Somnath Jyotirlinga And Its Temple Full Detail In Hindi

 
SOMNATH JYOTIRLINGA

ज्योतिर्लिंग का मतलब भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना यानि खुद प्रकट होना जब की  शिवलिंग  मानवो मानव द्वारा निर्मित होता है और कुछ ही  स्वयंभू शिवलिंग हैं । देश में १२ज्योतिर्लिंग जिसमे सर्व प्रथम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग( SOMNATH JYOTIRLINGA) का स्थान आता है।  श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग ( SOMNATH JYOTIRLINGA) भारत के गुजरात राज्य में स्थित है।तो आईये जानते है श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग ( SOMNATH JYOTIRLINGA) और सोमनाथ मंदिर(SonathTemple) सोमनाथ के  इसके रहस्य और कथा के बारे में ।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग,सोमनाथ मन्दिर (SOMNATH JYOTIRLINGA Somnath Temple)



सोमनाथ मन्दिर(Somnath Mandir)भारत के गुजरात राज्य मैं स्थित है। इसे १२ ज्योतिर्लिंग मैं सवपर्थम माना  जाता है। यह गुजरात के  सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बन्दरगाह में स्थित है। ऋग्वेद  के अनुशार इसका निर्माण  स्वयं चन्द्रदेव ने किया था ।यह मंदिर पुराने समय मैं अत्यन्त वैभवशाली हुआ करता था ,जिसके कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया।


कहा जाता है की सोमनाथ मंदिर को सर्व प्रथम चंद्रदेव ने सोने से बनवाया था तत्पश्चात त्रेता युग मे  इसे चांदी से बनवाया गया था उसके बाद भगवन श्री कृष्णा ने चन्दन से बनवया था आधुनिक भारत मैं इसका पुन निर्माण तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल और राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी  ने करवाया


जिसे १ दिसम्बर 1985 को तत्कालीन राष्ट्पति डॉ शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र  समर्पित किया था ।  चैत्र, भाद्रपद, कार्तिक माह में यहाँ श्राद्ध करने का विशेष महत्त्व बताया गया है।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा STORY OF SOMNATH JYOTIRLINGA

पुराणों मैं बर्णित कथा के अनुशार चंद्रदेव ने दक्ष पजापति के 27 कन्याओ से विवाह किया लेकिन रोहणी के प्रति उसके विशेष स्नेह था तब दक्ष पजापति के शेष कन्याओ अपने पिता से इसके बारे मैं शिकायत की

 इसे भी पढ़े :- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह सुन दक्ष पजापति को बहुत क्रोध  आया औरउसने चन्द्रमा को श्राप दिया की अब से हर दिन उसका तेज क्षीण होता रहेगा। 


फलस्वरूप हर दूसरे दिन चन्द्र का तेज घटने लगा। इस श्राप से दुखी चन्द्रमा को ऋषि नारद ने सोमनाथ छेत्र मैं जाकर  भगवान शिव की तपस्या करने की सलाह दिया इसके बाद चंद्र ने तपस्या  करना शुरू  कर दिया, उनकी कठोर तपस्या से भगवन शिव काफी खुश हुए और उनका शाप का निवारण किया। 
 
 
तत्पश्चात चन्द्रमा ने भगवान  शिव से वही बिरजाने का अनुरोध किया तब से  भगवान  शिव ज्योतिर्लिंग के रूप विराजमान है सोमनाथ मंदिर  पास ही भगवान ने अपना श्री कृष्णा ने अपना देह त्यागा था
 

कुछ मलेच्छो ने आज कल एक नया सगूफा छेड रखा है, की भगवान कृष्णा अगर इतने शक्तिशाली थे तो वो एक बहेलिया के छोटे से बाण से क्यो  मर गए तो उन मूर्खो के लिए मैं ये बताना चाहता हु की भगवान् मरते नहीं है वो अपनी लीला समाप्त होने के बाद देह त्यागते है, क्योकि परिवर्तन ही संसार का नियम है अब दूसरी बात की बहेलिया के छोटे से बाण से क्यो  मर गए तो इसकी अलग कहानी है

इसे भी पढ़े   Nageshvara Jyotirlinga 

 कहानी उस समय की है। जब महाभारत का युद्ध  चल रहा था तब बर्बरीक  ने अपनी माँ से आशीर्वाद ले कर युद्ध मैं भाग लेने की इक्छा जताई माँ ने उसे आशीर्वाद दिए की तुम हारे  हुए का साथ देना ।माँ को वचन दे कर बर्बरीक अपने तेज नीले घोड़े पर सवार होकर युद्ध के लिए निकल पड़े  भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक की परीक्षा लेने के लिए ब्राह्मïण के भेष में उसके पास पहुंचे। भगवान ने बर्बरीक की मन की बात जानने के लिए उससे पूछा कि तुम किसकी और से युद्घ लडऩे आए हो ,तब बर्बरीक ने कहा कि जो कमजोर पक्ष होगा उसकी ओर से युद्ध में लडूंगा। भगवान ने बर्बरीक से कहा कि तुम तीन बाणों से सारी सेना को कैसे नष्ट कर सकते हो


ऐसा सुनने पर बर्बरीक ने उत्तर दिया कि एक बाण ही शत्रु सेना को हारने के लिये पर्याप्त है । यदि तीनों बाणों को प्रयोग में लिया गया तो तीनों लोकों में हाहाकार मच जाएगा।  तब बर्बरीक ने कहा कि सामने वाले पीपल वृक्ष के सभी पत्ते एक बाण से  छेद हो जायेगा तब बर्बरीक ने तुणीर से एक बाण निकाला और ईश्वर को स्मरण कर बाण पेड़ के पत्तों की ओर चलाया।तीर ने क्षण भर में पेड़ के सभी पत्तों को भेद दिया और श्रीकृष्ण के पैर के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लगा, क्योंकि एक पत्ता उन्होंने अपने पैर के अंघूठे के नीचे दवा रखा था  लिया था, बर्बरीक ने कहा कि आप अपने पैर को हटा लीजिए वरना ये आपके पैर को चोट पहुँचा देगा।भगवान ने तब अपना पैर  पत्ते से  हटा लियाचुकी ये तीर बर्बरीक को काफी तपस्या करने के बादमाँ भगवती से मिला था तो इसलिए भगवान् ने कहा की मेरा ये अंगूठा अब से मेरे शरीर का सबसे कमजोर भाग रहेगा इसलिए बहेलिया के छोटे से बाण से उन्होंने अपने लीला समाप्त की।

इतिहास HISTORY

सोमनाथ मन्दिर भारत के गुजरात राज्य के  सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बन्दरगाह में स्थित हे कहा जाता है की इस मंदिर को आक्रमणकारी ने १७ बार लूटा और बसाया गया अरब यात्री अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा , जिसे सुन कर महमूद ग़ज़नवी ने सन 1024 मैं सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर दिया उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया, और जितने भी लोग वहा पर पूजा कर रहे थे सबको मार दिया कहा जाता है


उस समय अपने चुम्बकीये गुण के कारण शिव लीग हवा मैं तैर रहा था ये देख महमूद ग़ज़नवी भी आश्चर्य चकित था
 
 
 इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका इसका पुनर्निर्माण कराया 1297 में दिल्ली  का सुल्तान ने आक्रमण किया और इसे पांचवी बार लुटा और गिरया गया 1706 में  मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः गिरया इस प्रकार मंदिर का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा ,पर शिवलिंग यथावत रहा।सन 1048 में महमूद गजनी ने जो शिवलिंग खण्डित किया, वह यही आदि शिवलिंग था। इसके बाद प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खण्डित किया। इसके बाद कई बार मन्दिर और शिवलिंग को खण्डित किया गया। बताया जाता है आगरा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मन्दिर के हैं। 

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के रहस्य MYSTERY OF SOMNATH JYOTIRLINGA

हमारे  पूर्वज कितने ज्ञानी थे इसका जीता जगता  उदाहरण है सोमनाथ मंदिर  मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे 'बाण स्तंभ' है जिसक उल्लेख इतिहास में मिलता है।
 

बाण स्तंभ' एक दिशादर्शक स्तंभ है, जिसमे एक तीर बना हुआ है जिसका 'मुंह' समुद्र की ओर है। और इसमें संस्कृत मैं लिखा हुआ है आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योर्तिमार्ग'। जिसका मतलब  है  की समुद्र के इस बिंदु दक्षिण ध्रुव तक सीधी रेखा में कोई भी अवरोध या बाधा नहीं है।अब सोचने वाली बात है की उस काल में भी लोगों को ये जानकारी थी कि साउथ पोल  कहां है
 

सोमनाथ मंदिर कैसे जाएं

ट्रैन से -सोमनाथ मंदिर का सबसे नजदीकी स्टेशन वेरावल है जहा से सोमनाथ की दूरी ५ किलोमीटर है 
अगर आप बाय रोड सोमनाथ आना चाहते हैं तो आपको राजकोट अहमदाबाद से सोमनाथ तक की बहुत सी बस मिल जायेगी। इसके अलावा अगर आप अपनी पर्सनल गाड़ी से  वेरावल होते हुए भी आप सोमनाथ जा  सकते हैं।
 
 
गुजरात का केशोद एयरपोर्ट ही सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, यहाँ  से सोमनाथ  55 किमी. की  है।  आप दीव एयरपोर् जा सकते हैं,  सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से इसकी दूरी करीब 82-86 किमी. है। इन दोनों एअरपोर्ट से आप बस और टैक्सी के माध्यम से सोमनाथ ज्योतिर्लिंग बड़े ही आसानी से पहुंच सकते हैं।गुजरात में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग जाने के लिए आपको गुजरात के सभी जगहों से आसानी से बस मिल जाएगी। गुजरात जाने के लिए आपको इसके नजदीकी शहरों जैसे नाशिक, मुंबई, इंदौर, उदयपुर, और औरंगबाद जैसे अन्य कई बड़े शहरों से बेहद आसानी से बस मिल जाएगी। इन शहरों से गुजरात जाने के बाद आप वहां के लोकल या गवर्नमेंट बस के माध्यम से सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पहुंच सकते हैं।
 
 
सोमनाथ मंदिर के आसपास बहुत सारे प्राइवेट होटल हैं, जिनका किराया ₹ 700-1400 के बीच रहता है। सोमनाथ मंदिर के पास में ही कुछ धर्मशाला भी हैं। अगर आप धर्मशाला में रात को ठहरते हैं, तो आपको धर्मशाला में 24 घंटे के लिए मात्र ₹ 100-300 ही किराया देना पड़ेगा। आपको जो भी पसंद पड़े, आप उसमें अपनी रात बिता सकते हैं।
 
 

 

 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने