Black Hole And its Mystery WITH Full Detail in hindi

ब्लैक होल(Black Hole) एक रहस्यमय स्थान है जिसमें गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी अधिक होती है कि ना कोई ऊर्जा और ना ही कोई वस्तु उससे बाहर निकल सकती है। इसके संबंध में वैज्ञानिक विभिन्न सिद्धांत विकसित कर रहे हैं, लेकिन इसकी संरचना और कार्यप्रणाली का सटीक ज्ञान अभी भी हमारे सामने नहीं है। इसलिए, ब्लैक होल(Black Hole) का रहस्य अभी भी बना हुआ है। यदि आप ब्लैक होल के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग में हम ब्लैक होल(Black Hole) के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देंगे।

 
 
Black Hole


ब्लैक होल और उसका रहस्य Black Hole And its Mystery

ब्लैक होल (black Hole) को हिंदी में कृष्ण विवर कहते है। साधारण भषा में अगर कहे तो ब्लैक होल अंतरिक्ष में एक ऐसी स्थान है जहां गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है की इसके चपेट में आने पर प्रकाश भी इस से बाहर नहीं निकल सकता है। चुकी ब्लैक होल (black Hole) प्रकाश को पूरी तरह से अवशोषित कर लेता है ,यानि के अपने अंदर खींच लेता है और बाहर नहीं आने देता है
 
Black Hole And its Mystery in hindi

 
इसलिए हम इसको देख नहीं सकते है हम इसे सिर्फ विशेष उपकरणों के सहायता से ही देख सकते है। अब सवाल ये उठता है की जब ब्लैक होल ब्लैक है, तो वैज्ञानिको ने इसका पता कैसे लगाया। तो इसका उत्तर ये है की वैज्ञानिक ब्लैक होल (black Hole) का पता लगाने के लिया इसके आस पास मौजूद तारो का विश्लेषण करते है, जब एक ब्लैक होल और एक तारा पास होते हैं, तो उच्च-ऊर्जा प्रकाश बनता है। इस तरह का प्रकाश मानव आंखों से नहीं देखा जा सकता है। उच्च-ऊर्जा प्रकाश को देखने के लिए वैज्ञानिक अंतरिक्ष में उपग्रहों और दूरबीनों का उपयोग करते हैं। इस तरह तारो का अध्ययन कर के पता लगया जाता है की आस पास कोई ब्लैक होल (black Hole) मौजूद है या नहीं ?

ब्लैक होल क्या है(What Is Black Hole)

ब्लैक होल एक अत्यंत गुरुत्वाकर्षी निश्चित स्थान होता है जहां गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी अधिक होती है कि इससे कोई भी ऊर्जा या वस्तु उससे बाहर नहीं निकल सकती है। इसके अंदर समय, दूरी, गुरुत्वाकर्षण और तरंगों के संघटन के कारण यह एक बहुत अलग दुनिया बन जाता है। ब्लैक होल का रूप एक अस्थायी घटना के बाद जब सुपरनोवा घटित होती है तो बनता है। जब सुपरनोवा घटित होती है तो तत्काल उसके बाद ब्लैक होल बनता है जो कि निश्चित स्थान होता है जहां गुरुत्वाकर्षण का बल इतना अधिक होता है कि वहां से बाहर निकलना संभव नहीं होता है। ब्लैक होल एक रहस्यमय संग्रह बना हुआ है जिसे वैज्ञानिकों द्वारा अभी तक अधिक समझा नहीं जा सका है।

What Is Black Hole

 

ब्लैक होल का अध्ययन वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें समझने के लिए उन्हें बहुत से नए तत्वों को समझना होता है जो विज्ञान की नवीनतम खोजों में से एक है। ब्लैक होल के अध्ययन से भविष्य में इंसान को अंतरिक्ष की भविष्य को समझने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, ब्लैक होल से जुड़े रहस्यों के समाधान से अनेक तकनीकी और वैज्ञानिक उपयोग भी निकल सकते हैं जैसे कि अंतरिक्ष यात्रा, सिग्नल और डाटा ट्रांसमिशन, सौर ऊर्जा, नई तकनीक आदि। इसलिए ब्लैक होल के बारे में जानकारी जुटाना वैज्ञानिक समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है तथा जनता को इसके बारे में जागरूक करने में भी मदद करता है।

ब्लैक होल की खोज किसने की थी(Who Discovered Black Hole)

ब्लैक होल की खोज समुद्री टेलीस्कोप के ज़रिए हुई थी, जो 1960 के दशक में स्थापित किया गया था। अमेरिकी फिजिशिस्ट जॉन वीलर और भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुभ्रमण्यन चंद्रशेखर ने ब्लैक होल की मौजूदगी को निश्चित करने में अहम भूमिका निभाई। सुभ्रमण्यन चंद्रशेखर का अध्ययन ब्लैक होल के स्थापना को समझने में मदद करता है। उन्होंने सिद्ध किया कि एक निर्दिष्ट आकार वाले सितारों की संकीर्णता ब्लैक होल के सामने नज़र आती है जिससे इन सितारों को अंतिम रूप तक समाप्त कर दिया जाता है। इससे पहले भी बहुत से वैज्ञानिक इस बारे में अपनी-अपनी रचनात्मक सिद्धियों को प्रस्तुत कर चुके थे।

Black Hole And its Mystery in hindi(ब्लैक होल और उसका रहस्य)


जॉन वीलर ने 1967 में एक अहम लेख लिखा, जिसमें उन्होंने ब्लैक होल के बारे में विस्तृत रूप से बताया। वह इस बात से संतुष्ट नहीं थे कि सितारों की आवृत्ति के अनुसार जो सितारे अधिक भारी होते हैं, उनकी चाल को संभवतः समझा जा सकता है। इससे उन्हें लगा कि इन सितारों की संकीर्णता ब्लैक होल के समान होगी। इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि जब एक सितारा ब्लैक होल के करीब आता है, तो इसके गुरुत्वाकर्षण के कारण सितारा के ऊपर लगातार दबाव बढ़ता है जो अंततः इसे अविश्वसनीय रूप से संकुचित कर देता है।


उन्होंने अपनी रचनात्मक सिद्धि को 1969 में केंद्रीय भौतिकी संस्थान (CERN) में हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पेश किया। यहां पर उन्हें सुभ्रमण्यन चंद्रशेखर से मुलाकात हुई जो ब्लैक होल के बारे में उन्हें और अधिक जानकारी देने के लिए प्रेरित किया।



Black Hole


ब्लैक होल कैसे बनते हैं?(How black Hole Form )

ब्लैक होल कैसे बनते हैं, इसके बारे में विभिन्न सिद्धांत हैं। एक सिद्धांत के अनुसार, ब्लैक होल का उत्पन्न होना एक सितारे के मृत्यु के कारण होता है। जब कोई सितारा अपने ऊर्जा के साथ खत्म होता है, तो उसकी भारी धारा अपने आसपास के सभी तत्वों को आकर्षित करना बंद कर देती है। इस तरह की अधिकतम आकर्षण शक्ति के कारण, सितारे की बाहरी कोशिकाओं को अपने अंदर खींच लिया जाता है, जो फिर अपने समान आकार के दूसरे तत्वों से जुड़ते हैं। यह जुड़ाव लगातार बढ़ता जाता है, जिससे एक बहुत बड़ी और भारी गुरुत्वाकर्षी केंद्र बनता है, जिसे हम ब्लैक होल कहते हैं।


दूसरा सिद्धांत बताता है कि ब्लैक होल का उत्पन्न होना एक सितारे के अस्तित्व के शुरुआती दौर में होता है। इस सिद्धांत के अनुसार, सितारे के जन्म के समय गैस और धूल के बादल इसके चारों ओर बहते हैं और इन बादलों का एक समूह एक बहुत बड़े गुच्छे के रूप में मिलता है। इस गुच्छे की भारी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण, गैस और धूल आकर्षित होते हैं और धीरे-धीरे एक बहुत बड़ी और भारी गुच्छा बनाते हैं।

 

Black Hole


इस गुच्छे के अंदर बादलों के भीतर गरमाहट उत्पन्न होती है, जो नाभि के करीब सबसे ज्यादा होती है। यह गरमाहट सबसे कम संभवतः समझदार उत्पादक तत्व होता है, जो एक छोटे से क्षेत्र में सबसे अधिक ढेर हो जाते हैं। जब यह ढेर एक निश्चित सीमा को पार करते हैं, तब इन तत्वों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी बढ़ जाती है कि नकारात्मक तत्व भी खींचे जाते हैं और एक ब्लैक होल उत्पन्न हो जाता है।
अधिकतर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, ब्लैक होल का उत्पन्न होना पहले सिद्धांत के अनुसार होता है। यह दृष्टिकोण आमतौर पर स्वीकार किया जाता है क्योंकि इसमें सितारों की उत्पत्ति के साथ संबंधित प्रमुख वैश्विक सिद्धांतों को समझाने में सक्षम है।

इसके अलावा, अन्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी हैं जो ब्लैक होल के उत्पन्न होने के बारे में सोचते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ वैज्ञानिक लोगों का मानना है कि दो बहुत भारी सितारे एक दूसरे से घिरकर एक बल उत्पन्न करते हैं जो एक ब्लैक होल के रूप में बदल जाता है। इसके अलावा, कुछ वैज्ञानिक लोग सोचते हैं कि ब्लैक होल शुरूआत में नहीं होते हैं, बल्कि धीरे-धीरे समय के साथ तत्वों को खींचते हुए उत्पन्न होते हैं।

BLACK HOLE


इन सभी दृष्टिकोणों को समझना वैज्ञानिक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्लैक होल के विस्तार को समझने और इसके विशिष्ट गुणों कोसमझने से वैज्ञानिक समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ब्लैक होल के विस्तार को समझने से हमें सूर्यमंडल के निर्माण से लेकर ग्रहों और सितारों की उत्पत्ति तक की प्रक्रिया समझने में मदद मिलती है।

ब्लैक होल के विशिष्ट गुणों को समझने से हमें अन्य निकटवर्ती सितारों के साथ इसकी गुणवत्ता और चलने का तरीका भी समझ में आता है। इसके अलावा, ब्लैक होल में गति, समय और स्थान के समझ में आने से हमें विशाल स्थान के विश्वास को भी अधिक सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

इसलिए, वैज्ञानिक समुदाय के लिए ब्लैक होल के उत्पन्न होने के विभिन्न सिद्धांतों को समझना और इसके विशिष्ट गुणों को अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है।

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ब्लैक होल के प्रकार (Type Of Black Hole )

ब्लैक होल चार प्रकार के होते है--

स्टेलर ब्लैक होल (Stellar Black Hole): 

स्टेलर ब्लैक होल एक ब्लैक होल होता है जो एक छोटे से स्टार के मृत शरीर से उत्पन्न होता है। ये स्टार सूर्य की तुलना में कम आकार के होते हैं और इसलिए उन्हें स्टेलर या अधिकारी तौर पर सिर्फ सीधे ब्लैक होल कहा जाता है।

 

स्टेलर ब्लैक होल (Stellar Black Hole):

एक स्टेलर ब्लैक होल का आकार सीधे ब्लैक होल से काफी छोटा होता है। इसके बावजूद, इनकी गुणवत्ता ब्लैक होल से कम नहीं होती है। ये ब्लैक होल गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ज्यादातर विशेष विज्ञान घटनाओं के साथ संबंधित होते हैं, जिनमें समय-स्थान विश्लेषण, तारे के विस्फोट और गैलेक्सियों की उत्पत्ति शामिल होती है। 

इंटरमीडिएट ब्लैक होल (Intermediate Black Hole): 

Intermediate black hole एक ब्लैक होल होता है जो स्टेलर और सुपरमासिव ब्लैक होल के बीच का होता है। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति स्टेलर ब्लैक होल से कम लेकिन सुपरमासिव ब्लैक होल से अधिक होती है। इसलिए, इंटरमीडिएट ब्लैक होल का आकार स्टेलर ब्लैक होल से बड़ा लेकिन सुपरमासिव ब्लैक होल से छोटा होता है। इंटरमीडिएट ब्लैक होल की अस्तित्व संबंधी जानकारी कम है और वैज्ञानिक अभी भी इसकी अध्ययन कर रहे हैं। इनकी उत्पत्ति के बारे में कुछ सिद्धांत हैं, जिनमें से एक विचार है कि ये स्टारों के समूहों के विस्फोट से उत्पन्न होते हैं। अन्य विचार हैं कि इंटरमीडिएट ब्लैक होल स्वतंत्र रूप से ग्रविटेशनल क्षेत्रों के समूहों से उत्पन्न होते हैं। 

 सुपरमास ब्लैक होल (Supermassive Black Hole): 

सुपरमास ब्लैक होल (Supermassive Black Hole) एक अत्यंत भारी ब्लैक होल है जो सामान्य ब्लैक होलों से कई गुना भारी होता है। इन ब्लैक होलों का आकार करोड़ों सूर्य तक भी हो सकता है।

 

सुपरमास ब्लैक होल (Supermassive Black Hole)

ये ब्लैक होल ग्रह सिस्टम, गैलेक्सी और ग्रह दायरों को आकार देते हैं। ये ब्लैक होल ग्रह सिस्टम की गतिविधियों, जैसे तारे के उत्पादन, तारों के घूमने की गति, इत्यादि को नियंत्रित करते हैं। सुपरमास ब्लैक होल अपनी भारी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण, अत्यंत उच्च तापमान तथा तेजी से घूमते तारों को अपनी सीमाओं  के चारों ओर स्पिन करने के कारण, बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

जिसके कारण  सितारे या गैलेक्सियों की तरंगदें सुपरमास ब्लैक होल के निकट आती हैं, तो उनकी द्रव्यमान सुपरमास ब्लैक होल की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण बढ़ता है और वे उसके सीमाओं में आकर घिस जाते हैं। इसके कारण उनमें आवेश पैदा होता है और उनकी गति तेज हो जाती है। इस प्रकार, सुपरमास ब्लैक होल स्वयं को ग्रहों, गैलेक्सियों और अन्य धमाकेदार घटनाओं का मूल उत्पादक बनाते हैं।

M87 BLACK HOLE

 

इन ब्लैक होलों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी अधिक होती है कि उनके भीतर आकार लेने वाले सभी वस्तुओं को आकर्षित कर लेती है। इसके कारण, सुपरमास ब्लैक होलों को एक अत्यंत विस्फोटक बौने वाले क्षेत्र (एक घटनाक्रम होता है जिसमें बहुत ज्यादा ऊर्जा फुटती है) और तार के घटनाक्रमों का मूल उत्पादक माना जाता है।

प्रिमोर्डियल ब्लैक होल (Primordial Black Hole):  

प्रिमोर्डियल ब्लैक होल एक ऐसा ब्लैक होल होता है जो सृष्टि के प्रारंभिक दौर में (सृष्टि के अभिजात दौर में) बनता है। ये सुपरमास ब्लैक होल से बहुत छोटे होते हैं और इनका निर्माण कुछ विशेष घटनाओं के कारण होता है जैसे कि बंग बंग (Big Bang) व विविध स्थिर न्यूट्रोन सितारों के संकुचनप्रक्रिया से। इन ब्लैक होलों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति बहुत अधिक होती है जिसके कारण वे आसमान में छोटी छोटी गुच्छों के रूप में होते हैं जिन्हें डार्क मैटर भी कहते हैं। इन ब्लैक होलों की मौजूदगी का पता इनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति द्वारा ही लगाया जा सकता है।प्रिमोर्डियल ब्लैक होल का अस्तित्व अभी भी संदेहास्पद है और इसके बारे में विज्ञानी अभी भी अध्ययन कर रहे हैं। ये ब्लैक होल सृष्टि के अभिजात दौर में बनते हैं, जब सृष्टि अभी ध्वस्त नहीं हुई थी और धरती जैसे ग्रहों का निर्माण नहीं हुआ था।


ब्लैक होल का आकार How large is a black hole?

How large is a black hole


ब्लैक होल का आकार उसकी मांग के आकार पर निर्भर करता है। एक ब्लैक होल का आकार उसकी घनत्व (density) से निर्भर करता है, जो उसके द्रव्यमान और आकार के द्वारा निर्धारित होता है।

एक सामान्य साइज के स्तर पर, सबसे छोटे ब्लैक होल का आकार चंद्रमा के आकार से भी छोटा होता है, जो कि करीब 1,737 किलोमीटर है। एक सामान्य साइज के स्तर पर, सबसे बड़े सुपरमासिव ब्लैक होल का आकार सूर्य के आकार से बहुत अधिक होता है, जो कि करीब 1,392,684 किलोमीटर है।
ब्लैक होल का आकार उसकी घनत्व, द्रव्यमान और आकार के आधार पर अलग-अलग होता है, और इसका निर्धारण करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए, ब्लैक होल का आकार निर्धारित करना बहुत विस्तृत अध्ययन और अनुसंधान का विषय है।ब्लैक होल के आकार को अन्य तत्वों से भी जोड़कर निर्धारित किया जा सकता है। इसमें ब्लैक होल की घनत्व, द्रव्यमान, आकार, स्पिन आदि शामिल होते हैं।

ब्लैक होल की घनत्व काफी अधिक होती है, जो अत्यधिक दबाव उत्पन्न करती है। जब तक कि एक तत्व ब्लैक होल में नहीं गिर जाता, उसके सतह से निकलने के लिए इसकी द्रव्यमान को निहित दबाव से बचाना असंभव होता है।

आकार की बात करें तो, सामान्य ब्लैक होल का आकार कुछ किलोमीटर से कुछ सैकड़ों किलोमीटर तक होता है। इसके अलावा, सुपरमासिव ब्लैक होल का आकार बहुत बड़ा होता है। इसके आकार को सूर्य और ग्रहों के समानकालीन हिसाब से निर्धारित किया जाता है। एक सुपरमासिव ब्लैक होल का आकार कुछ लाख किलोमीटर से लेकर कुछ लाख किलोमीटर से भी अधिक हो सकता है।
ब्लैक होल का स्पिन उसकी घिरावधि के साथ जुड़ा होता है। इसके स्पिन को साधारणतया घूमने के तीव्रता से निर्धारित किया जाता हैब्लैक होल का स्पिन उसकी घिरावधि के साथ जुड़ा होता है। इसके स्पिन को साधारणतया घूमने के तीव्रता से निर्धारित किया जाता है। ब्लैक होल के स्पिन को उसकी घिरावधि के साथ तुलना करने से यह पता चलता है कि ब्लैक होल कितनी तीव्र त्वरण से घूम रहा है।

ब्लैक होल का स्पिन तीव्र होता है और वह बहुत ही अधिक तेजी से घूमता है। इसकी तीव्रता को घिरावधि प्रतिभागी के तुलना से निर्धारित किया जाता है। स्पिन की तीव्रता को साधारणतया सेकंड में घूमने के अंशों में निर्दिष्ट किया जाता है, जिसे आमतौर पर "घूर्णन दर" कहा जाता है।

एक बड़े सुपरमासिव ब्लैक होल का स्पिन बहुत तेज होता है, जबकि छोटे ब्लैक होल का स्पिन कम होता है। एक स्थिर ब्लैक होल का स्पिन शून्य होता है, जिसका अर्थ है कि वह नहीं घूमता है।

वाइट होल क्या है (What Is White Hole )

व्हाइट होल वैज्ञानिकों परिकल्पना है व्हाइट होल सैद्धांतिक ब्रह्मांडीय क्षेत्र हैं जो ब्लैक होल के विपरीत कार्य करते हैं। जैसे की ब्लैक होल में जाने के बाद कोई चीज़ बाहर नहीं निकल सकता है उसी प्रकार ऐसे अबधारणा है की ब्लैक होल में जाने के बाद कोई भी चीज़ वाइट होल के द्वारा बाहर निकलता है 

 

वाइट होल क्या है (What Is White Whole )

जहां अब ब्लैक होल के अस्तित्व के प्रमाण मिलने लगे हैं, व्हाइट होल जैसे पिंड अभी तक नहीं देखे जा सके हैं.महान अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांतों ने ब्लैक होल की अवधारणा दी थी उन्हीं के विचारों के अनुसार व्हाइट होल भी संभव हैं.और अक्सर 'वर्महोल' के संदर्भ में उनका उल्लेख किया जाता है, जिसमें एक ब्लैक होल अंतरिक्ष और समय के माध्यम से एक सुरंग में प्रवेश बिंदु के रूप में कार्य करता है,जो ब्रह्मांड में कहीं और एक सफेद छेद(white hole) में समाप्त होता है।white hole की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब एक पुराना विशाल तारा अपने वजन के नीचे गिर जाता है और एक ब्लैक होल बनाता है । लेकिन फिर, ब्लैक होल की सतह के चारों ओर होने वाले क्वांटम प्रभाव एक समय इसके कोलेप्स होने के प्रभाव को रोकता है , औरधीरे-धीरे ब्लैक होल को एक white hole में बदलना शुरू कर देते हैं जो मूल स्टार पदार्थ को फिर से उगल रहा है। हालांकि, यह प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चलती है, इसलिए हमें यह पता लगाने में बहुत लंबा इंतजार करना पड़ सकता है कि क्या वास्तव में व्हाइट होल मौजूद हैं। फिलहाल व्हाइट होल का अस्तित्व हमारे ब्रह्माण्ड में संभव नहीं दिख रहा है। 

 

BLACK AND WHITE HOLE

 

Q & A

1-What is black hole (ब्लैक होल क्या है )


ब्लैक होल अंतरिक्ष में एक ऐसी स्थान है जहां गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है के इसके चपेट में आने पर प्रकाश भी इस से बाहर नहीं निकल सकता है।

2-What is black hole made of?(ब्लैक होल कैसे बनता है )


जब कोई तारे का पूरा का पूरा ईंधन खत्म हो जाता है तो इसमें एक ज़बरदस्त विस्फोट होता है जिसे सुपरनोवा विस्फोट कहते है विस्फोट के बाद जो पदार्थ बचता है वह धीरे धीरे अपने अंदर सिमटना शुरू होता है और बहुत ही घने पिंड का रूप ले लेता है जिसे न्यूट्रॉन स्टार कहते हैं। जब न्यूट्रॉन स्टार का गुरुत्वाकर्षण का दबाव इतना अधिक हो जाता है कि वह अपने ही बोझ से सिमटता चला जाता और इतना सघन हो जाता है कि वे एक ब्लैक होल बन जाता है।

3-Where is the black hole? ब्लैक होल कहाँ है?


अधिकतर ब्लैक होल आकाशगंगा के मध्य में स्थित होता है। 
 
 
Where is the black hole

 

4-ब्लैक होल से प्रकाश क्यों नहीं बचता है? Why doesn't light escape from a black hole?

ब्लैक होल इतना बड़ा होता है कि इसका गुरुत्वाकर्षण शक्ति बहुत ज्यादा होती है। इसलिए जब भी कोई पदार्थ ब्लैक होल के पास से गुजरता है, तो उसको ब्लैक होल की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण खींच लिया जाता है।

5-क्या ब्लैक होल से बाहर निकला जा सकता है?Can there be an exit from a black hole?

ब्लैक होल से बाहर निकलना असंभव होता है। ब्लैक होल के अन्दर चलते समय किसी भी वस्तु को उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण खींच लिया जाता है और उसे बाहर निकालना असंभव होता है।

6-क्या ब्लैक होल से गुजरना सुरक्षित होता है? Is it safe to pass through a black hole?

ब्लैक होल के बहुत करीब जाना बहुत खतरनाक होता है। यह गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आसानी से वस्तुओं को अपनी ओर खींच लेता है और इससे वस्तु के टुकड़े हो जाते हैं। यह गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी तेज होती है कि वस्तु को तोड़ देती है। इसलिए ब्लैक होल के बहुत करीब न जाएँ।

7-क्या ब्लैक होल से संबंधित अध्ययन आज भी जारी है?Is the study related to black holes still going on today?

हाँ, ब्लैक होल से संबंधित अध्ययन आज भी जारी है। वैज्ञानिक लगातार नए-नए तकनीकों का उपयोग करते हुए इसके बारे में अध्ययन करते रहते हैं। इससे हमें ब्लैक होल की गहराई में जाने का मौका मिलता है

8-क्या ब्लैक होल से नई जीवन की उम्मीद है? Is there hope for new life from black holes?

ब्लैक होल से नई जीवन की उम्मीद बहुत कम होती है। यह गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वस्तुओं को खींचता है जो इसके करीब जाते हैं। जब कोई वस्तु इसके अंदर चली जाती है, तो उसकी मात्रा और वजन के कारण वह बहुत तेजी से खींची जाती है जिससे उसके आणविक संरचना टूट जाती है। यह बताया गया है कि ब्लैक होल से जुड़े तत्वों को कैसे उपयोग किया जा सकता है, लेकिन नयी जीवन की उम्मीद नहीं होती।

9-ब्लैक होल की गुरुत्वाकर्षण शक्ति कितनी होती है?What is the gravitational force of a black hole?

ब्लैक होल की गुरुत्वाकर्षण शक्ति बहुत जबरदस्त होती है। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी तेज होती है कि किसी भी वस्तु को खींच कर उसे इसकी अंदर ला सकती है। यह शक्ति उस समय भी बरकरार रहती है जब ब्लैक होल विस्फोट होता है।

10-क्या ब्लैक होल से संबंधित नए खोज किए जा सकते हैं?Can new discoveries related to black holes be made?

हाँ, ब्लैक होल से संबंधित नए खोज किए जा सकते हैं। वैज्ञानिक अभी भी ब्लैक होल के स्वरूप और संरचना को और अधिक समझने के लिए कई तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। इनमें से एक है ग्रेविटेशनल वेव ऑब्सर्वेटर (LIGO) जो ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण के विस्तृत अध्ययन के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, अंतरिक्ष अभियांत्रिकी के जरिए भी ब्लैक होल से संबंधित नए खोज हो सकते हैं। नए तकनीकों का विकास भी इसमें मददगार होता है।

11-व्हाइट होल क्या होता है?What is white hole?

व्हाइट होल एक धरतीय भाषा में एक ऐसा संचारिक तत्व होता है जो एक बड़े तत्व (सितारा या ग्रहकक्ष) के शेषांश के आकार का होता है, जो अत्यधिक तीव्र गुरुत्वाकर्षण के कारण लगभग सभी प्रकार की ऊर्जा को अवशोषित करता है। व्हाइट होल को अधिकतम तीव्रता वाले स्थानों में से एक माना जाता है और इसकी तीव्र गुरुत्वाकर्षण शक्ति ने वहाँ से निकलने के लिए असमंजस में रहने वाले विज्ञानियों के बीच काफी उत्साह उत्पन्न किया है।

12-व्हाइट होल की पहचान कैसे की जाती है?How are white holes identified?

व्हाइट होल की पहचान करना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि वे अंतरिक्ष में छिपे रहते हैं और लाइट के फंदे के रूप में दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन उनकी मौजूदगी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक उनकी चार विशेषताओं का उपयोग करते हैं

13-व्हाइट होल के बारे में हमें क्या ज्ञात है?What do we know about white holes?

व्हाइट होल के बारे में हमारे पास बहुत कुछ नहीं ज्ञात है, क्योंकि वे अत्यंत अस्थायी होते हैं और उनकी विशेषताएं विश्वसनीय रूप से पता नहीं चली हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि व्हाइट होल ग्रेविटेशनल लेंसिंग, अस्त्रोफिजिक्सीय रेडियो उत्पादन, ज्यामितिक उल्लेख, तापमान विभिन्नताएं और ध्रुवीय चळवळ जैसे भौतिक प्रभावों के अध्ययन से संबंधित हो सकते हैं।

14-व्हाइट होल किस तरह से उत्पन्न होते हैं?How are white holes produced?

व्हाइट होल कैसे उत्पन्न होते हैं इसके बारे में अभी तक नहीं ज्ञात है। यह संभव है कि ये ग्रेट सुपरनोवा या चक्रवाती तारे के रूप में उत्पन्न होते हैं। इन घटनाओं के दौरान धमाके के बाद सितारे के केंद्र में संकुचन होता है और उससे व्हाइट होल का उत्पादन होता है।

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