Sri Mahalakshmi Stotram:श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित


श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram)एक प्राचीन वेदिक मंत्र है जो धन, समृद्धि और सौभाग्य को आकर्षित करने के लिए प्रसिद्ध है। यह मंत्र विशेष रूप से धन और सौभाग्य के स्रोत के रूप में प्रसिद्ध है। इस मंत्र के पाठ से व्यक्ति को संतोष, सफलता, और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) के मंत्रों में विशेष शक्ति होती है जो धन की प्राप्ति में मदद करती है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति का जीवन समृद्धि से भर जाता है और उन्हें सौभाग्य से आशीर्वाद मिलता है।

यह मंत्र वेदों में महत्त्वपूर्ण माना जाता है और इसे सम्पूर्णतः वैदिक शास्त्रों में विस्तार से वर्णित किया गया है। इस मंत्र का उच्चारण ध्यान और श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए। श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का महत्त्व व्यक्ति के मानसिक तथा आर्थिक विकास में होता है। इस मंत्र के जाप से मनुष्य की आत्मा में शांति, सकारात्मकता, और सफलता की भावना उत्पन्न होती है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) के जाप से मानव अपने जीवन में धन, समृद्धि, और सौभाग्य के साथ खुशहाली प्राप्त कर सकता है। यह मंत्र ध्यान और साधना के माध्यम से पाठ किया जाता है ताकि इसका पूरा फायदा हो सके।

इस प्राचीन मंत्र का महत्त्व बहुत अधिक है और यह धन, समृद्धि, और सौभाग्य के साथ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्र एक ऐसा स्रोत है जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति में सहायता करता है।

श्रीत्यागराजस्वामी ने इस स्तोत्र में महालक्ष्मी के गुणों, महत्त्व, और महात्म्य को व्यक्त किया है। इस स्तोत्र में महालक्ष्मी की महिमा और उनके पूजन से जुड़े महत्त्वपूर्ण मंत्रों का वर्णन किया गया है।

Sri Mahalakshmi Stotram Devotional Image


श्रीमहालक्ष्मस्तोत्रम का महत्व (The Importance Of Sri Mahalakshmi Stotram)

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का महत्त्व अत्यंत उच्च है। यह मंत्र धन, समृद्धि और सौभाग्य को आकर्षित करने में मदद करता है। इसका जाप करने से व्यक्ति की आत्मा में सकारात्मक बदलाव होता है और उन्हें सात्विकता की ऊर्जा से भर देता है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का पाठ करने से धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और उन्हें समृद्धि की ओर ले जाते हैं।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का उच्चारण ध्यान और विश्वास के साथ किया जाना चाहिए। इसके माध्यम से व्यक्ति का मानसिक और आर्थिक विकास होता है और उन्हें धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का पाठ करने से व्यक्ति का चित्त शांत होता है और उन्हें आनंदमय जीवन जीने में सहायता मिलती है। यह मंत्र व्यक्ति को सकारात्मक बनाता है और उन्हें समृद्धि और सौभाग्य की ओर ले जाता है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् का इतिहास (History of Srimahalakshmistotram)

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) एक ऐसा महान मंत्र है जो भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस मंत्र का विचार प्राचीन वेदों से आता है, जो भारतीय संस्कृति के आधार के रूप में जाना जाता है। इसका प्राचीनतम स्रोत ऋग्वेद में पाया जाता है, जो कि भारतीय धार्मिक ग्रंथों में सर्वप्रथम और प्राचीनतम है। 

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का उल्लेख वेदों में मिलता है, जो समृद्धि, धन, और सौभाग्य के स्रोत के रूप में माना जाता है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। ऋषियों ने इस मंत्र का जाप करके समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए सलाह दी है। 

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का विचार अनगिनत वर्षों से चला आ रहा है और यह वेदों में महत्त्वपूर्ण रूप से उल्लेखित है। इस मंत्र का अध्ययन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि की ओर एक प्राकृतिक प्रवृत्ति आती है। भारतीय संस्कृति में इस मंत्र को अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना गया है और इसे संस्कृति के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के रूप में समझा गया है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् पाठ की विधि (Method of reciting Srimahalakshmistotram)

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का पाठ करने के लिए विशेष मान्यताएं और विधि होती हैं। इस मंत्र को सही तरीके से पाठ करने के लिए ध्यान, शुद्धता, और आदर्श परम्परा की आवश्यकता होती है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का पाठ विधिवत और समर्पित तरीके से किया जाना चाहिए। इसे नियमितता से, प्रतिदिन एक निश्चित समय पर, एकाग्रता के साथ करना चाहिए। पाठ करते समय व्यक्ति को शांति और स्थिरता का अनुभव करना चाहिए।

इस मंत्र का पाठ करते समय व्यक्ति को ध्यान में रहना चाहिए। मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखते हुए इस मंत्र का पाठ करना चाहिए। यह मंत्र ध्यान को बढ़ाने में सहायक होता है और चित्त को शांति प्रदान करता है।

इसे पाठ करने से पहले, शुद्धता बनाए रखने के लिए व्यक्ति को स्नान आदि शुद्धि के अनुष्ठान करने चाहिए। ध्यान और विश्वास के साथ मंत्र को स्पष्टता से उच्चारण करना चाहिए।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) का पाठ करने से पहले व्यक्ति को मन्त्र का अर्थ समझना चाहिए ताकि वह इसे भावपूर्वक और सही ढंग से पाठ कर सके। इसे निरंतरता से और सम्मानपूर्वक पाठ करना चाहिए ताकि इसके प्रति अनुभव और समर्पण की भावना बनी रहे।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् पाठ का लाभ  Benefits of Srimahalakshmistotram


श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) के पाठ से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह मंत्र धन, समृद्धि, और सौभाग्य को प्राप्ति में सहायता करता है और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) के जाप से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होती है। धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है और वह अपने जीवन में स्थिरता और समृद्धि का अनुभव करते हैं।

इस मंत्र के पाठ से व्यक्ति का मानसिक संतुलन बना रहता है और उन्हें सकारात्मकता का अनुभव होता है। व्यक्ति की सोच में परिवर्तन आता है और उन्हें आत्मविश्वास मिलता है।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram) के जाप से व्यक्ति का जीवन सुखमय बनता है। उन्हें आनंदमय और सकारात्मक जीवन जीने की भावना होती है और वे अपने परिवार और समाज में सक्रियता दिखाते हैं।

श्रीमहालक्ष्मीस्तोश्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् (Sri Mahalakshmi Stotram)त्र का प्रभाव व्यक्ति को धन, समृद्धि और सौभाग्य के साथ जीवन को आर्थिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्धि प्रदान करता है। इसके पाठ से उनकी उत्साहपूर्ण और सकारात्मक भावनाएं बढ़ती हैं और वे अपने जीवन में समृद्धि का अनुभव करते हैं।

Sri Mahalakshmi Stotram:श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित 

ॐ श्रीरामजयम् ।

ॐ सद्गुरुश्रीत्यागराजस्वामिने नमो नमः ।
ॐ श्रीरूपायैच विद्महे । शुभदायैच धीमहि ।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥

ओम्, श्रीराम की जय। ओम्, सदगुरु श्री त्यागराज स्वामी को नमस्कार। ओम्, हम श्रीरूपा को पहचानते हैं, शुभदायिनी को ध्यान में लाते हैं। हमारी लक्ष्मी को प्रेरित करो।

श्रींबीजपूजिते देवि हरिवक्षस्थलालये ।
सर्वसौमङ्गलाधात्रि महालक्ष्मि नमोस्तु ते ॥ १॥

हे देवी! जिनका बीज जप किया गया है और जो हरिके वृक्ष के पास स्थित हैं, वह सब सौम्य और महालक्ष्मी, हम नमन करते हैं।

विद्यालक्ष्मि सुधासारे ज्ञानलक्ष्मि वसुप्रदे ।
भद्रे लक्ष्मि नमस्तुभ्यं मोक्षलक्ष्मि प्रसीद मे ॥ २॥

विद्यालक्ष्मी, सुधा के सारे, ज्ञानलक्ष्मी, धन का प्रदाता, भद्रा लक्ष्मी, हमारा नमस्कार, मोक्षलक्ष्मी, मुझे कृपा करो।

सर्वलक्षणलक्षण्ये सौमङ्गल्यसुविग्रहे ।
स्वस्तिवाक् श्रीः शुचीरूपे शान्तिरूपे सुखास्पदे ॥ ३॥

इस वाक्य में कहा गया है कि माँ लक्ष्मी सभी गुणों की संक्षिप्त रूपता में समृद्धि का अद्भुत साधन हैं। उनकी वाणी शुभ और शुद्ध रूप में है, वह शांति और सुख का स्वरूप है।

अष्टैश्वर्यप्रदे लक्ष्मि अष्टलक्ष्मि सुपूजिते ।
नित्यैश्वर्यवरे लक्ष्मि नित्यानन्दस्वरूपिणि ॥ ४॥

इस वाक्य में कहा गया है कि माँ लक्ष्मी अष्ट लक्ष्मियों की प्रदान करने वाली हैं और उन्हें समर्पित की गई पूजा की जाती है। वह हमेशा ऐश्वर्यवान हैं और नित्य आनंद के स्वरूप में हैं।

धनधान्यसुसन्तानधैर्यसौन्दर्यरूपिणि ।
तनुरारोग्यसौभाग्यसानन्दसिद्धिदायिनि ॥ ५॥

इस वाक्य में कहा गया है कि माँ लक्ष्मी धन, धान्य, सुसंतान, धैर्य और सौन्दर्य के रूप में हैं। उनका आरोग्य, सौभाग्य, आनंद और सिद्धि का दाता होने का भी वर्णन किया गया है।

उषोरागजये लक्ष्मि उषोगानप्रसादिनि ।
सन्ध्यासुरागसङ्गीते सन्ध्यादीपप्रकाशिनि ॥ ६॥

इस वाक्य में कहा गया है कि माँ लक्ष्मी सूर्योदय की जीत, सूर्योदय के गानों की अनुग्रहणी, संध्या के राग और संगीत में विलीन होने वाली हैं, जो संध्या के दीप की प्रकाशिता करती हैं।

गीतवाद्यप्रिये लक्ष्मि गतकर्मजसत्पदे ।
ओङ्कारसदनेमातः कुरुदृष्टिप्रसादनम् ॥ ७॥


इस वाक्य में कहा गया है कि माँ लक्ष्मी गायन और वाद्य रूपी कर्मों में प्रिय हैं और वे कर्मों की सदन हैं। ओंकार की माता, कृपा करके हमारी दृष्टि को प्रसन्न करें।

नादोंकार स्वरूपे श्री नाद स्वर सालय में।
नाद स्वर माधुर्य से नादांत प्रशमालय में।

इस वाक्य में कहा गया है कि मां लक्ष्मी नाद और ओंकार के स्वरूप में हैं, जो संगीत के आलय में हैं। उनकी स्वर में मधुरता से परिपूर्ण होने से मन की शांति होती है।

मनःस्फूर्तिकरे लक्ष्मि मनःसारसवासिनि।
मनःपुष्पार्चितेमातर् मनोमयमदम्बिके।

इस वाक्य में कहा गया है कि मां लक्ष्मी मन को उत्तेजना देने वाली हैं, मन के आलोक में वास करने वाली हैं। माता, आपको मन के पुष्प से पूजा जाता है, जो मन से भरा हुआ है, आप हमेशा मनोमय और मदम्बिका के स्वरूप में हैं।

आदिलक्ष्मि मदम्ब त्वं रक्ष मां कुरु त्वत्कृपाम्।
आधिव्याध्यार्तिपङ्काद्विमोचनं कुरु शाश्वतम्।

इस वाक्य में कहा गया है कि माँ आदिलक्ष्मी, हे मदम्बा, आप मुझे रक्षा करें और अपनी कृपा से मेरे ऊपर अनुग्रह करें। हे शाश्वत माँ, कृपया मुझे सदैव आपके विमोचन से अधिव्याधि और आर्तिक पङ्क से मुक्ति प्रदान करें।

पङ्केरुहविशालाक्षि कटाक्षेण विमोचय।
सदा मां पातु मालक्ष्मि सदा तिष्ठ मया सह।

इस वाक्य में कहा गया है कि माँ माल्लक्ष्मी, आप अपने विशाल नेत्रों से कटाक्ष करके मुझे मुक्ति दें। हे मां, कृपया हमेशा मुझे पालना करें, हमेशा मेरे साथ रहें।

जन्ममृत्युजरातापजालाद्विमोचनं कुरु।
कुरु मेत्वयि लीनं श्रीः कुरु जन्मनिवारणम्।

इस वाक्य में कहा गया है कि हे माँ लक्ष्मी, कृपया जन्म, मृत्यु, जरा और दुःख के जाल से मुक्ति प्रदान करें। मुझे आपमें लीन करें, हे श्री, मेरे जन्म के विघ्न को दूर करें।

इह सौख्ये, सुमाङ्गल्ये, परमोक्ष प्रदायिनि।
श्रीमन्नारायणानंदे, लक्ष्मी तुभ्यं नमो नमः।"

इस वाक्य में कहा गया है कि हे माँ लक्ष्मी, आप सुख, मंगल और मोक्ष की प्रदानकर्ता हैं। आपको मेरी श्रद्धापूर्वक नमस्कार है।

मंगलं श्रीमहालक्ष्म्यै, शुभलक्ष्म्यै, सुमंगलम्।
मंगलं मंगलाङ्कायै, मात्रे नित्यं सुमंगलम्।"

इस वाक्य में कहा गया है कि माँ लक्ष्मी, शुभ और मंगल की प्रतिष्ठा हैं। वह सदैव मंगलमय हैं।

त्यागराज गुरु स्वामि शिष्या पुष्पाकृत स्तुतिः।
महालक्ष्मी बहुप्रीता, सुमाङ्गल्या शुभप्रदा।

इस वाक्य में कहा गया है कि गुरु त्यागराज और उनके शिष्य ने एक फूल की तरह स्तुति की है। महालक्ष्मी बहुत प्रसन्न हैं और सुख-मंगल प्रदान करती हैं।

इति सदगुरु श्रीत्यागराजस्वामिनः शिष्यया भक्तया पुष्पया कृतं।
श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रं गुरौ समर्पितम्।


इस वाक्य में कहा गया है कि इस श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्र को सदगुरु श्रीत्यागराजस्वामिन के शिष्य भक्ति भाव से एक फूल के रूप में समर्पित किया गया है।

ॐ शुभमस्तु ।

पूछे जाने वाले प्रश्न

1. श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?

इस मंत्र का जाप सुबह या शाम के समय पवित्रता के साथ किया जा सकता है।

2. क्या इस मंत्र का जाप किसी भी भाषा में किया जा सकता है?

हाँ, श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्र किसी भी भाषा में पढ़ा जा सकता है।

3. क्या यह मंत्र सिर्फ पैसों के लिए है?

नहीं, यह मंत्र समृद्धि, सौभाग्य और स्थिरता के लिए भी प्रसिद्ध है।

4. क्या यह मंत्र सीधे धन प्राप्ति में मदद करता है?

श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्र मानसिक शक्ति को बढ़ाकर धन प्राप्ति में सहायक होता है।

5. क्या यह मंत्र किसी के लिए उपयोगी है?

जी हां, यह मंत्र किसी के भी जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद कर सकता है।

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