्दर्य और प्राकृतिक महत्व की अनुभूति की जा सकती है।

4. कुलदेवता के रूप में: कामाख्या मंदिर को कई हिन्दू परिवारों और समुदायों में कुलदेवता के रूप में माना जाता है। यहां पर अनेक धार्मिक आयोजन और पूजा के अवसर होते हैं।

5. धार्मिक और सामाजिक महत्व: कामाख्या मंदिर का धार्मिक और सामाजिक महत्व बहुत उच्च है। यहां पर अनेक धर्मिक और सामाजिक आयोजन आयोजित किए जाते हैं, और यह स्थल लोगों के बीच धर्मिकता और एकता की भावना को प्रोत्साहित करता है।

6. तैर्थिक स्थल: कामाख्या मंदिर एक प्रमुख तैर्थिक स्थल है और अनेक पर्यटक यहां पर आते हैं धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव के लिए।

7. सांस्कृतिक धरोहर: कामाख्या मंदिर का सांस्कृतिक महत्व भी बहुत उच्च है, क्योंकि यह एक प्राचीन और महत्वपूर्ण हिन्दू स्थल है जो हिन्दू संस्कृति का हिस्सा है।

कामाख्या मंदिर आपको क्यो जाना चाहिए (What you need to know about Kamakhya Temple)


👉काले जादू से प्रभावित और अपनों से बिछड़ गए हैं और वापस आना चाहते हैं।.

👉तलाकशुदा हैं या तलाक ले रहे है जीवनसाथी से अलगाव हो गया।

👉 पौरुष शक्ति की हानि से पीड़ित हैं

👉भूत-प्रेत और अन्य असाधारण गतिविधियों के प्रभाव से पीड़ित हैं

👉स्वास्थ्य समस्याओं विशेषकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं

👉दूसरे लोगों को अपने सोचने के तरीके में लाना चाहते हैं यानी दूसरे लोगों के विचारों को प्रभावित करना चाहते हैं

👉अपने जीवन में धन और सफलता को आकर्षित करना चाहते हैं

👉 सभी नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को दूर करना चाहते हैं(Want to remove all negative energy and obstacles)

माँ कामाख्या मंत्र (Maa Kamakhya Mntra )

"ॐ अद्या कामाख्यायै विद्महे कन्याकुमारी धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्॥"

यह मंत्र माँ कामाख्या को समर्पित है और इसमें माँ कामाख्या की पूजा और आराधना का विधान है। इस मंत्र के द्वारा भक्त माँ कामाख्या के प्रति अपने भक्ति और समर्पण का प्रकटीकरण करते हैं और उन्हें उनके शक्ति और कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह मंत्र माँ कामाख्या की ऊर्जा को सकारात्मक बनाने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करने में सहायक होता है🙏

"कामाख्ये काम सम्पन्ने कामेश्वरि हर प्रिये। कामनां देहि मे नित्यं कामेश्वरि नमोऽस्तु ते॥"

इस श्लोक में कहा गया है कि माँ कामाख्या हमारे सभी कामनाओं को पूरा करने वाली हैं और वे हमेशा हमारे प्रिय हैं। भक्त इस श्लोक के माध्यम से माँ कामाख्या की कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।
यह श्लोक उन भक्तों द्वारा प्रयोग किया जाता है जो अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए माँ कामाख्या की आराधना करते हैं और उन्हें अपनी जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता प्राप्त करने की कामना करते हैं। इस श्लोक के माध्यम से उन्हें माँ कामाख्या की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🙏

"।। क्लीं क्लीं कामाख्या क्लीं क्लीं नमः ।।"

माँ कामाख्या का बीज मंत्र है जो जप करने से भक्त को प्रेम, समृद्धि, सफलता, आध्यात्मिक उन्नति, रोग निवारण, और साधना में सफलता प्राप्त हो सकती है। इस मंत्र का नियमित जाप निष्ठा, श्रद्धा और आदर से करना चाहिए। 🙏 

“कामाख्याये वरदे देवी नीलपावर्ता वासिनी। त्वं देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते॥”
“कामाख्ये काम सम्पन्ने कामेश्वरी हरि प्रिये। कामना देहि में नित्यं कामेश्वरी नमोस्तुते॥”

ये दोनों मंत्र माँ कामाख्या की प्रार्थना के लिए हैं और उन्हें भक्त अपने इष्ट देवी को समर्पित करते हैं। इन मंत्रों का नियमित जाप करने से भक्त को आनंद, शक्ति, और समृद्धि मिल सकती है। 🙏

“कामदे कामरूपस्य सुभगे सु सेविते।
करोमि दर्शनं देव्या सर्व कामार्थ सिद्धये॥”

यह मंत्र माँ कामाख्या की स्तुति और प्रार्थना का अंश है जिसमें भक्त देवी की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं। इस मंत्र का जाप करने से भक्त को सभी कामनाएं पूर्ण होने की सिद्धि हो सकती है। 🙏

ॐ घृणि सूर्याय नमः, ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः, ॐ हूं श्रीं मंगलाय नमः,
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाये नमः, ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः,
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राये नमः, ॐ शं शनैश्चराये नमः,
ॐ रां राहवे नमः, ॐ ह्रीं केतवे नमः, ॐ नवगृहाय नमः।

यह नवग्रह मंत्र नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू और केतु) की प्रार्थना का हिस्सा है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। 🙏

कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य (Mystery of Kamakhya Devi Temple)

1. योनिपीठ: कामाख्या मंदिर विश्व के कुछ ही योनिपीठों में से एक है, जिसे शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है। यहां पर देवी की योनि का प्रतीक है और यहां प्राकृतिक शक्ति की महत्वपूर्ण स्थल है।

2. मेंढ़ा भगाने का रहस्य:मंदिर में एक रहस्यमयी प्रक्रिया है जिसमें एक मेंढ़ा (बकरा) प्राकृतिक रूप से भगाया जाता है, जो मान्यता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

3. अद्वितीय सुंदरता: कामाख्या मंदिर का आर्किटेक्चर और सुंदरता अद्वितीय है। इसके गोपुर, मंदिर के रूप, और संरचना भारतीय वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण हैं।

4. कामरूप कामाख्या: कामाख्या मंदिर को कामरूप के नाम से भी जाना जाता है, जो इसके महत्व को बढ़ाता है। कामरूप का अर्थ होता है 'कामना का स्थल' या 'इच्छा पूर्ति का स्थल'।

5. अनियमित मासिक दर्शन: मान्यता है कि मां कामाख्या का योनि द्वादश मासिक दर्शन के साथ जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ है कि यहां पर मासिक दर्शन के समय मंदिर को बंद कर दिया जाता है।

6. बीरभुमी प्रवेश: मंदिर के प्रवेश के लिए एक विशेष द्वार होता है, जिसे बीरभुमी कहा जाता है। यह धार्मिक उद्देश्यों के लिए ही खुलता है और सामान्य पर्यटकों के लिए अनुपलब्ध होता है।

7. तन्त्रिक पूजा: कामाख्या मंदिर में तन्त्रिक पूजा की परंपरा है, जिसमें विशेष मंत्रों और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है।

8. देवी की विग्रह: मां कामाख्या की मूर्ति विग्रह नहीं होती, बल्कि यहां पर योनि के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।

9. कुलदेवी का स्थल:कामाख्या मंदिर को अनेक लोग अपनी कुलदेवी के रूप में मानते हैं और यहां पर अनेक धर्मिक आयोजन आयोजित किए जाते हैं।

10. अन्याय समिति: कामाख्या मंदिर में एक अन्याय समिति होती है, जिसका मुख्य उद्देश्य धार्मिक और सामाजिक विवादों का सुलझाना है, और यहां पर आये विवादों का न्याय किय

कामख्या मंदिर के आस पास अन्य धर्मिक स्थल (Other Religious Places Near Kamakhya Temple)

1. उमानंदा देवी मंदिर, गुवाहाटी, असम:(Umananda Devi Temple, Guwahati, Assam)

उमानंदा देवी मंदिर गुवाहाटी, असम के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर विश्वकर्मा समुदाय द्वारा बनाया गया है और मां उमानंदा को समर्पित है। इस मंदिर में मां उमानंदा के साथ-साथ भगवान विष्णु की मूर्ति भी स्थापित है। यहां पर्वती पूजा और नवरात्रि जैसे धार्मिक उत्सव बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

2. नीलाचल मंदिर (कामाख्या मंदिर), गुवाहाटी, असम:(Nilachal Temple (Kamakhya Temple), Guwahati, Assam)

नीलाचल मंदिर, जिसे कामाख्या मंदिर भी कहते हैं, गुवाहाटी के पास असम राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर मां कामाख्या को समर्पित है, जो हिंदू धर्म की शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है। यहां पर विशाल भव्य मंदिर के साथ-साथ आकर्षक प्राकृतिक सौंदर्य भी है।

3. उमानंदा गौरी मंदिर, गुवाहाटी, असम:(Umananda Gauri Temple, Guwahati, Assam)

उमानंदा गौरी मंदिर गुवाहाटी, असम में स्थित है और यह भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था। यह मंदिर उमानंदा देवी मंदिर के पास ही स्थित है और इसका भव्य संरचना भी दर्शनीय है।

4. उमानंदा भैरव मंदिर, गुवाहाटी, असम:(Umananda Bhairav ​​Temple, Guwahati, Assam)

उमानंदा भैरव मंदिर भगवान भैरव को समर्पित है और यह उमानंदा देवी मंदिर के पास स्थित है। यहां भगवान भैरव की पूजा विशेष भक्तों द्वारा भक्ति और आदर से की जाती है। मंदिर के आसपास के प्राकृतिक वातावरण भी दर्शनीय है।

5. हिंदू अभियान्त्रिकी मंदिर, गुवाहाटी, असम:(Hindu Engineering Temple, Guwahati, Assam)

हिंदू अभियान्त्रिकी मंदिर गुवाहाटी, असम के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर विश्वकर्मा समुदाय द्वारा बनाया गया है और भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। यहां भगवान विश्वकर्मा की पूजा विशेष भक्तों द्वारा की जाती है।

6. बालाजी मंदिर, गुवाहाटी, असम:(Balaji Temple, Guwahati, Assam)

बालाजी मंदिर गुवाहाटी, असम में स्थित है और यह भगवान वेंकटेश्वर (बालाजी) को समर्पित है। मंदिर का स्थापना भगवान वेंकटेश्वर द्वारा की गई थी और यहां भगवान वेंकटेश्वर की पूजा विशेष भक्तों द्वारा की जाती है।

7. नवग्रह मंदिर, गुवाहाटी, असम:(Navagraha Temple, Guwahati, Assam)

नवग्रह मंदिर गुवाहाटी, असम के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर नवग्रहों को समर्पित है और यहां पर नवग्रहों की पूजा विशेष भक्तों द्वारा की जाती है। मंदिर का स्थापना विशेष धार्मिक उत्सवों के समय होने वाले उत्सवों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।

8. हायग्रीव मंदिर, हुलियांग, असम:(Hayagriva Temple, Huliang, Assam)

हायग्रीव मंदिर हुलियांग, असम के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान हायग्रीव को समर्पित है और यहां पर भगवान हायग्रीव की पूजा विशेष भक्तों द्वारा की जाती है। इस मंदिर के आसपास एक शानदार प्राकृतिक वातावरण भी है जो आकर्षक है।

9. मनसा देवी मंदिर, हुलियांग, असम:(Mansa Devi Temple, Huliang, Assam)

मनसा देवी मंदिर हुलियांग, असम में स्थित है और यह मां मनसा देवी को समर्पित है। यहां पर मां मनसा की पूजा विशेष भक्तों द्वारा भक्ति और आदर से की जाती है। मंदिर के आसपास एक शानदार प्राकृतिक वातावरण भी है जो आकर्षक है।

10. पशुपतिनाथ मंदिर, हुलियांग, असम:(Pashupatinath Temple, Huliang, Assam)

पशुपतिनाथ मंदिर हुलियांग, असम में स्थित है और यह भगवान शिव को समर्पित है। यहां भगवान शिव की पूजा विशेष भक्तों द्वारा की जाती है। मंदिर के आसपास एक शानदार प्राकृतिक वातावरण भी है जो आकर्षक है।

कामाख्या मंदिर कैसे पहुँचें:(How to reach Kamakhya Temple:)

कामाख्या मंदिर भारत के असम राज्य में स्थित है और यह गुवाहाटी शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर गुवाहाटी से आसानी से पहुँचा जा सकता है। निम्नलिखित तरीकों से आप कामाख्या मंदिर पहुँच सकते हैं:

1. हवाई यातायात: गुवाहाटी का लोकप्रिय विमान अड्डा लोकप्रिय शहरों से जुड़ा हुआ है। जब आप गुवाहाटी उड़ानी अड्डे पर पहुँचते हैं, तो आप टैक्सी या ऑटोरिक्शा का इस्तेमाल करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

2. रेल यातायात: गुवाहाटी रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के मुख्य स्टेशनों में से एक है। आप गुवाहाटी स्टेशन से टैक्सी या ऑटोरिक्शा का इस्तेमाल करके कामाख्या मंदिर पहुँच सकते हैं।

3. बस यातायात: गुवाहाटी शहर से कामाख्या मंदिर के लिए बस सेवा भी उपलब्ध है। आप गुवाहाटी से बस या टैक्सी का इस्तेमाल करके मंदिर पहुँच सकते हैं।

4. आजारा रेलवे स्टेशन: कामाख्या मंदिर के बहुत करीब ही आजारा रेलवे स्टेशन है, जहां विशेष गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इस स्टेशन से भी आप मंदिर पहुँच सकते हैं।


कामाख्या मंदिर प्रसिद्ध और धार्मिक स्थल के रूप में भारत भर में जाना जाता है, इसलिए आपको वहां पहुँचने में किसी भी तरह की कठिनाई नहीं होगी। पूर्व योजना करें और ध्यान से संचार करें, ताकि आप आराम से कामाख्या मंदिर का दर्शन कर सकें। 

कामाख्या मंदिर के प्रमुख  (FAQs): जानिए सभी प्रश्नों के जवाब!

 1. कामाख्या मंदिर कहाँ स्थित है?

उत्तरपूर्वी भारत में असम राज्य के गुवाहाटी शहर के पास स्थित है। कामाख्या मंदिर नगरहोल रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर है।

2. मंदिर के नाम का इतिहास क्या है?

कामाख्या मंदिर का नाम विशेष रूप से देवी कामाख्या के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर को वेद पुराणों में उल्लेखित किया गया है और इसके नाम से पुराणों में कई महत्वपूर्ण कथाएँ जुड़ी हैं।

 3. कामाख्या मंदिर का महत्व क्या है?

कामाख्या मंदिर अपने विशेष महत्व के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में देवी कामाख्या के गर्भगृह में योनिपीठ स्थित है, जिसे योनिपीठ शक्ति पीठ के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ पर दिनभर में भक्तों के दर्शन होते हैं और विशेष अवसर पर विभिन्न पूजा-अर्चना किए जाते हैं।

 4. क्या कामाख्या से सच में खून बहता है?

कामाख्या मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर महिलाओं के मासिक धर्म के समय एक प्रकार का रहस्यमय खून बहता है, जिसे मेनस्ट्रुअल ब्लड कहा जाता है। इसे "रेजुल" या "अम्बुबाछी" के रूप में भी जाना जाता है। 

कुछ लोग मानते हैं कि यह खून भगवती कामाख्या के शक्तिपीठ में मान्यता और महत्व का प्रतीक होता है, और इसका रहस्यमयी स्वरूप मानव जीवन के साथ जुड़ा होता है।

हालांकि, इसकी वैज्ञानिक व्यापकता को चुनौती प्रदान करने के बावजूद, यह कामाख्या मंदिर परंपरागत धार्मिक मान्यताओं और भक्ति के एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त करता है और वहां की भक्ति में विश्वास किया जाता है।

 5. मंदिर के विचारशील शिखर का सौंदर्य कैसा है?

कामाख्या मंदिर का विचारशील शिखर बहुत सुंदर और अलग है। इसके शिखर की विशेषता यह है कि यह प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ सांप्रदायिक संस्कृति को भी दर्शाता है। इसे देखने के लिए लाखों लोग वाराणसी से यहाँ आते हैं।

 6. कामाख्या मंदिर में किस भगवान की पूजा की जाती है?

कामाख्या मंदिर में मां कामाख्या की पूजा की जाती है, जिन्हें देवी भगवती के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर भारत के असम राज्य में स्थित है और यह एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है जहां देवी कामाख्या की उपासना की जाती है। देवी कामाख्या को जन्मदात्री देवी के रूप में माना जाता है और वहां की पूजा के दौरान उनके शक्तिशाली रूप का आदर किया जाता है।

कामाख्या मंदिर भारतीय हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है और यह शक्ति की पूजा का महत्वपूर्ण केंद्र है, जिसमें देवी कामाख्या का महत्व अत्यधिक है।

7. कामाख्या मंदिर में कौन-कौन सी पूजाएँ की जाती हैं?

कामाख्या मंदिर में कई प्रकार की पूजाएँ और आराधनाएँ की जाती हैं, जो विभिन्न उद्देश्यों और भक्तों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए होती हैं। यहां कुछ प्रमुख पूजाएँ दी गई हैं:

1. देवी की पूजा: मां कामाख्या की पूजा मुख्य रूप से योनि के प्रतीक के साथ होती है, जिसे कामाख्या योनि पूजा कहा जाता है। इसमें देवी के छायाचित्र को पूजन करने की प्रक्रिया शामिल होती है और यह धार्मिक और आध्यात्मिक उपासना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

2. ब्रह्मचर्य का संवाद: इस पूजा में ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचारी जीवन) का संवाद होता है और धार्मिक उद्देश्यों के लिए संयम और व्रत का पालन किया जाता है।

3. अद्भुत संयम पूजा: इस पूजा में देवी के अद्भुत संयम और शक्ति का आराधना किया जाता है, जिसमें तांत्रिक मंत्रों का प्रयोग होता है।

4. वरुण पूजा: इस पूजा में वरुण, जल के देवता, की पूजा की जाती है। यह पूजा बरसात के दौरान कामाख्या मंदिर में आयोजित की जाती है और जल और मौसम के प्रति भक्तों की आशीर्वाद के लिए की जाती है।

5. नित्य पूजा: कामाख्या मंदिर में नित्य पूजा की जाती है, जिसमें दिन-रात देवी की पूजा की जाती है। यह धार्मिक आयोजन हर दिन आयोजित किया जाता है और भक्तों को आशीर्वाद और शांति प्रदान करता है।

6. बृहद्देवता पूजा: कामाख्या मंदिर में कई छोटे और बड़े देवता-देवीयों की पूजा भी की जाती है, जैसे कि लक्ष्मी, गणेश, हनुमान, और अन्य।

7. कुलदेवी पूजा: कामाख्या मंदिर को कुलदेवता के रूप में मानने वाले कई परिवारों और समुदायों में कुलदेवी की पूजा भी की जाती है।

इन पूजाओं के माध्यम से, भक्त अपने आध्यात्मिक और धार्मिक उद्देश्यों को पूरा करने का प्रयास करते हैं और मां कामाख्या के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं।

 8. कामाख्या मंदिर का महोत्सव किस प्रकार मनाया जाता है?

कामाख्या मंदिर में वर्षभर में कई महत्वपूर्ण महोत्सव मनाए जाते हैं। इनमें से प्रमुख हैं नवरात्रि महोत्सव, दुर्गा पूजा, दीपावली आदि। इन महोत्सवों के दौरान लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं और भगवान की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।

 9. कामाख्या मंदिर का इतिहास किस प्रकार जुड़ा है भारतीय इतिहास से?

कामाख्या मंदिर भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका निर्माण भारतीय संस्कृति और धरोहर को दर्शाता है। इसमें भारतीय धरोहर और संस्कृति से जुड़ी कई कथाएँ छिपी हुई हैं।


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