जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा (JAGANNATH PURI)

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 जानिए जगन्नाथ पुरी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी 



जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा

जगन्नाथ पुरी ओडिशा राज्य, भारत में स्थित है और एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। जगन्नाथ पुरी आदि शंकराचार्य द्वारा आधिकारिक रूप से एक चार धामों में से एक मान्यता प्राप्त है। यहां का मुख्य आकर्षण जगन्नाथ मंदिर है, जो श्रीकृष्ण और उनके भाइयों बलराम और सुबद्रा को समर्पित है। यह आर्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए विख्यात है।

जगन्नाथ पुरी JAGANNATH PURI

जगन्नाथ पुरी, ओडिशा राज्य के पश्चिमी तट पर स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह स्थान हिन्दू धर्म के एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है और भक्तों के बीच विशेष महत्व रखता है। जगन्नाथ पुरी मंदिर के आस-पास का इलाका जगन्नाथ पुरी क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और यह धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर भगवान जगन्नाथ की महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और यहां के प्रवेश के लिए केवल हिन्दू भक्तों को ही अनुमति होती है। इस मंदिर का इतिहास करीब 12वीं शताब्दी तक जाता है और यह कई बार निर्माण और पुनर्निर्माण का कार्यक्रम गुजार चुका है।

 

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा

जगन्नाथ पुरी मंदिर की महिमा और शानदार वास्तुशिल्प को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। यहां की महाद्वार से प्रवेश करते ही आपका मन पवित्रता और आनंद से भर जाएगा। मंदिर के भीतर श्रद्धालुओं को भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियों की दर्शन करने का अवसर मिलता है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर अपने अनोखे संप्रदायिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां के पूजा-अर्चना का तरीका विशेष है और इसे जगन्नाथ संप्रदाय के अनुसार आयोजित किया जाता है। यहां के प्रमुख त्योहारों में रथ यात्रा सबसे महत्वपूर्ण है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियाँ विशेष रथ पर स्थापित की जाती हैं और लाखों भक्त इस यात्रा का आनंद लेते हैं।

जगन्नाथ पुरी क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सौंदर्य से भी प्रसिद्ध है। इस स्थान के पास समुद्र तट पर स्थित होने के कारण यहां की छोटी-बड़ी खाड़ियाँ और समुद्री तटें आकर्षकता पूर्ण हैं। यहां पर्यटक शानदार सूर्यास्त के दृश्य, रेखागंगा तट, और समुद्री स्नान का आनंद ले सकते हैं।

जगन्नाथ पुरी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महिमा के साथ-साथ भोजन के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां आपको महाप्रसाद का स्वाद चखने का अवसर मिलेगा, जो मंदिर में तैयार किया जाता है और भक्तों को दिया जाता है। जगन्नाथ पुरी का महाप्रसाद अपनी अद्वितीय रसोई और परंपरागत व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है।

इस प्रकार, जगन्नाथ पुरी हिन्दू धर्म के अत्यंत महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, जहां आपको धार्मिक, सांस्कृतिक, पर्यटन और भोजन के सभी पहलुओं का आनंद मिलेगा। यहां आकर आप जगन्नाथ पुरी के मनोहारी दर्शन कर सकते हैं, पवित्रता का आनंद ले सकते हैं, और इस प्राचीन स्थल की महिमा को महसूस कर सकते हैं।

जगन्नाथ पुरी का इतिहास-HISTORY OF JAGANNATH PURI

जगन्नाथ पुरी का इतिहास विशाल और गौरवमय है। यह मंदिर करीब 12वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था और अपनी विचित्र और गहन महिमा के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण राजा अनंगभीम देव ने किया था और उसके बाद से ही यह स्थान भक्तों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बन गया।

जगन्नाथ पुरी का इतिहास महाभारत में भी उल्लेखित है। अनुसासन पर्व में कहा जाता है कि कृष्ण ने श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण किया था, जिसे बाद में जगन्नाथ पुरी मंदिर के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, कई पुराणों और लोक कथाओं में भी इस मंदिर के महत्व का वर्णन किया गया है।

मंदिर का निर्माण करते समय, राजा अनंगभीम देव ने उत्कल नामक प्राचीन नगर को इस स्थान पर स्थापित किया। इसके बाद से यह स्थान उत्कल वंश की राजधानी बन गया और उत्कल देश के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक बन गया।

जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण मुख्य रूप से तीन प्रमुख मंदिरों - जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के लिए किया गया था। इन मूर्तियों की शानदारता और आकर्षण ने धर्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को बचाए रखा है। मंदिर का निर्माण लाल पहाड़ी के शिलापत्थरों से हुआ था और यह वास्तुशास्त्र के अनुसार निर्मित है।

 

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा

इतिहास में कुछ ऐसी कथाएं भी हैं जो जगन्नाथ पुरी के मंदिर के संबंध में जानी जाती हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, जगन्नाथ पुरी का मंदिर मुख्य भगवान कृष्ण के मानवीय अवतार के रूप में माना जाता है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर श्रीकृष्ण की त्रिभुजाकार मूर्ति स्थापित है, जिसे चक्र, शंख और गदा से सुसज्जित किया गया है।

मंदिर के इतिहास में विभिन्न काल में कई निर्माण और पुनर्निर्माण कार्यक्रम हुए हैं। इसका सबसे प्रमुख उदाहरण महाराजा अंग भिमदेव द्वारा किया गया महानिर्माण है, जिसने मंदिर को विस्तार और महिमा से युक्त बनाया। इसके बाद के काल में भी धीरे-धीरे मंदिर में संशोधन और सुधार के कार्य हुए हैं, जो इसे एक अद्वितीय संरचना बनाते हैं।

जगन्नाथ पुरी मंदिर में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार रथ यात्रा है, जिसे रथ जात्रा भी कहा जाता है। यह त्योहार हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार में, भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ विशेष रथ पर स्थापित की जाती हैं और लाखों भक्त इस यात्रा का आनंद लेते हैं। यह त्योहार मंदिर के आसपास गूंजती है और उत्कल देश और आस-पास के इलाकों से भक्त इसे देखने के लिए आते हैं।

जगन्नाथ पुरी का इतिहास भारतीय संस्कृति और धर्म के गौरवपूर्ण अंग के रूप में माना जाता है। यह स्थान धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ पर्यटन का भी एक प्रमुख केंद्र है। इसकी विचित्रता, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य ने इसे विश्व स्तरीय पहचान दिलाई है। जगन्नाथ पुरी एक ऐसा स्थान है जहां आप धार्मिक और मनोहारी दर्शन के साथ-साथ आनंद और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

जगन्नाथ मंदिर JAGANNATH TEMPLE

जगन्नाथ मंदिर, ओड़ीशा राज्य के पुरी शहर में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है और यहां हर साल लाखों भक्त आकर अपने मनोभाव और भक्ति का अभिव्यक्ति करते हैं। जगन्नाथ मंदिर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। यह एक प्राचीन और पवित्र स्थल है, जिसका निर्माण करीब 12वीं शताब्दी में हुआ था।

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा

 

जगन्नाथ मंदिर ओड़ीशा के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और देश भर से आने वाले लाखों पर्यटक इसे देखने आते हैं। मंदिर की वास्तुशिल्प और कला का मनोहारी दृश्य, उसके प्राचीन स्थापत्य शैली और अद्वितीय स्थानीय संस्कृति के संगम ने इसे एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बना दिया है। मंदिर का मुख्य गोपुरम वृषभाद्रिक्ष द्वार बहुत ही मशहूर है, जो उत्कल वंश के प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त है।

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था और यह समय-समय पर नए निर्माण और पुनर्निर्माण कार्यों का केंद्र रहा है। मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं। इन मूर्तियों का विशेष महत्व है और उन्हें रथ यात्रा के दौरान श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा जाता है।

मंदिर का इतिहास भारतीय पुराणों, इतिहास और कथाओं से जुड़ा हुआ है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण महाराज अंग भिमदेव ने करवाया था, जिन्होंने इसे विस्तारित किया और मंदिर को अपनी उत्कृष्टता और महिमा से युक्त बनाया। उनके इतने श्रेष्ठ कार्यों के कारण इसे 'अंग क्षेत्र' के रूप में भी जाना जाता है।

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा

 

जगन्नाथ मंदिर के निकट बहुत सारे छोटे मंदिर और स्मारक हैं, जो इसे एक पूर्णता केंद्र बनाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं: अलारी द्वार, मुक्तमाला मंदिर, लक्ष्मी देवी मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर, आदि। इन मंदिरों में भी धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं और भक्तों को आध्यात्मिकता का अनुभव करने का मौका मिलता है।

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण उद्दीष्ट कार्य और सांस्कृतिक संस्कृति के एक उदाहरण के रूप में माना जाता है। इसका भव्य संरचना, कार्यकलाप और सुंदर विचित्रता ने पर्यटकों को आकर्षित किया है और इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाया है। इसके अलावा, मंदिर के आसपास के क्षेत्र में कई धार्मिक और पर्यटन स्थल हैं जैसे कि सुनारगौरंग मंदिर, चक्रतीर्थ तथा लोकनाथ मंदिर।

जगन्नाथ मंदिर में आने वाले भक्त और पर्यटक अपनी आध्यात्मिक और धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। यहां के प्रसिद्ध अन्नदान प्रसाद को खाने का एक विशेष महत्व है और इसे चपान भोग के रूप में जाना जाता है। यहां की परंपरागत संस्कृति, धर्मिक अनुष्ठान, विविध पूजा-अर्चना और भक्ति यात्रा जगन्नाथ मंदिर को एक अद्वितीय स्थान बनाती हैं।

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण और इसका इतिहास भारतीय संस्कृति के आदर्शों, रीति-रिवाजों और नागरिकता के प्रतीकों का एक महत्वपूर्ण अंग है। यहां प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले रथ यात्रा कार्यक्रम के दौरान, भक्तों और पर्यटकों की भीड़ और आत्मीयता का अनुभव होता है। यह धार्मिक उत्सव भारतीय संस्कृति, नृत्य, संगीत, और विविधता का प्रतीक है।

जगन्नाथ मंदिर, ओड़ीशा राज्य की गर्वभारी और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थली है जो भारतीय धर्म और संस्कृति के उत्कृष्ट आदर्शों को दर्शाती है। इसका इतिहास, वास्तुकला, और आध्यात्मिकता ने इसे विश्व प्रसिद्ध स्थल बनाया है और जगह-जगह से लोग यहां आते हैं ताकि वे भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद का आनंद ले सकें।

जगन्नाथ पूरी मंदिर की कहानी JAGANNATH PURI TEMPLE STORY

जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण इंद्रद्युम्न ने करवाया था। इंद्रद्युम्न एक महान राजा थे, जो मालवा के राज्य में शासन करते थे। एक रात, उन्हें भगवान विष्णु का स्वप्न आया, जिसमें उन्हें बताया गया कि नीलांचल पर्वत पर एक गुफा में भगवान विष्णु की एक मूर्ति है, जिसे निल माधव कहा जाता है। भगवान ने उन्हें कहा कि वे उस मूर्ति को वहां ले जाकर एक मंदिर का निर्माण करवाएं और उसे उस मंदिर में स्थापित करें।

राजा ने इस संकेत को समझा और विशेष ब्राह्मण विद्यापति को भेजा, जो जानते थे कि सभी जातियों के लोग नील माधव की पूजा करते हैं और यह नीलांचल पर्वत में मूर्ति छुपी हुई है। विद्यापति जानते थे कि इस कबीले का मुखिया विश्ववसु आसानी से मूर्ति नहीं सौंपेगा, इसलिए उन्होंने चतुराई से मुखिया के बेटी से विवाह कर लिया और उनकी पत्नी की मदद से मूर्ति चुरा ली और राजा को दे दी।

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा

 

जब यह ज्ञात हुआ कि मूर्ति चोरी हो गई है, तब मुखिया विश्ववसु बहुत दुखी हो गए और भगवान के भक्त को दुखी देखकर भगवान पुन: उस गुफा में चले गए और जाते समय राजा को कह दिया कि जब मंदिर बन जाएगा, तो फिर से वापस आ जाएंगे।

कुछ वर्षों के बाद, राजा ने भगवान जगन्नाथ का विशाल मंदिर बनवा दिया। तब भगवान ने फिर से राजा को सपने में बताया कि मेरी मूर्ति बनाने के लिए समुद्र में तैर रहे एक पेड़ का बड़ा टुकड़ा उठा कर लाओ। राजा ने अपने सेवक को वह लकड़ी लेन के लिए भेजा, लेकिन कोई भी उसे उठा नहीं पाया। तब राजा ने कबीले के मुखिया विश्ववसु से लकड़ी लाने का अनुरोध किया और विश्ववसु अकेले भारी-भरकम लकड़ी को उठा कर मंदिर तक ले आए।

जब मूर्ति बनाने का बारी आई, तो कोई भी उस लकड़ी को तराश कर मूर्ति नहीं बना पाया। तब भगवान विश्वकर्मा एक बूढ़े के भेष में आए और राजा को कहा कि मूर्ति तो वहीं बना देगा, लेकिन उनकी एक शर्त है, कि 21 दिवस तक वह मूर्ति बनाने का कार्य करेंगे। मूर्ति बनाने के समय किसी भी व्यक्ति को कमरे में नहीं होना चाहिए। राजा ने भी यह शर्त मान ली और एक बंद कमरे में भगवान विश्वकर्मा मूर्ति बनाने लगे। रोज छैनी, हथौड़ी की आवाजें आती रहीं, लेकिन एक दिन आवाज बंद हो गई, तब राजा को लगा कि कहीं बूढ़ा मर तो नहीं गया है। राजा ने कमरे का दरवाजा खोल दिया, कमरे को खोलने पर वहां कोई नहीं था, सिर्फ तीन अधूरी मूर्तियां मिलीं, जिसमें भगवान जगन्नाथ और उनके भाई का पैर नहीं बना था। और हाथ बहुत छोटे-छोटे थे। राजा ने भगवान की इच्छा मानकर इन अधूरी मूर्तियों को स्थापित कर दिया।

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा

 

जगन्नाथ पूरी मंदिर से सम्बंधित अन्य कहानी (OTHER STORIES RELATED TO JAGANNATH PURI TEMPLE)

जगन्नाथ पुरी मंदिर के अलावा एक रोचक कहानी जगन्नाथ पुरी के गुंजीतोपसना (Gungjeetopasana) नामक व्रत से जुड़ी है।

कथानुसार, एक समय की बात है जब पुरी शहर में एक अत्यंत दुष्ट राजा राज्य कर रहा था। उसने लोगों के ऊपर अत्याचार किया और अन्यायपूर्ण शासन किया। जनता दुखी थी और दिव्य आदर्शों की कमी महसूस कर रही थी। इस संकट को देखकर देवताओं ने भी चिंता की और उन्होंने भगवान विष्णु की सहायता के लिए प्रार्थना की।

उन्होंने विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त करते हुए एक विशेष व्रत का आयोजन किया गया, जिसे गुंजीतोपसना कहा गया। इस व्रत में लोगों को नवग्रहों की पूजा-अर्चना के साथ दूसरे दिन से प्रारंभ करके तीसरे दिन तक रोटी के स्थान पर नींबू की छिलका से बनी चटनी का सेवन करना होता है।

इस व्रत को पूरा करने के बाद, देवताओं की कृपा से राजा पर धर्म का आभास होता है और उसे सही मार्ग पर लाने का ज्ञान प्राप्त होता है। राजा अपने अन्यायपूर्ण आचरणों को छोड़कर धर्मपरायण बनता है और लोगों की भलाई के लिए अपनी सेवा में लगता है।

गुंजीतोपसना व्रत की यह कहानी बताती है कि धर्मपरायणता और ईमानदारी से प्रयास करने से हम अपने अंदर और आस-पास की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। यह व्रत जगन्नाथ पुरी में महत्वपूर्ण माना जाता है और लोग इसे नियमित रूप से मान्यता से अपनाते हैं।

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा

 

एक अन्य कहानी के अनुशार महाभारत के युद्ध के बाद विदुर ने कृष्ण के साथ आदिवासी भूमि की यात्रा की और उन्हें उड़ीशा राज्य के जंगलों में ले गए। वहां विदुर ने अपने आध्यात्मिक उत्कंठा का व्यक्तिगत अनुभव किया और महाराज इंद्रद्युम्न नामक राजा को इसे सुनाया।

राजा इंद्रद्युम्न ने विदुर के बयान से प्रभावित होकर मंदिर की निर्माण के लिए निर्णय लिया। इंद्रद्युम्न ने एक अत्यंत श्रेष्ठ विश्वकर्मा को आह्वानित किया और मंदिर के निर्माण की योजना बनाई। यहां एक रहस्यमयी ब्रजराजनीति हुई और मंदिर का निर्माण सुरू हो गया।

मंदिर के निर्माण के दौरान विश्वकर्मा ने एक वृद्ध ब्राह्मण को अदेश दिया कि वह मंदिर के दरवाज़े पर रखें और दरवाज़े तब तक खुले न करें जब तक कि ब्राह्मण की आंखें जगन्नाथ मूर्ति पर पड़ती नहीं हो जातीं।

ब्राह्मण के पुत्र की शादी के अवसर पर वह बहुत दिन बाहर रहा और उसकी आंखें मंदिर की दीवार पर जगन्नाथ की मूर्ति पर पड़ती रहीं। अंत में ब्राह्मण ने इस अपशकुन को दूर करने के लिए अपनी आंखें निकाल दीं और जगन्नाथ को पूर्णता के साथ देखा। इससे मंदिर का निर्माण पूरा हुआ और जगन्नाथ मंदिर प्रशस्त हुआ।

जगन्नाथ मंदिर में बारह वर्ष के अंदर-बाहर के एक प्रतिष्ठित महोत्सव, रथ यात्रा, आदि आयोजित किए जाते हैं, जो लाखों भक्तों को आकर्षित करते हैं। जगन्नाथ पुरी मंदिर भारतीय धार्मिकता और संस्कृति की गर्वभारी धारोहर है और भक्तों को आध्यात्मिक तत्वों का अनुभव करने का एक अद्वितीय स्थान प्रदान करता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा (JAGANNATH RATH YATRA)

जगन्नाथ रथ यात्रा, जिसे जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा भी कहा जाता है, भारत के ओड़ीशा राज्य के पुरी नगर में हर साल आयोजित की जाने वाली एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक परंपरा है। जगन्नाथ रथ यात्रा को भारत की सबसे बड़ी रथ यात्रा माना जाता है और इसे हर साल रथ यात्रा महीने के पहले या दूसरे सप्ताह में आयोजित किया जाता है।

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा

 

भगवान जगन्नाथ पूरी की रथ यात्रा पुरे संसार में प्रसिद्ध है ये यात्रा हर वर्ष १४ जुलाई को तथा  हिन्दू कैलेंडर के अनुसारआषाढ़ महीने की द्वितीय तिथि को  रथ यात्रा शुरू होती है जगन्नाथ रथ यात्रा १० दिन का होता है जिसमे तीन रथ होते है 

जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत जगन्नाथ मंदिर में स्थित पुरी के जगन्नाथ मंदिर के प्रांगण में होती है। इसे लाखों भक्तगण और पर्यटक देखने के लिए आते हैं। यात्रा की तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है। भक्त और स्थानीय लोग जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए विशेष रथों की निर्माण करते हैं, जिन्हें यात्रा के दौरान उठाकर जगन्नाथ मंदिर से बाहर ले जाया जाता है।

यात्रा के दिन, भक्त और दर्शक सभी रथों के आसपास एकत्र हो जाते हैं और उनकी भक्ति और उत्साह की लहर सभी तरफ फैल जाती है। जगन्नाथ रथ यात्रा में तीन विशेष रथ होते हैं - नन्दीघोष रथ, तालध्वज रथ और देवदलन रथ। ये रथ एकदिवसीय यात्रा के दौरान जगन्नाथ मंदिर से अपने स्थानों तक खींचे जाते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान रथों को रथ खींचने के लिए बड़ी संख्या में भक्तगण और स्थानीय लोग जुट जाते हैं। रथों को खींचने के लिए लम्बे रस्से, जूते, और रथ की रस्सी को धक्के देकर रथ को आगे बढ़ाया जाता है। यह परंपरा बहुत पुरानी है और इसमें भाग लेने वाले लोगों को आशीर्वाद माना जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा में लाखों भक्तगण और दर्शक भाग लेते हैं और इसे देखने के लिए पुरी के चारों ओर से लोग इकट्ठे हो जाते हैं। यह धार्मिक उत्सव एकता, सद्भाव, और धार्मिकता का प्रतीक है। जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान गायन, नृत्य, और परंपरागत कलाओं का आयोजन किया जाता है। धार्मिक भजनों और कीर्तनों की ध्वनि यात्रा के दौरान वातावरण को आनंदमय और प्रशंसनीय बनाती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा को प्रायोगिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह यात्रा के दौरान भूमिगत तत्वों को स्पष्टीकरण करने और पुरानी यंत्रों की संरक्षा करने का अवसर प्रदान करती है। रथों की निर्माण प्रक्रिया और रथों को खींचने की यह परंपरा ऐसे तकनीकी कौशल को दर्शाती है, जो कि हमारी प्राचीनता और वैज्ञानिक विकास को दर्शाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का अंतिम स्थान गुंडिचा मंदिर होता है, जहां जगन्नाथ, बलभद्र, और सब्बी रथ स्थित किए जाते हैं। यहां इन देवताओं को एक सप्ताह के लिए संपूर्ण भक्तगण दर्शन कर सकते हैं। इसे पूरे तीन रथों की परंपरागत पुनर्निर्माण शुभ रूप से समाप्त होती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा भारतीय संस्कृति, धर्म, और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस धार्मिक उत्सव के दौरान लोग अपने मन, शरीर, और आत्मा को पवित्रता और ध्यान के माध्यम से संरक्षित करने का प्रयास करते हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा ने एक समृद्ध और समावेशी संस्कृति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यह आज भी हमारी समाज की एकता, सद्भाव, और धार्मिकता को प्रतिष्ठित रखता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा में उपयोग होने वाले रथों का नाम (NAMES OF THE CHARIOTS USED IN THE JAGANNATH RATH YATRA)


जगन्नाथ रथ यात्रा में उपयोग होने वाले रथों के नाम निम्नलिखित हैं:
 
नंदिघोष (Nandighosh) - इस रथ को भगवान जगन्नाथ का रथ कहा जाता है।
तलाध्वज (Taladhwaja) - यह रथ भगवान बलभद्र का रथ होता है।
देवदलन (Dwarpadalana) - इस रथ को भगवान सुबद्रा का रथ कहा जाता है। ये तीनों रथ जगन्नाथ पुरी मंदिर के द्वारा निकाली जाने वाली रथ यात्रा में उपयोग होते हैं।


भगवान जगन्नाथ का रथ- CHARIOT OF LORD JAGANNATH

भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा को रथ यात्रा या रथ जात्रा के नाम से भी जाना जाता है। यह यात्रा हर साल ओड़िशा राज्य के पुरी शहर में मनाई जाती है, जहां भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के मूर्तियों को एक विशेष रथ पर ले जाया जाता है।

इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम "नन्दिघोष" है,

जगन्नाथ रथ (नन्दिघोष) का रथ बहुत बड़ा होता है। इसमें लगभग 16 पहिए होते हैं और उसकी ऊँचाई लगभग 45 फीट होती है। इसका निर्माण पूरी तरह से लकड़ी से किया जाता है और रथ को अनेक रंगों से सजाया जाता है।

रथ यात्रा का मार्ग पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होता है और यह तीन मंदिरों को यात्रा करता है। पहले रथ को जगन्नाथ मंदिर से निकाला जाता है, फिर वह बलभद्र मंदिर में रुकता है और उसके बाद देवी सुभद्रा मंदिर में रुकता है। इसके बाद तीनों रथ अपने-अपने मंदिरों को वापस आते हैं।

रथ यात्रा के दौरान लाखों भक्त इस महोत्सव को देखने के लिए आते हैं और रथ को खींचने में भाग लेते हैं। यह एक प्रमुख हिन्दू मेले का भी हिस्सा होता है और भक्तों के लिए एक आदर्श पुण्य स्थल माना जाता है।

 बलभद्र का रथ- BALBHADRA'S CHARIOT

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में उपयोग होने वाले रथों में दूसरा रथ "तलाध्वज" है, जिसे भगवान बलभद्र के लिए तैयार किया जाता है। तलाध्वज रथ भगवान बलभद्र का वाहन होता है और इसे उनकी प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।

तलाध्वज रथ के पहिए: इस रथ में कुल मिलाकर 14 पहिए होते हैं। इन पहियों को धार्मिक महत्व के साथ बनाया जाता है और वे रथ को समरूप रूप में धारण करते हैं। इन पहियों की संख्या भगवान बलभद्र के पवित्र संख्या को प्रतिष्ठित करती है।

तलाध्वज रथ का आकार: यह रथ "नन्दिघोष" रथ की तुलना में थोड़ा छोटा होता है। इसकी ऊँचाई लगभग 44 फीट (13.5 मीटर) होती है। इसकी चौड़ाई और लंबाई के आकार में समान होती है। तलाध्वज रथ भी विशाल होता है और इसे भक्तों द्वारा खींचने में सुविधा होती है।

तलाध्वज रथ की यात्रा: यह रथ भगवान बलभद्र की प्रतिष्ठित रथ यात्रा का हिस्सा होता है। इसे जगन्नाथ मंदिर से निकाला जाता है और यात्रा के दौरान इसे बलभद्र मंदिर में ले जाया जाता है। यह रथ भक्तों के द्वारा भी खींचा जाता है और उनके द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है।

 सुभद्रा का रथ -SUBHADRA'S CHARIOT

सुभद्रा की रथ यात्रा में उपयोग होने वाला रथ "देवदलन" है। यह रथ देवी सुभद्रा का वाहन होता है और इसे उनकी प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। देवदलन रथ की यात्रा भी रथ यात्रा के दौरान होती है, जगन्नाथ मंदिर से शुरू होती है और देवी सुभद्रा मंदिर में रुकती है। यह रथ भक्तों द्वारा खींचा जाता है और उनके द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है।

देवदलन रथ में कुल मिलाकर 12 पहिए होते हैं। इन पहियों को रथ के नीचे स्थापित किया जाता है और इसके द्वारा रथ को समरूप रूप में धारण किया जाता है। इन पहियों का प्रतिष्ठान देवी सुभद्रा के पवित्र संख्या को दर्शाता है।

देवदलन रथ की ऊँचाई लगभग 43 फीट (13 मीटर) होती है। यह रथ नन्दिघोष रथ की तुलना में कुछ कम ऊँचाई का होता है। इसकी चौड़ाई और लंबाई के आकार में समान होती है। देवदलन रथ भी विशाल होता है और इसे भक्तों द्वारा खींचने में सुविधा होती है।

यह रथ भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान उपयोग होता है और देवी सुभद्रा की प्रतिष्ठित रथ यात्रा का हिस्सा होता है। देवदलन रथ भक्तों द्वारा खींचा जाता है और उनके द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा क्यो निकली जाती है  Why is the Jagannath Rath Yatra taken out


जगन्नाथ रथ यात्रा के पीछे अनेक कहानियाँ और मान्यताएं प्रसिद्ध हैं। यहाँ आपके उद्धरणों के आधार पर इसे विस्तार से वर्णन किया जाता है:

पहली मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा जब मायके से वापस आई तो उनकी इच्छा हुई कि वे नगर भ्रमण करें। इस इच्छा को पूरा करने के लिए भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ रथ पर बैठकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इस घटना के बाद से हर वर्ष इसी दिन रथ यात्रा आयोजित की जाती है। यह यात्रा भगवान के भक्तों के लिए उनके साथ उनकी बहन के प्रतीकात्मक संयोग का प्रतीक है और उन्हें दर्शन का अवसर प्रदान करती है।

दूसरी मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर में अपनी मौसी से मिलने जाते हैं। गुंडिचा मंदिर उसी स्थान पर स्थित है, जहां भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को पहली बार भगवान विश्वकर्मा ने वनवास के दौरान बनाया था। इस मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के पास जाने के लिए रथ यात्रा को आयोजित करते हैं।


इन कथाओं के अलावा, एक और प्रमुख मान्यता है कि रथ खींचने के लिए प्रतिभागी भक्तों को ब्रह्मा द्वारा विशेष पुण्य प्राप्त होता है। यह कथा यह कहती है कि रथ यात्रा में सामर्थ्य और सेवा के माध्यम से, भगवान के समीप आने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त होता है और इससे पुण्य का आदान-प्रदान होता है।यथार्थ में, जगन्नाथ रथ यात्रा उनके भक्तों को उनके प्रिय भगवानों के संग मिलने और उन्हें देवी-देवताओं की आराधना करने का अवसर प्रदान करती है। यह एक पवित्र और उत्साहभरा कार्यक्रम है जो भगवान जगन्नाथ की महिमा, भक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक है।

जगन्नाथ रथ यात्रा की एक और मान्यता के अनुसार, यह यात्रा मौसम के परिवर्तन और प्राकृतिक प्रकोप के साथ जुड़ी गतिविधियों का संकेत भी है। इसमें रथों को अपने मौन और विराम के दौरान भूमिगत रहने की अनुमति दी जाती है। यह यात्रा महाप्रलय के समय महसूस की जाती है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के मूर्तियाँ त्रिमूर्ति रूप में प्रतिष्ठित होती हैं। इस समय, भगवान की अविराम और निरंतर गतिविधि का प्रतीक होने के कारण, सृष्टि का नाश होता है और फिर से नवीन सृष्टि की शुरुआत होती है। इसलिए, यह रथ यात्रा महाप्रलय और सृष्टि की पुनर्जीवन विचारधारा का प्रतीक मानी जाती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा को भारतीय मिथक और इतिहास के अलावा, कई कवियों और संतों ने भी अपनी कविताएँ और भक्तिपूर्ण लेखनों के माध्यम से महत्वपूर्ण बनाया है। इसे उत्साह और भक्ति का संगम समझा जाता है, जहां भक्तों का संगठन, सेवा और प्रेम भगवान के दरबार में निरंतर बढ़ते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा एक अनूठी और प्रसिद्ध उत्सव है जो पुरानी संस्कृति, धार्मिक विश्वास और भक्ति को जीवंत रखता है। इस यात्रा के दौरान, हजारों लोग भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की सेवा करने के लिए एकजुट होते हैं और उनके संग में उनकी भक्ति और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह उत्सव समाज की एकता, सहयोग और समरसता को बढ़ावा देता है और लोगों को सामाजिक, आध्यात्मिक और आदर्शिक मार्गदर्शन प्रदान करता है।

नीलाद्रि महोत्सव (NEELADRI MAHOTSAV)

नीलाद्रि महोत्सव, जिसे अन्य नामों में नीलाचल रथ यात्रा या कार्तिक महोत्सव भी कहा जाता है, भारत के ओड़िशा राज्य के पुरी शहर में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक उत्सव है। यह उत्सव पुरी जगन्नाथ मंदिर के आस-पास के क्षेत्र में आयोजित किया जाता है और हजारों भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। नीलाद्रि महोत्सव का आयोजन प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि से शुरू होता है और चौबीस दिनों तक चलता है।

नीलाद्रि महोत्सव का मुख्य आकर्षण होता है जगन्नाथ रथ यात्रा, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ तीन विशाल रथों में स्थापित की जाती हैं और उन्हें मंदिर से गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। इस यात्रा में लाखों भक्त और सेवक रथों को खींचते हैं और उन्हें प्रसाद के रूप में पाने की आकांक्षा रखते हैं।

नीलाद्रि महोत्सव के दौरान, बहुत सारी पूजाओं, आराधनाओं, भजनों, कवि सम्मेलनों, कार्यशालाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यह उत्सव ओड़िशा की स्थानीय संस्कृति और लोकनृत्य का प्रदर्शन करता है और उत्साह और रंगीनता से भरा होता है। भक्तों के बीच धार्मिक कथाओं की प्रवचन, कीर्तन और सत्संग भी आयोजित किए जाते हैं, जिनमें भक्ति और आध्यात्मिकता के मार्गदर्शन किए जाते हैं।

इसके अलावा, नीलाद्रि महोत्सव में खाना-पीना, मेले, मस्ती, वाद्ययंत्र और नृत्य-संगीत की धुनों से भरी जगमगाहट भी होती है। रात्रि में अलंकृत लाइट्स और आकाशमें उड़ाने वाले पटाखे उत्सव को रौशनी से सजाते हैं और अद्भुत दृश्य प्रदान करते हैं।

नीलाद्रि महोत्सव की यह प्रमुख रथ यात्रा और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भगवान जगन्नाथ की भक्ति, प्रेम और सेवा को प्रकट करते हैं। इस उत्सव का उद्देश्य लोगों को सामाजिक और धार्मिक मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ-साथ उनकी आत्मिक एवं मानसिक उन्नति को बढ़ावा देना है।

नीलाद्रि महोत्सव का इतना बड़ा महत्व है कि यह भारतीय संस्कृति, धर्म और ऐतिहासिक अवधारणाओं को जीवंत रखता है। यह उत्सव समाज की एकता, समरसता और सद्भाव को प्रमोट करता है और लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ता है। इसका आयोजन पुरी जगन्नाथ मंदिर के साथी मंदिरों में भी किया जाता है, जो इस उत्सव को और भी प्रगट करता है।

इस प्रकार, नीलाद्रि महोत्सव एक रंगीन, धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है जो ओड़िशा की प्रमुख परंपराओं, विरासतों और भक्ति भावना को प्रतिष्ठित करता है। इस उत्सव के दौरान भक्तों को धार्मिकता, सामाजिकता और आध्यात्मिकता के साथ-साथ आनंद और प्रेम का अनुभव करने का अवसर मिलता है।

जगन्नाथ पुरी के प्रमुख स्थान (JAGANNATH PURI KE PRAMUKH STHAN)

जगन्नाथ पुरी या श्री क्षेत्र जगन्नाथधाम, ओड़िशा राज्य के पुरी जिले में स्थित है और भारत के प्रमुख धार्मिक और पवित्र स्थलों में से एक है। यहां के मंदिर भगवान जगन्नाथ (भगवान कृष्ण), उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के पूजा और आराधना के लिए विख्यात हैं। पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिकता की एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह उत्सव, जगन्नाथ पुरी के प्रमुख स्थानों के साथ जुड़े अन्य मंदिरों की प्रमुखताओं को भी प्रकट करता है।

मुक्तेश्वर मंदिर: मुक्तेश्वर मंदिर, जगन्नाथ पुरी के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है। मुक्तेश्वर मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है और यहां की प्राचीनता और ऐतिहासिक महत्त्व भी बहुत उच्च है। यह मंदिर पूरे वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भरमार से घिरा रहता है।

पांच तीर्थ: पांच तीर्थ पुरी शहर में स्थित हैं और इन्हें भगवान जगन्नाथ के मंदिर से प्राकृतिक और धार्मिक महत्व के कारण प्रमुख स्थान माना जाता है। ये पांच तीर्थ हैं: इंद्राध्युम्नेश्वर तीर्थ, विश्ववेदी तीर्थ, पापनाशनी तीर्थ, नीलाद्रि तीर्थ और मार्कण्डेय महादेव तीर्थ। यहां के तीर्थ स्नान करने का मान्यता से बहुत महत्व है और लोग यहां आकर अपने पापों को धो लेते हैं और शुद्धि प्राप्त करते हैं।

लक्ष्मीनारायण मंदिर: लक्ष्मीनारायण मंदिर जगन्नाथ पुरी के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां पूजा और आराधना रोजगार एक प्रमुख धार्मिक गतिविधि है और इसके अलावा विभिन्न धार्मिक उत्सवों का आयोजन यहां होता है।

गुण्डिचा मंदिर: गुण्डिचा मंदिर, जगन्नाथ पुरी के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की प्राचीन मूर्ति को समर्पित है और इसे जगन्नाथ पुरी के मंदिर यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। यहां भगवान जगन्नाथ के आदर्श मूर्ति जगन्नाथ की प्रतिष्ठा है और यहां के उत्सव में भगवान को अन्य मंदिरों से यहां लाए जाते हैं। यह मंदिर जगन्नाथ पुरी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और यहां के अलावा भी बहुत सारे पुरातात्विक स्थल हैं जिन्हें घूमने का भी अवसर मिलता है।

जगन्नाथ पुरी एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जहां प्रतिवर्ष लाखों भक्त आते हैं और भगवान जगन्नाथ की आराधना करते हैं। इसके प्रमुख स्थानों में से मुक्तेश्वर मंदिर, पांच तीर्थ, लक्ष्मीनारायण मंदिर और गुण्डिचा मंदिर बहुत महत्वपूर्ण हैं और यहां के उत्सव और पर्यटन गतिविधियां इसे एक विशेष स्थान बनाती हैं। जगन्नाथ पुरी एक धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है और यहां आकर लोग अपनी मनोकामनाएं


पूर्ण करते हैं और आनंद और शांति का अनुभव करते हैं।

जगन्नाथ पुरी का खाना (JAGANNATH PURI KA KHANA)

जगन्नाथ पुरी मंदिर के खाना को 'महाप्रसाद' के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर के प्रमुख भोग का हिस्सा है और भक्तों को भगवान जगन्नाथ की कृपा का प्रतीक माना जाता है। महाप्रसाद का निर्माण प्रकृति पक्षीय और शाकाहारी तत्वों से होता है और यह अन्यान्य स्वादिष्टता के साथ एक अद्वितीय रसोईघर निभाता है।
 
जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा


महाप्रसाद की प्रमुख सामग्री चावल, दाल, सब्जियां, स्वीट्स, रोटी और कुछ विशेष तैयारियां हैं। यहां पर उपयोग होने वाले तत्वों की गुणवत्ता और स्वाद की गहराई का ध्यान रखा जाता है और प्रत्येक भोजन को सात भंडारों में विभाजित किया जाता है।

महाप्रसाद का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध भोजन 'खिचड़ी' है। यह चावल और दाल के मिश्रण से बनता है और साथ ही इसमें तेल, नमक, और उपयोग होने वाले मसालों का उपयोग किया जाता है। खिचड़ी को भगवान जगन्नाथ की कृपा का प्रतीक माना जाता है और यह हर दिन काफी संख्या में भक्तों को परोसा जाता है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर का महाप्रसाद भक्तों को बिना किसी व्यापारिक मुनाफे के प्रदान किया जाता है। यह सम्पूर्ण भक्त समुदाय के लिए अवलंबन का एक रूप है और इसे धर्मिक और सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है। भक्तों को मंदिर में अलग-अलग प्रकार के महाप्रसाद उपलब्ध होते हैं और वे इसे श्रद्धा और आदर के साथ सेवन करते हैं।

यह मंदिर के खाने का प्रसाद एक आदर्श परंपरा का प्रतीक है, जिसमें सभी लोगों को एक साथ बैठकर भोजन करने का अवसर मिलता है। यहां के खाने में शुद्धता, एकता, और आदर्श भागीदारी का भाव होता है, जो इसे विशेष और प्रिय बनाता है। जगन्नाथ पुरी का महाप्रसाद एक आनंददायक और धार्मिक अनुभव है, जिसे भक्त और पर्यटक दोनों ही अपनी यात्रा का एक अद्वितीय हिस्सा मानते हैं।

जगन्नाथ पुरी के आस-पास घूमने की स्थल

जगन्नाथ पुरी प्राचीन और पवित्र स्थल होने के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक सौंदर्य से भी प्रसिद्ध है। यहां पर कुछ प्रमुख स्थलों को घूमने के लिए आपकी उपलब्धि है:

मुक्तेश्वर मंदिर: मुक्तेश्वर मंदिर जगन्नाथ पुरी मंदिर के बाहर स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ के द्वारा दिया गया अवधान है और यहां भक्तों को दर्शन करने का अवसर मिलता है।

पांच तीर्थ: जगन्नाथ पुरी में पांच प्रमुख तीर्थ स्थल हैं, जिन्हें पुराणों में विशेष महत्व दिया गया है। ये तीर्थ स्थल नीलाद्रि, स्वर्णाद्रि, मार्कण्डेय, इंद्रध्वज, और गुंडिचा हैं। ये स्थल तीर्थयात्रियों के लिए पवित्र माने जाते हैं।

लक्ष्मीनारायण मंदिर: यह मंदिर जगन्नाथ पुरी मंदिर के पास स्थित है और मां लक्ष्मी और नारायण को समर्पित है। इस मंदिर की श्रद्धा की जाती है और भक्तों को आशीर्वाद मिलता है।

गुण्डिचा मंदिर: यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी माता सुभद्रा को समर्पित है। इस मंदिर में उन्हें दर्शन करने का अवसर मिलता है। यहां भक्तों को माता सुभद्रा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पुरी समुद्र तट: जगन्नाथ पुरी के समुद्र तट पर यात्रियों को सुंदर और शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद मिलता है। यहां पर्यटक समुद्री स्नान कर सकते हैं, छाया में बैठकर आराम कर सकते हैं, और सुनसान समुद्र तट पर यात्रा का आनंद ले सकते हैं।

जगन्नाथ पुरी में घूमने का अनुभव अत्यंत प्राकृतिक, धार्मिक, और मनोहारी होता है। यहां के स्थल, मंदिर, और प्राकृतिक सौंदर्य आपको आत्मीयता और शांति का अनुभव कराते हैं। इसलिए, जगन्नाथ पुरी के आस-पास घूमना एक आनंददायक और आध्यात्मिक अनुभव है।

जगन्नाथ पुरी की प्रमुख यात्राएं

जगन्नाथ पुरी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और यहां पर कई प्रमुख यात्राएं आयोजित की जाती हैं। ये यात्राएं महत्वपूर्ण पूजा और परंपरागत आयोजनों के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का भी हिस्सा हैं। नीचे कुछ प्रमुख यात्राओं का वर्णन दिया गया है:

रथ यात्रा: रथ यात्रा जगन्नाथ पुरी की सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण यात्राओं में से एक है। यह यात्रा हर साल अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आयोजित की जाती है। इसमें भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और माता सुभद्रा की मूर्तियों को रथ पर स्थापित किया जाता है और वे मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाए जाते हैं। इस यात्रा को देखने के लिए हजारों लोग पुरी में आते हैं।

नवकलाबेरी यात्रा: नवकलाबेरी यात्रा जगन्नाथ पुरी में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को नवकलाबेरी मंदिर में ले जाती है, जो मंदिर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है। यह यात्रा पूजा, कीर्तन, और धार्मिक आयोजनों के साथ संपन्न होती है।

नीलाद्रि महोत्सव: नीलाद्रि महोत्सव जगन्नाथ पुरी में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह महोत्सव चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी से पूर्णिमा तक चलता है। इस महोत्सव में मैदानों में मेले, जात्रा, देवी-देवताओं के प्रतिमाओं की प्रदर्शनी, नाच-गान, और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

चंदन यात्रा: चंदन यात्रा जगन्नाथ पुरी में वर्ष के दूसरे मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ को सुंदरचंदन की सौंदर्यवर्धक रोपणा की जाती है। यह रितुवसंत के आगमन का संकेत माना जाता है और यहां पर्यटकों को संस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों का आनंद मिलता है।

ये कुछ मुख्य यात्राएं हैं जो जगन्नाथ पुरी में विशेष महत्व रखती हैं। इन यात्राओं के दौरान धार्मिक प्रक्रियाएं, पूजा, आरती, कीर्तन, भजन, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन यात्राओं को देखने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु पुरी आते हैं और इस धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का आनंद लेते हैं।

जगन्नाथ पुरी के धार्मिक महोत्सव

जगन्नाथ पुरी में कई धार्मिक महोत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनमें धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का भी शामिल होता है। ये महोत्सव पुरी के धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और यहां के विशेष मंदिरों और भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को समर्पित होते हैं। नीचे कुछ प्रमुख धार्मिक महोत्सवों का वर्णन दिया गया है:

Mystery of Jagannath Puri Temple

 

रथ यात्रा: यह सबसे प्रसिद्ध महोत्सव है जो हर साल अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर मनाया जाता है। इस महोत्सव में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और माता सुभद्रा की मूर्तियों को रथ पर स्थापित किया जाता है और उन्हें रथ के माध्यम से गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं और रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करने के लिए लोग भीड़ में भाग लेते हैं।

नवकलाबेरी मेला: यह मेला भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को नवकलाबेरी मंदिर में स्थापित करने के अवसर पर मनाया जाता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और प्रतिमा के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। यह मेला नवरात्रि के दौरान आयोजित होता है और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विभिन्न प्रकार के मेले और व्यापारिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

चंदन यात्रा: यह यात्रा वर्ष के दूसरे मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ को सुंदरचंदन की सौंदर्यवर्धक रोपणा की जाती है। यह रितुवसंत के आगमन का संकेत माना जाता है और यहां पर्यटकों को संस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों का आनंद मिलता है।

अष्टाप्रहरण यात्रा: यह यात्रा आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इसमें भगवान जगन्नाथ के अष्टाप्रहरण मंदिर में स्थापित किए जाते हैं और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस यात्रा के दौरान भगवान को अष्टाप्रहरण नामक विशेष भोजन प्रदान किया जाता है और श्रद्धालु उनकी आराधना करते हैं।

देबस्नान पूर्णिमा: यह पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है और इसमें भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और माता सुभद्रा को नदी स्नान कराया जाता है। इस दिन श्रद्धालु नदी में स्नान करते हैं और नदी का पानी मान्यता से पवित्र माना जाता है।

दोल यात्रा: यह यात्रा फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। इसमें भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को देवी सुभद्रा के साथ दोलों में स्थापित किया जाता है और उन्हें धूमधाम से पलन किया जाता है। यह यात्रा श्रद्धालुओं के बीच खुशी और आनंद का संकेत मानी जाती है।

जगन्नाथ पुरी में ये धार्मिक महोत्सव आयोजित किए जाते हैं और यहां के मंदिरों में श्रद्धालुओं की आने वाली भक्ति, आराधना, और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। ये महोत्सव पुरी की संस्कृति, परंपरा, और आस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।

जगन्नाथ पुरी मंदिर के रहस्य(Mystery of Jagannath Puri Temple)

जगन्नाथ मंदिर पुरी, ओडिशा, भारत का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था और यह हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की मूर्तियाँ पूजी जाती हैं।

इस मंदिर में एक अनोखी बात है कि यहां ऊपर की ओर लहरते हुए झंडा रखा जाता है। आमतौर पर झंडा हवा की दिशा में लहराता है, लेकिन यहां का झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। यह एक रहस्य है और इसका विज्ञानिक कारण अभी तक नहीं पता चला है।

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा (JAGANNATH PURI)

 

मंदिर के शिखर पर स्थित सुदर्शन चक्र भी इस मंदिर की विशेषता है। यह चक्र भारी धातु से बना है और इसका वजन 1000 किलोग्राम से अधिक है। इसे इतनी ऊँचाई पर कैसे रखा जाता है, यह एक रहस्य है जिसका समाधान अभी तक नहीं मिला है।

जगन्नाथ पुरी: रहस्यमयी और आध्यात्मिक यात्रा (JAGANNATH PURI)

 

सुदर्शन चक्र के बारे में एक और रोचक बात है कि आप जिस दिशा में भी इसे देखें, वह आपकी दिशा के मुताबिक ही दिखेगा। यह वैज्ञानिक तथ्य का एक चमत्कार है और इसे अभी तक समझने का वैज्ञानिक कारण नहीं पता चला है।

Mystery of Jagannath Puri Temple

 

मंदिर में रोज़ाना झंडा बदला जाता है और इस कार्य को मंदिर के मुख्य पुजारी करता है। नए झंडे को पुराने झंडे की जगह रखा जाता है। अगर कभी भी ध्वजारोहण नहीं होता है, तो मंदिर 18 साल के लिए बंद हो जाता है। इसलिए यह बड़ी महत्वपूर्ण घटना है और इसे संचालित रखने का ध्यान रखा जाता है।

जगन्नाथ मंदिर में हर 19 साल में एक अनुष्ठान होता है जिसमें भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की मूर्तियों को बदला जाता है। इस दौरान शहर में ब्लैकआउट की घोषणा की जाती है, जिससे बिजली की आपूर्ति रोक दी जाती है। इसका उद्घाटन मेगा धार्मिक उत्सव के साथ किया जाता है और लाखों लोग इसे देखने के लिए आते हैं।

पुजारी भगवान जगन्नाथ की मूर्ति से एक रहस्यमय वस्तु "नील माधव" लेते हैं और इसे भगवान जगन्नाथ की नई मूर्ति में स्थापित करते हैं। इसके दौरान, पुजारी अपनी आंखों के चारों ओर एक काला कपड़ा बांधता है और खुद को इसे देखने से रोकता है, जिससे वह उसे अनुष्ठान का एक अद्यात्मिक रहस्य बनाए रखता है।

कनपटा हनुमान जगन्नाथ मंदिर (व्याघ्र द्वार) के पश्चिमी द्वार पर स्थित है। यह मंदिर में भगवान जगन्नाथ के अभिभाषक के रूप में जाना जाता है। इसे कनपटा हनुमान कहा जाता है, जिसका अर्थ है सुनने के लिए कान लगाना। भगवान जगन्नाथ ने अपने भक्त हनुमान को यहां सुनने के लिए खड़ा होने का आदेश दिया था।

पुरी शहर अभी भी गजपति महाराज के नेतृत्व में राजा की मेजबानी करता है। गजपति महाराज को जगन्नाथ प्रभु का पहला सेवक कहा जाता है और उन्हें मंदिर के कई अनुष्ठानों में भाग लेने का अधिकार होता है। यह प्रथा इस मंदिर की एक विशेषता है और इसे संभाले रखने का ध्यान रखा जाता है।

जगन्नाथ मंदिर पुरी ओडिशा का एक अद्वितीय और प्रसिद्ध स्थान है जो भक्तों के बीच आदर्श में बसा है। इसकी विशेषताएं, रहस्य और धार्मिक महत्व इसे भारतीय और विदेशी दर्शकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनाते हैं।

कुछ ऐसे स्थानों  जहां जगन्नाथ मंदिर स्थित है

जगन्नाथ मंदिर का सिर्फ पुरी ही महत्वपूर्ण स्थान नहीं है, बल्कि इसके अलावा देश और विदेश में भी कई जगन्नाथ मंदिर हैं। यहां कुछ ऐसे स्थानों का उल्लेख किया गया है जहां जगन्नाथ मंदिर स्थित है:

ढाका जगन्नाथ मंदिर (dhaka jagannath mandir), dhaka, bangladesh

ढाका जगन्नाथ मंदिर बांगलादेश के ढाका शहर में स्थित है। यह एक प्रमुख हिंदू मंदिर है जो बांगलादेश के हिंदू समुदाय के लिए महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा को समर्पित है। इस मंदिर की स्थापना ११वीं शताब्दी में हुई थी और यह वर्तमान में पुनर्निर्माण के बाद भी अपने प्राचीन और ऐतिहासिक रूप में महत्वपूर्ण है।

ढाका जगन्नाथ मंदिर भव्य और सुंदर आर्किटेक्चर के साथ निर्मित है। इसके मुख्य गोपुरम और शिखर प्रमुख आकर्षण हैं। मंदिर के भीतर भगवान जगन्नाथ, बालभद्र, सुभद्रा और आदिवासी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। मंदिर क्षेत्र में कई छोटे मंदिर, यज्ञशाला और धर्मशाला भी हैं जो मंदिर के आस्थायी पुरोहितों और आगंतुकों की सेवा करते हैं।

ढाका जगन्नाथ मंदिर वार्षिक जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसमें मंदिर के मूर्तियों को रथ पर ले जाकर शहर के चारों ओर यात्रा की जाती है। यह धार्मिक उत्सव बांगलादेश के हिंदू समुदाय के लिए महत्वपूर्ण समारोह है और बहुत सारे पर्यटकों को आकर्षित करता है।

ढाका जगन्नाथ मंदिर बांगलादेश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और वहाँ के लोगों के लिए आध्यात्मिक और आराध्य स्थान है।

बालाजी जगन्नाथ मंदिर (balaji jagannath mandir), indore, madhya pradesh, india

बालाजी जगन्नाथ मंदिर, इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत, एक प्रमुख हिंदू मंदिर है जो मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर शहर में स्थित है। यह मंदिर जगन्नाथ भगवान को समर्पित है, जो विष्णु भगवान के एक अवतार माने जाते हैं। इस मंदिर को श्री बालाजी जगन्नाथ मंदिर या बाल जगन्नाथ मंदिर भी कहा जाता है।

यहां कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

  • बालाजी जगन्नाथ मंदिर का निर्माण वर्ष 1992 में हुआ था। मंदिर का निर्माण आध्यात्मिक और सामाजिक नेता श्री जगन्नाथजी महाराज के मार्गदर्शन में किया गया था।
  • मंदिर में विशेष रूप से जगन्नाथ भगवान, बालभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
  • मंदिर की संरचना उड़ीसा के पुरी जगन्नाथ मंदिर की संरचना से प्रभावित है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पुरी का एक छोटा संस्करण महसूस होता है।
  • मंदिर के गोपुरम पर बहुत सारे शिखर हैं और उनमें विविध देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
  • यहां वार्षिक रथयात्रा (Rath Yatra) का आयोजन होता है, जिसमें मूर्तियों को रथों में स्थानांतरित किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण उत्सव है और बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
  • मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं और वहां पूजा-अर्चना की जाती है।
  • श्रद्धालुओं के लिए एक भोजनालय भी है, जहां महाप्रसाद खिलाया जाता है।

ओढ़ा जगन्नाथ मंदिर (odha jagannath mandir), odha, chhattisgarh, india

ओढ़ा जगन्नाथ मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के ओढ़ा नगर में स्थित है। यह मंदिर माता सुवर्णेश्वरी देवी को समर्पित है और यहां भगवान जगन्नाथ की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर का निर्माण स्थल माना जाता है क्योंकि इसके आसपास कई स्थानों पर चौकों का आकार है जिसका इस मंदिर के निर्माण के समय महत्वपूर्ण योगदान हुआ है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है और वर्षभर में कई पर्वों के अवसर पर भक्तों की भीड़ यहां जुटती है।

परम पूज्य जगन्नाथ मंदिर (param pujya jagannath mandir), konark, odisha, india

परम पूज्य जगन्नाथ मंदिर ओड़िशा राज्य के कोणार्क नगर में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा को समर्पित है और यह भारतीय स्थापत्यकला का एक प्रमुख उदाहरण माना जाता है। मंदिर का निर्माण सूर्य मंदिर के रूप में हुआ है और इसकी विशेषता उसके विचित्र और सुंदर मूर्तियों में है। यह मंदिर भारतीय पर्यटन स्थलों में सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध स्थानों में से एक है।

जगन्नाथ प्राचीन मंदिर (Jagannath Prachin Mandir), Bengaluru, Karnataka, India: 

जगन्नाथ प्राचीन मंदिर कर्नाटक राज्य के बेंगलुरु नगर में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यहां पूजा और आराधना नियमित रूप से होती है। मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ है और यह एक प्रमुख आध्यात्मिक स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच प्रसिद्ध है और धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन यहां होता है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Bhaktiyarpur, Bihar, India: 

जगन्नाथ मंदिर बिहार राज्य के भक्तियारपुर नगर में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यहां पूजा आराधना की जाती है। मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ है और इसे भारतीय स्थापत्यकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जाता है। यह मंदिर स्थानीय लोगों और भक्तों के बीच प्रसिद्ध है और विभिन्न धार्मिक और कार्यक्रमों का आयोजन यहां होता है।

जगन्नाथ मंदिर (jagannath mandir), ranchi, jharkhand, india

जगन्नाथ मंदिर, रांची, झारखंड, भारत, एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो झारखंड राज्य के रांची नगर में स्थित है। यह मंदिर जगन्नाथ भगवान को समर्पित है, जो विष्णु भगवान के एक अवतार माने जाते हैं। यह मंदिर स्थानीय और पर्यटनिक महत्व रखता है और स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र है।

यहां कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

  • इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1691 में हुआ था। मंदिर का निर्माण रांची के राजा ठाकुर अनीकेत रे के द्वारा किया गया था।
  • मंदिर का आराध्य प्रमुख मूर्ति जगन्नाथ भगवान की है, जिन्हें लोग प्रेमी भगवान (Lord of Love) के रूप में भी जानते हैं। उनके साथ ही मंदिर में उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।
  • मंदिर की संरचना ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर की संरचना के बहुत आकर्षक रूप से समान है। इसलिए यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पुरी का एक छोटा संस्करण महसूस होता है।
  • मंदिर का मुख्य गोपुरम विशेष रूप से धातु से बना हुआ है और उसमें रङीत साँचे और विविध देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं।
  • मंदिर में वार्षिक रथयात्रा (Rath Yatra) का आयोजन होता है, जिसमें मूर्तियों को विशेष रथों में स्थानांतरित किया जाता है। यह एक प्रमुख उत्सव है और इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
  • जगन्नाथ मंदिर के आस-पास कई छोटे-बड़े मंदिर भी स्थित हैं, जहां अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।
  • मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए भोजनालय भी संचालित है, जहां महाप्रसाद उपलब्ध होता है। यह भोजन पूजा से पहले सभी श्रद्धालुओं को खिलाया जाता है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Kolkata, West Bengal, India:

यह मंदिर कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और इसे कोलकाता की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा माना जाता है। इस मंदिर में विशेष धार्मिक पाठशाला और भक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Patna, Bihar, India:

यह मंदिर पटना, बिहार, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यहां प्रतिदिन पूजा आराधना होती है। इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और विभिन्न त्योहारों का आयोजन यहां होता है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Varanasi, Uttar Pradesh, India:

यह मंदिर वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यह धार्मिक महत्व का एक स्थान माना जाता है। यहां प्रतिदिन पूजा-आराधना और धार्मिक कार्यक्रम होते हैं जिनमें श्रद्धालुओं और भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Guwahati, Assam, India:

यह मंदिर गुवाहाटी, असम, भारत में स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु और भक्तों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक आपसी भाईचारे का भी माहौल होता है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Tripura, India:

यह मंदिर त्रिपुरा, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और इसे त्रिपुरा राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा माना जाता है। यहां प्रतिवर्ष जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन होता है, जिसमें भक्तों की भीड़ भगवान जगन्नाथ की रथ में खींची जाती है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), New Delhi, India:

यह मंदिर नई दिल्ली, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और इसे दिल्ली मेट्रोपोलिटन क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा माना जाता है। यहां भक्तों की भीड़ जगन्नाथ की पूजा-आराधना में उमड़ती है और विभिन्न त्योहारों पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Mumbai, Maharashtra, India:

यह मंदिर मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में स्थित है। इस मंदिर को भगवान जगन्नाथ को समर्पित किया गया है और यह धार्मिक महत्व का स्थान माना जाता है। यहां प्रतिदिन पूजा-आराधना होती है और भक्तों की भीड़ यहां आने वाली श्रद्धालुओं की संख्या के साथ बढ़ती है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Ahmedabad, Gujarat, India:

यह मंदिर अहमदाबाद, गुजरात, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यहां प्रतिदिन पूजा-आराधना होती है। इस मंदिर में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और भक्तों की आवश्यकताओं की सुविधा प्रदान की जाती है।
 

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Chennai, Tamil Nadu, India: 

यह मंदिर चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना का स्थान है और यहां प्रतिदिन पूजा की जाती है। यहां आने वाले भक्तों की संख्या बढ़ती है और विभिन्न त्योहारों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Jammu, Jammu and Kashmir, India: 

यह मंदिर जम्मू, जम्मू और कश्मीर, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यहां भक्तों की आवश्यकताओं की सुविधा प्रदान की जाती है। यहां प्रतिवर्ष जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन होता है, जिसमें भक्तों की भीड़ भगवान जगन्नाथ की रथ में खींची जाती है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Visakhapatnam, Andhra Pradesh, India:


यह मंदिर विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश, भारत में स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और यहां धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां आने वाले भक्तों की संख्या बढ़ती है और विभिन्न त्योहारों पर धार्मिक आयोजन होते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Lucknow, Uttar Pradesh, India:

यह मंदिर लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना का स्थान है और यहां भक्तों की आवश्यकताओं की सुविधा प्रदान की जाती है। यहां भगवान जगन्नाथ के विभिन्न अवतरणों की मूर्तियां स्थापित हैं और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Kolkata, West Bengal, India:


यह मंदिर कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत में स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और यहां प्रतिदिन पूजा की जाती है। यहां भक्तों की संख्या बढ़ती है और विभिन्न त्योहारों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Bengaluru, Karnataka, India:


यह मंदिर बेंगलुरु, कर्नाटक, भारत में स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और यहां विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह मंदिर स्थानीय भक्तों और पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है और यहां आने वाले भक्तों को आंतरदर्शी और शांतिपूर्ण माहौल मिलता है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Hyderabad, Telangana, India:


यह मंदिर हैदराबाद, तेलंगाना, भारत में स्थित है। यहां भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां आने वाले भक्तों को भगवान की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव होता है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Pune, Maharashtra, India:


यह मंदिर पुणे, महाराष्ट्र, भारत में स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह मंदिर स्थानीय भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है और यहां प्रतिवर्ष रथयात्रा का आयोजन होता है, जिसमें भक्तों की भीड़ भगवान जगन्नाथ की रथ में खींची जाती है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Ahmedabad, Gujarat, India:


यह मंदिर अहमदाबाद, गुजरात, भारत में स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और यहां विभिन्न त्योहारों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह मंदिर आध्यात्मिकता और संतों की धार्मिक पथप्रदर्शन के लिए मशहूर है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Amravati, Maharashtra, India:

यह मंदिर अमरावती, महाराष्ट्र, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और इसे स्थानीय लोगों की श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। यहां प्रतिवर्ष रथयात्रा भी मनाई जाती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ की रथ में उन्हें भक्तों के सामर्थ्य पर जाते हुए देखा जाता है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Bhopal, Madhya Pradesh, India:

यह मंदिर भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना का केंद्र है और स्थानीय लोग और पर्यटक इसे दर्शन करने आते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Chandigarh, India:

यह मंदिर चंडीगढ़, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और यहां प्रतिवर्ष रथयात्रा भी मनाई जाती है। यहां कई धार्मिक कार्यक्रम और पूजा-अर्चना की व्यवस्था होती है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Coimbatore, Tamil Nadu, India:

यह मंदिर कोयंबटूर, तमिलनाडु, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यहां पूजा-आराधना की जाती है। इस मंदिर को स्थानीय लोग और पर्यटकों का भी बहुत प्रिय स्थल मान्यता प्राप्त है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Dehradun, Uttarakhand, India:

यह मंदिर देहरादून, उत्तराखंड, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना का स्थल है और यहां प्रतिवर्ष रथयात्रा आयोजित की जाती है। इसके अलावा, मंदिर में अन्य धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Gurugram, Haryana, India:

यह मंदिर गुरुग्राम, हरियाणा, भारत में स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और यहां रथयात्रा का आयोजन भी होता है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है और श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Indore, Madhya Pradesh, India:

यह मंदिर इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना की जाती है और यहां प्रतिवर्ष रथयात्रा का आयोजन होता है। यहां भक्तों की आस्था को मान्यता प्राप्त है और यहां अन्य धार्मिक कार्यक्रम भी होते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Jabalpur, Madhya Pradesh, India:

यह मंदिर जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यहां पूजा-आराधना की जाती है। यह मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का महत्वपूर्ण स्थल है और श्रद्धालु यहां आकर अपनी पूजा-अर्चना करते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Jaipur, Rajasthan, India:

यह मंदिर जयपुर, राजस्थान, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना का केंद्र है और यहां प्रतिवर्ष रथयात्रा का आयोजन होता है। इसके अलावा, मंदिर में अन्य धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Jalandhar, Punjab, India:

यह मंदिर जालंधर, पंजाब, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना का स्थान है और यहां प्रतिवर्ष रथयात्रा मनाई जाती है। यहां भक्तों की भक्ति का एक प्रमुख केंद्र है और धार्मिक उत्सवों के आयोजन के लिए भी प्रसिद्ध है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Kanpur, Uttar Pradesh, India:

यह मंदिर कानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना का स्थान है और यहां रथयात्रा का आयोजन होता है। इस मंदिर को स्थानीय लोगों द्वारा बहुत मान्यता प्राप्त है और यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी पूजा-अर्चना करते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Kochi, Kerala, India:

यह मंदिर कोच्चि, केरल, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यहां पूजा-आराधना की जाती है। यहां प्रतिवर्ष रथयात्रा भी मनाई जाती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ की रथ में उन्हें भक्तों के सामर्थ्य पर जाते हुए देखा जाता है।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Lucknow, Uttar Pradesh, India:

यह मंदिर लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना का स्थान है और यहां प्रतिवर्ष रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। यहां भक्तों की आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और मंदिर के आसपास धार्मिक उत्सव आयोजित होते हैं।

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir), Nagpur, Maharashtra, India:

यह मंदिर नागपुर, महाराष्ट्र, भारत में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यहां पूजा-आराधना की जाती है। इसके अलावा, यहां रथयात्रा का आयोजन भी होता है जहां भक्तों की भीड़ इस उत्सव को देखने के लिए आती है।

जगन्नाथ भजन(jagannath bhajan)

जगन्नाथ भजन हमेशा भक्तों के द्वारा उनकी आराधना और भक्ति के लिए गाए जाते हैं। इन भजनों में भगवान जगन्नाथ की महिमा, कृपा और दिव्यता का वर्णन किया जाता है। यहां कुछ जगन्नाथ भजनों के उदाहरण दिए जा रहे हैं:

"जय जगन्नाथ स्वामी" जय जगन्नाथ स्वामी, नयन पथशिशु सखा हमारे। द्वारपथ पर तुम्हारे, अटल निवास धाम हमारे॥

"जगन्नाथ स्वामी नयन पथ गामी" जगन्नाथ स्वामी नयन पथ गामी। भवतापद जलराशि दुहाई देहि जानि॥

"ओडिशा वाले जगन्नाथ" ओडिशा वाले जगन्नाथ, जय जगन्नाथ। तेरे दर पर हम आते हैं, दुखी दिल लेकर॥

"मेरे जगन्नाथ तेरे दर पे" मेरे जगन्नाथ तेरे दर पे, हमेशा रहती है खुशियां। तू है मेरी जान, तू है मेरी पहचान, जगन्नाथ तू है मेरी शान॥

"जगन्नाथ जगन्नाथ" जगन्नाथ जगन्नाथ, जय जगन्नाथ। तेरी महिमा अपार है, तू ही हमारा आधार है॥

ये कुछ उदाहरण हैं जगन्नाथ भजनों के। जगन्नाथ के भजनों को गाकर भक्ति और आनंद का अनुभव किया जा सकता है।


जगन्नाथ भजन आरती  (jagannath bhajan)

जय जगन्नाथ, जय जगन्नाथ। स्वामी जय जगन्नाथ॥

जगन्नाथ स्वामी नयन पाथ गामी। भक्त वत्सल जग कपाल हारी॥

भक्त भक्त पार्वती शंकर का प्यारा। द्वारपाल पार्वती गणपति की धारा॥

जगन्नाथ जय विमल जगदाता। आरती उतारूं मैं तेरी माता॥

दिव्य ज्योति जगमगाए जगदीश। देखकर सबकी हो जाये निर्वाणिश॥

जय जगन्नाथ, जय जगन्नाथ। स्वामी जय जगन्नाथ॥

 

प्रश्न एवं उत्तर FAQ

प्रश्न 01: जगन्नाथ पुरी कहाँ स्थित है?
उत्तर 01: जगन्नाथ पुरी ओडिशा राज्य, भारत में स्थित है।

प्रश्न 02: जगन्नाथ पुरी का महत्व क्या है?
उत्तर 02: जगन्नाथ पुरी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। यहाँ पर मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति आकाश से आई है और यहाँ विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

प्रश्न 03: जगन्नाथ पुरी का प्राचीन नाम क्या है?

उत्तर 03: जगन्नाथ पुरी का प्राचीन नाम "नीलाद्रि" है।

प्रश्न 04: जगन्नाथ पुरी के मंदिर की नीलाचल पहाड़ी किसे कहा जाता है?
उत्तर 04: नीलाचल पहाड़ी को जगन्नाथ पुरी के मंदिर की मुख्य पहाड़ी के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 05: जगन्नाथ पुरी मंदिर किस युग में बना था?
उत्तर 05: जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था।

प्रश्न 06: जगन्नाथ पुरी का मंदिर किस शैली में बना है?
उत्तर 06: जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण कलिंग शैली में किया गया है।

प्रश्न 07: जगन्नाथ पुरी मंदिर किस देवी के साथ सम्बंधित है?
उत्तर 07: जगन्नाथ पुरी मंदिर का संबंध माता लक्ष्मी के साथ है। मान्यता है कि जगन्नाथ महाराज की विवाहित पत्नी माता लक्ष्मी हैं।
प्रश्न 08: जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण किस वंश के शासक ने करवाया था?
उत्तर 08: जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण किंग अनंगभीम देव ने करवाया था।

प्रश्न 09: जगन्नाथ पुरी का मंदिर कितने तालों में बना है?
उत्तर 09: जगन्नाथ पुरी का मंदिर पांच तालों में बना है।

प्रश्न 10: जगन्नाथ पुरी के मंदिर का प्रमुख द्वार किसे कहते हैं?
उत्तर 10: जगन्नाथ पुरी के मंदिर का प्रमुख द्वार "सिंहद्वार" कहलाता है।

प्रश्न 11: जगन्नाथ पुरी मेला कब और कैसे मनाया जाता है?
उत्तर 11: जगन्नाथ पुरी मेला रथ यात्रा के समय मनाया जाता है, जो हर साल अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष को होती है।

प्रश्न 12: जगन्नाथ पुरी मेले में कितने रथ होते हैं?
उत्तर 12: जगन्नाथ पुरी मेले में तीन रथ होते हैं, जिनमें से एक रथ भगवान जगन्नाथ का होता है।

प्रश्न 13: जगन्नाथ पुरी मेले का मुख्य आयोजन क्या है?
उत्तर 13: जगन्नाथ पुरी मेले का मुख्य आयोजन रथ यात्रा है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के रथ मंदिर से लेकर गुंडीचा मंदिर तक खींचे जाते हैं।

प्रश्न 14: जगन्नाथ पुरी के मंदिर में किस दिन जगन्नाथ की आराधना नहीं होती है?
उत्तर 14: जगन्नाथ पुरी के मंदिर में अमावस्या दिन (नवमी तिथि) को जगन्नाथ की आराधना नहीं होती है।

प्रश्न 15: जगन्नाथ पुरी में जगन्नाथ के स्वरूप के अलावा कौन-कौन से देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं?
उत्तर 15: जगन्नाथ पुरी में जगन्नाथ के स्वरूप के अलावा माता सुभद्रा और भगवान बालभद्र की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।

प्रश्न 16: जगन्नाथ पुरी के मंदिर में आने वाले खाद्य भोजन को क्या कहा जाता है?
उत्तर 16: जगन्नाथ पुरी के मंदिर में आने वाले खाद्य भोजन को "महाप्रसाद" कहा जाता है।

प्रश्न 17: जगन्नाथ पुरी में महाप्रसाद कैसे तैयार किया जाता है?
उत्तर 17: महाप्रसाद तैयार करने के लिए अन्नाचार्या नामक विशेष ब्राह्मण परिवार का ब्रह्मण वंशीय संघ जिम्मेवार होता है। वे विशेष प्रकार के नियमों और पद्धतियों के अनुसार महाप्रसाद का तैयारी करते हैं।

प्रश्न 18: जगन्नाथ पुरी में महाप्रसाद कैसे बांटा जाता है?
उत्तर 18: महाप्रसाद को मंदिर में धर्मिक आदेश के अनुसार विभिन्न वातानुकूलित स्थानों पर बांटा जाता है। यह एक विशेष प्रक्रिया के तहत होता है और उसे आपातकालीन वातावरण में सुनिश्चित किया जाता है।

प्रश्न 19: जगन्नाथ पुरी में प्रवेश के लिए किस प्रकार की प्रतिबंधनाएं होती हैं?
उत्तर 19: जगन्नाथ पुरी में प्रवेश के लिए अनाहूत, अन्यजन, अपवित्र, निर्मजन, अवामुख्य और अधेती के रूप में विभिन्न प्रकार की प्रतिबंधनाएं होती हैं।

प्रश्न 20: जगन्नाथ पुरी में मंदिर में प्रवेश करने के लिए किस वास्तु नियम का पालन करना अनिवार्य है?
उत्तर 20: जगन्नाथ पुरी में मंदिर में प्रवेश करने के लिए चार द्वारों में से पूर्वी द्वार के रूप में जाने के लिए अनावृत्ति (अनावर्तन) नियम का पालन करना अनिवार्य है।

प्रश्न 21: जगन्नाथ पुरी में वर्षिक भंडारा कब और कैसे आयोजित होता है?
उत्तर 21: जगन्नाथ पुरी में वर्षिक भंडारा रथ यात्रा के 15 दिन बाद, आषाढ़ मास के कृष्णा पक्ष की दशमी तिथि को आयोजित होता है। इसमें मंदिर में प्रयोग होने वाले सभी पदार्थों का एक बड़ा भंडारा रखा जाता है, जिसे भक्तों को वितरित किया जाता है।

प्रश्न 22: जगन्नाथ पुरी मंदिर में सबसे ऊँचा गोपुरम कौनसा है?
उत्तर 22: जगन्नाथ पुरी मंदिर में सबसे ऊँचा गोपुरम निलाचल बन्दरगिरि गोपुरम है, जिसकी ऊँचाई लगभग 214 फुट (65 मीटर) है।

प्रश्न 23: जगन्नाथ पुरी मंदिर का क्या अर्थ होता है?
उत्तर 23: जगन्नाथ पुरी मंदिर का शब्दिक अर्थ होता है "जगत नाथ" यानी "विश्व का भगवान"।

प्रश्न 24: जगन्नाथ पुरी के अलावा दूसरे जगन्नाथ मंदिर कहां स्थित है?
उत्तर 24: जगन्नाथ पुरी के अलावा दूसरे जगन्नाथ मंदिर पश्चिम बंगाल राज्य के केदारनाथ में स्थित है।

प्रश्न 25: जगन्नाथ पुरी में मंदिर का निर्माण किस समयानुसार किया गया था?
उत्तर 25: जगन्नाथ पुरी में मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था।

प्रश्न 26: जगन्नाथ पुरी में कौन-कौन से उत्सव मनाए जाते हैं?
उत्तर 26: जगन्नाथ पुरी में कई उत्सव मनाए जाते हैं, जैसे रथ यात्रा, नवकल्याण, बसंत पंचमी, स्नान यात्रा, कार्तिक पूर्णिमा, माघ सप्तमी, वसंतोत्सव, राजराजेश्वरी यात्रा, हरि-हरा-महोत्सव, महालक्ष्मी यात्रा, आदि।

प्रश्न 27: जगन्नाथ पुरी में विदेशी पर्यटकों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर 27: जगन्नाथ पुरी में विदेशी पर्यटकों की संख्या सालाना रूप से लाखों में होती है। यह एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है जिसे दुनियाभर से लोग आकर्षित होते हैं।

प्रश्न 28: जगन्नाथ पुरी मंदिर में कौन-कौन से पूजारी समुदाय निवास करते हैं?
उत्तर 28: जगन्नाथ पुरी मंदिर में कर्णमाल दशनामी सम्प्रदाय के पूजारी समुदाय निवास करते हैं। वे विशेष प्रकार के संस्कारों, पूजा-अर्चना और आराधना का ध्यान रखते हैं और मंदिर में सेवा करते हैं।

प्रश्न 29: जगन्नाथ पुरी मंदिर के समीप कौन-कौन से प्रसिद्ध स्थान हैं?
उत्तर 29: जगन्नाथ पुरी मंदिर के समीप कई प्रसिद्ध स्थान हैं, जैसे लोकनाथ टेंपल, मौसीमा टेंपल, अराखक्षेत्र, बीजभरी, लक्ष्मीनारायण मंदिर, आदि। ये स्थान पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय हैं और मंदिर दर्शन के समय भी आकर्षण का केंद्र होते हैं।

प्रश्न 30: जगन्नाथ पुरी मंदिर की स्थापना किसने की थी?
उत्तर 30: जगन्नाथ पुरी मंदिर की स्थापना राजा अनंगभीम देव ने की थी। इसके बाद से, मंदिर में नियमित रूप से पूजा-अर्चना और परंपरागत कार्यक्रमों की व्यवस्था होती रही है।
प्रश्न 31: जगन्नाथ पुरी को किस राज्य में स्थित है?
उत्तर 31: जगन्नाथ पुरी ओडिशा राज्य में स्थित है।

प्रश्न 32: जगन्नाथ पुरी मंदिर की मुख्य देवता कौन हैं?
उत्तर 32: जगन्नाथ पुरी मंदिर की मुख्य देवता श्री जगन्नाथ भगवान हैं।

प्रश्न 33: जगन्नाथ पुरी मंदिर किस धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है?
उत्तर 33: जगन्नाथ पुरी मंदिर हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है।

प्रश्न 34: जगन्नाथ पुरी मंदिर के दर्शन किस तरीके से किए जा सकते हैं?
उत्तर 34: जगन्नाथ पुरी मंदिर के दर्शन केवल हिंदू धर्म के अनुयायों को ही अनुमति दी जाती है। मंदिर के दर्शन के लिए नियमित रूप से तथा विशेष अवसरों पर ज्ञापन, विधि-विधान, और अनुमति के अनुसार किए जाने चाहिए।

प्रश्न 35: जगन्नाथ पुरी मंदिर कितने दिनों के लिए बंद रहता है?
उत्तर 35: जगन्नाथ पुरी मंदिर हर दिन सुबह से शाम तक खुला रहता है। हालांकि, साल में कुछ विशेष दिनों या कार्यक्रमों के दौरान मंदिर को सामान्य दर्शन के लिए बंद कर दिया जाता है।

प्रश्न 36: जगन्नाथ पुरी मंदिर में आरती किस समय होती है?
उत्तर 36: जगन्नाथ पुरी मंदिर में प्रतिदिन विभिन्न समयों पर आरती होती है, जैसे मंगलारती, सायंआरती, भोगारती, शयनारती, आदि। आरती का समय समय-समय पर बदलता रहता है, इसलिए यह अच्छा होगा कि आप स्थानीय पंडित या मंदिर प्रशासन से संपर्क करके विवरण प्राप्त करें।

प्रश्न 37: जगन्नाथ पुरी मंदिर के निकटतम हवाई अड्डा कौनसा है?
उत्तर 37: जगन्नाथ पुरी के निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर हवाई अड्डा है, जो लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित है।

प्रश्न 38: जगन्नाथ पुरी मंदिर के आस-पास कौन-कौन सी प्रमुख यात्रा स्थल हैं?
उत्तर 38: जगन्नाथ पुरी मंदिर के आस-पास प्रमुख यात्रा स्थलों में पुरी का समुद्र तट, चिलिका झील, सुन टेम्पल, कोणार्क सूर्य मंदिर, बलिघाई बीच, राघुराजपुर इत्यादि शामिल हैं।

प्रश्न 39: जगन्नाथ पुरी मंदिर के पास कौन-कौन से होटल या आवास सुविधाएं हैं?
उत्तर 39: जगन्नाथ पुरी मंदिर के पास कई होटल और आवास सुविधाएं हैं जो विभिन्न बजट और आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। कुछ प्रमुख होटल नाम हैं Hotel Mayfair, Hotel Shree Hari, The Hans Coco Palms, Hotel Holiday Resort, Hotel Pushpa, Hotel Sonar Bangla, Hotel Naren Palace, Hotel Niladri, आदि। आपकी आवश्यकताओं और बजट के अनुसार आप अपनी पसंद का होटल चुन सकते हैं।

प्रश्न 40: जगन्नाथ पुरी में किस माह में रथयात्रा मनाई जाती है?
उत्तर 40: जगन्नाथ पुरी में रथयात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह अक्टूबर या नवंबर के बीच के महीने में होती है और जगन्नाथ पुरी के मंदिर के आस-पास विशेष धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

प्रश्न 41: जगन्नाथ पुरी मंदिर का मुख्य गोपुरम किसे कहते हैं?
उत्तर 41: जगन्नाथ पुरी मंदिर का मुख्य गोपुरम 'सिंहद्वार' के नाम से जाना जाता है। यह गोपुरम मंदिर के प्रमुख प्रवेश द्वार के रूप में उपयोग में लाया जाता है और इसमें दो सिंहों की मूर्तियां स्थापित हैं।

प्रश्न 42: जगन्नाथ पुरी मंदिर में कौन-कौन से पूजारी समुदाय का काम होता है?
उत्तर 42: जगन्नाथ पुरी मंदिर में ब्राह्मण, पंडा, बहुजन, नित्य, सेबक, दैतापाती, चतुरदन्त, पुष्पक, प्रवक्ता, कर्मकार, मञ्चिन, पत्रकार, मुद्रकार, बरारिक, वज्रयानी, पूजार, दाइतेल और करणमाल दशनामी सम्प्रदाय के पूजारी समुदाय का काम होता है। इन समुदायों के प्रतिनिधि पूजारी मंदिर में सेवा करते हैं और विशेष प्रकार के संस्कारों, पूजा-अर्चना और आराधना का ध्यान रखते हैं।

प्रश्न 43: जगन्नाथ पुरी मंदिर की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर 43: जगन्नाथ पुरी मंदिर की स्थापना काल्हेरी काल में हुई थी, जो कि 12वीं शताब्दी के आस-पास था। मंदिर की स्थापना राजा अनंगभीम देव द्वारा की गई थी।

प्रश्न 44: जगन्नाथ पुरी मंदिर में कितनी मूर्तियां हैं?
उत्तर 44: जगन्नाथ पुरी मंदिर में मूल रूप से 4 मूर्तियां स्थापित हैं। इनमें श्री जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियां होती हैं। इसके अलावा, मंदिर में गणेश, देवी मां लक्ष्मी, देवी मां सरस्वती और अन्य देवताओं की मूर्तियां भी होती हैं।

प्रश्न 45: जगन्नाथ पुरी मंदिर में कौन-कौन से महोत्सव मनाए जाते हैं?
उत्तर 45: जगन्नाथ पुरी मंदिर में कई महोत्सव मनाए जाते हैं। कुछ प्रमुख महोत्सव नाम हैं रथयात्रा, स्नान यात्रा, नवकलश यात्रा, अनावसर, अनलायन यात्रा, चंदन यात्रा, देव स्नान यात्रा, द्वार यात्रा, आदि। ये महोत्सव मंदिर के प्रमुख कार्यक्रमों के रूप में मनाए जाते हैं और हिंदू धर्म के विशेष आयोजन के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।

प्रश्न 46: जगन्नाथ पुरी मंदिर का स्थानीय पर्यटन विभाग किसे संचालित करता है?
उत्तर 46: जगन्नाथ पुरी मंदिर का स्थानीय पर्यटन विभाग ओडिशा सरकार द्वारा संचालित किया जाता है। यह विभाग मंदिर के आसपास के पर्यटन स्थलों के विकास, यात्रा सुविधाओं का प्रबंधन और पर्यटकों की सुविधा की देखभाल करता है। यहां पर्यटकों को भोजन, आवास, दर्शनीय स्थलों का विवरण और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।

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