Puran All information पुराण की सम्पूर्ण जानकारी

 

पुराण (Puran) भारतीय संस्कृति के प्राचीनतम धार्मिक एवं ऐतिहासिक कथा-ग्रंथ हैं। ये ग्रंथ हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण अंग माने जाते हैं और इसमें विभिन्न देवताओं एवं उनके अवतारों, राक्षसों, दानवों तथा मानवों के जीवन के घटनाक्रमों का विस्तृत वर्णन है। इन पुराणों की रचना काल वर्षों से पहले हुई थी और ये सदियों से हमारी संस्कृति को आश्रय देते आए हैं। इस ब्लॉग में हम पुराणों(Puran) के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे जो आपको भारतीय संस्कृति एवं धर्म के गहराई को समझने में मदद करेगी।

 

Puran All information पुराण की सम्पूर्ण जानकारी

 

 पुराण क्या है What is the Puran

पुराण(Puran) भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। इनमें धर्म, दर्शन, इतिहास, लोककथा और विभिन्न विषयों पर लेख शामिल हैं। इन पुस्तकों के बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण है, जो हमें हमारी संस्कृति और इतिहास के बारे में अधिक जानकारी देती हैं।

भारत में 18 पुराण(Puran) हैं, जो धर्म, दर्शन और इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। इन पुराणों में से सबसे प्रसिद्ध हैं

 विष्णु पुराण, शिव पुराण,(Puran) भागवत पुराण, ब्रह्म पुराण और मार्कण्डेय पुराण (Puran)। इनमें से प्रत्येक पुराण में विभिन्न विषयों का विवरण दिया गया है।

पुराणों (Puran) के अंतर्गत हजारों कथाएं, उपकथाएं और इतिहास दिए गए हैं। वे धर्म और आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ उन दिग्गजों के जीवन के बारे में भी बताते हैं जिन्होंने वेदों और उपनिषदों का अध्ययन किया था।

पुराणों (Puran)की रचना काल बहुत विस्तृत है और विभिन्न प्रकार के पुराणों के लिए भिन्न-भिन्न हो सकती है। लेकिन, सामान्य रूप से, पुराणों के रचना काल वेदों के बाद होता है, जो लगभग 1500 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व तक की अवधि का है।

पुराणों (Puran) की रचना की तिथि के बारे में निश्चित जानकारी नहीं है, लेकिन सम्पूर्ण पुराणों का उल्लेख उपनिषदों में मिलता है। यह सुझाव देता है कि पुराणों की रचना का आरंभ उपनिषदों के बाद हुआ हो सकता है।

पुराणों (Puran)का विस्तार भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हुआ है, जिसमें इनका विवरण भारतीय संस्कृति, धर्म और इतिहास के साथ-साथ स्थानीय परंपराओं और विशिष्टताओं को भी शामिल किया गया है।

पुराणों(Puran) का वर्गीकरण भी विभिन्न होता है। कुछ पुराण विष्णु, शिव और देवी की महिमा को बताते हैं, जबकि कुछ पुराण इतिहास और भूगोल को बताते हैं। कुछ पुराण तंत्र, मंत्र, आध्यात्मिकता और धर्म को बताते हैं


सनातन धर्म में कुल 18 पुराण हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं:

  1. ब्रह्म पुराण (Brahma Purana)
  2. पद्म पुराण (Padma Purana)
  3. विष्णु पुराण (Vishnu Purana)
  4. शिव पुराण (Shiva Purana)
  5. भागवत पुराण (Bhagavata Purana)
  6. नारद पुराण (Narada Purana)
  7. मार्कण्डेय पुराण (Markandeya Purana)
  8. वामन पुराण (Vamana Purana)
  9. वराह पुराण (Varaha Purana)
  10. मत्स्य पुराण (Matsya Purana)
  11. कूर्म पुराण (Kurma Purana)
  12. लिंग पुराण (Linga Purana)
  13. गरुड़ पुराण (Garuda Purana)
  14. ब्रह्मण्ड पुराण (Brahmanda Purana)
  15. श्कन्द पुराण (Skanda Purana)
  16. वैष्णव पुराण (Vaishnava Purana)
  17. ब्रह्मवैवर्त पुराण (Brahmavaivarta Purana)
  18. वायु पुराण (Vayu Purana)

 

 विष्णु पुराण (Vishnu Purana)

 

विष्णु पुराण (Vishnu Purana)

 

 

 

विष्णु पुराण (Puran) हिंदू धर्म के पांच महापुराणों में से एक है। इसमें भगवान विष्णु के जन्म, विविध अवतार, वेदों के महत्व, सृष्टि के उपादान, रचना और परिणाम का विस्तारपूर्वक वर्णन है। इस पुराण में भगवान विष्णु के दस अवतार - मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि का वर्णन है। इसके अलावा इस पुराण में वेदों, प्राकृत, समस्त विधि-विधान और तत्त्व विस्तार से वर्णित हैं। विष्णु पुराण का मुख्य उद्देश्य वेदों के सार में भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करना है।

 

विष्णु पुराण (Puran) में कुल 23,000 श्लोक हैं। इस पुराण का रचयिता वेदव्यास नहीं है, बल्कि इसके रचयिता वेदव्यास के शिष्य पराशर महर्षि माने जाते हैं। वेदव्यास के अन्य पुराणों की तरह, विष्णु पुराण भी सनातन धर्म की ज्ञानवर्धक ग्रंथों में से एक है।

नारद पुराण (Narada Purana)

 

 

नारद पुराण (Narada Purana)

नारद पुराण (Puran) हिंदू धर्म के पांच महापुराणों में से एक है। इस पुराण में महर्षि नारद के अनुभवों, ज्ञान, विचार और आध्यात्मिक अनुभवों का विस्तृत वर्णन है। नारद पुराण अनुपम महत्त्व रखता है, क्योंकि इस पुराण में भक्ति, ज्ञान और कर्म के उपरान्त जीवन के सभी पहलुओं का विस्तारपूर्वक वर्णन है।

इस पुराण (Puran) में वेदों, धर्म, समस्त विधि-विधान, सृष्टि के उत्पत्ति, भगवान विष्णु के अवतार, नारद जी के जीवन के घटनाक्रम, पुण्य और पाप का वर्णन भी है। इस पुराण के महत्त्वपूर्ण अध्यायों में धर्म का महत्व, भक्ति के मार्ग, जीवन के सभी पहलुओं के विवरण और आध्यात्मिक ज्ञान का वर्णन है।

नारद पुराण में कुल 25,000 श्लोक हैं और इसका रचयिता नारद माने जाते हैं।

स्कन्द पुराण(Skanda Purana)

 

स्कन्द पुराण(Skanda Purana)

स्कन्द पुराण हिंदू धर्म के महापुराणों में से एक है। इस पुराण में स्कन्द (कार्तिकेय) या मुरुगन के अवतार, जन्म, बाल्यकाल, विवाह, संग्राम और उसके द्वारा भगवान शिव से प्राप्त ज्ञान का वर्णन है। यह पुराण भागवत पुराण के बाद लिखा गया था और क्रमशः आठवां, नवम और दसवां स्थान लेता है।

इस पुराण (Puran) में स्कन्द के विवरण के अलावा, विष्णु, ब्रह्मा, इन्द्र, गंगा, यम, कुबेर, सुरेश, अग्नि, सूर्य और चंद्रमा जैसे देवताओं के बारे में भी वर्णन है। इस पुराण में शक्ति पूजन, धर्म, कर्म, जीवन के उद्देश्य, आध्यात्मिक ज्ञान, योग, अध्यात्म और आत्मा का विस्तृत वर्णन भी है।

स्कन्द पुराण में कुल 81,000 श्लोक हैं। इस पुराण के रचयिता के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है।

 

शिव पुराण (Shiva Purana)

 

शिव पुराण (Shiva Purana)

शिव पुराण (Puran) हिंदू धर्म के महापुराणों में से एक है। इस पुराण में भगवान शिव के अवतार, महत्त्व, जन्म, संतान, विवाह, गंगा के अवतार, शिवलिंग के महत्त्व, तीर्थस्थानों का वर्णन और अन्य धार्मिक विषयों का वर्णन है।

इस पुराण में शिव के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण कथाएं हैं, जैसे कि नीलकंठ कथा, रामकथा, सती और शिव की प्रेम कहानी आदि। इसके अलावा शिवलिंग की महत्ता, जीवन के उद्देश्य, धर्म, कर्म, जीवन का संचालन आदि धार्मिक विषयों का भी वर्णन है।

शिव पुराण में लगभग 24,000 श्लोक होते हैं। इस पुराण के रचयिता के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है, लेकिन इसे वेदव्यास द्वारा रचित माना जाता है।

 भागवत पुराण (Bhagavata Purana)

भागवत पुराण (Puran) हिंदू धर्म के महापुराणों में से एक है। इस पुराण में भगवान विष्णु के अवतार, महत्त्व, लीलाएं, संतान, जीवन और उनके भक्तों की कथाएं वर्णित हैं। यह पुराण वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

भागवत पुराण में कुछ महत्वपूर्ण कथाएं हैं, जैसे कि प्रलय कल्प, कृष्ण लीला, प्रह्लाद कथा, द्रौपदी वस्त्र हरण कथा, उद्धव गीता, शुकदेव गीता आदि। इसके अलावा इस पुराण में मोक्ष की प्राप्ति के बारे में विस्तार से विवेचित हुआ है।

भागवत पुराण में 18,000 श्लोक होते हैं। इस पुराण के रचयिता के बारे में जानकारी कम है, लेकिन इसे महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित माना जाता है। इस पुराण को पढ़ने वाले वैष्णव संप्रदाय के लोग इसका बहुत आदर करते हैं और इसे अपने जीवन के मार्गदर्शन में लाते हैं।

मार्कण्डेय पुराण (Markandeya Purana)

मार्कण्डेय पुराण (Puran) हिंदू धर्म के पुराणों में से एक है। इस पुराण को ऋषि मार्कण्डेय द्वारा रचित माना जाता है। यह पुराण महाभारत काल में लिखा गया था और इसमें कुछ अंश महाभारत से भी मिलते हैं।

मार्कण्डेय पुराण (Puran)में कुल 13752 श्लोक हैं। इस पुराण में वेदों के साथ-साथ उपनिषदों, रामायण, महाभारत और भगवद गीता का भी संग्रह है। इस पुराण में महादेव के महत्व को बताया गया है और इसमें उनके अनेक लीलाओं का वर्णन भी है। इसके अलावा इस पुराण में धर्म, कर्म, ज्ञान, अर्थ और मोक्ष के सिद्धांतों पर भी विस्तार से चर्चा की गई है।

वामन पुराण (Vamana Purana)

वामन पुराण (Puran) हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है। इस पुराण में भगवान विष्णु की महिमा और उनके अवतार के विस्तृत वर्णन के साथ-साथ धर्म, कर्म, ज्ञान, अर्थ और मोक्ष के सिद्धांतों पर भी चर्चा की गई है।

वामन पुराण में कुल 10,000 श्लोक हैं और इस पुराण में 4 खंड होते हैं। प्रथम खंड में वेदों, पुराणों और उपनिषदों की महिमा का वर्णन होता है। द्वितीय खंड में भगवान विष्णु के 10 अवतारों का वर्णन होता है, जिनमें राम और कृष्ण अवतार भी शामिल होते हैं। तृतीय खंड में वामन अवतार के वर्णन के साथ सत्ययुग से लेकर कलियुग तक के धर्म के विवरण होते हैं। चतुर्थ खंड में उपनिषदों, योग, मोक्ष और श्रीमद् भगवद गीता के बारे में जानकारी दी गई है।

वराह पुराण (Varaha Purana)

वराह पुराण (Puran) हिंदू धर्म के पुराणों में से एक है जो विष्णु पुराण के अन्तर्गत आता है। यह पुराण विष्णु के वराह अवतार के विवरण के साथ-साथ वैदिक ज्ञान, धर्म, कर्म, दान, तीर्थयात्रा आदि के विषयों पर भी चर्चा करता है।

इस पुराण में 24,000 श्लोक होते हैं जो 3 खंडों में बंटे हुए होते हैं। पहला खंड वराह के अवतार का वर्णन करता है, दूसरा खंड सृष्टि के विषय में वर्णन करता है, और तीसरा खंड वैदिक ज्ञान और उससे जुड़े विषयों पर चर्चा करता है।

इस पुराण के अनुसार, ब्रह्मा ने सृष्टि शुरू की थी, लेकिन उन्होंने यह संकल्प लिया था कि उन्हें निराकार विष्णु का ध्यान करना चाहिए। इस पुराण में विष्णु को सर्वोत्तम माना गया है और उनके अवतारों का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह पुराण धर्म, दान, तपस्या और श्रद्धा के महत्व को बताता है और मनुष्य के उद्धार के लिए उन्हें सलाह देता है।

मत्स्य पुराण (Matsya Purana)

मत्स्य पुराण हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है जो महात्म्य कथाओं, इतिहास, वेदांत विषयों, नृसिंह और मत्स्य अवतार के बारे में विस्तृत ज्ञान देता है। मत्स्य पुराण में करोड़ों श्लोक होते हैं। पुराण का नाम मत्स्य अवतार से है जो कि विष्णु भगवान का दूसरा अवतार है।

इस पुराण में वेद, पुराण, मीमांसा, योग और तांत्रिक शास्त्रों के विषयों पर विस्तृत चर्चा है। इसके अलावा इसमें देवताओं, ऋषियों, राजाओं और ऋषियों के बीच घटी कथाओं का वर्णन भी है। मत्स्य पुराण में धर्म, नैतिकता, शिक्षा, संस्कृति और विश्व इतिहास के बारे में भी चर्चा की गई है। इस पुराण में महाभारत के कुछ घटनाओं का भी वर्णन है और यह भगवान विष्णु के आठ अवतारों के विषय में भी बताता है।

 कूर्म पुराण (Kurma Purana)

कूर्म पुराण एक सनातन हिंदू पुराण है जो वेद पुराणों के समूह में शामिल होता है। यह पुराण विष्णु पुराण के बाद लिखा गया है और इसे सबसे अधिक महत्वपूर्ण दोहावली के रूप में जाना जाता है। कूर्म पुराण के श्लोकों की संख्या 18,000 से भी अधिक होती है।

कूर्म पुराण में हिंदू धर्म के कथाओं, वेदों, पूजा विधियों, मन्त्रों, व्रतों, तीर्थों और संस्कारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस पुराण में भगवान विष्णु एवं शिव के अलावा गणेश, सूर्य, ब्रह्मा, देवी, सरस्वती, लक्ष्मी और कुबेर जैसे अन्य देवी-देवताओं का भी उल्लेख किया गया है।

कूर्म पुराण में भगवान विष्णु के दस अवतारों का वर्णन भी है, जिसमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि के अवतार शामिल हैं। इसके अलावा, इस पुराण में भगवान शिव की कथाओं और महात्म्य का भी वर्णन है।

ये पुराण भारतीय संस्कृति, इतिहास, धर्म, ज्योतिष, तंत्र और आध्यात्मिकता के विभिन्न पहलुओं को समाविष्ट करते हैं।

ब्रह्म पुराण (Brahma Purana)

ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) हिंदू धर्म के प्रसिद्ध 18 पुराणों में से एक है। इस पुराण में प्रथम अध्याय से अंतिम अध्याय तक भगवान ब्रह्मा की महिमा, शक्ति और विविध विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई है। इसमें 12,000 श्लोक हैं और इसके अनुसार विश्व का उत्पत्ति, सृष्टि और संहार कैसे हुआ उसका विवरण दिया गया है। इसके अलावा इसमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव की महिमा भी बताई गई है।

पद्म पुराण (Padma Purana)

पद्म पुराण (Padma Purana) हिंदू धर्म शास्त्रों में से एक है। यह पुराण भगवान ब्रह्मा द्वारा रचित माना जाता है और सनातन धर्म के महत्त्वपूर्ण धर्मग्रंथों में से एक है। पद्म पुराण के अनुसार यह पुराण ब्रह्मांड, धर्म, धर्मात्मा और विविध विषयों पर विस्तृत चर्चा करता है। यह पुराण चार खंडों (sections) में विभाजित होता है:

१. सृष्टि खंड (Srishti Khanda) २. भूमि खंड (Bhumi Khanda) ३. स्वर्ग खंड (Swarga Khanda) ४. पाताल खंड (Patala Khanda)

पद्म पुराण के अनुसार, इस पुराण को सुनने या पढ़ने से व्यक्ति को संसार के समस्त दुःखों से मुक्ति मिलती है और वह ब्रह्मलोक को प्राप्त करता है।

 लिंग पुराण (Linga Purana)

लिंग पुराण एक हिंदू धर्म का पुराण है जो महादेव के बारे में है। इस पुराण में महादेव के विभिन्न रूपों, महत्त्व, लीलाएं, मंत्र, तपस्या, ज्ञान और धर्म के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस पुराण के अनुसार भगवान शिव जी शक्ति स्वरूपी हैं और इनके साथ उनकी शक्तियों का सम्बन्ध हमेशा समृद्ध होता है। इस पुराण में शिवलिंग के महत्त्व, पूजा विधि, विधान आदि का वर्णन भी है।

लिंग पुराण के अनुसार, भगवान शिव जी के 11 रूप हैं, जो उनके महत्वपूर्ण अवतार हैं। इनमें से अहंकार वध, अंग शुद्धि, दुर्वासा कल्याण, कैलास पर्वत की कथा, गौतमी तापस्या, रावण अधिकार, वैवस्वत मनु संवाद, कौमारी कल्याण, ज्ञानेश्वर आदि रूपों का विस्तृत वर्णन है।

इस पुराण में शिवजी के महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थानों, उनके लीलाओं, मंदिर निर्माण और पूजा विधियों का विवरण भी है।

गरुड़ पुराण (Garuda Purana)

गरुड़ पुराण (Garuda Purana) एक प्राचीन हिंदू पुराण है, जिसे सनातन धर्म के ग्रंथों में मान्यता प्राप्त है। इस पुराण का नाम गरुड़ जी के नाम पर रखा गया है, जो हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के वाहन के रूप में जाना जाता है। इस पुराण में मुख्य रूप से जीवन के विभिन्न पहलुओं और मृत्यु के बाद की अनुभवों का विस्तृत वर्णन है। इसके अलावा, इस पुराण में अन्य विषयों पर भी बहुत सी जानकारी दी गई है।

गरुड़ पुराण में 245 अध्याय होते हैं जो विभिन्न विषयों पर विस्तृत ज्ञान प्रदान करते हैं। इस पुराण में श्रद्धालुओं को अंतिम संस्कार, जीवन का उद्देश्य, कर्म का महत्व, अध्यात्म ज्ञान, धर्म, नरक और स्वर्ग की विस्तृत जानकारी, अनेक उपाय आदि के बारे में समझाया गया है।


ब्रह्मण्ड पुराण (Brahmanda Purana) 

ब्रह्माण्ड पुराण, सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक है। यह पुराण भगवान वेदव्यास द्वारा लिखित है। इस पुराण में विश्व के उत्पत्ति और अन्त के बारे में बताया गया है। इस पुराण में अनेक महत्वपूर्ण कथाओं का वर्णन किया गया है जो धर्म, नैतिकता और आचार-व्यवहार के संबंध में हैं।

इस पुराण में चार वेदों के बीच संबंध, वर्णाश्रम धर्म, संस्कृति, नियम और अनुष्ठानों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसके अलावा, सृष्टि, प्रलय, मन्वंतर, आदि के बारे में भी बताया गया है।

ब्रह्माण्ड पुराण में ब्रह्मांड के निर्माण के संबंध में विस्तृत ज्ञान दिया गया है। इस पुराण में सूर्य, चंद्रमा, ग्रह, नक्षत्र, मंडल आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

इस पुराण में धर्म, अधर्म, पाप और पुण्य के संबंध में बताया गया है। इसके अलावा, धर्म के चार आश्रमों के संबंध में भी विस्तृत ज्ञान दिया गया है।

वैष्णव पुराण (Vaishnava Purana)

वैष्णव पुराण सनातन धर्म के बहुत सारे पुराणों में से एक है। यह पुराण भगवान विष्णु के महत्त्व और महिमा को वर्णन करता है। इस पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु समस्त ब्रह्माण्ड के संचालन का दायित्व निभाते हैं।

इस पुराण में 23,000 श्लोक होते हैं और इसमें 7 खंड होते हैं। पहले खंड में भगवान विष्णु के जन्म का वर्णन होता है, जबकि अन्य खंडों में उनके अवतारों, लीलाओं, महिमाओं, तीर्थों और पूजा विधियों का वर्णन होता है। इस पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु के दस अवतार होते हैं, जिनमें राम और कृष्ण सबसे प्रसिद्ध हैं।

इस पुराण के अनुसार, धर्म का उद्धार केवल भगवान विष्णु के नाम से होता है और उनकी पूजा से सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं। इस पुराण को पढ़ने और सुनने से धर्म के अलावा जीवन के भी बहुत से महत्वपूर्ण सवालों के जवाब मिलते हैं।

ब्रह्मवैवर्त पुराण (Brahmavaivarta Purana)

ब्रह्मवैवर्त पुराण एक महत्त्वपूर्ण पुराण है जो सनातन धर्म के अनुसार हिंदू धर्म के पांच महत्त्वपूर्ण पुराणों में से एक है। इस पुराण के नाम का अर्थ है "ब्रह्मांड का विस्तार" या "ब्रह्मांड की वैविध्यवादी रचना"। यह पुराण बहुत पुराना है और इसमें धर्म, ज्ञान, तत्त्व और दर्शन के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत वर्णन है।

इस पुराण के अनुसार, ब्रह्मा द्वारा सृष्टि का वर्णन किया गया है, और इसमें वेद, पुराण, तंत्र, स्तोत्र, इतिहास और प्रभावी उपाय के बारे में बताया गया है। इस पुराण में भगवान विष्णु की महिमा, उनकी लीलाएं और विष्णु के अवतारों का विवरण भी दिया गया है। इसके अलावा, इस पुराण में स्वर्ग, नरक और प्रलय का वर्णन भी है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस पुराण के अंतर्गत श्री कृष्ण जी के अष्टावतार और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों का वर्णन भी

वायु पुराण (Vayu Purana)

वायु पुराण (Vayu Purana) हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है। इस पुराण का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। इस पुराण में सृष्टि, प्रलय, युगों का वर्णन, देवताओं, महर्षियों, किंनरों और राक्षसों के चरित्रों का विस्तृत वर्णन, तपस्या, धर्म, अहिंसा, दान, श्रद्धा और विविध विधानों का विवरण, अवतारों का वर्णन, महाभारत के घटनाक्रमों का सारांश आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई है।

इस पुराण में कुल 10,000 श्लोक हैं।

 
सनातन धर्म में 18 मुख्य पुराणों के अलावा कुछ अन्य पुराण भी हैं जो उपपुराण के रूप में जाने जाते हैं। इन उपपुराणों के नाम निम्नलिखित हैं:संबव पुराण
  1. संबव पुराण - Sambhava Purana
  2. कुमारिका पुराण - Kumari Kanda Purana
  3. नरसिंह पुराण - Narasimha Purana
  4. नन्दी पुराण - Nandi Purana
  5. सूर्य पुराण - Surya Purana
  6. पराशर पुराण - Parashara Purana
  7. वैयाकरण पुराण - Vaiyakarana Purana
  8. वरुण पुराण - Varuna Purana
  9. विश्वकर्मा पुराण - Vishwakarma Purana
  10. उपमन्यु पुराण - Upamanyu Purana
  11. कलिका पुराण - Kalika Purana
  12. ज्ञानार्णव पुराण - Jnanarnava Purana
  13. तन्त्रसार पुराण - Tantrasara Purana
  14. अद्भुत रामायण - Adbhuta Ramayana
  15. अद्भुत महाभारत - Adbhuta Mahabharata
  16. अगस्त्य संहिता - Agastya Samhita
  17. अहिर्बुध्न्य संहिता - Ahirbudhnya Samhita
  18. अमरकोष - Amarakosha
  19. उत्तर रामायण - Uttara Ramayana
  20. उपासना कल्प - Upasana Kalpa
  21. कृष्णजन्म खण्ड - Krishna Janma Khanda
  22. तीर्थ कल्प - Tirtha Kalpa
  23. दत्तात्रेय संहिता - Dattatreya Samhita
  24. देवी पुराण - Devi Purana
  25. नागराज पुराण - Nagaraja Purana
  26. नीलमत पुराण - Nilamata Purana
  27. प्रत्यभिज्ञ हृदय - Pratyabhijna Hridaya
  28. भविष्योत्तर पुराण - Bhavishya Purana
  29. महापुराण - Mahapurana
  30. योगवासिष्ठ - Yoga Vasisth

ये उपपुराण भी समस्त पुराणों के जैसे ही महत्त्वपूर्ण हैं और संस्कृत साहित्य में विशिष्ट स्थान रखते हैं।

संबव पुराण (Sambhava Purana) 

ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति, ब्रह्मा, विष्णु और शिव के जन्म और महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इसमें 18,000 श्लोक होते हैं।

कुमारिका पुराण (Kumari Kanda Purana) 

कुमारी अवस्था में देवी के बारे में बताता है। यह पुराण 17,000 श्लोकों से युक्त होता है।
नरसिंह पुराण (Narasimha Purana) नरसिंह भगवान के महत्व और उनकी लीलाओं पर आधारित है। इसमें 1000 श्लोक होते हैं।

नन्दी पुराण (Nandi Purana) 

नंदी शिव का वाहन होते हैं। इस पुराण में शिव, पार्वती और नंदी की महिमा और उनके अनुयायियों को मोक्ष कैसे प्राप्त कर सकते हैं, उसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें 8,000 श्लोक होते हैं।

सूर्य पुराण - Surya Purana

सूर्य पुराण भी एक पौराणिक ग्रंथ है जो भारतीय धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। यह पुराण सूर्यदेव की महिमा और उनके पूजन के बारे में विस्तार से वर्णन करता है। इस पुराण में सूर्यदेव की उपासना का महत्व और उनकी पूजा के नियम और विधानों का विस्तृत वर्णन है। इसके अलावा, इस पुराण में सूर्यदेव के ज्योतिष और तंत्र के बारे मेंभी विस्तार से बताया गया है।

पराशर पुराण - Parashara Purana

पराशर पुराण एक पौराणिक ग्रंथ है जो मुख्य रूप से भगवान विष्णु की महिमा, भगवान राम और कृष्ण के जन्म और कथाओं, ज्योतिष, धर्मशास्त्र, तीर्थ यात्रा, धर्म और नैतिकता आदि के बारे में विस्तार से वर्णन करता है। इसमें कुल 81 अध्याय होते हैं जिसमें कुछ हजार श्लोक होते हैं।

वैयाकरण पुराण - Vaiyakarana Purana

वैयाकरण पुराण एक पौराणिक ग्रंथ है जो मुख्य रूप से भाषा और व्याकरण के विषयों पर विस्तार से वर्णन करता है। इसमें व्याकरण, शब्द-रचना, ध्वनि, सन्धि, धातुरूप, समास, पद-जाति आदि के बारे में जानकारी होती है। इस पुराण में कुल 10000 श्लोक होते हैं।

 

वरुण पुराण - Varuna Purana

वरुण पुराण एक पौराणिक ग्रंथ है जो मुख्य रूप से वरुण देवता के बारे में बताता है। इस पुराण में धर्म, अधर्म, धर्मशास्त्र, धर्मकार्य, पाप, पुण्य, स्वर्ग और नरक आदि के बारे में भी जानकारी होती है। इस पुराण में कुल 24,000 श्लोक होते हैं।

विश्वकर्मा पुराण - Vishwakarma Purana

वरुण पुराण एक पौराणिक ग्रंथ है जो मुख्य रूप से वरुण देवता के बारे में बताता है। इस पुराण में धर्म, अधर्म, धर्मशास्त्र, धर्मकार्य, पाप, पुण्य, स्वर्ग और नरक आदि के बारे में भी जानकारी होती है। इस पुराण में कुल 24,000 श्लोक होते हैं।

उपमन्यु पुराण - Upamanyu Purana

उपमन्यु पुराण एक पौराणिक ग्रंथ है जो शिव महापुराण के अंतर्गत आता है। इसमें शिव की तुलना में भगवान विष्णु और देवी शक्ति को ज्यादा महत्त्व दिया गया है। इस पुराण में कर्म और उसके फल के विषय में विस्तार से बताया गया है। यह पुराण दो खंडों में विभाजित है और इसमें कुल 4000 श्लोक हैं।

कलिका पुराण - Kalika Purana

 
कलिका पुराण एक महत्वपूर्ण पौराणिक ग्रंथ है जो मुख्य रूप से देवी दुर्गा के बारे में है। इसमें देवी दुर्गा के अलावा माँ काली, तारा, चामुण्डा, ब्रह्माणी, वैष्णवी, महेश्वरी, शिवधूती, नर्मदा, गंगा और यमुना के बारे में भी बताया गया है। इस पुराण में कुल 98,000 श्लोक हैं और यह दो खंडों में विभाजित है।

ज्ञानार्णव पुराण - Jnanarnava Purana

 
ज्ञानार्णव पुराण एक तंत्र ग्रंथ है जो तंत्र और वेदांत के बारे में बताता है। इसमें धर्म, कर्म और वैदिक विद्या के संबंध में विस्तार से बताया गया है। इस पुराण में कुल 12,000 श्लोक होते हैं।

तन्त्रसार पुराण - Tantrasara Purana

तन्त्रसार पुराण तंत्र, मन्त्र और यंत्रों की विधियों के बारे में बताता है। इस पुराण में कुल 6,000 श्लोक होते हैं।


अद्भुत रामायण - Adbhuta Ramayana

 
अद्भुत रामायण रामायण के एक विशेष रूप है। इसमें भगवान राम और अन्य चरित्रों के अलावा अन्य सुपरनॅचुरल कथाएं भी होती हैं। इस पुराण में कुल 8,000 श्लोक होते हैं।

अद्भुत महाभारत - Adbhuta Mahabharata

 
अद्भुत महाभारत महाभारत के एक अनूठे अंश हैं। इसमें अनेक अद्भुत और चमत्कारिक घटनाएं वर्णित होती हैं। इस पुराण में कुल 1,900 श्लोक होते हैं।

अगस्त्य संहिता - Agastya Samhita

 
अगस्त्य संहिता एक हिंदू ज्योतिष ग्रंथ है जो अगस्त्य ऋषि द्वारा लिखा गया है। इस संहिता में ज्योतिष, धर्म, देवी-देवताओं के बारे में बताया गया है। इसमें कुल 14,000 श्लोक होते हैं।

अहिर्बुध्न्य संहिता - Ahirbudhnya Samhita


अहिर्बुध्न्य संहिता एक तंत्रिक ग्रंथ है जो महाकाल तांत्रिक साधनाओं से संबंधित है। इस संहिता में कुल 8,000 श्लोक होते हैं।

अमरकोष - Amarakosha

मरकोष भारतीय संस्कृति में शब्दावली और व्याकरण से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा की महत्ता को दर्शाती है। इस पुस्तक में 10,000 से अधिक संस्कृत शब्दों का संग्रह है। इस पुस्तक के लेखक का नाम अमरसिंह (Amarasimha) है। इसमें 3,000 से अधिक शब्दों के पर्यायवाची, विपरीतार्थक और समानार्थक शब्द दिए गए हैं।

उत्तर रामायण - Uttara Ramayana

 
उत्तर रामायण रामायण के अतिरिक्त एक और अध्याय है। यह रामायण के मूल अध्यायों के बाद घटित होता है। इसमें राम और सीता के विवाह के बाद की कथा दी गई है। इसमें बताया गया है कि लव-कुश राम और सीता के बच्चे कैसे हुए थे।

उपासना कल्प - Upasana Kalpa

उपासना कल्प पुराण धर्म शास्त्र की एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। यह ग्रंथ ध्यान योग, धर्म, आचार-व्यवहार और अन्य विषयों पर आधारित है। इस ग्रंथ में कुल 232 श्लोक हैं।

कृष्णजन्म खण्ड - Krishna Janma Khanda

कृष्णजन्म खण्ड पुराण धर्म शास्त्र की एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। यह ग्रंथ भगवान कृष्ण के जन्म, बचपन, किशोरावस्था, रासलीला और नामकरण आदि विषयों पर आधारित है। इस ग्रंथ में कुल 94 अध्याय और 5,369 श्लोक हैं।

तीर्थ कल्प - Tirtha Kalpa

 
तीर्थ कल्प पुराण धर्म शास्त्र की एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। इस ग्रंथ में भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों के बारे में बताया गया है। इस ग्रंथ में कुल 42 अध्याय और 1,260 श्लोक हैं। यह ग्रंथ तीर्थ यात्रा के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
 

दत्तात्रेय संहिता (Dattatreya Samhita):

 दत्तात्रेय संहिता हिंदू धर्म की पौराणिक ग्रंथों में से एक है। इसमें मुख्य रूप से तंत्र में वर्णित तत्त्वों एवं उनकी साधना का विस्तृत वर्णन किया गया है।

देवी पुराण (Devi Purana): 

देवी पुराण हिंदू धर्म की पौराणिक ग्रंथों में से एक है। इसमें माँ दुर्गा के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें माँ दुर्गा की उत्पत्ति, महत्त्व, शक्तियाँ, मंत्र, तंत्र, आराधना, पूजन आदि के बारे में बताया गया है।

नागराज पुराण (Nagaraja Purana): 

नागराज पुराण हिंदू धर्म की पौराणिक ग्रंथों में से एक है। इसमें सर्पों के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें सर्प देवताओं की उत्पत्ति, पूजा विधि, मंत्र, तंत्र, उपासना आदि के बारे में बताया गया है।

नीलमत पुराण (Nilamata Purana): 

नीलमत पुराण कश्मीर के धर्म एवं संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इसमें कश्मीर के देवताओं एवं उनकी पूजा-विधि, तीर्थ स्थलों के बारे में बताया गया है।

प्रत्यभिज्ञ हृदय (Pratyabhijna Hridaya): 

प्रत्यभिज्ञ हृदय (Pratyabhijna Hridaya) शिव। योग और वेदान्त संस्कृति से संबंधित एक प्राचीन ग्रंथ है। यह ग्रंथ शिवज्ञान और अध्यात्मज्ञान के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत ज्ञान देता है।

भविष्योत्तर पुराण (Bhavishya Purana): 

भविष्योत्तर पुराण भविष्य के बारे में बताने वाला एक प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथ है। इसमें वैदिक ज्ञान, इतिहास, पौराणिक कथाएं और तांत्रिक साधनाएं सम्मिलित हैं।

महापुराण (Mahapurana): 

महापुराण अन्य पुराणों से भिन्न होते हुए अनेक विषयों पर विस्तृत ज्ञान देते हैं। महापुराणों की संख्या 18 होती है जिनमें विष्णु पुराण, शिव पुराण, ब्रह्म पुराण, मार्कण्डेय पुराण, भागवत पुराण आदि शामिल होते हैं।

योगवासिष्ठ (Yoga Vasistha): 

योगवासिष्ठ एक प्राचीन हिंदू धर्म ग्रंथ है, जो रामायण के उत्तर कांड में उल्लेखित है। यह ग्रंथ वेदान्त तत्त्व के आधार पर जीवन के विभिन्न पहलुओं के  बारे में बताता है

 

 
 

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