हम हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस (Earth Day) मानते है पृथ्वी दिवस (Earth Day) पृथ्वी के प्रकृति और वातावरण की रक्षा करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन पृथ्वी की सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाई जाती है और इस दिन अलग-अलग तरीकों से उत्सव मनाए जाते हैं जैसे कि बागवानी, उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन को कम करने, नए पेड़ लगाने और विभिन्न प्रदर्शनियों आदि। पृथ्वी दिवस (Earth Day) के महत्व को समझने के लिए, हमें पृथ्वी की ज़रूरतों को समझना बहुत ज़रूरी है। दुनिया में हर साल अनेक तबाही पैदा करने वाली चीजें होती हैं, जैसे कि जंगलों की कटाई, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मलबा उत्पादन आदि। इन सभी तबाही कारकों से पृथ्वी पर एक नकारात्मक प्रभाव होता है, जो उसकी स्वस्थ रहने की क्षमता को कम करता है।
पृथ्वी दिवस (Earth Day) का आयोजन वर्ष 1970 में हुआ था। लेकिन कुछ लोगों के लिए इसका असली इतिहास जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण हो सकता है।अमेरिका में पृथ्वी(Earth) दिवस का आयोजन गैर-हवाई जहाज के खतरे से बचने के लिए हुआ था। 1969 में सेंट्रल पार्क में एक बड़ी जलती चिंगारी फैलने से बहुत से लोगों को जानमाल का नुकसान हुआ था और यह स्थानीय अधिकारियों ने ध्यान में लेकर उन्हें सही कानूनी कार्रवाई करने के लिए उत्साहित किया। इसके बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका के संसदीय नेता गेयलॉर्ड नेल्सन ने एक मार्च 1970 को जनता के ध्यान को पृथ्वी(Earth) के मुद्दों पर केंद्रित करने वाली एक राष्ट्रीय अभियान की घोषणा की। तब से पृथ्वी दिवस (Earth Day) मनाया जाता है ।
इस ब्लॉग में हम पृथ्वी के बारे में सबसे उल्लेखनीय 21 असाधारण तथ्य (21 Outstanding Earth facts)के बारे में जानते है ।
10 Outstanding Earth facts-पृथ्वी के 21असाधारण तथ्य
पृथ्वी (Earth) जहा हम रहते है अब तक ज्ञात ग्रहो में लाइफ सिर्फ इसी में है. पृथ्वी (Earth) के कुछ अनोखे और असाधारण तथ्य है आईये जानते है पृथ्वी (Earth) के 10 असाधारण तथ्य के बारे में
1-पृथ्वी का आयाम 12,742 किलोमीटर है और इसका तापमान केंद्र में 5500 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है।(The diameter of the Earth is 12,742 kilometers and its temperature reaches up to 5500 degrees Celsius at the center.)
पृथ्वी (Earth) एक गोलाकार आकृति वाला ग्रह है जिसका आयाम 12,742 किलोमीटर है। पृथ्वी(Earth) का पूरा पृथ्वी(Earth) आयाम का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है और पृथ्वी (Earth)की सतह पर औसत तापमान लगभग 15 डिग्री सेल्सियस होता है।
पृथ्वी (Earth)का आयाम इसे सौरमंडल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह बनाता है, जिसमें वायुमंडलीय दबाव द्वारा एक अत्यधिक वास्तविकता और विस्तार होता है। पृथ्वी (Earth)का पूरा सतह लगभग 510 मिलियन वर्ग किलोमीटर है और इसमें से लगभग 70.8% जल से भरा हुआ है। भूमि का 29.2% क्षेत्र होता है, जिसमें जंगल, घास के मैदान, बर्फीले क्षेत्र, खेती और आबादी जैसी विभिन्न वातावरण होते हैं।
पृथ्वी (Earth)का केंद्र धातुओं से भरा हुआ है, जिसमें लोहे, निकल, एल्यूमिनियम, सिलिकॉन, मैग्नीशियम और कैल्शियम शामिल हैं।
2- पृथ्वी सम्पूर्ण गोल नहीं है।(The earth is not perfectly round)
फोटो ESA |
हमें बचपन से ही पढ़ाया गया है की पृथ्वी गोले है लेकिन ऐसा नहीं है पृथ्वी के घूमने यह भूमध्य रेखा पर उभार और ध्रुवों पर चपटा हो जाता है, जबकि पृथ्वी पर इसके द्रव्यमान का वितरण (जो पूरी तरह से समान नहीं है) ग्रह पर विभिन्न स्थानों पर गुरुत्वाकर्षण में होने वाले खिंचाव के कारण इसमें छोटे बड़े बदलाव होता रहता है। ऊपर अंतरिक्ष से पृथ्वी की तस्वीरों में देखने के लिए ये विविधताएं बहुत छोटी हैं, इसलिए यह मानव आंखों के लिए गोल दिखाई देती है। ऊपर दिए गए फोटो में देखा गया आकार तकनीकी रूप से ग्रह का आकार नहीं है, बल्कि इसका 'जियोइड' आकार है। मतलब समुद्र तल की सतह जो पूरे विश्व में फैली हुई है।
3-पृथ्वी की वायुमंडलीय तापमान 1,000 किलोमीटर तक ही महसूस किया जा सकता है (The atmospheric temperature of the Earth can only be felt up to 1,000 kilometers.)
पृथ्वी की वायुमंडलीय तापमान दूसरी तापमान सीमाओं की तुलना में बहुत कम होता है। वायुमंडल में तापमान नीचे की ओर चलते हुए धीरे-धीरे कम होता है और इसलिए यह तापमान केवल 1,000 किलोमीटर तक ही महसूस किया जाता है। अंतरिक्ष में तापमान शून्य होता है क्योंकि उसमें कोई वायु नहीं होती है जो HEAT को ले जाती हो।
4-पृथ्वी की ऊंचाई समुद्र स्तर से निकटतम और सबसे ऊँची बिंदु के बीच 20,000 मीटर से भी अधिक है।(The height of the Earth varies more than 20,000 meters between the lowest point at sea level and the highest point.)
पृथ्वी का उच्चतम बिंदु माउंट एवरेस्ट के शिखर की ऊंचाई है, जो 8,848 मीटर (29,029 फीट) से ऊपर है। वहीं, समुद्र स्तर पृथ्वी की सतह से शून्य ऊंचाई है। इसका मतलब है कि पृथ्वी की ऊंचाई निकटतम समुद्र स्तर से बढ़ती है और फिर सबसे ऊँचे बिंदु तक बढ़ती है।
इससे भी अधिक रोचक है कि पृथ्वी की सतह बहुत असमान है। धरती की सतह पर चट्टानें, पहाड़, मैदान, घाटी, नदी और समुद्र जैसे विभिन्न भौगोलिक सुविधाएं होती हैं। इसके अलावा, पृथ्वी का अधिकतम हिस्सा समुद्र से भरा हुआ है। विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं और जल की संपदाओं के कारण, पृथ्वी की सतह का तापमान, हवा की नमी और दबाव आदि विभिन्न भागों में भिन्न होता है।
5-कोरल रीफ पृथ्वी की सबसे बड़ी जीवित संरचना हैं।(Coral reefs are Earth’s largest living structure)
कोरल रीफ पृथ्वी के समुद्री विस्तारों में सबसे बड़ी जीवित संरचनाओं में से एक है। ये जीवों के समूहों द्वारा बनाए गए होते हैं जो चट्टानों के नीचे दबे हुए होते हैं। इन रीफ में अनेक प्रकार के समुद्री जीव जीवित रहते हैं ।
जो इस संरचना को जीवंत बनाते हैं।ये समुद्री जीवों के साथ-साथ समुद्री पौधों और समुद्री जीवाश्मों की एक बेहद संयुक्त समुदाय होते हैं। कोरल रीफ अत्यंत महत्वपूर्ण होते हुए समुद्री पारिस्थितिकीय प्रतिरक्षा और विविधता के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं। ये भी एक अनोखी बात है कि जब भी हम इन रीफ के बारे में सोचते हैं, तो हम उन्हें सिर्फ संरचनात्मक रूप से नहीं देखते बल्कि उन्हें जीवंत पदार्थ और संयुक्त जीवाश्मों के रूप में भी देखते हैं।
6-पृथ्वी का वजन 5.97 x 10^24 kg (13.2 x 10^24 अमेरिकी पाउंड है।(The weight of the Earth is 5.97 x 10^24 kg (which is 13.2 x 10^24 pounds in American units).)
पृथ्वी का वजन बहुत भारी है। यह 5.97 x 10^24 किलोग्राम (13.2 x 10^24
अमेरिकी पाउंड) है, जो लगभग 3.3 लाख ईफेल टावर के वजन के बराबर होता है। यह
भारी वजन धरती को अपने स्थान पर रखता है और इससे धरती का गुरुत्वाकर्षण
बना रहता है।
7- तिब्बती पठार पृथ्वी का 'तीसरा ध्रुव' है।(Tibetan plateau is Earth’s ‘third pole)
तिब्बती पठार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भू-ध्रुव है। इसके कारण इसे अक्सर 'तीसरा ध्रुव' कहा जाता है। यह मुख्य रूप से एक उच्च पठार है जो एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित है। तिब्बती पठार के ऊपर स्थित लगभग 46,000 से अधिक ग्लेशियर होते हैं जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के बाहर मीठे पानी के सबसे बड़े स्रोतों में से एक हैं।
इस क्षेत्र से होकर बहने वाली नदियों में से ग्लेशियर मेकांग, यांग्त्ज़ी और पीली नदी सहित अन्य नदियां हैं जो चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में लाखों लोगों के लिए पानी का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
तिब्बती पठार के ग्लेशियर, जैसे कि दुनिया भर के अन्य ग्लेशियरों के साथ, जलवायु परिवर्तन के खतरे से जूझ रहे हैं। बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर अभूतपूर्व दर से पिघल रहे हैं, जिससे उन पर निर्भर रहने वाले लोगों और पारिस्थितिक तंत्र के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। नए निष्कर्षों में पाया गया है कि 2000 से 2020 के दौरान हिमालय के ग्लेशियरों से खोई बर्फ के मूल्यों को औसतन 6.5% कम करके आंका गया था। इस खोज का क्षेत्र के ग्लेशियरों की समाप्ति की भविष्यवाणी करने और महत्वपूर्ण जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव है।
8-पृथ्वी का चुंबकीय ध्रुव पश्चिम की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है।(Earth’s magnetic pole is creeping westward)
हमारे धरती का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव एक निश्चित स्थान पर नहीं होता है और उत्तर की ओर स्थानांतरित होता रहता है। पहले चुंबकीय उत्तरी ध्रुव का स्थान कनाडा में था, लेकिन अब यह साइबेरिया की ओर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने इसे प्रति वर्ष 15 किलोमीटर तक बढ़ते हुए पाया था। अब इसकी गति लगभग 50-60 किलोमीटर प्रति वर्ष है जो साइबेरिया की ओर बढ़ रही है। इसके कारण चुंबकीय ध्रुव के नीचे गहरे चुंबकीय बूंदों के संचलन में बदलाव हो रहा है जिससे पोल साइबेरिया की ओर बढ़ रहा है।
9 -चाँद पृथ्वी से दूर हो रहा है।(The Moon is drifting away from Earth)
जब पृथ्वी और चाँद के बीच गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव देखा जाता है, तो यह पता चलता है कि चाँद पृथ्वी से दूर हो रहा है। यह इसलिए है कि चाँद के आकर के कुछ हिस्से पृथ्वी के आकर से कम होते जा रहे हैं।
चाँद के दूसरे सतह के पहाड़ों पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) के अंतरिक्ष यानों द्वारा किए गए अनुमानों के अनुसार, चाँद हर साल पृथ्वी से लगभग 3.8 सेमी (1.5 इंच) दूर होता जा रहा है। चाँद का दूरी बढ़ने का इसका प्राथमिक कारण यह है कि पृथ्वी का रोटेशन धीमी हो रही है जो चाँद को धीमी गति से दूर ले जा रहा है।
इस दूरी के बढ़ते दूरी के परिणामस्वरूप, चाँद का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी पर कम हो रहा है, जिससे पृथ्वी का रोटेशन धीमा हो रहा है और दिन का लम्बाई बढ़ रही है। इस गति से, चाँद फिर भी बहुत दूर होगा जब तक कि पृथ्वी का रोटेशन पूरी तरह से धीमा न हो जाए।
आजकल, अधिकांश वैज्ञानिक यह मानते हैं कि चाँद का निर्माण 'पृथ्वी एक टुकड़े से ही हुआ है - वैज्ञानिको का मानना है की अतीत में एक बड़ा एक एस्ट्रोइड पृथ्वी से टकराया, हमारी पृथ्वी की मंटल को नष्ट कर दिया और चाँद
के निर्माण हुआ । ‘big splash’ theory यह समझाता है कि चाँद के चट्टानों का नक्शा पृथ्वी के चट्टानों के
समान है।
ऑस्ट्रेलिया वास्तव में चाँद से भी ज़्यादा चौड़ी है। चाँद का व्यास 3400 किमी है, जबकि ऑस्ट्रेलिया का व्यास पूर्व से पश्चिम तक लगभग 4000 किमी है। चाँद एक गोला होने के नाते अधिक सतह क्षेत्र तो है, लेकिन यह भी बहुत अद्भुत है।
10 -पृथ्वी की गति इसके आकार व वजन के अनुसार बहुत अधिक होती है। यह 1 घंटे में 1666 किलोमीटर की गति से घूमती है।(The speed of the Earth is very high relative to its size and weight. It rotates at a speed of 1666 kilometers per hour in one hour.)
पृथ्वी अपने अक्षांशों के लिए धीरे-धीरे घुमती हुई अपने धुरी के आसपास घूमती है। इसकी गति उसके आकार और वजन के अनुसार बहुत अधिक होती है। पृथ्वी एक दिन में एक पूर्ण घूमटी का समय लगाती है, जो लगभग 24 घंटे होता है। यह एक दिन के समय में अपने अक्षांशों के लिए 1666 किलोमीटर की गति से घूमती है।
इस गति को पृथ्वी की एक दिन की आधारिक गति या समय भी कहा जाता है। यह गति पृथ्वी के घूमणे की त्रिभुज चाल के कारण होती है। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी दक्षिणी ध्रुव के आसपास घूमती है, इसलिए दक्षिणी ध्रुव से पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव तक का फैलाव लगभग 40,000 किलोमीटर होता है। इस फैलाव को एक दिन में तीन बार पूरा करने के लिए पृथ्वी को 24 घंटे लगते है