झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa


आपने झारखंड राज्य की सुंदरता और धार्मिक विरासत के बारे में सुना होगा, और माँ रजरप्पा (Rajrappa) या माँ छिन्नमस्तिका मंदिर Chinnamasta Mandir इस राज्य के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक है। यह स्थल विश्वसनीयता, स्थानीय धार्मिक महत्व और आकर्षक प्राकृतिक सुंदरता की एक अनोखी मिश्रिति है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको माँ छिन्नमस्तिका मंदिर (Chinnamasta Mandir )रजरप्पा(Rajrappa)  माँ छिन्नमस्तिका (Maa Chinnamasta) की कथा.पूजा विधि मंत्र और उसके फायदे अदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे,

 

 

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

माँ  छिन्नमस्तिका रजरप्पा(Maa Chinnamasta Rajrappa) 

रामगढ़ एक जिला है जो झारखण्ड राज्य में स्थित है और रजरप्पा एक धार्मिक और पर्यटन स्थल है जो इस जिले में स्थित है। यह स्थान  छिन्नमस्तिका देवी के प्रसिद्ध मंदिर के लिए जाना जाता है जो हिंदू धर्म की एक मां देवी है। यह मंदिर रामगढ़ से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

 

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

रजरप्पा मंदिर एक चमत्कारी स्थान है जो पौराणिक कथाओं और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां छिन्नमस्तिका देवी को एक विशेष रूप में पूजा जाता है, जिसे छिन्नमस्तिका, छिन्नमस्तिका देवी या छिन्नमस्तिका भगवती के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र है और हर साल यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

 

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

रजरप्पा एक भव्य पर्यटन स्थल भी है जहां पर्यटक आते हैं और इस धार्मिक स्थल का दर्शन करते हैं। यहां पर्यटक शानदार प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं

छिन्नमस्तिका माता की कहानी  ( The story of Chinnamasta Mata)

 हिन्दू धर्म ग्रंथो की कथा के अनुसार

इसे भी पढ़े-देवी मंत्र अर्थ सहित

एक समय की बात है, प्राचीनकाल में छोटा नागपुर में रज नामक एक राजा राज करते थे और राजा की पत्नी का नाम रूपमा था। इन दोनों के नाम से इस स्थान का नाम रजरूपमा पड़ा था जो बाद में रजरप्पा हो गया। एक पूर्णिमा की रात में राजा दामोदर और भैरवी नदी के संगम स्थल पर शिकार की खोज में पहुंचे। रात्रि विश्राम के दौरान राजा को स्वप्न में एक लाल वस्त्र धारण करने वाली एक कन्या दिखाई दी। उस कन्या ने राजा से कहा, "हे राजन, तुम्हें संतान न होने से तुम्हारा जीवन विरान लग रहा है। मेरी आज्ञा मानोगे तो रानी को गोद भर जाएगी।" राजा की आंखें खुलीं तो वे इधर-उधर भटकने लगे। इस बीच उनकी आंखें स्वप्न में दिखी कन्या से जा मिली। वह कन्या जल के भीतर से राजा के सामने प्रकट हुई। उसका रूप अलौकिक था। वह कन्या कहने लगी, "हे राजन, मैं छिन्नमस्तिके देवी हूं। कलियुग के मनुष्य मुझे नहीं जान सके हैं जबकि मैं इस वन में सतयुग से ही गुप्त रूप से निवास कर रही हु मै तुम्हे आज वरदान देती हु को आज से ठीक नौवें महीने तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। 

Maa Chinnamasta

 

देवी बोली - "हे राजन,  पास में ही तुम्हें मेरा एक मंदिर दिखाई देगा। इस मंदिर के अंदर एक शिलाखंड पर मेरी प्रतिमा होगी। तुम्हें सुबह मेरी पूजा कर बलि चढ़ानी होगी।" इसके बाद छिन्नमस्तिके अंतर्ध्यान हो गईं। उसके बाद से यह मंदिर राजरप्पा के रूप में पवित्र तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हो गया है।

एक अन्य  कथा के अनुसार एक बार माँ भगवती अपने दो सहेलियां जया और विजया के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करने गईं थीं, जो भगवती छिन्नमस्तिका की पवित्र नदी मानी जाती है। स्नान के बाद सहेलियों को भूख लगी और उनका शरीर काला पड़ गया। वे भोजन मांगने लगीं, लेकिन मां छिन्नमस्तिका ने उनसे कुछ प्रतीक्षा करने को कहा।

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

हालांकि, सहेलियां भूख से तड़पती रहीं और जिसे माँ को उनकी तड़प देखि नहीं गयी तब माँ ने  उनकी भूख मिटाने के लिए मां ने अपना सिर काट दिया, जिससे रक्त की तीन धरा निकला जिसमे से दो धारा से उनकी सहेलियां ने अपना भूख सांत किया जिससे इनकी  सहेलियों की भूख शांत हुई और उनका शरीर फिर से स्वस्थ हो गया।

यह कथा मां छिन्नमस्तिका की महत्वपूर्ण संदेश देती है कि व्यक्ति को धैर्य और सब्र रखना चाहिए, और जब भगवती की प्रतीक्षा की जाए, तो वे सबकुछ समय पर सम्पन्न करेंगी। यह भी दिखाता है कि मां छिन्नमस्तिका की कृपा से भक्त की सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं

रजरप्पा मंदिर (Rajrappa Mandir Jharkhand)

रजरप्पा मंदिर (Rajrappa Mandir) झारखण्ड की राजधानी रांची से लगभग 80 किलोमीटर और रामगढ से 28 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है एक प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जिसे देश भर के लोग दर्शन के लिए आते हैं। यहां मान्यता है कि माता चिन्तपुर्नी और माता रजरप्पा दो माताओं की अवतार हैं और यहां भक्त शिव और पार्वती की पूजा करते हैं।यह दामोदर और भरेवी नदी के संगम के पास ही स्थित है। यहां दामोदर और भरेवी नदी के संगम का दर्शन किया जा सकता है, जो प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाता है। 

 

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

 

रजरप्पा मंदिर झारखण्ड राज्य के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक है।असम के कामाख्या मंदिर के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में विख्यात मां छिन्नमस्तिके मंदिर यानि Rajrappa Mandir उत्तर भारत के झारखण्ड राज्य के रामगढ़ जिले में स्थित है और काफी लोकप्रिय है। रजरप्पा मंदिर को सिद्धपीठ के रूप में भी जाना जाता है जो भक्तों के बीच में बहुत प्रसिद्ध है।

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

 

 यहां कुल मिलाकर 7 मंदिर हैं, जिनके नाम महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंग बली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर हैं।

 मंदिर की निर्माण काल के बारे में विश्वसनीय जानकारी नहीं है, लेकिन इसे स्थानीय लोगों द्वारा बहुत प्राचीन माना जाता है और इसका ऐतिहासिक महत्व है।

रजरप्पा मंदिर का निर्माण किसी के अनुसार 6,000 वर्ष पहले हुआ था जो महाभारत युग का माना जाता है। यह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। रजरप्पा मंदिर झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले में स्थित है और यह हिंदू धर्म का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो रजरप्पा देवी को समर्पित है

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

 

महाभारत युग के दौरान रजरप्पा मंदिर को एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित किया गया था और इसके ऐतिहासिक महत्व को लोकल लोगों द्वारा मान्यता प्राप्त है। मंदिर का निर्माण आपूर्ति की कमी और यातायात की कठिनाइयों के बावजूद भगवान शिव की भक्ति के लिए समर्पित स्थान के रूप में हुआ था।

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

 

रजरप्पा मंदिर को एक छप्पर या छतरी की तरह की आकृति में बनाया गया है और यहां पर्यटकों के लिए एक प्राकृतिक वातावरण है जो शांति और ध्यान की अनुभूति प्रदान करता है। , मंदिर का मुख्य द्वार पूर्वमुखी है, जो पूर्व की ओर मुख करता है। मंदिर के सामने बलि के लिए एक विशेष स्थान है, जहां दिन-प्रतिदिन औसतन 100-200 बकरों की बलि चढ़ाई जाती है। मंदिर के उत्तर में मुंडन कुंड है, जो एक विशेष धार्मिक क्रिया के लिए प्रयुक्त होता है। इसके दक्षिण में एक सुंदर निकेतन है, जिसमें भैरवी नदी के तट पर खुले आसमान के नीचे एक बरामदा स्थित है। और इसके पश्चिमी भाग में भंडारगृह है, जो मंदिर के विभिन्न पूजा सामग्री और सम्पत्ति की रखरखाव के लिए प्रयुक्त होता है।

इसके दक्षिण में स्थित सुंदर निकेतन जिसमें भैरवी नदी के तट पर बरामदा है, यहां एक संबोधन की गहराई और शांति की अनुभूति की संकेत हो सकती है। भंडारगृह मंदिर की सम्पत्ति और संग्रह स्थान है जो समाज सेवा और धर्मिक दान-दानवा के लिए प्रयुक्त हो सकता है।

इस प्रकार, मंदिर के विभिन्न भाग और स्थान धार्मिक और सामाजिक अर्थ में महत्वपूर्ण हो सकते हैं और उनका अध्ययन और समझना सामुदायिक और धार्मिक संस्कृति की समझ में मदद कर सकता है।

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

 

यहां दिए गए विवरण के आधार पर, मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व की ओर मुख करता है जो नई उज्ज्वल आरंभ, नए आरंभ की प्रतीक हो सकता है। बलि के स्थान पर बकरों की बलि चढ़ाई जाती है जो धर्मिक उपासना और नैतिकता के तात्पर्य को दर्शा सकती है। मुंडन कुंड धार्मिक शुद्धि और त्याग के प्रतीक हो सकता है

मां छिन्नमस्तिके मंदिर के अंदर स्थित शिलाखंड में मां की 3 आंखें हैं। बायां पांव आगे की ओर बढ़ाए हुए वे कमल पुष्प पर खड़ी हैं जो शक्ति की प्रतीक हैं। मां के पांव के नीचे विपरीत रति मुद्रा में कामदेव और रति शयनावस्था में हैं जो प्रेम और शांति की प्रतीक हैं। मां छिन्नमस्तिके का गला सर्पमाला तथा मुंडमाल से सुशोभित है, जो शक्ति और साधना की प्रतीक हैं। उनके बिखरे और खुले केश, जिह्वा बाहर, आभूषणों से सुसज्जित मां नग्नावस्था में दिव्य रूप में हैं, जो स्वतंत्रता, साहस, और स्थायित्व की प्रतीक हैं।

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

 

दाएं हाथ में तलवार तथा बाएं हाथ में अपना ही कटा मस्तक है, जो शक्ति, संहार, और निर्माण की प्रतीक हैं। इनके अगल-बगल डाकिनी और शाकिनी खड़ी हैं जिन्हें वे रक्तपान करा रही हैं और स्वयं भी रक्तपान कर रही हैं, जो शक्ति की प्रतीक हैं। उनके गले से रक्त की 3 धाराएं बह रही हैं, जो उनकी शक्ति और बल की प्रतीक हैंवे अपने वाहन शेर वाहनी पर बैठी हैं, जो साहस, शक्ति और वीरता की प्रतीक है। वे अपने दोनों हाथों में त्रिशूल और खड्ग धारण कर रही हैं, जो संहार, संरक्षण, और विजय की प्रतीक हैं। मां की चेहरी पर गहरी क्रोध और गौरव की भावना है, जो उनकी प्रबल शक्ति और प्रतिरोध की प्रतीक हैं।

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

 

आप इन चित्रों के माध्यम से देख सकते हैं कि मां छिन्नमस्तिके शक्ति, स्थायित्व, स्वतंत्रता, वीरता, साहस, संरक्षण, निर्माण, निर्मोह, और प्रतिरोध की प्रतीक हैं। उनकी धारणा में अपने आभूषणों, वस्त्रों, और वाहन की विनीतता और गरिमा है, जो भक्तों को शक्ति, आत्मविश्वास, और निर्णय की प्रेरणा देती है। वे दुष्ट शक्तियों के प्रति संयम और संघर्ष की प्रतीक हैं, जो भक्तों को धर्म और न्याय के प्रति प्रेरित  करती हैं। मां छिन्नमस्तिके का रूप एक दिव्य नारी का है, जो अपनी अमिट शक्ति और महिमा के साथ सबकी सुरक्षा और रक्षा करती हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर दुनिया में और कहां कहां है


छिन्नमस्तिका मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

माँ छिन्नमस्तिका मंदिर वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर वाराणसी के चौकगाटे इलाके में स्थित है और माँ छिन्नमस्तिका (दुर्गा) को समर्पित है। यह एक प्राचीन मंदिर है जिसे स्थानीय लोग धार्मिक आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर वाराणसी में एक छोटे से मंदिर के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन बाद में इसे विस्तृत कर दिया गया था। इस मंदिर का मुख्य गोपुरम् स्थानीय वास्तुकला की एक उत्कृष्ट उदाहरण है जिसमें विविध धार्मिक और सांस्कृतिक तत्व हैं। मस्तिका मंदिर वाराणसी एक प्रमुख पूजा स्थल है जहां स्थानीय लोग धार्मिक आस्था और श्रद्धा के साथ आते हैं और माँ छिन्नमस्तिका की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।
 
छिन्नमस्तिका मंदिर, राजगिर, बिहार

छिन्नमस्तिका मंदिर राजगिर, बिहार एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर बिहार के नालंदा जिले में स्थित है और माँ छिन्नमस्तिका (दुर्गा) को समर्पित है। यह एक प्राचीन मंदिर है जो आत्मगौरव और धार्मिक आस्था का प्रतीक है।


छिन्नमस्तिका मंदिर राजगिर में पहाड़ी पर स्थित है जो सुंदर प्राकृतिक वातावरण में घिरा हुआ है। मंदिर को बुद्ध धर्म के स्थापक भगवान बुद्ध ने अपनी एक धार्मिक उपदेश देने की जगह माना जाता है। यहां पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं धार्मिक आस्था और श्रद्धा के साथ और माँ छिन्नमस्तिका की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।

मंदिर के प्रांगण में एक बड़ी प्रतिमा है जो माँ छिन्नमस्तिका को प्रस्तुत करती है। मंदिर के आसपास कई छोटे-छोटे मंदिर भी हैं जो विविध धार्मिक और सांस्कृतिक तत्वों को प्रदर्शित करते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर राजगिर धार्मिक और पौराणिक महत्व का संगम है जहां स्थानीय
झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa


छिन्नमस्तिका मंदिर, राजमहल, जयपुर, राजस्थान

छिन्नमस्तिका मंदिर राजमहल, जयपुर, राजस्थान एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित है और माँ छिन्नमस्तिका (दुर्गा) को समर्पित है। यह एक प्राचीन मंदिर है जो आकर्षक राजमहल पैलेस के आसपास स्थित है।

छिन्नमस्तिका मंदिर जयपुर के प्रसिद्ध राजमहल के प्रांगण में स्थित है। मंदिर का शिखर ऊंचा है और इसकी विशालकाय प्रतिमा देवी छिन्नमस्तिका को प्रस्तुत करती है। मंदिर का वास्तुकला एवं शैली राजपूत और मुग़ल कला का एक सुंदर मिश्रण है।

छिन्नमस्तिका मंदिर में देवी छिन्नमस्तिका की पूजा और आराधना की जाती है और यहां स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु आते हैं धार्मिक आस्था और भक्ति के साथ। मंदिर के आसपास एक धार्मिक बाजार भी है जहां पर्यटक विभिन्न पूजा सामग्री और धार्मिक वस्त्रों की खरीदारी कर सकते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, धनगिरि, ओडिशा

छिन्नमस्तिका मंदिर, धनगिरि, ओडिशा एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर ओडिशा के धनगिरि शिखर पर स्थित है और माँ छिन्नमस्तिका को समर्पित है। धनगिरि शिखर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो ओडिशा के पूर्वी भाग में स्थित है और धार्मिक आस्था और भक्ति का प्रतीक है।

छिन्नमस्तिका मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो धनगिरि शिखर पर स्थित है। यह मंदिर माँ छिन्नमस्तिका को समर्पित है, जो मां दुर्गा की एक रूपांतरित रूप है। यह मंदिर वास्तुकला और शैली में अत्यंत आकर्षक है और स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु आते हैं इसकी धार्मिक महत्वपूर्णता की भावना के लिए। मंदिर की सुन्दर देवी मूर्ति, विचित्र आर्किटेक्चर, और प्राचीन स्थल इसे एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बनाते हैं जहां भक्ति, पूजा और धार्मिक कार्यक्रम हर साल आयोजित किए जाते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर,
चिन्नमस्तिका देवी मंदिर, गंगटोक, सिक्किम

छिन्नमस्तिका मंदिर, जिसे चिन्नमस्तिका देवी मंदिर भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है जो सिक्किम की राजधानी गंगटोक में स्थित है। यह मंदिर माँ छिन्नमस्तिका को समर्पित है, जो भगवान दुर्गा की एक रूपांतरित रूप है।

छिन्नमस्तिका मंदिर सिक्किम का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु द्वारा प्रायः आते हैं। मंदिर की स्थानीय आदिवासी विचित्र आर्किटेक्चर और संस्कृति को दर्शाता है जो इसकी विशेषता है। यहां पूजा, व्रत, और धार्मिक कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं और यहां आने वाले श्रद्धालु धार्मिक आस्था की भावना को महसूस करते हैं। मंदिर से गंगटोक का भव्य नजारा देखा जा सकता है जो इसको एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, बागलामुखी माता मंदिर, हिसार, हरियाणा

छिन्नमस्तिका मंदिर, बागलामुखी माता मंदिर, हिसार, हरियाणा एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर हरियाणा के हिसार शहर में स्थित है और माँ बागलामुखी (दुर्गा) को समर्पित है। यह मंदिर हिसार की स्थानीय और धार्मिक महत्वपूर्णता का प्रतीक है और धार्मिक आस्था और भक्ति के साथ यहां स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु आते हैं।

बागलामुखी माता मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो माँ बागलामुखी (दुर्गा) को समर्पित है। इस मंदिर की वास्तुकला और शैली हरियाणवी और पंजाबी वास्तुकला का एक सुंदर मिश्रण है। मंदिर के गली-मोहल्लों में आर्क और छत्र जैसी वास्तुकला विशेषताएं हैं जो इसको एक अनूठे और आकर्षक लक्ष्य बनाती हैं। मंदिर के आस-पास के क्षेत्र में कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं जो इसे एक आध्यात्मिक और परम्परागत स्थल बनाती हैं। मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और भक्ति और पूजा करते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, कालिंगपुर, उत्तराखंड

माता छिन्नमस्तिका के समर्पित एक धार्मिक मंदिर उत्तराखंड के कालिंगपुर नामक स्थान पर स्थित है। यह एक प्राचीन मंदिर है जो धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है और धार्मिकता, संस्कृति, और आध्यात्मिक आस्था के लिए महत्वपूर्ण स्थल है।

छिन्नमस्तिका मंदिर कालिंगपुर में माता छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। यहां भक्तजन आते हैं और धार्मिक कार्यक्रम, पूजा, और व्रत आयोजित करते हैं। मंदिर का वास्तुकला और स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है और धार्मिकता, संस्कृति, और धार्मिक आस्था के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। यहां लोग आत्मिक शांति, चेतना और धार्मिकता को बढ़ाते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर कालिंगपुर उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में से एक है और धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है जो आत्मिक शांति, चेतना और धार्मिकता को बढ़ाता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, भवानीपुर, त्रिपुरा

छिन्नमस्तिका मंदिर भवानीपुर त्रिपुरा, भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन जैन मंदिर है जो भगवान महावीर की पूजा के लिए समर्पित है। यह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है।

छिन्नमस्तिका मंदिर भवानीपुर त्रिपुरा भारतीय राज्य त्रिपुरा के पर्यटन स्थलों में से एक है और धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है जो जैन धर्म के अनुयायियों को आत्मिक शांति, चेतना और धार्मिकता को बढ़ाता है। मंदिर का वास्तुकला और स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है और जैन धर्म की संस्कृति और आध्यात्मिक आस्था के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। यहां लोग आत्मिक शांति, चेतना और धार्मिकता को बढ़ाते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, तिलायत धाम, हरिद्वार, उत्तराखंड

छिन्नमस्तिका मंदिर तिलायत धाम हरिद्वार, उत्तराखंड में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो मां छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए समर्पित है। यह धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है और हरिद्वार के श्रद्धालु और पर्यटकों की आत्मिक आस्था को बढ़ाता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर तिलायत धाम हरिद्वार उत्तराखंड भारतीय राज्य उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में से एक है और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। मंदिर का वास्तुकला और स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है और हरिद्वार के श्रद्धालु और पर्यटकों की आत्मिक आस्था को बढ़ाता है। यहां लोग आत्मिक शांति, चेतना और धार्मिकता को बढ़ाते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, नीमाच, मध्य प्रदेश

माँ छिन्नमस्तिका का मंदिर नीमाच, मध्य प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए समर्पित है और धार्मिक एवं पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय है।

नीमाच शहर मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित है और यह धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्वपूर्ण स्थलों के लिए जाना जाता है। छिन्नमस्तिका मंदिर नीमाच शहर में स्थित है और यहां लोग माँ छिन्नमस्तिका की पूजा करते हैं और उनकी आत्मिक शांति और सुख चाहते हैं। मंदिर का वास्तुकला और स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है और पर्यटकों की आकर्षण का केंद्र है। नीमाच के छिन्नमस्तिका मंदिर में विशाल छत्र और आकर्षक सांभरों का प्रदर्शन भी होता है, जो मंदिर को और भी आकर्षक बनाता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, मैशौली, हिमाचल प्रदेश

छिन्नमस्तिका मंदिर मैशौली, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू धार्मिक स्थल है जहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के हरिपुर जिले में स्थित है और पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय है।

मैशौली एक पहाड़ी गांव है जो हिमाचल प्रदेश के हरिपुर जिले में स्थित है। यहां की शानदार पर्वतीय परिदृश्य, शीतल वातावरण और प्राचीन हिंदू धर्म के धार्मिक स्थल इसे एक पर्यटन स्थल बनाते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो मैशौली में स्थित है और यहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। मंदिर की स्थापना कालीन युग में की गई थी और यहां स्थित विशाल छत्र एवं आकर्षक स्थल दर्शकों को आकर्षित करते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, मन्दिर मार्ग, रांची, झारखंड

मंदिर मार्ग में स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर झारखंड के रांची शहर में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू धार्मिक स्थल है जहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। यह मंदिर रांची के मध्य भाग में स्थित है और पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय है।

छिन्नमस्तिका मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो रांची में स्थित है और यहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। मंदिर की स्थापना कालीन युग में की गई थी और यहां स्थित विशाल छत्र एवं आकर्षक स्थल दर्शकों को आकर्षित करते हैं। मंदिर का विचारु आदर्श वास्तु और ऐतिहासिक महत्व है जो यहां आने वाले लोगों को प्रभावित करता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, चिंचोली, महाराष्ट्र

छिन्नमस्तिका मंदिर चिंचोली नामक स्थान पर महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। यह मंदिर चिंचोली नगर में स्थित है और धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय है।

छिन्नमस्तिका मंदिर चिंचोली में एक प्राचीन मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। यह मंदिर चिंचोली नगर के पास हिल स्टेशन से थोड़ी सी दूरी पर स्थित है और पर्यटकों को आकर्षित करता है। मंदिर के चारों ओर के वन और प्राकृतिक सौंदर्य भी इसे एक लोकप्रिय धार्मिक और पर्यटन स्थल बनाते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, अल्मोड़ा, उत्तराखंड


माँ छिन्नमस्तिका का मंदिर अल्मोड़ा शहर में उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो हिमालयी पर्वत श्रंखला में स्थित है। छिन्नमस्तिका मंदिर अल्मोड़ा शहर के नैनी टाउन इलाके में स्थित है और पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

यह मंदिर माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है जो मां दुर्गा की एक रूप है। इस मंदिर को स्थानीय लोग धार्मिक श्रद्धा के साथ पूजते हैं और यहां विभिन्न धार्मिक और धर्मार्थ आयोजन भी होते हैं। मंदिर की स्थानीय वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, रांगपुर बांग्लादेश


माता छिन्नमस्तिका मंदिर, रांगपुर, बांग्लादेश बांग्लादेश के एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है जो छिन्नमस्तिका माता की पूजा और भक्ति को समर्पित है। यह मंदिर रांगपुर शहर स्थित है जो बांग्लादेश के राजशाही बिभाग में है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, रांगपुर में स्थित है जो एक आकर्षक धार्मिक स्थल है जो स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु द्वारा बहुत पसंद किया जाता है। यहां माता छिन्नमस्तिका की मूर्ति की पूजा की जाती है जो हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी है। मंदिर की विचित्र आर्किटेक्चर और धार्मिक महत्व इसे एक विशेष स्थल बनाते हैं। मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम, पूजा और व्रत नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं जो श्रद्धालु द्वारा भावुकता और आस्था को महसूस करने में मदद करते हैं। मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण और धार्मिक आत्मा को चिदंबर करता है जो आने वाले श्रद्धालु की चेतना को बढ़ाता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, जैन्तापुर बांग्लादेश


छिन्नमस्तिका मंदिर, जैन्तापुर, बांग्लादेश बांग्लादेश के एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है जो छिन्नमस्तिका माता की पूजा और भक्ति को समर्पित है। यह मंदिर जैन्तापुर गांव में स्थित है जो बांग्लादेश के सिलेट बिभाग में है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, जैन्तापुर में स्थित है जो एक आकर्षक धार्मिक स्थल है जो स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु द्वारा बहुत पसंद किया जाता है। यहां माता छिन्नमस्तिका की मूर्ति की पूजा की जाती है जो हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी है। मंदिर की विचित्र आर्किटेक्चर और धार्मिक महत्व इसे एक विशेष स्थल बनाते हैं। मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम, पूजा और व्रत नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं जो श्रद्धालु द्वारा भावुकता और आस्था को महसूस करने में मदद करते हैं। मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण और धार्मिक आत्मा को चिदंबर करता है जो आने वाले श्रद्धालु की चेतना को बढ़ाता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, मोतिज्हिल बांग्लादेश

छिन्नमस्तिका मंदिर बांग्लादेश के मोतिझिल जिले में स्थित है। यह मंदिर माता छिन्नमस्तिका की पूजा को समर्पित है, जो हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी है। यह मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का एक महत्वपूर्ण स्थान है और यहां स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु द्वारा धार्मिक आयोजनों, पूजा, और व्रत नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।छिन्नमस्तिका मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो बांग्लादेश की धार्मिक और पौराणिक विरासत का हिस्सा है। यहां माता छिन्नमस्तिका की मूर्ति की पूजा की जाती है जो एक शक्ति देवी के रूप में पूजी जाती है। मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण है और धार्मिक आत्मा को चिदंबर करता है जो आने वाले श्रद्धालु की चेतना को बढ़ाता है। छिन्नमस्तिका मंदिर बांग्लादेश के धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है

छिन्नमस्तिका मंदिर, काठमांडू नेपाल


छिन्नमस्तिका मंदिर काठमांडू, नेपाल का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह भगवती देवी (दुर्गा) को समर्पित है और काठमांडू शहर के ठिम्बू गाँव में स्थित है। छिन्नमस्तिका मंदिर नेपाली वास्तुशिल्प के एक शानदार उदाहरण है जो नेपाली वास्तुकला की महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करता है।

यह मंदिर त्रिकोणीय आकार का है और चार मुख्य धरोहर द्वारा घिरा हुआ है जिनमें से प्रत्येक धरोहर में एक छिन्नमस्तिका मूर्ति है। मंदिर के अंदर गोपनीय पूजा स्थल भी है जिसे केवल पुजारी और नेपाली राजपरिवार के सदस्य ही प्रवेश कर सकते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर काठमांडू एक प्रमुख पूजा स्थल है जहां स्थानीय नेपाली लोग धार्मिक आस्था के साथ आते हैं और दुर्गा माता की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, पोखरा नेपाल


माता छिन्नमस्तिका मंदिर पोखरा, नेपाल के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। पोखरा शहर के जलमार्ग में स्थित यह मंदिर नेपाली और हिंदू धर्म की प्रमुख देवी माता छिन्नमस्तिका की पूजा को समर्पित है।

छिन्नमस्तिका मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो पोखरा के धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। यह एक शक्ति पूजा स्थल है जहां स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु आते हैं और धार्मिक कार्यक्रम, पूजा, और व्रत आयोजित करते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर एक शांतिपूर्ण स्थान है जो धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना को बढ़ाता है। यहां माता छिन्नमस्तिका की मूर्ति की पूजा की जाती है और लोग धार्मिक अहमियत और आत्मिक शांति के लिए यहां आते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर पोखरा के पर्यटन स्थलों में से एक है और धार्मिक पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, भक्तपुर नेपाल

छिन्नमस्तिका मंदिर भक्तपुर, नेपाल का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। भक्तपुर एक प्राचीन शहर है जो काठमांडू उपत्यका, नेपाल में स्थित है और यह धार्मिकता, संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। छिन्नमस्तिका मंदिर भक्तपुर के प्रमुख देवी माता छिन्नमस्तिका की पूजा को समर्पित है।

छिन्नमस्तिका मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो भक्तपुर के धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। यहां स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु आते हैं और धार्मिक कार्यक्रम, पूजा, और व्रत आयोजित करते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर एक शांतिपूर्ण स्थान है जो धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना को बढ़ाता है।

यहां माता छिन्नमस्तिका की मूर्ति की पूजा की जाती है और लोग धार्मिक अहमियत और आत्मिक शांति के लिए यहां आते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर भक्तपुर के पर्यटन स्थलों में से एक है और धार्मिक पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, नवलपुर नेपाल


माता छिन्नमस्तिका को समर्पित एक औपचारिक मंदिर नवलपुर नामक स्थान पर नेपाल में स्थित है। नवलपुर नेपालका गाँवहरूमा एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। छिन्नमस्तिका मंदिर भक्तपुर और काठमांडू के नजदीक स्थित है और यहां धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।

छिन्नमस्तिका मंदिर नवलपुर में माता छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। यहां भक्तजन आते हैं और धार्मिक कार्यक्रम, पूजा, और व्रत आयोजित करते हैं। मंदिर का वास्तुकला और स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है और धार्मिकता, संस्कृति, और धार्मिक आस्था के लिए महत्वपूर्ण स्थल है।

छिन्नमस्तिका मंदिर नवलपुर नेपाल के पर्यटन स्थलों में से एक है और धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है जो आत्मिक शांति, चेतना और धार्मिकता को बढ़ाता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, धनुषा नेपाल


माता छिन्नमस्तिका के समर्पित एक धार्मिक मंदिर धनुषा नामक स्थान पर नेपाल में स्थित है। धनुषा नेपालका गाँवहरूमा एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। छिन्नमस्तिका मंदिर नेपालका यहां धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।

छिन्नमस्तिका मंदिर धनुषा में माता छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। यहां भक्तजन आते हैं और धार्मिक कार्यक्रम, पूजा, और व्रत आयोजित करते हैं। मंदिर का वास्तुकला और स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है और धार्मिकता, संस्कृति, और धार्मिक आस्था के लिए महत्वपूर्ण स्थल है।

छिन्नमस्तिका मंदिर धनुषा नेपाल के पर्यटन स्थलों में से एक है और धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है जो आत्मिक शांति, चेतना और धार्मिकता को बढ़ाता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, पुरी, ओडिशा


छिन्नमस्तिका मंदिर पुरी शहर में ओडिशा राज्य में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो जगन्नाथ पुरी मंदिर के पास स्थित है। छिन्नमस्तिका मंदिर जगन्नाथ पुरी मंदिर के एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है।

यह मंदिर माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है जो मां दुर्गा की एक रूप है। छिन्नमस्तिका मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यहां विभिन्न पूजा और धार्मिक आयोजन भी होते हैं। मंदिर की आत्मगौरवशाली वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व इसे एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, राजमुंद्री, आंध्र प्रदेश


मा छिन्नमस्तिका मंदिर राजमुंद्री शहर, आंध्र प्रदेश, भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजमुंद्री के प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों में से एक है और स्थानीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

छिन्नमस्तिका मंदिर माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए स्थानीय लोगों के बीच एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मंदिर की आत्मगौरवशाली वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व इसे एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाते हैं। यहां विभिन्न पूजा और धार्मिक आयोजन भी होते हैं जो भक्तों को आकर्षित करते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर एक महान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाली जगह है जो आंध्र प्रदेश की संस्कृति और धर्म को प्रकट करती है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, महुआ, ओडिशा


मा छिन्नमस्तिका मंदिर महुआ, ओडिशा राज्य, भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। महुआ गांव और परिवर्तित नदी ब्रह्मणी के किनारे स्थित है और एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है।

छिन्नमस्तिका मंदिर महुआ में बना है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए जाना जाता है। यहां भक्तों के बीच यात्रा की जाती है और धार्मिक आयोजन भी होते हैं जो इस मंदिर को एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बनाते हैं। मंदिर की स्थानीय वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व इसे एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाते हैं जो भक्तों को आकर्षित करते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर ओडिशा की संस्कृति और धर्म को प्रकट करती है और धार्मिक आत्मगौरव और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, गुप्तकाशी, उत्तराखंड


छिन्नमस्तिका मंदिर गुप्तकाशी, उत्तराखंड राज्य, भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। गुप्तकाशी एक छोटा स्थान है जो चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

छिन्नमस्तिका मंदिर गुप्तकाशी में स्थित है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए जाना जाता है। यहां भक्तों के बीच यात्रा की जाती है और धार्मिक आयोजन भी होते हैं जो इस मंदिर को एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बनाते हैं। मंदिर की स्थानीय वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व इसे एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाते हैं जो भक्तों को आकर्षित करते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर उत्तराखंड की संस्कृति और धर्म को प्रकट करती है और धार्मिक आत्मगौरव और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, जौनपुर, उत्तर प्रदेश


छिन्नमस्तिका मंदिर जौनपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। जौनपुर एक प्राचीन शहर है जो इतिहास, संस्कृति और धर्म की धरोहर के रूप में प्रसिद्ध है।

छिन्नमस्तिका मंदिर जौनपुर में स्थित है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए जाना जाता है। यहां भक्तों के बीच यात्रा की जाती है और धार्मिक आयोजन भी होते हैं जो इस मंदिर को एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बनाते हैं। मंदिर की स्थानीय वास्तुशिल्प और धार्मिक महत्व इसे एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाते हैं जो भक्तों को आकर्षित करते हैं। छिन्नमस्तिका मंदिर जौनपुर उत्तर प्रदेश की संस्कृति और धर्म को प्रकट करती है और धार्मिक आत्मगौरव और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, कोटद्वार, उत्तराखंड

छिन्नमस्तिका मंदिर, कोटद्वार, उत्तराखंड,  भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। कोटद्वार उत्तराखंड के गढ़वाल द्वीप में स्थित है और गंगा नदी के तट पर बसा है।

छिन्नमस्तिका मंदिर कोटद्वार में स्थित है और यहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। मंदिर का नाम "छिन्नमस्तिका" संस्कृत शब्द "छिन्न" और "मस्तिका" से लिया गया है, जो "छिन्न" यानी टुकड़ा और "मस्तिका" यानी मुंह को दिखाता है। माँ छिन्नमस्तिका को विघ्न नाशिनी और मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है और उत्तराखंड के लोग इस मंदिर को बड़ी श्रद्धा से पूजते हैं। मंदिर का स्थान सुन्दर पर्यावरण में है और यहां भक्तों को धार्मिक आत्मगौरव और शांति की अनुभूति मिलती है।
 
छिन्नमस्तिका मंदिर, कोल्लुर, आंध्र प्रदेश


छिन्नमस्तिका मंदिर, कोल्लुर, आंध्र प्रदेश, भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। कोल्लुर एक पिट्ठुराज गांव है, जो गोदावरी नदी के किनारे आंध्र प्रदेश के गुप्तेश्वर तालुका में स्थित है।

छिन्नमस्तिका मंदिर कोल्लुर में स्थित है और यहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। मंदिर का नाम "छिन्नमस्तिका" संस्कृत शब्द "छिन्न" और "मस्तिका" से लिया गया है, जो "छिन्न" यानी टुकड़ा और "मस्तिका" यानी मुंह को दिखाता है। माँ छिन्नमस्तिका को विघ्न नाशिनी और मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है और आंध्र प्रदेश के लोग इस मंदिर को बड़ी श्रद्धा से पूजते हैं। मंदिर का स्थान सुन्दर पर्यावरण में है और यहां भक्तों को धार्मिक आत्मगौरव और शांति की अनुभूति मिलती है।
छिन्नमस्तिका मंदिर, करपुर, ओडिशा

छिन्नमस्तिका मंदिर, करपुर, ओडिशा, 
 
भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। करपुर एक छोटा गांव है जो ओडिशा के केंदुझार तालुका में स्थित है।

छिन्नमस्तिका मंदिर करपुर में स्थित है और यहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। मंदिर का नाम "छिन्नमस्तिका" संस्कृत शब्द "छिन्न" और "मस्तिका" से लिया गया है, जो "छिन्न" यानी टुकड़ा और "मस्तिका" यानी मुंह को दिखाता है। माँ छिन्नमस्तिका को विघ्न नाशिनी और मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है और ओडिशा के लोग इस मंदिर को बड़ी श्रद्धा से पूजते हैं। मंदिर का स्थान सुन्दर पर्यावरण में है और यहां भक्तों को धार्मिक आत्मगौरव और शांति की अनुभूति मिलती है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, त्रिवेनी, केरल

छिन्नमस्तिका मंदिर त्रिवेंद्रम या त्रिवेनी, केरल, भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। त्रिवेनी एक छोटा गांव है जो केरल के थ्रिषुर जिले में स्थित है।

छिन्नमस्तिका मंदिर त्रिवेनी में स्थित है और यहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। मंदिर को विघ्न नाशिनी और मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है। यहां भक्तों को धार्मिक आत्मगौरव और शांति की अनुभूति मिलती है। छिन्नमस्तिका मंदिर केरल की धार्मिक और धार्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण स्थल है और स्थानीय लोग इसे बड़ी श्रद्धा से पूजते हैं।


छिन्नमस्तिका मंदिर राजनांदगांव, गुजरात, 
 
भारत में स्थित यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यहां भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक आत्मगौरव और शांति की अनुभूति मिलती है।

छिन्नमस्तिका मंदिर राजनांदगांव शहर में स्थित है और यहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक और धार्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण स्थल है। यहां भक्तों के द्वारा नियमित रूप से पूजा और आराधना की जाती है और धार्मिक उत्सव और पर्व की धूप में भी यहां भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। छिन्नमस्तिका मंदिर गुजरात की धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और दर्शनीय स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है।
 
छिन्नमस्तिका मंदिर, कुशिनगर, उत्तर प्रदेश

माँ छिन्नमस्तिका का मंदिर कुशिनगर, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो बौद्ध और हिंदू धर्म के लोगों के लिए धार्मिक महत्व का धारण करता है। यहां पर्यटक और श्रद्धालु धार्मिक आत्मगौरव और शांति की अनुभूति करते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर कुशिनगर शहर में स्थित है और यहां माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक और धार्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण स्थल है। यहां भक्तों के द्वारा नियमित रूप से पूजा और आराधना की जाती है और धार्मिक उत्सव और पर्व की धूप में भी यहां भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। छिन्नमस्तिका मंदिर कुशिनगर उत्तर प्रदेश की धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और दर्शनीय स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है।


छिन्नमस्तिका मंदिर, धौलपुर, राजस्थान

छिन्नमस्तिका मंदिर धौलपुर, राजस्थान में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के इतिहास में स्थानीय धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और धार्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण स्थल है।

छिन्नमस्तिका मंदिर धौलपुर शहर में स्थित है और यहां पर्यटक और श्रद्धालु धार्मिक आत्मगौरव और शांति की अनुभूति करते हैं। मंदिर में माँ छिन्नमस्तिका की मूर्ति स्थापित है और यहां पर नियमित रूप से पूजा और आराधना की जाती है। मंदिर का स्थानीय धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है और धार्मिक उत्सव और पर्व की धूप में भी यहां भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। छिन्नमस्तिका मंदिर धौलपुर राजस्थान की धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और दर्शनीय स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, सोलापुर, महाराष्ट्र


छिन्नमस्तिका मंदिर, सोलापुर महाराष्ट्र में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर सोलापुर शहर के एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल है और वहां कई श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, सोलापुर एक प्राचीन मंदिर है जो महाराष्ट्र के सोलापुर शहर में स्थित है। इस मंदिर में माँ छिन्नमस्तिका की मूर्ति है और यहां पर नियमित रूप से पूजा और आराधना की जाती है। मंदिर का इतिहास प्राचीन है और धार्मिक उत्सव और पर्व के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, सोलापुर एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है जो श्रद्धालु और पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। यहां पर स्थानीय धार्मिक उत्सव और पर्व के अवसर पर धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जो आपको धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
 
छिन्नमस्तिका मंदिर, अमरावती, महाराष्ट्र

छिन्नमस्तिका मंदिर, अमरावती, महाराष्ट्र में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर अमरावती शहर के एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल है और वहां कई श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, अमरावती महाराष्ट्र का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इस मंदिर में माँ छिन्नमस्तिका की मूर्ति है और यहां पर नियमित रूप से पूजा और आराधना की जाती है। मंदिर का इतिहास प्राचीन है और धार्मिक उत्सव और पर्व के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, अमरावती एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है जो श्रद्धालु और पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। यहां पर स्थानीय धार्मिक उत्सव और पर्व के अवसर पर धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जो आपको धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
 
छिन्नमस्तिका मंदिर, रामनाथपुरम, तमिल नाडु

छिन्नमस्तिका मंदिर, रामनाथपुरम, तमिल नाडु में स्थित है। यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो तमिल नाडु के प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। मंदिर में माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है और यहां पर नियमित रूप से भक्तों की भीड़ आती है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, रामनाथपुरम एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो तमिल नाडु के दक्षिणी भाग में स्थित है। यहां पर माँ छिन्नमस्तिका की मूर्ति है और धार्मिक उत्सव और पर्व के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ आती है। मंदिर का इतिहास प्राचीन है और यहां पर धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जो आपको धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, बांद्रा, मुंबई, महाराष्ट्र


माँ छिन्नमस्तिका मंदिर, बांद्रा, मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। यह मंदिर मुंबई के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और यहां पर माँ छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, बांद्रा एक प्राचीन मंदिर है जो मुंबई के शोर्टलीन में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म की माँ छिन्नमस्तिका को समर्पित है जो विघ्ननाशिनी और भविष्यद्वार पर मान्यता रखी जाती है। यहां पर नियमित रूप से भक्तों की भीड़ आती है और विभिन्न धार्मिक उत्सव और पर्वों के अवसर पर यहां पूजा और धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। माँ छिन्नमस्तिका की कृपा और आशीर्वाद की कामना करने वाले भक्त यहां आते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर, अहमदपुर, उत्तर प्रदेश

छिन्नमस्तिका मंदिर, अहमदपुर, उत्तर प्रदेश भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में स्थित है। यह मंदिर छिन्नमस्तिका माता की पूजा के लिए एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।

छिन्नमस्तिका मंदिर, अहमदपुर में स्थित है जो छिन्नमस्तिका माता को समर्पित है। यह मंदिर स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है और धार्मिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण स्थल है। माँ छिन्नमस्तिका की कृपा और आशीर्वाद की कामना करने वाले भक्त यहां आते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं। यहां धार्मिक उत्सव और पर्वों के अवसर पर भक्तों की भीड़ आती है और धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
 
छिन्नमस्तिका मंदिर, सखरा राजविराज नेपाल


माता छिन्नमस्तिका के समर्पित एक धार्मिक मंदिर नेपाल के सखरा राजविराज नामक स्थान पर स्थित है। यह एक प्राचीन मंदिर है जो धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है और धार्मिकता, संस्कृति, और आध्यात्मिक आस्था के लिए महत्वपूर्ण स्थल है।

छिन्नमस्तिका मंदिर सखरा राजविराज में माता छिन्नमस्तिका की पूजा की जाती है। यहां भक्तजन आते हैं और धार्मिक कार्यक्रम, पूजा, और व्रत आयोजित करते हैं। मंदिर का वास्तुकला और स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है और धार्मिकता, संस्कृति, और धार्मिक आस्था के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। यहां लोग आत्मिक शांति, चेतना और धार्मिकता को बढ़ाते हैं।

छिन्नमस्तिका मंदिर सखरा राजविराज नेपाल के पर्यटन स्थलों में से एक है और धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है जो आत्मिक शांति, चेतना और धार्मिकता को बढ़ाता है।

प्रमुख शहरो से रजरप्पा मंदिर की दुरी 

रामगढ़ शहर, झारखंड राज्य के प्रमुख शहरों में से एक है और रजरप्पा मंदिर रामगढ़ के पास स्थित है। इस मंदिर की दूरी निम्नलिखित शहरों से है:

  1. रांची: रजरप्पा मंदिर से रांची की दूरी लगभग 79 किलोमीटर है।
  2. धनबाद: रजरप्पा मंदिर से धनबाद की दूरी लगभग 104 किलोमीटर है।
  3. बोकारो: रजरप्पा मंदिर से बोकारो की दूरी लगभग 52 किलोमीटर है।
  4. हजारीबाग: रजरप्पा मंदिर से हजारीबाग की दूरी लगभग 74 किलोमीटर है।
  5. गिरिडीह: रजरप्पा मंदिर से गिरिडीह की दूरी लगभग 134 किलोमीटर है।
  6. रामगढ : रजरप्पा मंदिर से रामगढ की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है।

यह दूरी आपके यातायात के आधार पर थोड़ी सी बदल सकती है, इसलिए सबसे बेहतर है कि आप नजदीकी सूत्रों या नैविगेशन ऐप्स का उपयोग करके वास्तविक दूरी की जानकारी प्राप्त करें।


रजरप्पा मंदिर कैसे पहुंचे ? How to Reach Rajrappa ?

हवाई मार्ग:

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

 

रजरप्पा मंदिर के निकटतम हवाई चयन है बिरसा मुंडा हवाई अड्डा, रांची (झारखंड की राजधानी) जो रजरप्पा से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके बाद आप टैक्सी, बस या अन्य आपातकालीन साधनों का उपयोग करके रजरप्पा मंदिर पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग: 

रजरप्पा मंदिर के निकटतम हवाई रेलवे स्टेशन है हज़ारीबाग़ और रांची आप देश के चार महानगरों से निचे दिए गए ट्रेन से जा सकते है 

हजारीबाग रेल्वे स्टेशन के लिए निम्नलिखित ट्रेनें उपलब्ध हैं:

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

 

रांची राजधानी एक्सप्रेस (Train No. 12439/12440) - Ranchi Rajdhani Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, हावड़ा, रांची रोड, हजारीबाग रोड
एक्सप्रेस संगमित्रा एक्सप्रेस (Train No. 12295/12296) - Sanghamitra Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, भुवनेश्वर, विजयवाड़ा, चेन्नई सेंट्रल, हाजारीबाग रोड
बिबी कृपा एक्सप्रेस (Train No. 18477/18478) - BBN-KDJR Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, आगरा कांटा, ग्वालियर, झांसी, सातना, रानीगंज, बरनवार, गोंडिया, राजणंदगांव, हजारीबाग रोड

रांची रेल्वे स्टेशन के लिए निम्नलिखित ट्रेनें उपलब्ध हैं:

रांची राजधानी एक्सप्रेस (Train No. 12439/12440) - Ranchi Rajdhani Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, हावड़ा, मुंबई चटरपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, रांची रोड, रांची
एक्सप्रेस संगमित्रा एक्सप्रेस (Train No. 12295/12296) - Sanghamitra Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, भुवनेश्वर, विजयवाड़ा, चेन्नई सेंट्रल, रांची रोड, रांची
पूर्वोत्तर संगमित्रा एक्सप्रेस (Train No. 15645/15646) - Purvottar Sampark Kranti Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, बाराकपुर, पटना, रांची रोड, रांची

बोकारो रेल्वे स्टेशन के लिए निम्नलिखित ट्रेनें उपलब्ध हैं:

रांची राजधानी एक्सप्रेस (Train No. 12439/12440) - Ranchi Rajdhani Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, हावड़ा, मुंबई चटरपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, बोकारो थर्मल, बोकारो स्टील सिटी, बोकारो
एक्सप्रेस संगमित्रा एक्सप्रेस (Train No. 12295/12296) - Sanghamitra Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, भुवनेश्वर, विजयवाड़ा, चेन्नई सेंट्रल, बोकारो थर्मल, बोकारो स्टील सिटी, बोकारो
गिरिडीह एक्सप्रेस (Train No. 12877/12878) - Giri Ganga Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, हावड़ा, मुंबई चटरपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, बोकारो थर्मल, बोकारो स्टील सिटी, बोकारो
बिबी कृपा एक्सप्रेस (Train No. 18447/18448) - Baidyanathdham Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, भागलपुर, बोकारो थर्मल, बोकारो स्टील सिटी, बोकारो

धनबाद रेल्वे स्टेशन के लिए निम्नलिखित ट्रेनें उपलब्ध हैं:

रांची राजधानी एक्सप्रेस (Train No. 12439/12440) - Ranchi Rajdhani Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, हावड़ा, मुंबई चटरपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, धनबाद
एक्सप्रेस संगमित्रा एक्सप्रेस (Train No. 12295/12296) - Sanghamitra Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, भुवनेश्वर, विजयवाड़ा, चेन्नई सेंट्रल, धनबाद
गिरिडीह एक्सप्रेस (Train No. 12877/12878) - Giri Ganga Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, हावड़ा, मुंबई चटरपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, धनबाद
बिबी कृपा एक्सप्रेस (Train No. 18447/18448) - Baidyanathdham Express:
  • स्टोपेज स्टेशन (डाउन यात्रा) - दिल्ली, भागलपुर, धनबाद

यहां दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है और ट्रेनों की गतिविधियों और स्टोपेज स्टेशनों परिवर्तन के लिए आपको आपकी यात्रा की आधिकारिक रेल्वे वेबसाइट या रेल्वे हेल्पलाइन पर संपर्क करना चाहिए।

सड़क मार्ग: 

सड़क मार्ग से रजरप्पा की दुरी निम्नलिखित है 

  1. रांची: रजरप्पा मंदिर से रांची की दूरी लगभग 79 किलोमीटर है।
  2. धनबाद: रजरप्पा मंदिर से धनबाद की दूरी लगभग 104 किलोमीटर है।
  3. बोकारो: रजरप्पा मंदिर से बोकारो की दूरी लगभग 52 किलोमीटर है।
  4. हजारीबाग: रजरप्पा मंदिर से हजारीबाग की दूरी लगभग 74 किलोमीटर है।
  5. गिरिडीह: रजरप्पा मंदिर से गिरिडीह की दूरी लगभग 134 किलोमीटर है।
  6. रामगढ : रजरप्पा मंदिर से रामगढ की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है।

 

झारखण्ड की शान माँ छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा-Rajrappa

माँ छिन्नमस्तिका पूजा विधि और मंत्र 

छिन्नमस्तिका पूजा विधि और मंत्र निम्नलिखित रूप में है:

पूजा सामग्री:

  1. माँ छिन्नमस्तिका की मूर्ति या छवि
  2. पूजा की थाली
  3. पंचामृत (दूध, घी, दही, शहद, गुड़)
  4. फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती
  5. चावल, घी, गुड़, फल
  6. पूजा के वस्त्र
  7. पूजा के विधिवत आपूर्ति

पूजा विधि:

  1. पूजा के लिए एक शुभ मुहूर्त चुनें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
  2. पूजा की थाली पर वस्त्र बिछा लें और उस पर माँ छिन्नमस्तिका की मूर्ति या छवि रखें।
  3. माँ छिन्नमस्तिका की पूजा के लिए पंचामृत, फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, चावल, घी, गुड़ और फल की आपूर्ति करें।
  4. पूजा की थाली के सामने बैठकर, मन शुद्ध करें और माँ छिन्नमस्तिका की आराधना करें।
  5. पंचामृत को माँ छिन्नमस्तिका की मूर्ति पर चढ़ाएं और फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती की आपूर्ति करें।
  6. फल, चावल, घी, गुड़ की आपूर्ति करें और माँ छिन्नमस्तिका को प्रदान करें।

     7. माँ छिन्नमस्तिका के मंत्र का जाप करें: "ॐ ह्लीं ह्लीं छिन्नमस्तिकायै फट् स्वाहा।"

  1. माँ छिन्नमस्तिका की आराधना करें, मन से उनकी कृपा की प्रार्थना करें और अपनी मनोकामनाएं माँ को समर्पित करें।
  2. अंत में अर्चना को पूर्ण करने के बाद, पूजा सामग्री को उठाकर उन्हें फल, चावल, घी, गुड़ और फूल को अर्पित करें।
  3. पूजा के वस्त्र को धारण करें और माँ छिन्नमस्तिका की कृपा का आशीर्वाद लें।
  4. पूजा की थाली और मूर्ति को सुन्दर ढंग से सजाएं और पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें।

माँ की आरती

माँ की आरती एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक पूजा विधि है जो माँ की पूजा के दौरान की जाती है। यह एक धार्मिक आदत है जो माँ की पूजा के दौरान भगवान की स्तुति और आराधना करने के लिए की जाती है। यहां माँ की आरती करने की सामान्य विधि दी गई है:

सामग्री:

  1. माँ की मूर्ति या फ़ोटो
  2. आरती की थाली
  3. दीपक और घी
  4. पूजा के फूल
  5. कुछ वस्त्र या चादर
  6. गंगाजल या पानी
  7. धूप और धूप दीप

आरती की विधि:

  1. सबसे पहले, माँ की मूर्ति या फ़ोटो के सामने एक आरती की थाली रखें।
  2. थाली में एक दीपक रखें और उसमें घी डालें। फिर दीपक को जलाकर धूप दीप बनाएं।
  3. थाली में फूल, वस्त्र या चादर, और गंगाजल रखें।
  4. उसके बाद माँ की आरती गाये 

माँ छिन्नमस्तिका की आरती के लिए आप छिन्नमस्तिका आरती का गाना गा सकते हैं। यह आरती आमतौर पर हिंदी या संस्कृत भाषा में गाई जाती है। आप निम्नलिखित आरती गाने का उपयोग कर सकते हैं:

जय छिन्नमस्तिकायै नमः। 

जय छिन्नमस्तिकायै नमः। 

भूतपूर्वायै नमः। शुभदायै नमः॥

जयायै जगदम्बिकायै नमः। 

वन्दे भक्तिकरां शुभां च, देवीं छिन्नमस्तिकां। 

नवार्णमणिमण्डितां च, ज्ञानमुद्रां करांशुकाम्॥

पञ्चब्रह्मात्मकां चिन्तितां, चिदानन्दमयीं च च। 

ध्यात्वा देवीं छिन्नमस्तिकां, मोक्षमार्गं व्रजाम्यहम्॥

जय छिन्नमस्तिकायै नमः। 

जय छिन्नमस्तिकायै नमः।

 भूतपूर्वायै नमः। शुभदायै नमः॥

माँ छिन्नमस्तिका जी की आरती करने से भक्त को भयों और दुःखों से मुक्ति मिलती है और शुभ संभवनाएं प्राप्त होती हैं। यह आरती माँ छिन्नमस्तिका की महिमा और आशीर्वाद को प्रकट करती है।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने