क्यों कहा जाता है श्री कृष्णा को रणछोड़दास (Ranchoddas)

श्री कृष्णा को "रणछोड़दास"(Ranchoddas) कहने का कारण उनके अनेक घनिष्ठ भक्त तथा मित्रों ने अपनी युद्ध रणनीति में उन्हें इस नाम से संबोधित किया था। "रणछोड़दास" (Ranchoddas) शब्द संस्कृत में रण (युद्ध) और छोड़ (छोड़नेवाला) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है "युद्ध के अवसर पर छोड़नेवाला"।तो इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने  जा रहे हे की रणछोड़दास (Ranchoddas)नाम के पीछे की कहानी क्या है

 

क्यों कहा जाता है श्री कृष्णा को रणछोड़दास (Ranchoddas)

क्यों कहा जाता है श्री कृष्णा को रणछोड़दास (Why is Shri Krishna called Ranchoddas)

कौन नहीं जानता है भगवान श्रीकृष्ण के चमत्कार और लीलाओं के बारे में। वे भगवान विष्णु के अवतार थे और उन्हें जो चाहे वो कर सकते थे और कई मौकों पर किया भी था। लेकिन एक ऐसा मौका आया था जब श्रीकृष्ण को रणभूमि छोड़कर भागना पड़ा, जिसके कारण उनका नाम रणछोड़दास (Ranchoddas)पड़ा। अब आप सोच रहे होंगे कि वे तो भगवान थे, फिर उन्हें किसी से भागने की क्या जरूरत थी? दरअसल, इसके पीछे एक बेहद रहस्यमय कहानी है, जिसके बारे आज इस पोस्ट में हम बताने जा रहे है।

क्यों कहा जाता है श्री कृष्णा को रणछोड़दास (Ranchoddas)

इस से पहले की हम आपको ये कथा बतलाये की  क्यों कहा जाता है श्री कृष्णा को रणछोड़दास (Ranchoddas)आपको सबसे पहले इस कहानी के कुछ पात्र से परिचय करवाते है

कालयवन की कथा  (Story Of Kalayavan)

कालयवन(Kalayavan) यवन देश का राजा था। जन्म से ब्राह्मण, पर कर्म से म्लेच्छ (मलेच्छ) था। कालयवन के पिता का नाम शेशिरायण था एक बार उन्होंने 12 वर्षों तक ब्रह्मचर्य का पालन करके किसी सिद्धि की प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किया। उनके इस प्रयास के दौरान एक गोष्ठी में किसी ने उन्हें 'नपुंसक' कहा, जो उन्हें बहुत आहत कर गया। उन्होंने तय किया कि उन्हें एक ऐसा पुत्र होगा जो अजेय होगा, किसी भी योद्धा के सामर्थ्य से उसे हराना मुश्किल होगा।"

क्यों कहा जाता है श्री कृष्णा को रणछोड़दास (Ranchoddas)

 

ऐसा सोचने के बाद  उन्होंने अपनी तपस्या को भगवान शिव के प्रति समर्पित कर दिया। भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उनसे बोले   'हे मुनि! मै तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न , तुम जो भी मांगो, हम तुम्हें देंगे।' मुनि: ने कहा हे भगवन 'कृपया मुझे एक अजेय पुत्र दें, जिसे कोई नहीं हरा सकता। उसे कोई अस्त्र-शस्त्र पराजित नहीं कर सकेगा।' शिव: ने कहा ठीक है 'तुम्हारा पुत्र संसार में अजेय होगा। उसे कोई शस्त्र से मार नहीं सकेगा। कोई सूर्यवंशी या चंद्रवंशी योद्धा उसे नहीं परास्त कर सकेगा। तुम्हारी इच्छा में भोग-विलास की आकांक्षा छिपी हुई है, और हमारे वरदान से तुम्हें राजसी शान्ति प्राप्त होगी।'" उसके बाद ऋषि शेशिरायण का शरीर अत्यंत सुंदर हो गया। जब वह वरदान प्राप्त कर लिया, तब ऋषि शेशिरायण एक झरने के पास से गुजर रहे थे, जहां उन्होंने एक स्त्री को जल क्रीड़ा करते हुए देखा, जो अप्सरा रम्भा थी। वे दोनों एक दूसरे पर मोहित हो गए जिससे उसे एक पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम उन्होंने कालयवन रखा । जब 'रंभा' का समय समाप्त हुआ, तब वह स्वर्गलोक की ओर वापस चली गई और अपना पुत्र ऋषि को सौंप दिया। रम्भा के जाने के बाद, ऋषि का मन पुनः भक्ति में लग गया।

वीर प्रतापी राजा काल जंग मलीच देश पर राज करता था और सभी राजा उससे डरते थे। उनकी संतान नहीं थी, जिसके कारण वह परेशान रहता था। उसका मंत्री ने उसे आनंदगिरी पर्वत के बाबा के पास ले गया और उसे बताया कि वह ऋषि शेशिरायण से अपना पुत्र मांग ले। पहले तो ऋषि शेशिरायण ने इसे माना नहीं, लेकिन जब उन्हें बाबा जी के वाणी और शिव जी के वरदान के बारे में पता चला, तब उन्होंने अपने पुत्र को काल जंग को दे दिया। इस तरीके से कालयवन यवन देश का राजा बन गया और उसके समान वीर कोई नहीं था। एक बार उसने नारद जी से पूछा कि वह किससे युद्ध करे जो उसके समान वीर हो। नारद जी ने उसे श्री कृष्ण का नाम बताया।

राजा मुचुकुन्द  (King Muchukund)

इक्ष्वाकुवंशी वंश में एक राजा हुआ करते थे जिसका नाम था  मान्धाता, मान्धाता के एक पुत्र था जिसका नाम मुचुकुन्द था राजा  मुचुकुन्द बड़े ही पराक्रमी दानवीर ब्रह्मणो का सम्मान करने वाले राजा था एक समय की बात है राजा मुचुकुन्द से इंद्र अदि देवता उनसे मिलने आये और उनसे देव असुर संग्राम में देवताओ के तरफ से युद्ध लड़ने के लिए उनसे सहायता मांगी  राजा मुचुकुन्द ने बहुत बहादुरी से युद्ध में भाग लिया और वजयी हुए उसके पश्चात इंद्र ने उनको अपने पास बुलाया और युद्ध  साथ देने के लिए धन्यवाद दिए और कहा की राजन आपने हमलोगों की रक्षा के लिए अपार परिश्रम और कष्ट सहा है। अब आप आराम कीजिए। भगवान इंद्रा ने कहा की हमारी रक्षा के लिए आपने मनुष्य लोक का अपना अद्वितीय राज्य छोड़ दिया और जीवन की सभी अभिलाषाओं और भोगों को त्याग दिया इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद लेकिन पृथ्वी पर  अब आपके समय की प्रजा में से कोई नहीं रहा है। बन्धु-बान्धव, रानियाँ, अमात्य-मन्त्री, और आपके पुत्र सब-के-सब काल के गाल में चले गए हैं तो  आप हमसे जो चाहें वह मांग ले , वह हम पूरा कर सकते हैं,लेकिन मोक्ष नहीं दे सकते है  मोक्ष के अतिरिक्त हम सब कुछ दे सकते हैं। मोक्ष तो केवल विष्णु जी ही दे सकते हैं।

राजा मुचुकुन्द ने देवताओं को कहा की वो बहुत थक गए है इस लिए वो उसे  निद्रा का वरदे दे । देवताओं ने उनसे कहा कि आप सो जाएं और जो भी आपकी निद्रा को भंग करेगा, आपके नेत्रों की अग्नि से जलकर भस्म हो जाएगा।

 

तो ये थी राजा  मुचुकुन्द की कहानी अब अपने मुख्य लेख पर आते है

 मथुरा का राजा कंश का श्री कृष्णा द्वारा वध किये जाने के बाद मगध नरेश जरासंध बहुत क्रोधित हुआ तब उसने मथुरा प् १७ बार आक्रमण किया १७ बार हरने के बाद उन्होंने १८बी बार जब आक्रमण किया तब उसने युद्ध को जितने के लिए उन्होंने अपनी  सेना के आगे लाखो  ब्राह्मणों को खड़ा कर दिया था ।  श्रीकृष्ण ब्रह्म हत्या का पाप न लगे इसलिए श्रीकृष्ण युद्ध छोड़कर भाग गए। इसलिए उनका नाम रणछोड़ दास पड़ा। 

क्यों कहा जाता है श्री कृष्णा को रणछोड़दास (Ranchoddas)

 

दूसरी कथा के अनुसार शिशुपाल ने जरासंध को परामर्श  दिया की वो  कालयवन से मित्रता कर ले और उसे अपनी तरफ से युद्ध करने की लिए आमंत्रित करे क्योकि बरदान के कारन कालयवन का कोई वध  नहीं कर सकता तब जरासंध ने वैसा ही किया उसने कालयवन को युद्ध के लिए आमंत्रित किया कालयवन भी बिना कोई शत्रुता के मथुरा पर चढ़ाई कर दिया, भगवान श्री कृष्णा कालयवन की सच्चाई जानते थे की इसे कोई अस्त्र शस्त्र से मारा नहीं जा सकता है इसलिए वे रण छोड़ कर एक गुफा में चले गए जहा पर राजा राजा मुचकुंद सो रहे थे जब कालयवन ने उन्हें देखा तो उन्हें श्रीकृष्ण समझ कर नींद से उठा दिया। जैसे ही राजा मुचकुंद नींद से उठे, कालयवन जलकर भस्म हो गया। यह भगवान श्रीकृष्ण की एक लीला थी, जिसके अंत सिर्फ और सिर्फ उनकी इच्छा पर हुआ। उन्होंने महाभारत के युद्ध में गीता के माध्यम से बताया था कि सृष्टि में होने वाले सभी घटनाएं उनकी इच्छा के अनुसार होती हैं। इसलिए कालयवन का अंत भी उनकी इच्छा से हुआ।

प्रश्न एवं उत्तर FAQ

कालयवन कौन था (Who was Kalayavan?)

कालयवन(Kalayavan) यवन देश का राजा था।(Kalayavan was the king of the Yavana kingdom.)

क्या कालयवन मुस्लिम था(Was Kalayavan a Muslim?)

जन्म से ब्राह्मण, पर कर्म से म्लेच्छ (मलेच्छ) था।(He was born a Brahmin but considered a Mleccha (foreigner) based on his actions.)

कालयवन के पिता का क्या नाम था What was the name of Kalayavan's father?

कालयवन के पिता का नाम शेशिरायण था Kalayavan's father's name was Sheshirayan.

क्या कालयवन का कोई अन्य नाम है?Does Kalayavan have any other names?

हां, कालयवन को भगदत्त नाम से भी जाना जाता है।Yes, Kalayavan is also known by the name Bhagadatta.

मुचकुंद कौन थे Who were Muchukunda?

इक्ष्वाकुवंशी वंश में एक मान्धाता के पुत्र थे Muchukunda was the son of Mandhata, belonging to the Ikshvaku dynasty.

जरासंध कौन थे? Who was Jarasandha?

जरासंध हिंदू पौराणिक कथाओं में एक प्रबल और प्रमुख व्यक्ति थे। वह भारत में स्थित एक प्राचीन राज्य मगध के राजा थे। Jarasandha was a powerful and prominent figure in Hindu mythology. He was the king of Magadha, an ancient kingdom in India.

जरासंध के बारे में क्या जाना जाता है? What is known about Jarasandha?

जरासंध को मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और यादव वंश के साथी रिश्ते के लिए जाना जाता है। उन्होंने उनके साथ कई युद्धों में भाग लिया।Jarasandha is primarily known for his association with Lord Krishna and the Yadava dynasty. He engaged in several battles with them.

जरासंध ने भगवान कृष्ण के साथ कैसे टकराव किया? How did Jarasandha come into conflict with Lord Krishna?

जरासंध का भगवान कृष्ण के साथ टकराव उस समय शुरू हुआ जब यादव वंश ने उनके ससुर, राजा कंस को मार डाला। जरासंध ने प्रतिशोध लेने की इच्छा रखी और उनके खिलाफ युद्ध चलाया।The conflict between Jarasandha and Lord Krishna began when the Yadava dynasty killed his father-in-law, King Kansa. Jarasandha sought revenge and waged war against them.

क्या जरासंध के पास कोई विशेष शक्तियाँ थीं?Did Jarasandha possess any special abilities?

हाँ, जरासंध अत्यधिक बलशाली थे और उनकी एक अद्वितीय क्षमता थी। जब भी उनका शरीर काटा जाता था या वे टुकड़े-टुकड़े हो जाते थे, तो उन्हें मिला लेने की क्षमता होती थी, जिससे वे लगभग अभेद्य हो जाते थे।Yes, Jarasandha was exceptionally strong and had a unique ability. He could join two halves of his body together whenever he was cut or divided into pieces, making him nearly invulnerable.

जरासंध ने भगवान कृष्ण के खिलाफ कितनी बार युद्ध किया? How many times did Jarasandha fight against Lord Krishna?

जरासंध ने भगवान कृष्ण के साथ कुल मिलाकर सत्रह बार युद्ध किया, हर बार हार मानी थी।Jarasandha engaged in a total of seventeen battles against Lord Krishna, and he was defeated every time.

कौन अंततः जरासंध को हराया? Who ultimately defeated Jarasandha?

जरासंध को अंततः कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान पांडव भाई भीम ने हराया। भीम ने एक अद्वितीय कुश्ती तकनीक का इस्तेमाल करके जरासंध को चीरकर दो टुकड़ों में बांट दिया और दोनों टुकड़ों को उलटी दिशाओं में फेंक दिया, जिससे उनकी पुनर्जन्म की प्रक्रिया को रोक दिया गया। Jarasandha was ultimately defeated by Bhima, one of the Pandava brothers, during the Kurukshetra war. Bhima used a unique wrestling technique to tear Jarasandha apart into two pieces and threw them in opposite directions, thus hindering his process of rebirth.

क्या जरासंध को किसी अन्य हिंदू पाठों में उल्लेख किया गया है?  Is Jarasandha mentioned in any other Hindu scriptures?

In addition to the Mahabharata, Jarasandha's mention can also be found in the Harivamsa (an appendage to the Mahabharata) and the Bhagavat Purana (a major Hindu scripture).

महाभारत के अलावा, जरासंध का उल्लेख हरिवंश (महाभारत का एक अधिकांश) और भागवत पुराण (एक प्रमुख हिंदू शास्त्र) में भी किया गया है।

जरासंध के युद्धों में उनके साथ कोई सहायक थे? Did Jarasandha have any offspring?

Yes, Jarasandha had two daughters named Asti and Prapti, who were married to Kansa.

हाँ, जरासंध ने भगवान कृष्ण और यादव वंश के खिलाफ अपनी दुश्मनी साझा करने वाले अन्य प्रबल राजाओं और राक्षसों के साथ गठबंधन बनाए। उनके प्रमुख सहयोगी में शिशुपाल, चेडी के राजा, शामिल थे।

जरासंध के कोई संतान थीं? Did Jarasandha have any offspring?

Yes, Jarasandha had two daughters named Asti and Prapti, who were married to Kansa.

हाँ, जरासंध के दो बेटियां थीं, अस्ति और प्राप्ति, जो कंस से विवाहित थीं।


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