नंदी भगवान शिव का परम भक्त : Nandi the ardent devotee

प्राचीन भारतीय मिथोलॉजी में अनेक देवी-देवताओं के साथ-साथ उनके वाहनों का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। वाहनों को उन देवी-देवताओं की शक्ति, गरिमा और महिमा का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार, नंदी भगवान शिव के वाहन के रूप में प्रस्तुत होता है।

 

 

 

 

नंदी भगवान शिव  का परम भक्त : Nandi the ardent devotee

नंदी, जो एक विशाल बैल होता है, न केवल एक साधारण वाहन है, बल्कि यह एक आदर्श भी है जो भक्तों को शिवतत्त्व में समर्पित करने के लिए प्रेरित करता है। इस लेख में, हम नंदी के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

 नंदी भगवान शिव  का परम भक्त  Nandi the ardent devotee OF  Lord Shiva

नंदी एक पवित्र गौरवमय व्यक्ति है, जिसे शिवानुग्रह की प्राप्ति हुई है। इसे विश्वगुरु, योगीश्वर और सभी गणों का स्वामी माना जाता है। नंदी को शिव का प्रिय गण  और उनके द्वारपालक के रूप में जाना जाता है। वह न केवल उनके द्वार में अधिकृत होता है, बल्कि शिव के ध्यान के लिए भी अवलंबित रहता है। वास्तविकता में, नंदी को साधारणतः अधिकांश शिवालयों में शिव स्थानक के सामरिक आकार के रूप में दिखाया  जाता है।

नंदी को शिव के आदर्श भक्त के रूप में भी माना जाता है। नंदी का ध्यान शिवतत्त्व में अडिग और निरंतर रहने की एक प्रतिष्ठित दृष्टि का प्रतीक है। नंदी का ध्यान रखने वाले लोग अपने अंतरंग स्वरूप को समझने और अपनी आत्मा को पवित्रता और सत्य की ओर प्रवृत्त करने के लिए प्रेरित होते हैं। नंदी को देवदूत माना जाता है, जो शिव तक सभी प्रार्थनाओं को पहुंचाता है और उनकी कृपा का माध्यम बनता है। इसलिए, नंदी शिव की कृपा और आशीर्वाद की प्रतीक है।

नंदी की मूर्ति के रूप में इसे पूजा जाता है और उसे नंदीश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार, नंदी को एक महत्वपूर्ण पूज्य प्रतीक के रूप में माना जाता  है। विशेष रूप से माघ मास में आयोजित होने वाले माघ मेले में नंदी की मूर्तियों की विशेष पूजा होती है। शिव भक्तों को माघ मेले में नंदी की मूर्तियों की दर्शन और पूजा करने का अवसर मिलता है।

नंदी को गौ-माता के प्रतीक रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि उसका रूप बैल की आकृति में होता है। गौ-माता को हिन्दू धर्म में पवित्रता और संरक्षा का प्रतीक माना जाता है और नंदी के रूप में वह प्रतीत होती है। नंदी के रूप में वाहन के रूप में नंदी का चयन भी शिव के अविभाज्य भक्तों की सांस्कृतिक भूमिका का प्रतीक है जो गौ-माता की सेवा और संरक्षण के महत्व को समझते हैं।

नंदी का अद्भुत और आदर्शतापूर्ण वर्णन भारतीय साहित्य में भी मिलता है। नंदी वृक्षों के नीचे विराजमान रहकर ध्यान में मग्न होने का दृश्य चित्रित किया जाता है। उसकी मृगया चंचल रहती है और उसकी दृष्टि में सदैव अद्भुत आनंद की अनुभूति होती है। नंदी को अद्वैत और आनंद की प्रतीकता के साथ दिखाया जाता है।

नंदी भगवान शिव के वाहन के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और उसे नंदीश्वर के नाम से पूजा जाता है। नंदी की मूर्ति को प्राचीन भारतीय साहित्य, कला और मिथोलॉजी में गर्व से प्रदर्शित किया गया है। नंदी को शिवतत्त्व और आनंद के प्रतीक के रूप में माना जाता है और वह शिव भक्तों को शक्ति, पवित्रता और समाधान की प्राप्ति में मदद करता है। नंदी का ध्यान रखने वाले शिव भक्तों को नंदीश्वर की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

 नंदी  की कथा story of nandi

पुराणों में कथा के अनुसार एक परम तपस्वी मुनि थे जिनका नाम शिलाद थे  शिलाद मुनि ने जीवन भर  ब्रह्मचारी रहने का प्रण किया था ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश समाप्त होता देख उनके पितरों ने एक दिन सपने में उनसे अपनी चिंता व्यक्त की। शिलाद निरंतर योग तप आदि में व्यस्त रहते थे जिसके  कारण गृहस्थाश्रमको नहीं अपनाना चाहते थे अतः उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए  इंद्र देव का तप किया  इंद्र देव  जब  प्रसन्न हुए तो उन्होंने उनसे कर जन्म और मृत्यु से हीन पुत्र का वरदान माँगा। लेकिन  इंद्र ने यह वरदान देने में असर्मथता प्रकट की तथा उन्होंने उन्हें भगवान शिव के शरण में में जाकर उनकी  तपस्या  करने के लिए कहा। तब शिलाद ने भगवान शिव अत्यधिक कठोर तपस्या किया और भगवान  शिव को प्रसन्न किया तथा  उनसे भगवन शिव के  समान मृत्युहीन तथा दिव्य पुत्र की माँग की। शिलाद ने भगवान शिव का  बहुत  कठोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न किया, जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव से शिव के जैसा ही  मृत्युरहित  और दिव्य पुत्र का वरदान माँगा ।

नंदी भगवान शिव  का परम भक्त : Nandi the ardent devotee


भगवान शिव  ने उन्हें वर देते हुए कहा की बे स्वयं शिलाद के पुत्र रूप में अवतार लेंगे । कुछ समय बाद यज्ञ करते समय शिलाद को
यज्ञ कुंड से एक बालक मिला। जिसका  नाम उन्होंने नंदी रखा। एक दिन भगवान शंकर ने अपने दो गण  मुनि शिलाद के आश्रम में भेजे जिन्होंने नंदी को देखकर एक भविष्यवाणी की कि नंदी कम आयु का  है। जब शिलाद ने यह सुना, उन्होंने विलाप करना शुरू किया, और जब नंदी को पिता से उनके अल्पायु होने के बारे में पता चला, तब वह महादेव की आराधना करके मृत्यु को जीतने के लिए वन में चले गए। वन में, उन्होंने शिव का ध्यान किया और इससे भगवान शिव नंदी के तप से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन वरदान दिया - "तुम मृत्यु से भय से मुक्त, अजर-अमर और अदुःखी हो। मेरे अनुग्रह से तुम्हें जन्म और मृत्यु किसी से भी भय नहीं होगा। तुम मेरा ही अवतार हो, इसलिए तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है।"

भगवान शंकर ने अपने भक्तों, गणों, गणेशों और वेदों के सामक्ष नंदी को अधिपति के रूप में उच्चारण किया गया और उनके लिए अभिषेक करवाया। इस प्रकार, नंदी नंदीश्वर बन गए। उनका विवाह मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ सम्पन्न हुआ। भगवान शंकर ने वरदान दिया कि जहाँ नंदी का निवास होगा, वहां उनका भी निवास होगा। इसलिए, हर शिव मंदिर में शिवजी के सामने नंदी की स्थापना होती है।

शिवजी का वाहन नंदी पुरुषार्थ का प्रतीक है, जो अर्थात परिश्रम को संकेत करता है। यह एक संदेश देता है कि हमारे शरीर आत्मा का वाहन है। जैसे नंदी की दृष्टि शिव की ओर होती है, उसी तरह हमारी दृष्टि भी आत्मा की ओर होनी चाहिए। हमें अपने दोषों को पहचानने की आवश्यकता होती है और हमेशा दूसरों के प्रति अच्छी भावना रखनी चाहिए। नंदी यह संकेत देता है कि शरीर के ध्यान से ही हर व्यक्ति चरित्र, आचरण और व्यवहार से पवित्र हो सकता है। यह सामान्य भाषा में "मन का स्वच्छ होना" कहलाता है। एक संतुलित शरीर और मन ही हमें सफलता की ओर ले जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति तक पहुंचाते हैं।

धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि रावण ने जब शिव के पार्षद नंदी का उपहास किया, तब नंदी ने क्रोध में आकर रावण को श्राप दिया कि उस पशु स्वरूप के जीव तेरे विनाश का कारण बनेंगे, क्योंकि तू उसे देखकर इतना हँस रहा है। रावण संहिता के अनुसार, कुबेर पर विजय प्राप्त कर रावण जब वापस लौट रहा था, तो वह थोड़ी देर के लिए कैलाश पर्वत पर रुका था, और वहां नंदी के कुरूप स्वरूप को देखकर उसने उसका उपहास किया।

प्रश्न एवं उत्तर FAQ

प्रश्न : नंदी कौन हैं?(Who is Nandi?)

उत्तर :नंदी एक वृषभ (बैल ) का  रूप  हैं जो मुख्यतः भगवान शिव के वाहन  हैं।

प्रश्न : सपने में शिवलिंग और नंदी देखने का किया अर्थ है (What is the meaning of seeing Shivling and Nandi in the dream?)

उत्तर : स्वप्न में शिवलिंग और नंदी देखना स्वर्गीय और आध्यात्मिक अर्थ संदेश देता है। यह आपकी आध्यात्मिक उन्नति, भक्ति, पूजा, शक्ति-संयोग, आध्यात्मिक गुरु की प्राप्ति और संतुलन की सूचना देता है। 

प्रश्न : नंदी का मुख किस दिशा में होना चाहिए(What is the meaning of seeing Shivling and Nandi in the dream?)

उत्तर :नंदी का मुख शिवलिंग की दिशा में होना चाहिए। शिवलिंग के प्रति नंदी का मुख उत्कृष्ट माना जाता है और वह आमतौर पर पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर होता है। इस दिशा में नंदी के मुख को रखने से शिवलिंग की पूजा और आराधना में अधिक प्रभाव होता है।

प्रश्न :नंदी टेम्पल, खजुराहो के बारे में बतलाये (Tell about Nandi Temple, Khajuraho)

खजुराहो का नंदी मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव के अभिन्न वाहन नंदी को समर्पित है। यह मंदिर खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिरों के समूह में शामिल है, जहां अत्यंत सुंदर और जटिल भव्य नक्काशी देखी जा सकती है।

यह मंदिर 11वीं शताब्दी में बनाया गया है और यह खजुराहो के त्योहारी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर नगर शैली की वास्तुकला का पालन करता है और इसका मुख्यालय एक उच्च स्तर पर स्थित है जिसमें सन्निधान स्थल स्थित है।

नंदी मंदिर का मुख्य ध्येय नंदी देवता की पूजा और समर्पण करने के लिए बनाया गया है। यहां नंदी की भव्य मूर्ति स्थापित है जो उत्कृष्ट कार्यक्षमता, वीरता, शक्ति और शिव की अद्वितीयता का प्रतीक है। मंदिर में नंदी के अलावा, शिव और पार्वती की मूर्तियों और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिष्ठाएं भी हैं।

खजुराहो के नंदी मंदिर का दर्शन करने से आपको शिव-भक्ति, आध्यात्मिकता, शक्ति और आंतरिक समृद्धि की अनुभूति हो सकती है। यह स्थान पर्यटन का एक प्रमुख स्थल है और भारतीय संस्कृति और वास्तुकला के प्रेमी यात्रियों को आकर्षित करता है।

प्रश्न :नंदी के कान में क्या बोला जाता है(What is spoken in Nandi's ear)

नंदी के कान में सामान्यतः शिव भक्तों द्वारा मंत्र, श्लोक या शिव स्तुति का पाठ किया जाता है। यह एक प्रथा है जो शिव और नंदी की पूजा में अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया में, भक्त अपनी भक्ति व्यक्त करने के लिए मंत्रों और स्तोत्रों का उच्चारण करता है और उनके माध्यम से शिव के प्रति अपनी समर्पण भावना प्रकट करता है। यह एक धार्मिक अभ्यास है जिसे लोग अपनी श्रद्धा और भक्ति का अभिव्यक्ति का एक माध्यम मानते हैं।

प्रश्न :नंदी की पत्नी का नाम Question: Name of Nandi's wife

नंदी की पत्नी का नाम "सुरभि"(सुयशा) है। हालांकि, अलग-अलग पौराणिक कथाओं और प्रदेशों में नंदी की पत्नी का विवरण और नाम भिन्न-भिन्न हो सकता है, क्योंकि इसका विवरण विभिन्न पौराणिक ग्रंथों और स्थानीय परंपराओं में अलग-अलग हो सकता है।.

प्रश्न : नंदी पूजा मंत्र Nandi Puja Mantra

नंदी की पूजा में निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
 
ॐ नमः शिवाय। ॐ नंदिकेश्वराय विद्महे कालाननाय धीमहि। तन्नो नंदी प्रचोदयात्॥
 
यह मंत्र नंदी देवता की प्रार्थना, स्तुति और समर्पण का प्रतीक है। इसके माध्यम से शिव के अनुग्रह और आशीर्वाद की प्राप्ति की जाती है। नंदी पूजा में इस मंत्र का नियमित जाप आदर्श माना जाता है।
नंदी की पूजा  भगवान शिव के आशीर्वाद का प्रतीक होती हैं। यह एक प्रयास होता हैं उनके भक्तों का आभार व्यक्त करने का जो उनके पूर्ण समर्पण और विश्वास को दर्शाता हैं।

प्रश्न :नंदी की महिमा क्या हैं?What is the glory of Nandi?

नंदी को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैं क्योंकि वह भगवान शिव के प्रमुख भक्त माने जाते हैं। नंदी भक्तों के लिए शिव की कृपा को प्राप्त करने का एक माध्यम हैं।

प्रश्न :नंदी को  वाहन क्यों बनाया गया हैं?Why has Nandi been made a vehicle?

नंदी को शिव के वाहन के रूप में चुना गया हैं क्योंकि वह उनके सच्चे भक्त हैं। इससे शिवजी के भक्तों को शिव की आस्था, प्रेम और विश्वास का प्रतीक मिलता हैं।

प्रश्न :नंदी का स्थान कहां हैं?Where is the place of Nandi?

नंदी को शिव मंदिरों के बाहर या अंदर दिखाई देता हैं, जहां वह शिव की पूजा के लिए रखा जाता हैं। नंदी पर्याप्त स्थान और प्रसाद की रक्षा के लिए निर्मित रहता हैं।

प्रश्न : नंदी की उपासना क्यों की जाती हैं?Why is Nandi worshipped?

नंदी की उपासना शिव-भक्तों द्वारा की जाती हैं ताकि वे शिव के आदेशों को अच्छी तरह से पालन कर सकें और उनके द्वारा प्रदर्शित श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक हो सकें। इससे उन्हें आनंद, शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होने की कामना की जाती हैं।

प्रश्न :नंदी के अलावा क्या-क्या नाम हैं जिनसे वे पुकारे जाते हैं?What are the names other than Nandi by which they are called?

नंदी को अन्य नामों से भी पुकारा जाता हैं, जैसे नंदिकेश्वर, वृषभासन, वृषभारूढ़, वृषभाद्वज, वृषभाङ्क, वृषभारूढ़, गौरीश, वाहन, नंदि आदि।

प्रश्न :नंदी की प्रतिष्ठा कैसे की जाती हैं?How is Nandi's reputation done?

नंदी की प्रतिष्ठा शिव मंदिरों में विशेष रूप से की जाती हैं। नंदी की मूर्ति को मंदिर के सामने या गर्भगृह में स्थापित किया जाता हैं और उसे पूजा के लिए विशेष समर्पण किया जाता हैं।

प्रश्न :नंदी के प्रतिष्ठित मंदिर कौन-कौन से हैं?Which are the famous temples of Nandi?

नंदी को विशेष मंदिरों में स्थापित किया जाता हैं। कुछ प्रमुख नंदी मंदिर हैं: नंदिश्वर मंदिर (तमिलनाडु, भारत), बासवन बन्नप्पा मंदिर (कर्नाटक, भारत), नंदी तेंचें (गोवा, भारत) आदि।

प्रश्न : नंदी पूजा के दौरान कौन-कौन से मंत्र पठित किए जाते हैं?Which mantras are recited during Nandi Puja?

नंदी पूजा के दौरान कुछ प्रमुख मंत्र पठित किए जाते हैं, जैसे "ॐ नमः शिवाय" और "ॐ नंदिकेश्वराय नमः" आदि। यह मंत्र शिव की प्रार्थना और आराधना के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

प्रश्न :नंदी के प्रतीक के रूप में किस धार्मिक स्थल पर प्रयोग किया जाता हैं?In which religious place is the symbol of Nandi used?

नंदी को भारतीय धार्मिक स्थलों में प्रमुखतः शिव मंदिरों में प्रयोग किया जाता हैं। उन्हें शिवालयों के बाहर या गर्भगृह में स्थापित किया जाता हैं और उनकी पूजा और आराधना की जाती हैं।   

प्रश्न : नंदी की उपस्थिति के कुछ प्रमुख लाभ क्या हैं?What are some of the major benefits of the presence of Nandi?

    नंदी की उपस्थिति से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:

    शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
    मन की शांति और स्थिरता मिलती हैं।
    आध्यात्मिक उन्नति होती हैं और ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती हैं।
    भक्ति और प्रेम की भावना में वृद्धि होती हैं।
    दुःखों और आपदाओं का निवारण होता हैं और समस्त संकटों से मुक्ति मिलती हैं।

 
 
 

 

 


 
 

 

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