Shri Shani Stotra : शनि स्तोत्र महत्व,लाभ और विशेषताएं

 

श्री शनि स्तोत्र (Shri Shani Stotra) का पाठ शनिवार के दिन या शनिदेव की पूजा के समय किया जाता है, जिससे भक्त शनिदेव की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।यह स्तोत्र शनिदेव के क्रोध और दुःख को शांति प्रदान करने के उद्देश्य से पढ़ा जाता है। इस ब्लॉग में हम भगवान शनि देव का कृपा प्राप्त करने वाले दो स्तोत्र के बारे में जानेगे 

Shri Shani Stotra : शनि स्तोत्र महत्व,लाभ और विशेषताएं



श्री शनि स्तोत्र (Shri Shani Stotra)-१ 

पूर्वं काल में राजा दशरथ (श्री रामचन्द्र जी के पिता) चक्रवतीं राजा हुए। एक नार ज्योतिषियों ने शनि को कृत्तिका नक्षत्र के अन्तिमचरण में देखकर राजा से कहा, "राजन्‌ । अब्‌ यह शनि रोहिणी (नक्षत्र) का भेदन करेगा, इसे 'रोहिणीशकट भेदन' कहते हैं। यह देवताओं, मनुष्यों और दानवों के लिए महान्‌ भयानक होता है। इससे बारह वर्षं तक भयानक अकाल पड़ता है। तब राजा ने कहा, "हे ब्राह्मणों। शनि रोहिणी का भेदन न करे, इसके लिए मुञ्चे क्या करना चाहिए। आप लोग मुञ्चे उपदेश करें।" तब ब्राह्मणों ने उन्हें 'शनि-स्तोत्र' का पाठ करने के लिए कहा।

राजा दशरथ ने " शनि-स्त्रोत' का जो पाठ किया, निम्नवत्‌ है । आप भी इस स्तोत्र का पाठ करके शनिदेव को प्रसन कर सकते है 

सूर्य॑ पुत्र ! नमस्तेऽस्तु सर्वभक्षाय वै नमः।
 देवासुर मनुष्यार्च पशुपक्षि सरीसृपाः ॥ 

त्वया विलोकिताः सरवे दैन्यमाशु ब्रजन्ति ते।
 ब्रह्मा शक्रो हरिश्चैव ऋषयः सप्तारकाः॥ 

राज्यभ्रष्टाः पतन्त्येते त्वया दृष्टयाव लोकिताः। 
देशाश्च नगर ग्राम द्वीपाश्चैव तथा द्रुमाः॥ 

त्वया विलोकिताः स्वे विनश्यन्ति समूलतः। 
प्रसादं कुरु हे सौरे। वरदो भव भास्करे॥

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबलः। 
अब्रबीच्च शनिर्वाक्यं दृष्टरोमा च पार्थिव॥

 तुष्टोऽहं तव॒ राजेन्द्र स्तोत्रेणानेन सुब्रत। 
एवं वरं प्रदास्यामि यत्ते मनासि वर्तते॥

इस स्तोत्र के अर्थ:

सभी का विनाश करने वाले हे सूर्य पुत्र! तुम्हे नमस्कार है। देवता, असुर, मनुष्य, पशु-पक्षी, सर्पं आदि आपकी दुष्टि मात्र से ही दुःखी हो जाते हैं। ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र आदि पर तुम्हारी दृष्टि जब पड़ती है तो ये अपने पदों से हट जाते हैं। देश, नगर, ग्राम, द्वीप तथा वृक्षादि तुम्हारी दृष्टि पड़ते ही नष्ट हो जाते हैं। अतः हे सूर्यतनय! हमारे ऊपर प्रसन्न होकर तुम शुभवर दो। इस तरह दशरथ द्वारा स्तुति किये जाने पर महाबली ग्रहों के राजा शनि ने प्रसन्न होकर कहा, 'हे राजेन्द्र! मैं तुम्हारे इस स्तोत्र से प्रसन्न हूँ अब मैं तुम को एसा वर प्रदान करूँगा जो तुम्हारे मन में है।'

श्री शनि स्तोत्र (Shri Shani Stotra)-२  

श्री शनैश्चराय नमः।

नीलाञजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।

प्रचण्डं पश्यामि शनैश्चरं,
रोहिणीतनयं तमोमदं देवम्।

छायायार्धदेवं तमीडेरयाद्यं,
ब्राह्मणः केनेदं यत्पाठयेद्भक्त्या।

यो नित्यं प्रतिभासी पुत्रः शनैः,
पुत्रार्थी च सतां वत्सलः सदा।

तस्य नास्ति योग्यो ग्रहे पुनीहि,
तस्मै नमः श्री शनैश्चराय च।

इस स्तोत्र का पाठ भक्तिभाव से करने से भक्त को शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और उसकी शनिदेव से कृपा बनी रहती है। शनिदेव का ध्यान और पूजा करने से जीवन में संघर्षों का सामना करना आसान हो सकता है और उच्च स्थिति और समृद्धि प्राप्त हो सकती है।

भगवान शनिदेव का परिचय

शनिदेव, न्याय के देवता और कर्मफल के नियमों के पालनकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। उनकी धारा शनि स्तोत्र में हमें उनके अद्वितीय गुणों और महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
 शनि स्तोत्र का महत्व
शनि स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करना आसान हो जाता है। यह स्तोत्र भगवान शनिदेव के प्रति श्रद्धाभक्ति को बढ़ावा देता है और उनकी कृपा को आकर्षित करता है।

 शनि स्तोत्र के लाभ

1. कष्ट निवारण: शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले कठिनाइयों का समाधान होता है।
2. भूतपूर्व सुख: इस स्तोत्र के पाठ से जीवन में सुख-शांति की भावना बनी रहती है और व्यक्ति अपने परिवार और समाज में सकारात्मक परिवर्तन का सामना करता है।
3. अध्यात्मिक उन्नति: शनि स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति अध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ता है और अपने आत्मा के साथ मिल जुलकर जीवन को एक सार्थक दिशा में ले जाता है।

 स्तोत्र की विशेषताएं

शनि स्तोत्र का पाठ करने से पहले ध्यान देने योग्य कुछ विशेषताएं हैं:
स्तोत्र का प्रारंभ पंचमंत्र से करें, जो भगवान शनिदेव के आशीर्वाद को बढ़ावा देते हैं।
ध्यानपूर्वक मन को शुद्ध करें और श्रद्धाभक्ति भाव से स्तोत्र का पाठ करें।स्तोत्र का नियमित पाठ करने से पहले भगवान शनिदेव की पूजा करें और उनसे कृपा की प्रार्थना करें।


इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हमने शनि स्तोत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं को जाना और यह समझा कि इसका पाठ करकेहम अपने जीवन को कैसे सुखमय और समृद्धिपूर्ण बना सकते हैं। इसे नियमित रूप से पाठ करना हमारे जीवन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करता है और हमें भगवान शनिदेव की कृपा का अहसास कराता है।आप सभी से अनुरोध है कि इस स्तोत्र का नियमित पाठ करें और अपने जीवन को आनंदमय बनाएं। भगवान शनिदेव आपके सभी प्रयासों को सफल बनाएं और आपको सुख-शांति प्रदान करें।
धन्यवाद। 

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