सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम्
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् ।
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे ।
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति
सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्री सोमनाथ, श्रीशैल पर श्री मल्लिकार्जुन, उज्जयिनी में श्री महाकाल, ओंकारेश्वर में अमलेश्वर (अमरेश्वर), परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्री भीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर,हिमालय पर श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्री घृष्णेश्वर। जो मनुष्य प्रतिदिन, प्रातःकाल और संध्या समय,इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है,उसके सात जन्मों के पाप इन लिंगों के स्मरण-मात्र से मिट जाते है।ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के मशहूर तीर्थस्थानों में से एक है यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की पूजा के लिए प्रसिद्ध है । यहां पर हम आपको ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में में बताएंगे।
Omkareshwar Jyotirling ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग मैं Shree Omkareshwar Jyotirling श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग चौथे नम्बर पे आता है ,यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के मध्य में है।
यहाँ पर नर्मदा नदी दो भागों में बंट कर शिवपूरी नामक द्वीप का निर्माण करता है जो की ४ किलोमीटर लम्बा और २ किलोमीटर चौड़ा इस द्वीप का आकर ॐ जैसा दीखता है, इसलिए इसे ओम्कारेश्वर नाम दिया गया है। यहाँ ओंकारेश्वर और अमलेश्वर नामक दो अलग अलग लिंग है परन्तु दोनों एक ही ज्योतिर्लिंग के दो स्वरूप माने गए है। यह मंदिर भारत में सबसे पुराने और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
इस मंदिर का निर्माण मध्य प्रदेश के राजा परमार भीमदेव ने करवाया था। यह मंदिर मुख्य रूप से हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थल होने के साथ-साथ आर्किटेक्चरल एवं इतिहास के प्रति भी महत्वपूर्ण है।
ओंकारेश्वर मंदिर के अंदर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है जिसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर नर्मदा घाट के बारे में भी जाना जाता है और वहां से प्राप्त जल को पवित्र माना जाता है।
इसे भी पढ़े-देवी मंत्र अर्थ सहित
ओंकारेश्वर मंदिर का मुख्य गोपुरम बहुत ही ऊँचा होता है और इसके आसपास अनेक छोटे-छोटे मंदिर भी होते हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार किया गया है जिसमें संगमरमर का प्रयोग किया गया है। मंदिर में दीप्ताराय या दीपस्तंभ के रूप में जाना जाता है जो दर्शकों को रोशनी देता है।
इस मंदिर में एक अलग ही महत्त्वपूर्ण स्थान है जो ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ है वह है श्री विवेकानंद स्मारक भवन। यह स्मारक भवन भारतीय धर्म और संस्कृति के प्रति आदर जताने के लिए बनाया गया है।
इसके अलावा, ओंकारेश्वर मंदिर में नर्मदा घाट पर भी जाना जाता है जहां लोग नर्मदा जल से नहाकर शुद्धि प्राप्त करते हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर पूरे वर्ष दर्शनीय स्थल होता है और महाशिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर लोग यहां दर्शनार्थी आते हैं।
Omkareshwar Jyotirling ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
शिवे पुराण मैं बर्णित कथा के अनुशार एक बार देवऋषि नारद जी विंध्याचल पर्वत के पास पहुंचे।विंध्याचल ने उनका काफी मान सम्मान किया और घमंड से कहा की की मेरे पास सबकुछ है किसी चीज़ की कमी नहीं है।
तो मुझे बुद्धि प्रदान करें जो अपने कार्य को सिद्ध करने वाले हो। तब शिव जी ने कहा कि मैं तुम्हे वर देता हूँ कि तुम जिस प्रकार का भी कार्य करना चाहते हो वह सिद्ध हो। ये सुन आकाश से पूष्प वर्षा होने लगा ,और देवता और ऋषि प्रकट हुए और उन्होंने भगवन का पूजन किया तद्पश्चात उन्होंने भगवान् से अनुरोध किया की प्रभु आप यहाँ स्थिर रूप से निवास करे । देवताओ और ऋषियों की ये बात सुन कर परमेश्वर शिव अत्यंत प्रसन्न हुए ,और लोको को सुख देने के लिए वैसा ही किया वहां जो एक ही ओंकारलिंग था वो दो भाग मैं विभाजित हो गया ।
ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar temple )
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर विश्वकर्मा कला के अद्वितीय शैली में बना हुआ है। इस मंदिर का निर्माण मध्य प्रदेश के प्रमुख शिव भक्त राजा भोज ने करवाया था। मंदिर का निर्माण नर्मदा और सौराष्ट्र के शिल्पकलाकारों द्वारा किया गया था।
मंदिर का मुख्य गोपुरम शैलेंद्र शैली में बना हुआ है। इसमें एक बड़ा त्रिकोणीय शिखर होता है जो सोने से ढका हुआ होता है। मंदिर के बाहर दो छोटे गोपुरम भी हैं जो शैलेंद्र शैली में बने हुए हैं।
मंदिर के अंदर दो मुख्य मंडप होते हैं - जगमोहन मंडप और आदित्य मंडप। जगमोहन मंडप में शिवलिंग होता है जो नर्मदा की उत्तर ध्रुव में स्थित है। आदित्य मंडप में नौ दिशाओं की एकता को दर्शाने वाली दिशा देवी की मूर्ति होती है।
मंदिर के अंदर विशेष रूप से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें धार्मिक उत्सव, पूजा-अर्चना आदि शामिल होते हैं।इस मंदिर का निर्माण मध्य प्रदेश के प्रमुख शिव भक्त राजा भोज द्वारा करवाया गया था। मंदिर का निर्माण नर्मदा और सौराष्ट्र के शिल्पकलाकारों द्वारा किया गया था।ओंकारेश्वर मंदिर एक अत्यंत सुंदर और विशाल मंदिर है। इसका मुख्य गोपुरम शैलेंद्र शैली में बना हुआ है। इसमें एक बड़ा त्रिकोणीय शिखर होता है जो सोने से ढका हुआ होता है। मंदिर के बाहर दो छोटे गोपुरम भी हैं जो शैलेंद्र शैली में बने हुए हैं।
मंदिर के अंदर दो मुख्य मंडप होते हैं - जगमोहन मंडप और आदित्य मंडप। जगमोहन मंडप में शिवलिंग होता है जो नर्मदा की उत्तर ध्रुव में स्थित है। आदित्य मंडप में नौ दिशाओं की एकता को दर्शाने वाली दिशा देवी की मूर्ति होती है। ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण संगमरमर, ग्रेनाइट, चित्रपट, पत्थर और सोने से किया गया है। मंदिर के भीतर अनेक शिवलिंग हैं जिन्हें दर्शन किया जा सकता है। इसके अलावा, मंदिर में कई अन्य मूर्तियां भी हैं जो धार्मिक महत्व रखती हैं। मंदिर का आकर्षण स्थान है जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को खींचता है।
ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण १२ वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर के निर्माण के बाद, इसे विभिन्न समयों में कई बार नवीनीकृत किया गया है। मंदिर की वर्तमान रूपरेखा नवीनीकरण के दौरान १८वीं शताब्दी में बनाई गई थी। इस मंदिर के पास बहुत सारे इतिहास के साक्ष्य हैं जो इसे एक ऐतिहासिक स्थल बनाते हैं।
इस मंदिर का नाम "ओंकारेश्वर" उस शिवलिंग के नाम से दिया गया है जो इस मंदिर के अंतर्गत स्थापित है। इस शिवलिंग की गुणवत्ता और उसके धार्मिक महत्व के कारण, इस मंदिर को भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास(History of Omkareshwar Jyotirlinga)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। महाभारत में इस स्थान को विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है। इस स्थान पर निर्मित ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण मालवा संस्कृति के दौरान हुआ था।
ज्योतिर्लिंग के बारे में धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, देवों और राक्षसों के मध्य हुए संग्राम के दौरान एक भयानक विषाद की स्थिति हुई थी। इस संग्राम में ब्रह्मा और विष्णु भी शामिल थे। इस संघर्ष के दौरान, एक असंख्य शिवलिंगों का निर्माण हुआ था। एक दिन, एक अद्भुत प्रकाश सब कुछ दिखाई देने लगा जो संग्राम को समाप्त कर दिया था। इस प्रकाश के रूप में शिवलिंगों में से एक महत्त्वपूर्ण था जो ओंकारेश्वर के रूप में जाना जाता है।
इस स्थान पर निर्मित मंदिर का निर्माण मालवा संस्कृति के दौरान हुआ था। मालवा संस्कृति के अंतर्गत, मध्य प्रदेश में अनेक तीर्थ स्थल हैं जिनमें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी शामिल है
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर का निर्माण मालवा संस्कृति के समय में हुआ था जो कि मध्य प्रदेश के शाहदोल जिले में स्थित है।
इस मंदिर में शिवलिंग के अलावा भगवान गणेश, माँ पार्वती और भैरव की मूर्तियां भी हैं। यह मंदिर अपनी अनोखी वास्तुशिल्प के लिए भी जाना जाता है।
इस मंदिर में दो मुख्य द्वार हैं जिनमें से एक भवन के पूर्व में स्थित है। इस मंदिर के द्वारों के ऊपर सोने का काफिला लगा हुआ है जो मंदिर के आकर्षण का एक महत्वपूर्ण अंग है।
इस मंदिर में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को श्रद्धालु बहुत ही आसानी से दर्शन कर सकते हैं। मंदिर में दीपाराधना के लिए एक विशेष कमरा भी है जहां पर श्रद्धालु दीप जलाते हैं।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को देखने के लिए बेहद कम समय लगता है और इसे दर्शने से मन को शांति और सुख मिलता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व(he significance of Omkareshwar Jyotirlinga)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को भारत में महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। इसका महत्व भगवान शिव की महिमा और उनके तांडव नृत्य के सम्बन्ध में है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में उपस्थित शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है जो पूजनीय होता है। इसके अलावा इस स्थान का महत्व अधिक होता है क्योंकि इस ज्योतिर्लिंग को दर्शन करने से भगवान शिव के श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं।
इसके अलावा, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को मध्य प्रदेश और भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है जो लोगों के आत्मिक और मानसिक विकास के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व भारतीय इतिहास में भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस स्थान पर महाकाली उत्सव आयोजित किया जाता है जो भारत के विभिन्न हिस्सों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष महत्व रखता है।
इसके साथ ही, इस स्थान का महत्व भी है क्योंकि यह भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा है। इस स्थान की विशेषता इसमें है कि यह प्राकृतिक रूप से बहुत खूबसूरत है और इसे सुंदरता का एक अद्भुत नमूना माना जाता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को भी भगवान शिव की कृपा का प्रतीक माना जाता है और उसके श्रद्धालु इस जगह पर शिव की विशेष वंदना करते हैं। इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने से श्रद्धालुओं की आत्मा शुद्ध होती है और उन्हें एक शांतिपूर्ण अनुभव मिलता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि(Pooja Vidhi (ritual) of Omkareshwar Jyotirlinga)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को पूजने के लिए निम्नलिखित पूजा विधि का पालन किया जाता है:
👉 सबसे पहले आपको एक शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए और उसके बाद अपने अंगों को साफ़ कर लेना चाहिए।
👉 फिर आपको शिवलिंग के सामने बैठकर उसे साफ करना होगा। इसके लिए, आप शिवलिंग को गंगाजल से साफ कर सकते हैं।
👉 अब शिवलिंग पर अपने दोनों हाथ रखें और शिवलिंग को ध्यान से देखें। इसके बाद अपने मन में भगवान शिव के लिए विनती करें।
👉 अब शिवलिंग पर धूप और दीप जलाएं। धूप को दिखते हुए शिवलिंग के आसपास घुमाएं और दीपक को शिवलिंग के सामने जलाएं।
👉 फिर शिवलिंग को अभिवादन करें और मंत्रों का जाप करें। शिवलिंग के सामने बैठे और उसे देखते हुए शिवमंत्र का जाप करें।
👉 अंत में, शिवलिंग को पुष्प चढ़ाएं। पुष्प चढ़ाते समय शिवमंत्र बोलते रहें और फिर अपनी पूजा समाप्त करें।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा मंत्र और इसका महत्व(Pooja mantra and significance of Omkareshwar Jyotirlinga)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा मंत्राएं इस प्रकार हैं:
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पूजा मंत्र: "ॐ नमः शिवाय" या "ऊँ ओंकारेश्वराय नमः"
इन मंत्रों का जाप करने से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के श्रद्धालुओं को शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह मंत्र शिव जी को समर्पित हैं जो इस लिंग का स्थान हैं। इसके अलावा, शिव जी के नामों का जाप करना भी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा में उपयोगी होता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के मंत्रों का जाप करने से मन को शांति और सुख मिलता है और व्यक्ति शिव जी के करुणा और अनुग्रह से आशीर्वाद प्राप्त करता है।
इसके अलावा, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से मन को शुद्ध करने के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में भी मदद मिलती है। शिव जी के आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि, सफलता, खुशी, और शांति का आनंद मिलता है।
ओंकारेश्वर मंदिर कैसे जाये (How to reach Omkareshwar Temple)
ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह मंदिर खंडवा शहर से लगभग 77 किलोमीटर दूर स्थित है।
जब आप खंडवा शहर से निकलेंगे, तो आपको नेमावर से गुजरना होगा। नेमावर से मंदिर लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां से आप ऑटो रिक्शा या बस का इस्तेमाल करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
यदि आप रेल यात्रा पसंद करते हैं, तो आप भोपाल, इंदौर, नागड़, और उज्जैन जैसे मुख्य शहरों से खंडवा जंक्शन रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं। मंदिर खंडवा रेलवे स्टेशन से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहां से टैक्सी या बस का इस्तेमाल करके मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
यदि आप वाहन से यात्रा करना पसंद करते हैं, तो आप नवीन दिल्ली, मुंबई और भोपाल जैसे मुख्य शहरों से खंडवा तक बस या टैक्सी का इस्तेमाल करके पहुंच सकते हैं।
मध्य प्रदेश के प्रमुख जिलों से मंदिर तक पहुँचने के तरीके और दूरी
ओंकारेश्वर मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। निम्नलिखित प्रमुख जिलों से मंदिर तक पहुँचने के तरीके और दूरी निर्देश निम्नलिखित हैं:
इंदौर से ओंकारेश्वर मंदिर की दूरी ( Indore to Omkareshwar Temple )करीब 77 किलोमीटर है। इंदौर से टैक्सी या बस सेवा उपलब्ध है जो आपको मंदिर तक ले जाएगी।
उज्जैन से ओंकारेश्वर मंदिर( Ujjain to Omkareshwar Temple) की दूरी करीब 133 किलोमीटर है। उज्जैन से आप टैक्सी या बस सेवा का उपयोग कर सकते हैं।
भोपाल से ओंकारेश्वर(Bhopal to Omkareshwar Temple) मंदिर की दूरी करीब 266 किलोमीटर है। भोपाल से टैक्सी, बस या रेलवे सेवा का उपयोग कर सकते हैं।
जबलपुर से ओंकारेश्वर (Jabalpur to Omkareshwar.)मंदिर की दूरी करीब 259 किलोमीटर है। जबलपुर से आप बस या टैक्सी सेवा का उपयोग कर सकते हैं।
ग्वालियर से ओंकारेश्वर(Gwalior to Omkareshwar.) मंदिर की दूरी करीब 558 किलोमीटर है। ग्वालियर से आप बस, टैक्सी या रेलवे सेवा का उपयोग कर सकते हैं।
भारत के अन्य जगह से ओंकारेश्वर मंदिर कैसे जाये
दिल्ली से ओंकारेश्वर मंदिर (Delhi to Omkareshwar)
दिल्ली से ओंकारेश्वर मंदिर जाने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:
- हवाई मार्ग: दिल्ली से देवी आहिल्या बाई होल्कर एयरपोर्ट, इंदौर या देवी अहिल्या बाई होल्कर एयरपोर्ट, भोपाल तक उड़ानें होती हैं। उन्हें बुक करने के लिए आपको ऑनलाइन या ट्रेवल एजेंट से संपर्क करना होगा। दोनों एयरपोर्ट से ओंकारेश्वर मंदिर आसानी से उपलब्ध टैक्सी या बस सेवाएं हैं।
- रेल मार्ग: दिल्ली से जाने वाली ट्रेनों में से कई ट्रेनें इंदौर या भोपाल जाती हैं। उन्हें बुक करने के लिए आप रेलवे की वेबसाइट या ट्रेवल एजेंट से संपर्क कर सकते हैं। इंदौर या भोपाल रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी, बस या ट्रेन से ओंकारेश्वर मंदिर तक जा सकते हैं।
- सड़क मार्ग: दिल्ली से ओंकारेश्वर मंदिर के लिए आप अपनी कार, कैब या बस का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप दिल्ली से ओंकारेश्वर मंदिर के लिए NH44 का उपयोग कर सकते हैं
दिल्ली से ओंकारेश्वर मंदिर तक सीधे ट्रेन कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है। आप दिल्ली से बहुत से स्टेशनों से इंदौर जैसे कुछ मुख्य रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से जा सकते हैं और फिर वहां से बस या कार का इस्तेमाल करके ओंकारेश्वर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
कुछ ट्रेन जो इंदौर जाती हैं उनमें शामिल हैं:
न्यू दिल्ली - इंदौर एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 12416)हवड़ा - इंदौर एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 19314)
इंदौर राजेंद्र नगर एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 19322)
मुंबई से ओंकारेश्वर मंदिर(Mumbai to Omkareshwar)
मुंबई से ओंकारेश्वर मंदिर जाने के लिए, निकटतम रेलवे स्टेशन ओंकारेश्वर रोड है, जो मंदिर से लगभग 12 किलोमीटर दूर है।
मुंबई से ओंकारेश्वर मंदिर तक जाने के लिए कई ट्रेनें उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख ट्रेनों के नाम और समय निम्नलिखित हैं:
- कुवारता एक्सप्रेस (11057): मुंबई से जोधपुर के लिए रविवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को रवाना होती है। ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन पर यह ट्रेन रुकती है।
- जम्मू टवी एक्सप्रेस (11077): मुंबई से जम्मू तथा कश्मीर के लिए शनिवार और बुधवार को रवाना होती है। इस ट्रेन का भी ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन पर हाल्ट होता है।
- कर्नाटक संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (12629): मुंबई से बेंगलुरु के लिए सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को रवाना होती है। इस ट्रेन का भी ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन पर हाल्ट होता है।
पुणे से ओंकारेश्वर मंदिर (Pune to Omkareshwar)
पुणे से ओंकारेश्वर मंदिर जाने के लिए निम्नलिखित तरीके हैं:
वाहन से: पुणे से ओंकारेश्वर मंदिर की दूरी लगभग 270 किलोमीटर है जो आमतौर पर 5-6 घंटे लगते हैं। आप अपनी वाहन से यात्रा कर सकते हैं।
बस से: पुणे से ओंकारेश्वर मंदिर तक कई राज्य स्तरीय और स्थानीय बस सेवाएं उपलब्ध हैं। एक्सप्रेस बस सेवाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप स्थानीय बस स्टैंड से पूछ सकते हैं।
ट्रेन से: पुणे से नीचे दिए गए ट्रेनों के माध्यम से ओंकारेश्वर जा सकते हैं:
मुंबई से जोधपुर एक्सप्रेस (12995)दिनांक: अधिकतम समय
अवधि: 12 घंटे 15 मिनट
निकटतम स्टेशन: खंडवा जंक्शन (मंदिर से लगभग 70 किलोमीटर)
मुंबई से हरिद्वार एक्सप्रेस (19031)दिनांक: अधिकतम समय
अवधि: 13 घंटे 5 मिनट
निकटतम स्टेशन: खंडवा जंक्शन (मंदिर से लगभग 70 किलोमीटर)इन विकल्पों में से कोई भी चुन सकते हैं।
कोलकाता से ओंकारेश्वर मंदिर(Kolkata to Omkareshwar)
पहला विकल्प है रेल द्वारा जाना। कोलकाता से जबलपुर या इंदौर जाने वाली कोई भी ट्रेन ले सकते हैं और फिर जबलपुर या इंदौर से बस सेवाएं उपलब्ध हैं जो मंदिर तक जाती हैं।
दूसरा विकल्प है उड़ान से जाना। कोलकाता से इंदौर या भोपाल के निकटतम हवाई अड्डे हैं। वहां से आप बस या टैक्सी की सेवाओं का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
कोलकाता से जबलपुर जाने वाली ट्रेनों में शामिल हैं:
Howrah-Jabalpur Superfast Express
Shaktipunj Express
इन ट्रेनों के समय और उपलब्धता की जांच आप भारतीय रेलवे की वेबसाइट या एप्लिकेशन से कर सकते हैं।
चेन्नई से ओंकारेश्वर मंदिर(Chennai to Omkareshwar.)
हवाई जहाज़: चेन्नई से देवी आहिल्याबाई होल्कर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, इंदौर जाएं और फिर स्थानीय वाहनों का उपयोग करके ओंकारेश्वर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
रेलगाड़ी: चेन्नई से इंदौर के लिए कई ट्रेनें उपलब्ध हैं। इंदौर पहुंचने के बाद, आप स्थानीय ट्रांसपोर्ट या किराए की कार से ओंकारेश्वर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
बस: चेन्नई से इंदौर तक कई बस सेवाएं उपलब्ध हैं। इंदौर पहुंचने के बाद, आप स्थानीय ट्रांसपोर्ट या किराए की कार से ओंकारेश्वर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।ओंकारेश्वर मंदिर को जाने के लिए सर्वाधिक संभावित रूट है पहले चेन्नई से इंदौर के लिए ट्रेन से जाना और फिर इंदौर से मंदिर तक टैक्सी, बस या रेल गाड़ी का उपयोग करना।
Omkareshwar Jyotirling ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के अन्य पर्यटन स्थल
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग,के आस पास कई आकर्षक पर्यटन स्थल हैं।
- सिंहस्थ कुंभ मेला - ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग तीर्थ स्थल के रूप में बहुत प्रसिद्ध है जिसकी वजह से हर बार कुंभ मेले का आयोजन इस शहर में होता है।
- पंचमार्त्य स्थल - पंचमार्त्य स्थल, जो नर्मदा नदी के आसपास स्थित है, तीन महादेव मंदिरों, एक नवदुर्गा मंदिर और एक हनुमान मंदिर समेत चार प्रमुख स्थलों को शामिल करता है।
- महेश्वर घाट - महेश्वर घाट, नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और इसकी सुंदरता और परिसर की शांति के लिए जानी जाती है। यहां पर पर्यटकों को भव्य घाट, अनेक नदी सेतु और महेश्वर मंदिर भी देखने को मिलते हैं।
- उज्जैन - उज्जैन, मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में स्थित है, जो तीन सबसे प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थलों में से एक है। इसके अलावा, यह भारत की सबसे प्राचीन शहरों में से एक है जो नवीनीकृत रूप में विकसित हुआ है।
- मण्डू - यह एक प्राचीन शहर है जो मध्य प्रदेश में है। मण्डू के इतिहास, परंपराएं, विलक्षण संस्कृति और प्राचीन वास्तुकला को देखते हुए, यह पर्यटन स्थल अत्यंत दर्शनीय है।
- खजुराहो - खजुराहो के मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं। यहाँ के मंदिरों में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु और सूर्य देव की मूर्तियां भी हैं।
ओमकारेश्वर झील - यह झील ओंकारेश्वर मंदिर के पास स्थित है और यहाँ पर तीर्थयात्रियों को नाव से चढ़ाई करनी पड़ती है।
भेदाघाट - भेदाघाट एक प्राकृतिक खूबसूरत स्थल है जो नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। यहाँ पर तीर्थयात्रियों को चमत्कारी नजारों का आनंद लेने का मौका मिलता है।
खजुराहो टेंपल - यह एक प्रसिद्ध हिंदू धर्म का स्थल है जो विश्व धरोहर के रूप में माना जाता है। यह उत्तर प्रदेश में स्थित है।
सांची स्तूप - सांची मध्य प्रदेश में स्थित है और बौद्ध धर्म का महत्वपू
खंडवा - खंडवा मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित है और यह नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है और महाभारत के युद्धों के बीच लड़े गए एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में जाना जाता है।
Omkareshwar Jyotirling ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की के कुछ तथ्य
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्वपूर्ण दिन महाशिवरात्रि होता है।
मंदिर का निर्माण दो युगों में पूरा हुआ था - पहला युग राजा मंडलिक के समय में था और दूसरा युग स्कंद ने किया था।
ज्योतिर्लिंग का नाम 'ओंकारेश्वर' मान्यता से प्राप्त हुआ है कि यहां पर भगवान शिव ने अपने संकल्प से ओंकार के रूप में प्रकट हुए थे।
मंदिर के अंदर दो मुख्य श्राइन हैं - एक में ज्योतिर्लिंग है और दूसरे में माँ नर्मदा की मूर्ति है।
मंदिर के निकटतम बस अड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है।
मंदिर के निकट रेलवे स्टेशन उज्जैन जंक्शन है, जो भारत के महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक है।
इस ज्योतिर्लिंग का नाम संस्कृत शब्द "ओंकारेश्वर" से लिया गया है, जो ओंकार (ॐ) और ईश्वर (भगवान शिव) के संयोग से बना है।
इस ज्योतिर्लिंग को उज्जैन से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा नदी पर स्थित ओंकारेश्वर नगर के निकट स्थापित किया गया है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास दो प्रमुख मंदिर हैं - ममलेश्वर मंदिर और आमा खोह मंदिर।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को प्राचीन काल से ही महत्व दिया गया है। वेदों और पुराणों में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
इस मंदिर का नाम ओंकारेश्वर है, जो कि शिव के एक नाम से उत्पन्न हुआ है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को शिव का स्वयंभू मूर्ति माना जाता है।
इस मंदिर में दो ज्योतिर्लिंग होते हैं, जिन्हें अमरनाथ ज्योतिर्लिंग और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक यह है कि इसका स्थान नर्मदा नदी के उत्तरी किनारे पर है, जो शिव की अभिव्यक्ति में बहुत महत्वपूर्ण ह
,
इस ज्योतिर्लिंग का उल्लेख पहली बार स्कंद पुराण में किया गया था।