Untold Secrets Of Ramayana रामायण के अनकहे रहस्य

हम सभी ने कभी न कभी रामायण टीवी पर जरूर देखा है, रामायण हिन्दू धर्म का एक प्रमुख ग्रन्थ है, जिसमे मर्यादा पुरषोतम श्री राम के चरित्र के बारे में बताया गया है रामायण को मुख्या रूप से महृषि बाल्मीकि ने लिखा था, तथा बाद में श्री गोस्वामी तुलसी दास द्वारा १६वीं सदी में  इसे अवधी भाषा में लिखा गया जो रामचरित मानस कहलाया, कहा जाता है की भगवान राम ने खुद इसमें अपना हस्ताक्षर किया था तो आइये जानते है कुछ इस तरह के रामायण के अनकहे रहस्य (Untold Secrets Of Ramayana) जिसे बहुत कम लोगो को मालूम है

Untold Secrets Of Ramayana

Untold Secrets Of Ramayana रामायण के अनकहे रहस्य  

रामायण के अनकहे रहस्य Untold Secrets Of Ramayana क्रम में हम शुरुआत करते है इसके रचयता भगवान महर्षि बाल्मीकि से --

👉 महर्षि वाल्मीकि का मूल नाम रत्नाकर था ये ब्रह्मा जी का मानस पुत्र प्रचेता  के पुत्र थे जिसे एक भीलनी ने  अपहरण कर लिया था जिसके कारन भील समाज ने इसका लालन पालन किया था
 
👉 महर्षि बनने से पहले ये एक डाकू थे
 
👉 महर्षि वाल्मीकि से पहले हनुमान जी ने लिखा था रामायण हनुमान जी ने अपने नाखुनो से एक सिला में रामायण लिखा था  जब इस बात का पता महर्षि वाल्मीकि को पड़ा तो उन्होंने उसे जा कर देखा और फिर हनुमान जी से कहा की आपकी रचना के सामने मेरी लेखनी कुछ भी नहीं है ये सुन हनुमान जी ने सोचा की वाल्मीकि जी कवी है क्या हुआ अगर उनकी रचना मेरी रचना से सुन्दर नहीं है तो फिर भी उसमे भी तो मेरे प्रभु श्रीराम का ही तो गुणगान है तो इसलिए उन्होंने उस सिला को समुद्र फेक दिया
 
👉 वाल्मीकि रामयण में २४००० श्लोक है और हर १००० श्लोक में आने वाले पहले शव्द से गायत्री मन्त्र की रचना होतो है
 
👉 तुलसीदास द्वारा श्रीरामचरित मानस में वर्णन है कि भगवान श्रीराम ने सीता स्वयंवर में शिव धनुष को उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया, जबकि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में सीता स्वयंवर का वर्णन नहीं है। 
 
👉राम की एक बहन भी थी जिसका बनाम शांता था ये इन चारो से बड़ी थी
 
👉राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ती यज्ञ को करवाने वाले ऋषि का नाम श्रृंगि ऋषि था जो की शांता के पति थे
  
👉लक्ष्मण का एक नाम गुदाकेश  था
 
👉ऐसा माना जाता है की लक्ष्मण वनवास में १४ वर्ष नहीं सोये थे
 
👉-राम द्वारा तोड़े गए शिव धानुष का नाम पिनाका था
 
👉ब्रह्मचारी होने के बाद भी हनुमान जी का एक पुत्र था जिसका नाम मकरध्वज था -  कहानी इस प्रकार है की सीता खोज के समय हनुमान जे के शरीर से पशीने के एक बून्द समुद्र में गिरा जिसे एक मछली ने निगल लिया जिससे वो गर्ववती हो गई और उससे उसे एक पुत्र हुआ जिसका नाम मकरध्वज रखा गया
 
👉रावण द्वारा लिखा गया शिव तांडव अब तक का सबसे ज्यादा  गया हुआ मंत्र है -- 
     

                 शिव तांडव स्रोतम इस प्रकार है    

👉जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वय चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरीविलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावकेकिशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुरस्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदिक्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरेमनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखरप्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकश्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत् कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥९॥

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकंपुरान्तकंभवान्तकं मखान्तकंगजान्तकान्धकान्तकंतमन्तकान्तकंभजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गलध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर् गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥१२॥

कदानिलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरेवसन्विमुक्तदुर्मतिःसदाशिरःस्थमञ्जलिंवहन् ।
विमुक्तलोललोचनोललामभाललग्नकःशिवेतिमंत्रमुच्चरन्कदासुखीभवाम्यहम् ॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥१५॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥१६॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥
 
👉 रावण परम शिव भक्त थे
 
👉थार मरुस्थल रामायण काल में बना -कहा जाता है की जब काफी पूजा पाठ करने के बाद सागर ने भगवान राम को रास्ता नहीं दिया तब भगवन राम ने घुसे ग़ुस्से में आकर अपने तीर कमान उठा लिए और समुद्र को सुखाने के लिए चल पड़े तभी समुद्र देव प्रकट हुए और भगवान राम को कहने लगे की ये मेरी प्रकृति है मै रास्ता नहीं दे सकता हु लेकिन आपके लेकिन आपके वानर दाल में नल और निल नामक वानर है जो सुमद्र में सेतु बना सकते है इस उपाय के बाद भगवान राम ने कहा की मै तीर कमान पे चढ़ा चूका हु अब ये लौट नहीं सकते मै इसका किया करू तब समुद्र देव के कहने पे बहगवां राम ने अपने तीर को राजस्थान के थार में चला दिए जिस से वो स्थान मरुस्थल वन गया
 
👉रावण से पहले स्वर्ण नगरी लंका का राजा कुबेर था रावण ने कुबेर से लंका छिना था
 
👉 कुबेर रावण का सौतेला भाई था
 
👉 रावण और कुम्भकर्ण पूर्व जन्म में भगवान श्री हरी विष्णु का द्वारपाल था किसी श्राप के कारण उसे धरती पर जन्म लेना पड़ा
 
👉 हनुमान की माता अंजना इंद्रलोक की अप्सरा थी किसी श्राप के कारण उन्हें धरती पर जन्म लेना पड़ा
 
👉रावण पृथ्वी से स्वर्ग तक जाने का सीडी वनवाना चाहता था
 
👉 ये जानते हुए भी की राम भगवान विष्णु के अवतार है रावण ने उनसे युद्ध किया क्योकि वो राम के हाथ मिर्त्यु प्राप्त कर परमधाम को जाना चाहता था
 
👉लंका विजय के वाद विभीषण के कहने पर श्री राम ने अपने धनुष की मदद से रामसेतु को तीन जगहों से खंडित कर दिया था
 
👉हनुमान रूद्र का अवतार माने  जाते है
 
👉रामायण में वर्णित पक्षीराज जटायु और संपाती सूर्य के सारथि अरुण के पुत्र थे
 
👉ऋषि वाल्मीकि से पहले काकभुसुंडि ने पक्षीराज गरुड़ को रामयण सुना दिया था

 👉 सीता मिथिला की राजकुमारी थी जो आज कल नेपाल और बिहार में बता हुआ था
 
👉 राजा जनक को शिव धनुष परसुराम से प्राप्त हुआ था
 
👉वन गमन के समय श्री राम की उम्र २७ साल मणि जाती है
 
👉कहा जाता है की सीता हरण के समय ब्रह्मा जे के कहने पर इंद्रा ने सीता जी को खीर दिया था  जिसके कहने से भूख नहीं लगती थी
 
👉कहा जाता है की रावण को श्राप मिला था की अगर वह कोई स्त्री के पास बिना उसकी मर्जी का जायेगा तो उसके सर के सौ टुकड़े हो जायँगे
 
👉रावण ऋषि और दानवी का संतान था
 
👉रावण बहुत बड़ा विद्वान था उसके द्वारा रचित रावण सहिता में भविष्य की जानकरी मिलती है
 
👉रावण की पत्नी मंदोदरी और वानर राज वाली की पत्नी आपस में बहने थी
 
👉जटायु श्रीराम के पिता दशरथ के परम मित्र थे
 
👉गंगा को धरती पर श्री राम के पूर्वज भगीरथी ने ही लाया था
 
👉राम ने शबरी के जूठे बेर खाये थे इस पूर्ण कर्म के कारण अगले जन्म में शबरी  महत्मा विदुर की पत्नी के रूप में जन्म लिया और इस युग में भी उन्हें भगवान के सेवा करने का मौका मिला

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