श्री शनि कवच, (Shani Kavach) जो एक अद्वितीय सुरक्षा मंत्र है, वेदों और पुराणों में जिसका वर्णन मिलता है। इस मंत्र का उच्चारण शनिवार के दिन और शनि ग्रह की दशा में किया जाता है, जो व्यक्ति को अनगिनत अच्छे फल देता है। इस ब्लॉग में, हम श्री शनि कवच के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देंगे।
Shani Kavach:श्री शनि कवच के लाभ
१ . शनि दशा प्रभाव में लाभ:शनि कवच का नियमित पाठ करने से उन व्यक्तियों को लाभ होता है जो शनि की दशा के प्रभाव में हैं।
२ . मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं:इस कवच का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे शनिदेव की कृपा मिलती है।
३ . जन्म कुंडली के दोष दूर होते हैं:शनि कवच का नियमित उच्चारण करने से जन्म कुंडली में शनि ग्रह के कारण आने वाले दोष दूर हो जाते हैं।
४ . शनि दशा में सहायक:शनि दशा से गुजर रहे व्यक्ति के लिए हर शनिवार "शनि कवच" का पाठ करना उत्तम है, जो शनि देव के प्रकोप को शांत करता है।
५ . शांति की प्राप्ति:हर शनिवार या शनि जयंती पर शनि कवच का पाठ करने से जीवन में शांति की प्राप्ति होती है।
६ . साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान सुरक्षा:शनि कवच का पाठ करने से साढ़ेसाती और ढैय्या के समय व्यक्ति को सुरक्षित रखने में मदद होती है।
७ . धूप-दीप आरती के साथ पूजा: शनि कवच का पाठ करने के बाद धूप व दीप आरती करने से जीवन में मन, वचन, और कर्म से हुई त्रुटियों की क्षमा मिलती है और शनिदेव से कृपा प्राप्त होती है।
८ . बर्बादी से बचाव:शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती के कारण होने वाली बर्बादी से बचने के लिए शनि कवच प्रभावी है।
९ . बढ़ता आत्मविश्वास:शनि कवच का प्रयोग करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सक्रिय रूप से काम करता है।
शनि कवच का पाठ कैसे करे
शनि कवच का पाठ करने का उचित तरीका निम्नलिखित है:
1. स्नान: सुबह के समय स्नान करें ताकि शुद्धि बनी रहे और आप आध्यात्मिक क्रियाओं में समर्थ हों।
2. शनि कवच का मतलब समझें:पहले शनि कवच का मतलब हिंदी में समझें, ताकि आप इसके महत्वपूर्ण शब्दों को सही भावना के साथ पढ़ सकें।
3. मन्त्रों का जाप: शनि कवच में दी गई मंत्रों का नियमित जाप करें। मंत्रों का सही उच्चारण और सावधानीपूर्वक जाप करने से आपका मन ध्यानित रहेगा और आप आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
4. ध्यान और भक्ति:शनि कवच का पाठ करते समय ध्यान और भक्ति के साथ करें। भगवान शनि की उपासना में भावनाओं को सहजता से शामिल करें।
5. पूजा और आरती:शनि कवच का पाठ करने के बाद भगवान शनि की मूर्ति या तस्वीर के सामने पूजा और आरती करें। इससे आपका भगवान के साथ भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है।
6. नियमितता: शनि कवच का नियमित रूप से पाठ करें, विशेषकर शनिवार को या शनि के विशेष दिनों पर। नियमितता से ही इसके प्रभाव को अधिकतम किया जा सकता है।
7. आध्यात्मिक प्रवृत्ति:शनि कवच का पाठ करने से आध्यात्मिक प्रवृत्ति बढ़ती है, और व्यक्ति को आत्मा के साथ गहरा संबंध महसूस होता है।
शनि कवच का पाठ करने से आप अपने जीवन को सुरक्षित, सुखमय, और आरोग्यमय बना सकते हैं, जब आप इसे आध्यात्मिक दृष्टि से अपनाते हैं और नियमित रूप से इस पूजा का पालन करते हैं।
Shani Kavach:श्री शनि कवच
श्री शनि कवच: अद्वितीय सुरक्षा मंत्र" एक अद्भुत आध्यात्मिक उपाय है जो व्यक्ति को जीवन की अड़चनों से निकालकर उसे सुरक्षित रखता है। इस मंत्र के माध्यम से हम अपने जीवन को सकारात्मकता और शांति की दिशा में मोड़ सकते हैं और शनि देव के आशीर्वाद से आने वाले फलों का आनंद उठा सकते हैं। इसलिए, इस मंत्र को नियमित रूप से जाप करना हर किसी के जीवन को सकारात्मक बना सकता है।
नीलाम्बरो नीलवपुः किरीटी गृध्च स्थितस्त्रास करो धनुष्मान्।
चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसननः सदा मम् स्याद् वरदः प्रशान्तः ॥
ब्रहमा उवाचः
श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महत् ।
कवचं शनि राजस्य सौरेदिमनुत्रमम, ॥
कवचं देवतावासं सर्वसौभाग्य दायकम्।
शनैश्चर प्रीतिकरं सर्वसौभाग्य दायकं ॥
शनैश्चरः पातु भालं मे सूर्यनन्दनः।
नेत्रे छायात्मजः पातु-पातु कर्णो यमानुजः ॥
नासां वैवस्वतः पातु मुखं मे भास्करिः सदाः।
स्निग्ध कण्ठश्च मे कण्ठं भुजो पातु महाभुजः ॥
स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करो पातु शुभप्रदः।
वक्षः पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसि तस्तथा॥
नाभिः ग्रहपतिः पातु मन्दः पातु कटिं तथा।
उरु यमान्तकः पातु यमो जानुयुगं तथा॥
पादौ मन्दगतिः पातु सर्वगम् पातु पिप्पलः।
अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेत् सूर्यं सुतश्च मे॥
कवचं शनिदेवस्य यः पठेत्प्रयतः शुचिः।
न तस्य जायते पीड़ा प्रीतो भवति सूर्यजः॥
उसे कोई पीड़ा नहीं होती, वह सूर्य के समान प्रिय होता है॥"
इस पंक्ति में बताया जा रहा है कि शनिदेव का कवच यदि श्रद्धापूर्वक और शुद्ध चित्त के साथ पढ़ा जाए, तो उस व्यक्ति को कोई भी पीड़ा नहीं होती और वह सूर्य के समान प्रिय होता है। इस प्रकार, यह कवच शनिदोष से मुक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए शक्तिशाली माना जाता है।
व्यय जन्म द्वितीयस्थो मृत्यु स्थान गतोऽविवा।
कलत्र स्थान. गतोऽवापि सुप्रीतस्तु सदा शनिः ॥
अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्म द्वितीयगे।
कवचं पठतो नित्यं न पीडा जायते क्वचित्।।
इत्येत्कवचं दिव्यं सौरेर्यनिमितं पुरा।
द्वादशाष्टम् जन्मस्थ दोषाननारयते सदाः ॥
जन्म लग्नस्थितान् दोषान् सर्वाननाशयते प्रभुः ॥
"जो जन्म-लग्न में स्थित दोषों को हर देता है, वह सर्वशक्तिमान प्रभु है॥"
इस पंक्ति में बताया जा रहा है कि जो दिव्य कवच सूर्यपुत्र के निमित्त से पूर्व में उत्पन्न हुआ है, वह सभी जन्म-लग्न में स्थित दोषों को नष्ट करने में सक्षम है। इस प्रकार, इस कवच का पाठ करने से भक्त को जन्म-लग्न से सम्बंधित समस्त दोषों का नाश हो सकता है।
शरीर के अंगों-उपांगों कौ रक्षा हेतु शनि कवच' का पाठ करना परम आवश्यक है तत्पश्चात शनिदेव को प्रसन करने हेतु पूर्णं श्रद्धा एवम् विश्वास से शनि स्तोत्र, शनि स्तवराज आदि का पाठ करे । आपके द्वारा की गयी पूजा से यदि शनि देव प्रसन हो गये तो आपको धन सम्पत्ति वभव, ऐश्वर्य , सुख आदि सभी कुछ प्रदान करेगे। अब यह उनकी इच्छा पर निर्भर है कि वे प्रसन होते हैँ या नहीं किन्तु आप भी निराश न हँ वेदों आदि ने कहा हँ- मनुष्य देवताओं के अधीन हैँ ओर देवता मंत्रो के अधीन रहते हैँ । अतः वैदिक मंत्रो से कौ गयी उपासना उन तक पहंचती हैओर वे उपासक पर प्रसन होते हैँ ।