Kedarnath Jyotirlinga in Hindi श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग


भगवान के १२ ज्योतिर्लिंगों के क्रम मैं हम आज आपको केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga )के बारे मैं बताते है। । श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga) १२ ज्योतिर्लिंगों के क्रम मैं ५ वे स्थान पे आता है। । श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga) १२ ज्योतिर्लिंगों मैं सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बसा है। ये मंदाकिनी नदी के किनारे 3581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।। श्री Kedarnath Jyotirlinga श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले मैं स्थित है।। यह ज्योतिर्लिंग चार धाम और पंच केदार में से भी एक है।। यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है।।मन्दिर के बारे में कहा जाता है। कि इसका निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है।। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

 

Kedarnath Jyotirlinga in Hindi श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग


Kedarnath Jyotirlinga ki katha श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

केदारनाथ मंदिर की कथा Kedarnath temple Story --- भगवान् विष्णु के दो अवतार नर और नारायण , बद्रिकाश्रम तीर्थ मैं भगवान् का पार्थिव शिवलिंग बना कर रोज भक्ति भाव से उस लिंग की पूजा करते थे शिवजी भक्तो के अधीन होते है। इसलिए प्रतिदिन उसके बनाये हुई पार्थिव शिवलिंग मैं पूजित होने के लिए आते थे।

Kedarnath Jyotirlinga


एक दिन भगवान् प्रकट हुए और उनसे कहा की मैं तुम्हारी तपस्या से बहुत खुश हु तुम मनचाहा बार मांग लो तब नर और नारायण ने लोगो के हित को धयान मैं रखते हुए उनसे आग्रह किया की अगर आप खुश है। तो आप अपने पूर्ण शरूप मैं यही बिराजमान हो जाइये तब से भगवान् केदारनाथ मैं ज्योतिर्लिंग के रूप मैं स्थित हो गए और केदारेश्वर के नाम से जाना जाने लगे।

इसे भी पढ़े:- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

दूसरी कथा के अनुसार जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ तबपांडवों पर गोहत्या, ब्रह्महत्या, गुरुहत्या आदि कई पाप थोपे गए थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें इस पाप से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव की शरण में जाने को कहा। वे अपने किए पाप से बहुत क्रोधित थे, इसलिए वे पांडवों से मिले बिना चले गए, पांडवों ने उन्हें हर जगह खोजा लेकिन वे नहीं मिले, इसके बाद वे उन्हें खोजने के लिए हिमालय के पहाड़ों पर आए। लिया और मैं अन्य जानवरों के बीच गए ताकि पांडव उन्हें पहचान न सकें। अंत में भीम ने एक उपाय सोचा, अपने शरीर को बहुत बड़ा कर लिया और एक पैर एक पहाड़ी पर और दूसरा पैर दूसरी पहाड़ी पर रख दिया, महादेव की तलाश शुरू कर दी, 

 इसे भी पढ़े:-ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग


भीम का रूप देखकर सभी जानवर इधर-उधर भागने लगे लेकिन एक बैल की जान चली गई। यह देखकर कि वह उस स्थान पर खड़ा है, भीम समझ गया कि यह बैल महादेव का रूप है, वह बैल अवतार के साथ पृथ्वी में विलीन होने लगा। भगवान शिव के बैल अवतार को पृथ्वी में प्रवेश करते देख भीम तेजी से उनकी ओर दौड़े और बैल की पीठ को अपने हाथों से पकड़ लिया। भीम के हाथों में बैल की पीठ पकड़े रहने के कारण वह वहीं रह गई जबकि बैल के अन्य चार भाग उत्तराखंड में चार अन्य स्थानों पर चले गए। आज उसी स्थल पर चार अन्य केदार हैं। इनमें भगवान शिव के बैल अवतार रुद्रनाथ में, भुजाएं तुंगनाथ में, नाभि मदमहेश्वर में और बाल कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इन पांच स्थानों को सामूहिक रूप से पंचकेदार के नाम से जाना जाता है।केदारनाथ मंदिर कब खुलता है केदारनाथ मंदिर कब खुलता हैकेदारनाथ मंदिर के कपाट आमतौर पर मई में खुलते हैं और अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में बंद हो जाते हैं, उसके बाद केदारनाथ मंदिर के कपाट 6 महीने बाद मई में फिर से खुलते हैं। यानी केदारनाथ मंदिर के कपाट मई से अक्टूबर तक सिर्फ 6 महीने ही खुले रहते हैं और नवंबर से अप्रैल तक के बाकी 6 महीने केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.।

 इसे भी पढ़े:-मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ मंदिर Kedarnath Temple

मन्दिर का स्वरूप अत्यंत सुंदर है, जिसमें वास्तुकला का अद्भुत प्रदर्शन होता है। यह मन्दिर लगभग 80 फीट ऊंचा है और इसे पाण्डवों ने महाभारत काल के बाद निर्माण किया था, हालांकि किसी ऐसे लेखक द्वारा इस निर्माण का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है। मन्दिर में स्थानीय पत्थर का उपयोग किया गया है और वे तराशे गए हैं। इसका स्वरूप चतुष्कोणात्मक है, अर्थात् चारों ओर से आकृति लिए गए हैं।मन्दिर के गर्भगृह में भगवान शिव का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है, जो एक वृहद् शिला के रूप में स्थापित है। गर्भगृह के बाहर मां पार्वती जी की पाषाण मूर्ति स्थापित है और सभामण्डप में पंच पांडव, श्री कृष्ण और मां कुन्ती जी की मूर्तियां हैं। मुख्य द्वार पर गणेश जी और श्री नंदी जी की पाषाण मूर्तियां स्थापित हैं। परिक्रमा पथ में अमृत कुंड भी है। इसी पथ के पूर्व भाग पर भैरवनाथ जी की पाषाण मूर्ति स्थापित है और लगभग 50 मीटर उत्तर-पश्चिम की ओर शंकराचार्य समाधि है, जिसकी नई मूर्ति वर्ष 2021 में स्थापित की गई है।मुख्य मंदिर से लगभग 200 मीटर पूर्व की ओर, केदार क्षेत्र के रक्षक भगवान भैरव जी की पाषाण मूर्ति एक नव्यशिला पर स्थापित है। श्री केदारनाथ मंदिर में भगवान के ज्योतिर्लिंग की पूजा-अर्चना सभी यात्रियों को स्वयं अपने हाथों से स्पर्श करने की अनुमति है। पूजा कराने के लिए आचार्य वेदपाठी नियुक्त हैं, और भगवान की नित्य नियमित पूजा हेतु वीरशैव जंगम सम्प्रदाय के पुजारी नियुक्त होते हैं। श्री केदारनाथ जी की पूजा शैव पद्धति के अनुसार की जाती है।

यह मंदिर छह फुट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना है। मंदिर का मुख्य भाग गर्भगृह के चारों ओर मंडप और परिक्रमा पथ है। नंदी प्रांगण के बाहर बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। कहा जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मंदिर को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है, गर्भगृह का मध्य भाग गर्भगृह के बीच में भगवान केदारेश्वर जी का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग विराजमान है, जिसमें गणेश जी की मूर्ति के साथ-साथ माता पार्वती के श्री यंत्र भी हैं। बैठा। ज्योतिर्लिंग पर प्राकृतिक योगशिल्प और ज्योतिर्लिंग की पीठ पर प्राकृतिक क्रिस्टल माला आसानी से देखी जा सकती है। 

 

श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग में एक नया लिंगकर देवता है, इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग को नव लिंग केदार भी कहा जाता है, इसकी पुष्टि स्थानीय लोक गीतों से होती है। श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग चार विशाल स्तंभों से घिरा हुआ है, जो चार वेदों के प्रतीक माने जाते हैं, जिन पर विशाल कमल के समान मंदिर की छत टिकी हुई है। 

 

श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग

 

 इसे भी पढ़े:-सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और इसके रहस्य

ज्योतिर्लिंग के पश्चिमी किनारे पर एक अखंड दीपक है, जो कई हजारों वर्षों से लगातार जल रहा है, जिसे देखने और लगातार जलते रहने की प्राचीन काल से तीर्थयात्रियों की जिम्मेदारी रही है। गर्भगृह की दीवारों को सुंदर आकर्षक फूलों और कलाकृतियों से सजाया गया है। गर्भगृह में स्थित चार विशाल स्तंभों के पीछे से स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की परिक्रमा भगवान श्री केदारेश्वर जी के चारों ओर की जाती है। प्राचीन काल में श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के चारों ओर सुंदर कटे हुए पत्थरों से बनी जलेरी बनाई जाती थी। श्री योगेश जिंदल, प्रबंधक, काशी विश्वनाथ स्टील, काशीपुर ने मंदिर के गर्भगृह (वर्ष 2003-04) में एक नई आठ मिमी मोटी तांबे की जलेरी स्थापित की थी। दरवाजे एक अन्य दाता द्वारा अपने तीर्थ पुजारी की प्रेरणा से चांदी (चांदी) के बने होते हैं। इसके गर्भगृह की अटारी सोने से ढकी है।

श्री केदारनाथ मंदिर का इतिहास

श्री केदारनाथ जी के मंदिर की पूर्व दिशा में एक गुफा है जहां पाण्डवों ने अपने अंतिम यज्ञ संपन्न किया था। केदारनाथ जी के कपाट बैसाख मास के अक्षय तृतीया के बाद ही खुलते हैं और भैयादूज के दिन बंद हो जाते हैं। शेष छह महीनों के लिए, भगवान शिव की पूजा ऊखीमठ में की जाती है। ऊखीमठ में भगवान ओंकारेश्वर जी का विशाल और भव्य मंदिर है और यहीं पर श्री पंचकेदारों में भगवान श्री मदमहेश्वर जी की शीतकालीन छह महीनों की पूजा भी होती है। केदारखंड और स्कन्दपुराण में केदार यात्रा का महत्व वर्णित है, जहां कहा गया है कि श्री बदरीनाथ जी की यात्रा से पहले श्री केदारनाथ जी की यात्रा करनी चाहिए। जो भीगा भगवान श्री केदारनाथ का नाम स्मरण और शुभ संकल्प करता है, वह मनुष्य अत्यंत पुण्यात्मा और धन्य हो जाता है और अपने पितृगणों के कई पीढ़ियों का उद्धार करके भगवान की कृपा से साक्षात् शिवलोक को प्राप्त हो जाता है। पंचकेदार तीर्थ स्थलों का अपना अपना इतिहास और महत्व है, जो भगवान शिव-पार्वती जी द्वारा वर्णित किया जाता है। वर्तमान में भी इन तीर्थ स्थलों की यात्रा और भगवान के पुण्य दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
पंचकेदार यात्रा भारत में धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। यह यात्रा पंचकेदार नामक पाँच स्थानों के दर्शन को सम्मिलित करती है। इन पंचकेदार स्थलों के नाम हैं:
 
Kedarnath Jyotirlinga in Hindi श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ: यह स्थान उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां पांडवों ने अपने अंतिम यज्ञ को संपन्न किया था।

तुंगनाथ: यह स्थान उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां पंडवों ने अपने अंतिम यज्ञ का एक अंग किया था।

मदमहेश्वर: यह स्थान उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। मदमहेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां पंडवों ने अपने अंतिम यज्ञ का एक अंग किया था।

रुद्रनाथ: यह स्थान उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। रुद्रनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां पंडवों ने अपने अंतिम यज्ञ का एक अंग किया था।

काल्पेश्वर: यह स्थान उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। काल्पेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां पंडवों ने अपने अंतिम यज्ञ का एक अंग किया था।

यह पंचकेदार स्थलों की यात्रा भक्तों और तीर्थयात्रियों के बीच प्रसिद्ध है। यात्रा के दौरान लोग इन मंदिरों में भगवान शिव की पूजा और दर्शन करते हैं और इसे अपने आध्यात्मिक साधना और मुक्ति की प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर मानते हैं।

केदारनाथ कैसे पहुंचे केदारनाथ जाने का खर्च How to reach Kedarnath Cost of going to Kedarnath

केदारनाथ जाने के लिए सबसे पहले आपको हरिद्वार या ऋषिकेश जाना पड़ेगा। हरिद्वार जाने के लिए आप दिल्ली के आनंदविहार  या बसअड्डा से हरिद्वार के लिए बस ले सकते है बस का किराया 300 से 600 के बीच होता है, आप चाहे तो दिल्ली से ट्रैन भी ले सकते है। जिसका टिकट प्राइस २०० से शुरू होता है
 
निचे कुछ ट्रैन की सूची दी जा रही है आप अपने सुबिधा अनुसार यात्रा का प्लान बना सकते है  
Train Departure Arrival Duration Distance
DDN JANSHTBDI #12055 3:20 PM NDLS (NEW DELHI) 7:33 PM HWH (HARIDWAR JN) 4h13m 253 kms
DDN SHTBDI EXP #12017 6:45 AM NDLS (NEW DELHI) 11:30 AM HWH (HARIDWAR JN) 4h45m 263 kms
BDTS HW SF EXP #22917 10:50 AM NZMH (NIZAMUDDIN) 3:50 PM HWH (HARIDWAR JN) 5h25m 251 kms
BL HARIDWAR EXP #12911 10:50 AM NZMH (NIZAMUDDIN) 4:15 PM HWH (HARIDWAR JN) 5h25m 251 kms
LTT HW AC EXP #12171 7:10 AM NZMH (NIZAMUDDIN) 12:55 PM HWH (HARIDWAR JN) 5h45m 251 kms
KCVL YNRK EXP #22659 12:55 PM NZMH (NIZAMUDDIN) 6:45 PM HWH (HARIDWAR JN) 5h50m 251 kms
UJJAINI EXPRESS #14309 11:25 AM NZMH (NIZAMUDDIN) 5:17 PM HWH (HARIDWAR JN) 5h52m 264 kms
INDB DDN EXP #14317 11:25 AM NZMH (NIZAMUDDIN) 5:17 PM HWH (HARIDWAR JN) 5h52m 264 kms
MDU CDG EXPRESS #12687 9:10 PM NZMH (NIZAMUDDIN) 3:05 AM HWH (HARIDWAR JN) 5h55m 260 kms
UTKAL EXPRESS #18477 3:00 PM NZMH (NIZAMUDDIN) 9:15 PM HWH (HARIDWAR JN) 6h15m 255 kms
OKHA DDN EXP #19565 10:50 AM NDLS (NEW DELHI) 5:17 PM HWH (HARIDWAR JN) 6h27m 265 kms
MUSSOORIE EXP #14041 10:25 PM DLI (DELHI) 6:05 AM HWH (HARIDWAR JN) 7h40m 283 kms
YOGA EXPRESS #19031 4:16 AM DEC (DELHI CANTT) 12:10 PM HWH (HARIDWAR JN) 7h54m 262 kms
UDZ YNRK EXP #19609 2:36 AM DEC (DELHI CANTT) 10:30 AM HWH (HARIDWAR JN) 7h54m 249 kms
BDTS HW EXP #19019 5:40 AM NZMH (NIZAMUDDIN) 2:35 PM HWH (HARIDWAR JN) 8h55m 264 kms

हरिद्वार पहुंच कर आप वह से सोनप्रयाग का बस ले सकते है जिसका किराया 600 से 700 के करीब होता है दुरी लगभग 231 कम होता है और पहुंचने में कम से काम 7 से 8 घंटा का टाइम लगता है रास्ते में आप धारी देवी का मंदिर का भी दर्शन कर सकते है जो हरिद्वार से लगभग 142 km के दुरी पर स्थित है। 

धारी देवी का मंदिर गंगा नदी के मध्य में स्थित है रास्ते में देव प्रयाग में आप अलखनंदा और भगीरथी नदी का संगम होता है जो बाद में गंगा नदी में परिवर्तित हो जाता है।

सोनप्रयाग पहुंच कर आप १००० या १५०० में रूम बुक करा सकते है।

 सोनप्रयाग से गौरीकुंड के लिए आप सूमो या अन्य छोटेवाहन से गौरीकुंड जा सकते है  सोनप्रयाग से गौरीकुंड का किराया लगभग ५० रूपया होता है अब गौरीकुंड से आप पैदल यात्रा कर के केदारनाथ पहुंच सकते है गौरीकुंड केदारनाथ की दुरी १८ किलोमीटर है।

गौरीकुंड से  केदारनाथ आप घोड़े या खच्चर के द्वारा भी जा सकते है जिसका किरया २५०० के करीब होता है ।

केदार नाथ पहुंच कर रहने के लिए आपको हाउस हट या टेंट रहने के लिए मिल सकती है जिसका किराया ४०० से शुरू होता है आप इसका बुकिंग ऑनलाइन करवा सकते है ।

 
गौरीकुंड

 

केदारनाथ जाने का समय  Time to visit kedarnath

केदारनाथ जाने का सही समय मई से जून में होता है जबकि मंदिर मई से दिवाली तक खुला रहता है

श्री केदारनाथ और आसपास विश्रामगृह 

श्री केदारनाथ और आसपास के स्थानों में आपके आवास के लिए विकल्प निम्नलिखित हैं:

केदारनाथ मंदिर के आसपास रुकने के लिए बाबा केदार कैंप हाउस एक अच्छी और सस्ती जगह है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह एक टेंट हाउस की तरह है जहां आप चैन के साथ रुक सकते हैं और आसपास की जगहों पर आसानी से घूम सकते हैं। बाबा केदार कैंप हाउस की तरह से एक लॉकर भी दिया जाता है जिसमें आप कीमती सामान आसानी से रख सकते हैं। इस कैंप में आप लगभग 300-400 रुपये के अंदर आसानी से रूम बुक कर सकते हैं।

सीतापुर (सोनप्रयाग के पास) (केदारनाथ से लगभग 20 किमी): सीतापुर में निजी होटलों में आपको आवास करने की सुविधा मिलेगी। यह एक आप्रूण विकल्प है जहां आप ठहर सकते हैं।

BKTC सोनप्रयाग और गुप्तकाशी: श्री बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति के द्वारा संचालित विश्राम गृह उपलब्ध हैं। आप इस पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवास बुक कर सकते हैं। यह आपको रहने की सुविधा प्रदान करेगा और केदारनाथ दर्शन के लिए आदर्श स्थान है।

ये विकल्प आपको केदारनाथ और आसपास के स्थानों पर आवास करने की सुविधा प्रदान करेंगे और हेली/घोड़ा द्वारा एक ही दिन की यात्रा में केदारनाथ दर्शन करने में मदद करेंगे।

श्री केदारनाथ के  आसपास अन्य तीर्थ स्थान 

आइये जानते है केदारनाथ ज्योतिर्लिंग  के आस पास अन्य तीर्थ स्थल 

१-श्री तुंगनाथ मन्दिर Shree Tungnath Temple

श्री तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और यह चौखंबा पर्वतीय श्रृंग के नीचे स्थित है। यह मंदिर पर्वतीय शिखरों की ऊँचाई पर स्थित होने के कारण दुनिया के सबसे ऊँचे स्थानों में से एक माना जाता है।

श्री तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे पंचकेदार में एक मान्यता प्राप्त स्थान माना जाता है। पंचकेदार के अन्य मंदिरों के नाम हैं: केदारनाथ, मदमहेश्वर, रुद्रनाथ, तुंगनाथ और काल्पेश्वर। ये पांच मंदिर पांडवों के महाभारत काल में बनाए गए हैं और इन्हें देवभूमि उत्तराखंड की महत्त्वपूर्ण धार्मिक यात्राओं में से एक माना जाता है।

Kedarnath Jyotirlinga in Hindi श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

 

तुंगनाथ मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको एक ट्रेक करना पड़ेगा, जो कि आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 107 (बाद्री-केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग) से शुरू होता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 3.5 किलोमीटर (बैसलेन ताल से) की ट्रेकिंग करनी पड़ेगी। इस ट्रेक में आपको प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का अवसर मिलेगा, जिसमें घास के मैदान, गहरे घाटी के दृश्य, पहाड़ी वन, और बर्फ के पहाड़ का नजारा शामिल हैं।

तुंगनाथ मंदिर के आस-पास कई छोटे-बड़े आलय हैं और इसका निर्माण वाणिज्यिक दृष्टि से उत्तम प्राकृतिक स्थान का चयन करके किया गया है। मंदिर का मुख्य गोपुरम प्राकृतिक धार्मिक कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो पर्वतीय स्थान के साथ बहुत सुंदर लगता है।

तुंगनाथ मंदिर में प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के दौरान विशेष पूजा और आराधना की जाती है, जिसे लाखों भक्त और पर्यटक देखने के लिए आते हैं। यहां आने का सर्वाधिक उपयुक्त समय मार्च से नवंबर तक होता है, जब मौसम सुहावना होता है और ट्रेकिंग के लिए अच्छे यात्रा के मौसम का माध्यम रहता है।

श्री तुंगनाथ मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो प्राकृतिक सौंदर्य, आध्यात्मिकता, और शिव भक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यहां जाकर आप शांति, मन की प्रशांति और आध्यात्मिक आनंद का आनुभव कर सकते हैं।

 श्री तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे -How to reach Shri Tungnath Temple

तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए विभिन्न यातायात माध्यम उपलब्ध हैं। यहां आपको सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग का उपयोग करके पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग: आप तुंगनाथ मंदिर तक सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। आपको कुंड-गोपेश्वर मार्ग का उपयोग करना होगा, जो चोपता तक जाता है। इसके अलावा, आप ऋषिकेश से चमोली-गोपेश्वर-चोपता मार्ग का भी उपयोग कर सकते हैं। चोपता से तुंगनाथ मंदिर तक लगभग 3 किलोमीटर का पैदल मार्ग है और आप यहां पैदल यात्रा, घोड़ा या खच्चर (पालकी) का भी उपयोग कर सकते हैं।

रेल मार्ग: तुंगनाथ मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो लगभग 205 किलोमीटर दूर है। आप ऋषिकेश रेलवे स्टेशन तक पहुंचकर यात्रा कर सकते हैं।

हवाई मार्ग: तुंगनाथ के निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो लगभग 223 किलोमीटर दूर है। आप जॉली ग्रांट हवाई अड्डा पर उतरकर यात्रा कर सकते हैं।

यात्रा करने से पहले, सुनिश्चित करें कि आप अपनी यात्रा की योजना बना लें और स्थानीय पर्यटन विभाग या पर्यटन कार्यालय से विवरण प्राप्त करें।

२ -श्री  माता मूर्ती मन्दिर  Shri Mata Murti Mandir

माता मूर्ति मंदिर एक प्रमुख देवी मंदिर है जो माता मूर्ति को समर्पित है। यह मंदिर हर साल श्रावण मास के द्वादशी या वामन द्वादशी की पूर्व संध्या पर भव्य मेला आयोजित किया जाता है, जिसे देवोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह मेला बदरीनाथ जाने वाले यात्रियों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो अपनी यात्रा के दौरान माता मूर्ति की पूजा-अर्चना करते हैं।

इस मंदिर को पहुंचने के लिए विभिन्न यातायात माध्यमों का उपयोग किया जा सकता है। अगर आप सड़क मार्ग का चुनाव करते हैं, तो उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों से मार्ग उपलब्ध हैं। आप आईएसबीटीआई कश्मीरी गेट से हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर (गढ़वाल) के लिए उपलब्ध बस सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।

अगर रेल मार्ग का चुनाव किया जाता है, तो मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। आप ऋषिकेश रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से आसानी से पहुंच सकते हैं।

यदि आप हवाई मार्ग का चुनाव करते हैं, तो निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है, जो लगभग 314 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप यहां से आपकी गंतव्यस्थली तक टैक्सी या बस सेवा का उपयोग कर सकते हैं।

यात्रा करने से पहले, स्थानीय पर्यटन विभाग या पर्यटन कार्यालय से विवरण प्राप्त करना उचित होगा, ताकि आपको नवीनतम जानकारी और सही मार्ग ज्ञात हो सके। उन्हें आपकी यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए सलाह दी जाती है।

३- श्री ब्रह्मकपाल, शिला एवं परिक्रमा(Shri Brahmakapal, Shila and Parikrama)

ब्रह्म कपाल, बदरीनाथ मंदिर के समीप अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यह स्थान हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां वे विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं, साथ ही पिंडदान करते हैं।

 

Kedarnath Jyotirlinga in Hindi श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

मई, जून, सितंबर, और अक्टूबर यहां जाने के लिए सबसे उत्तम महीने हैं, जब मौसम साफ होता है और पर्यटन के लिए उपयुक्त होता है। इन महीनों में यात्रियों को आसानी से मंदिर तक पहुंचने का अवसर मिलता है और उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का मौका मिलता है।

अपनी यात्रा की योजना बनाते समय, स्थानीय पर्यटन विभाग से मौसम और यात्रा की जानकारी प्राप्त करना उचित होगा, ताकि आपको सही समय और सुरक्षित मार्ग के बारे में जानकारी मिल सके। उन्हें आपको भी स्थानीय पर्यटन स्थलों और सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी और सुझाव देने का काम करते हैं।

 श्री ब्रह्मकपाल, कैसे पहुंचे   , How To Reach Brahmakapal

सड़क मार्ग द्वारा: ब्रह्मकपाल बदरीनाथ के निकट स्थित होने के कारण उत्तराखण्ड राज्य के प्रमुख स्थलों से सड़क परिवहन के माध्यम से जुड़ा हुआ है। आईएसबीटी कश्मीरी गेट से हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर (गढ़वाल) के लिए बसें उपलब्ध हैं।
 
 रेल द्वारा: ब्रह्मकपाल से निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। हवाई मार्ग से: ब्रह्मकपाल से निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है जो कि लगभग 314 किमी की दूरी पर स्थित है।
 
हवाई मार्ग से: ब्रह्मकपाल से निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है जो कि लगभग 314 किमी की दूरी पर स्थित है 

४-श्री भविष्य बदरी मन्दिर (Shri Bhavishya Badri Mandir)

भविष्य बदरी मंदिर एक तीर्थस्थल है जो 2744 मीटर की ऊचाई पर स्थित है। यह मंदिर घने जंगलों से घिरा हुआ है और एक शांतिपूर्ण एवं प्राकृतिक वातावरण में स्थित है। यहां नरसिंह की सिंह सिर वाली प्रतिमा भी विराजमान है।

भविष्य बदरी मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको जोशीमठ के माध्यम से जाना पड़ेगा। यहां से तपोवन के पास स्थित सुभैन में मंदिर का स्थान है। जोशीमठ से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तपोवन में आपको सल्फरस हॉट स्प्रिंग्स भी देखने को मिलेंगे।

भगवान बदरीनाथ के मंदिर में माना जाता है कि जब कलियुग अपने शिखर पर होगा तो विष्णुप्रयाग के पास पटमिला में जय और विजय पर्वत ढह जाएंगे और इससे भविष्य बदरीनाथ के वर्तमान मंदिर को दुर्गम बना दिया जाएगा। इस प्रकार, भविष्य बदरी के नाम का शाब्दिक अर्थ होता है "भविष्य की बदरी"।

श्री भविष्य बदरी मन्दिर कैसे पहुंचा जाये How To Reach Shri Bhavishya Badri Temple

मंदिर तक पहुंचने के लिएसबसे अच्छा समय मार्च से मई और सितंबर से नवंबर तक होता है, क्योंकि इस समय आमतौर पर मौसम स्थिर और यात्रा के लिए अनुकूल होता है। यह वक्ती उच्च तापमान और भारी बर्फीले मौसम की वजह से यात्रा को कठिन बना सकता है।

यात्रा के लिए, आप मार्ग द्वारा, रेल द्वारा और हवाई मार्ग से भविष्य बदरी मंदिर तक पहुंच सकते हैं।


सड़क मार्ग द्वारा: जोशीमठ उत्तराखंड राज्य के प्रमुख स्थलों के साथ मोटरयानों के लिए मोटरयानों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप आईएसबीटी कश्मीरी गेट से हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए बसें उपलब्ध हैं। वहां से आप टैक्सी या हरिद्वार और ऋषिकेश से बस सेवाएं भी उपयोग कर सकते हैं।

रेल द्वारा: जोशीमठ का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है, जो NH58 पर 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहां से आप टैक्सी, बस या हरिद्वार और ऋषिकेश से बस सेवाएं उपयोग कर सकते हैं।

हवाई मार्ग: निकटतम हवाई चयन स्थल देहरादून है, जहां से आप देहरादून एयरपोर्ट के माध्यम से पहुंच सकते हैं। वहां से आप टैक्सी या बस सेवाओं का उपयोग करके जोशीमठ तक पहुंच सकते हैं।


यात्रा करते समय, आपको ध्यान देने योग्य स्थलों, मौसम और स्थानीय नियमों का पालन करना चाहिए। सुरक्षा और सुविधाओं के लिए, आपको अपनी यात्रा की योजना को अग्रिम में तैयार करना चाहिए और संबंधित प्राधिकारियों या स्थानीय पर्यटन आयोग से सलाह लेनी चाहिए।

 

५ श्री तप्त कुंड (Shri Tapt Kund): 

यह बदरीनाथ धाम के पास स्थित है और गर्म पानी के स्रोत के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान पुराने कालीन हॉट स्प्रिंग्स से जुड़ा हुआ है और यात्रियों को धार्मिक स्नान का अवसर प्रदान करता है।

 

६-श्री वासुदेव मंदिर, जोशीमठ (Shri Vasudev Mandir, Joshimath): 

यह मंदिर जोशीमठ नगर में स्थित है और श्री वासुदेव को समर्पित है। यह मंदिर मठ के आधार पर बना है और यहां परंपरागत पूजा और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

७-ध्यान बदरी (Dhyana Badri): 

यह बदरीनाथ धाम के पास स्थित है और पवित्र ध्यान बदरीनाथ नामक भगवान विष्णु का मंदिर है। यहां यात्रियों को ध्यान और धार्मिक आध्यात्मिकता की अनुभूति मिलती है।

८-श्री गुप्तकाशी मन्दिर (Shri Guptkashi Mandir): 

यह मन्दिर गुप्तकाशी नगर में स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। यह मन्दिर भारतीय मिथोलॉजी में महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है और यात्रियों को शान्ति और मुक्ति की अनुभूति कराता है।

९-श्री योगबदरी (Shri Yog Badri): 

यह बदरीनाथ से लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित है और यहां परंपरागत प्रतिमा में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह स्थान योगबदरी नामक तपस्या स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है और धार्मिकता और आध्यात्मिकता के लिए विशेष महत्व रखता है।

१० गौरीकुंड मन्दिर (Gaurikund Mandir): 

यह मन्दिर गौरीकुंड नामक स्थान पर स्थित है और माता पार्वती को समर्पित है। यह स्थान पवित्र माना जाता है और यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

११-श्री आदिकेदारेश्वेर मन्दिर (Shri Adi Kedareswara Mandir): 

यह मन्दिर आदिकेदारेश्वेर नगर में स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। यह मन्दिर केदारनाथ धाम के नजदीकी स्थान है और यहां परंपरागत पूजा और आराधना होती है।

१२ वृधबदरी अणिमठ मन्दिर (Vridha Badri Ani-Math Mandir): 

यह मन्दिर वृधबद्री नामक स्थान पर स्थित है और भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मन्दिर बदरीनाथ से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित है और यहां प्राचीन मूर्तियों की पूजा की जाती है।

१३ पंचशिला श्री बदरीनाथ (Pancha-Shila Shri Badrinath): 

यह बदरीनाथ मंदिर के निकट स्थित है और पंच शिलाओं की पूजा की जाती है। यह प्राकृतिक सुंदरता से घिरे हुए पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है और यात्रियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।

१४ ऊखीमठ में श्री उषा का मंदिर (Ukhimath me Shri Usha Ka Mandir): 

यह मंदिर ऊखीमठ नगर में स्थित है और देवी उषा को समर्पित है। यह स्थान माता पार्वती की छोटी बहन उषा को समर्पित है और यहां उषा उत्सव मनाया जाता है।

१५ कालिशिला (Kalishila): 

यह एक पहाड़ी चट्टान है और इसे धार्मिकता में महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। यहां यात्रियों को पूजा और तपस्या के लिए स्थान प्रदान किया जाता है।

१६ वसुधारा (Vasudhara): 

यह एक प्राकृतिक झरना है और इसे बदरीनाथ से लगभग 9 किलोमीटर दूर माना जाता है। यहां यात्रियों को प्राकृतिक सुंदरता और मनोहारी दृश्यों का आनंद लेने का अवसर मिलता है।

१७ केदारनाथ मठ (Kedarnath Math): 

यह मठ केदारनाथ मंदिर के पास स्थित है और यह विद्यापीठ और साधु-संतों का आवास है। यहां आध्यात्मिक शिक्षा और धार्मिक गुरुकुल संस्कृति की शिक्षा दी जाती है।

केदारनाथ और केदारनाथ मठ के आसपास के इलाके प्राकृतिक सुंदरता से भरे हुए हैं। यहां पर्यटक और तीर्थयात्रियों को सुंदर पर्वतीय दृश्यों, ग्लेशियर्स, नदियों, झरनों और पेड़-पौधों का आनंद मिलता है। केदारनाथ एक प्रमुख धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ एक प्रकृति की अद्वितीय स्थली भी है।

इन स्थानों का दौरा करने के लिए, आपको पहले गौरिकुंड तक पहुंचने के बाद पैदल यात्रा करनी होगी। गौरिकुंड से मंदिर तक का मार्ग कठिन और ढलानी होता है, लेकिन इस यात्रा को बहुतायत संतों, साधकों और भक्तों द्वारा अनुभव किया जाता है।

१८ त्रियुगनारायण मंदिर (Trijuginarayan Temple):

यह मंदिर रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है और श्री केदारनाथ मंदिर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह का स्थान माना जाता है। यहां पर्यटक और तीर्थयात्रियों को अपने पौराणिक और धार्मिक महत्व के लिए खींचता है।

१९ माधमहेश्वर मंदिर (Madhyamaheshwar Temple): 

यह मंदिर गर्हवल जिले के छोटा खोदा गांव में स्थित है और श्री केदारनाथ मंदिर से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और चार धामों में से एक है। यहां पर्यटक और तीर्थयात्रियों को शानदार पर्वतीय दृश्य, धार्मिकता और आध्यात्मिकता का आनंद मिलता है।

केदारनाथ मंदिर त्रासदी केदारनाथ मंदिर त्रासदीKedarnath temple tragedy Kedarnath temple tragedy

13 से 17 जून के बीच उत्तराखंड में काफी बारिश हुई थी। यह बारिश औसत से अधिक रही। इस दौरान चौराबारी ग्लेशियर पिघल गया था, जिससे मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने लगा था। धीरे-धीरे इस पानी ने पहाड़ियों पर एक कृत्रिम झील का रूप ले लिया, जहां लगातार 5 दिनों तक बारिश भी हुई, जिससे पहाड़ की नदियों का जलस्तर घटने का भी मौका नहीं मिला। तभी अचानक यह कृत्रिम झील टूट गई और सैकड़ों लोग मर गए, सब कुछ अपने साथ भयानक बाढ़ के साथ ले गए। हजारों बह गए और लाखों लोगों को बचाया गया। सेना ने करीब 110000 लोगों को बचाया। लाखों घर तबाह हो गए। इस दौरान आठवीं शताब्दी में बने केदारनाथ मंदिर को भी नुकसान पहुंचा, हालांकि यह क्षति आंशिक ही थी। बाद में कई शोध संस्थानों ने यह समझने की कोशिश की कि इतनी भयानक आपदा में मंदिर कैसे सुरक्षित रहा। इसके पीछे कई कारण बताए गए, मंदिर की भौगोलिक स्थिति से लेकर कई लोगों ने इसे दैवीय चमत्कार बताया। केदारनाथ आपदा ने कई गांवों को पूरी तरह तबाह कर दिया। उदाहरण के लिए, केदारनाथ का पैदल मार्ग रामबाड़ा और गरुड़चट्टी से होकर गुजरता था। त्रासदी के दौरान, मंदाकिनी नदी की बढ़ती लहरों ने बाढ़ का कारण बना जिसने रामबाड़ा के अस्तित्व को नष्ट कर दिया। इसके बाद वर्षों तक निर्माण कार्य चलता रहा और वर्ष 2018 में ही यह सड़क पुन: बनकर तैयार हो गई। मंदाकिनी की घोषणा होते ही तत्काल अलर्ट जारी कर दिया गया। इसमें नौसेना के गोताखोरों से लेकर वायुसेना के 45 विमानों तक सेना के 10,000 जवान भी बचाव में लगे हुए थे. तस्वीरें देखकर आज भी रोमांचित हो जाता है कि कैसे जवान घायलों को अपने कंधों पर उठा रहे थे। सेना ने एक लाख से ज्यादा लोगों की जान बचाई, जबकि पुलिस ने करीब 30 हजार लोगों की मदद की. यह राहत कार्य करीब दो माह तक चला।

 इसे भी पढ़े-जगन्नाथ मंदिर और इसके रहस्य

 
 

प्रश्न 1: केदारनाथ कहां स्थित है? (Where is Kedarnath located?)

उत्तर: केदारनाथ उत्तराखंड राज्य में हिमालय की पश्चिमी तराई में रुद्रप्रयाग, गढ़वाल में स्थित है।

प्रश्न 2: केदारनाथ यात्रा के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कौन सा है? (Which is the nearest airport for Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा के लिए देहरादून ज़िले में स्थित जोली ग्रांथ साहिब हवाई अड्डा सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है।

प्रश्न 3: केदारनाथ धाम कब खुलता है? (When does Kedarnath Dham open?)

उत्तर: केदारनाथ धाम वार्षिक रूप से श्रावण मास के पहले वार में खुलता है। इसका आयोजन श्री केदारनाथ धाम मंदिर प्रबंध समिति द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4: केदारनाथ की यात्रा के लिए ट्रेकिंग का सबसे अच्छा समय क्या है? (What is the best time for trekking to Kedarnath?)

उत्तर: केदारनाथ की यात्रा के लिए ट्रेकिंग का सबसे अच्छा समय मई से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच होता है। यह मौसम स्थिर होता है और मार्ग खुला रहता है।

प्रश्न 5: केदारनाथ यात्रा के लिए कितने दिनों की छुट्टी की आवश्यकता होती है? (How many days of vacation are required for the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा के लिए सामान्य रूप से 7-8 दिनों की छुट्टी की आवश्यकता होती है। यह यात्रा मंदिर तक पहुंचने और वापसी के साथ मिलकर करीब एक सप्ताह का समय लेती है।

प्रश्न 6: केदारनाथ जाने के लिए कितनी फिटनेस की आवश्यकता होती है? (What level of fitness is required for visiting Kedarnath?)

उत्तर: केदारनाथ जाने के लिए माउंटेन ट्रेकिंग की आवश्यकता होती है, इसलिए आपको उच्च स्थानों पर चलने और ट्रेकिंग करने के लिए अच्छी फिटनेस की आवश्यकता होती है। आपको यात्रा से पहले अच्छी शारीरिक तैयारी करनी चाहिए।

प्रश्न 7: केदारनाथ यात्रा के दौरान किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए? (What things should be kept in mind during the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा के दौरान आपको निम्नलिखित चीजों का ध्यान रखना चाहिए:

 यात्रा से पहले सुरक्षा और स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें। 
पर्यटन से पहले अच्छे कपड़े, जूते और अन्य सामग्री का चयन करें।वेदनीय और अनिष्ट खाद्य पदार्थों से बचें और पैक किए गए खाद्य सामग्री का उपयोग करें।
 विश्राम और ऊर्जा के लिए पर्याप्त आहार और पानी का सेवन करें।

मौसम और जलवायु स्थिति की जांच करें और आवश्यक सामग्री को पैक करें, जैसे जैकेट, बर्फ़बंदी वस्त्र आदि।

स्थानीय नियमों का पालन करें और पर्यटन स्थलों के प्रति सम्मानपूर्वक व्यवहार करें।

प्रश्न 8: केदारनाथ धाम की यात्रा में कितनी दूरी तय की जा सकती है? (What is the distance covered during the Kedarnath Dham pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ धाम की यात्रा में प्रायः 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय की जाती है। यह पवित्र धाम ट्रेक के माध्यम से पहुंचा जाता है।

प्रश्न 9: केदारनाथ धाम यात्रा के दौरान कितने रुपये खर्च करने पड़ते हैं? (How much does it cost for the Kedarnath Dham pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ धाम यात्रा के खर्च परियोजना के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें यात्रा की व्यवस्था, भोजन, आवास, प्रवेश शुल्क, पूजा, यात्रा सामग्री आदि शामिल हो सकते हैं। आमतौर पर, इस यात्रा के लिए आपको 10,000 से 20,000 रुपये के बीच खर्च करने पड़ सकते हैं।

प्रश्न 10: केदारनाथ धाम के लिए ऑनलाइन प्रवेश पास कैसे प्राप्त करें? (How to obtain online entry pass for Kedarnath Dham?)

उत्तर: केदारनाथ धाम के लिए ऑनलाइन प्रवेश पास प्राप्त करने के लिए आपको श्री केदारनाथ मंदिर प्रबंध समिति की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। वहां पर आपको यात्रा की तिथि और विवरण दर्ज करने की अनुमति मिलेगी और आप अपना प्रवेश पास ऑनलाइन बुक कर सकते हैं।

प्रश्न 11: केदारनाथ धाम जाने के लिए अलग-अलग रूटें कौन-कौन सी हैं? (Which different routes are available for reaching Kedarnath Dham?)

उत्तर: केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए विभिन्न रूटें हैं:

 सबसे प्रमुख रूट गौरीकुंड से है। इसमें गौरीकुंड से श्री केदारनाथ मंदिर तक की पैदल यात्रा शामिल होती है।

 बादरीनाथ से केदारनाथ यात्रा के लिए भी एक रूट उपलब्ध है, जिसमें बादरीनाथ से गौरीकुंड तक बस या टैक्सी से यात्रा की जा सकती है और फिर गौरीकुंड से केदारनाथ तक पैदल यात्रा की जा सकती है।

हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है जो केदारनाथ धाम तक आसानी से पहुंचने का विकल्प प्रदान करती है।

प्रश्न 12: केदारनाथ यात्रा के लिए जरूरी सामग्री क्या-क्या होनी चाहिए? (What essential items should be carried for the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण सामग्री ले जाना चाहिए:

 यात्रा के लिए उचित और ठंडे कपड़े, जैसे जैकेट, स्वेटर, ट्रैक पैंट आदि।  ट्रेकिंग जूते या कम्बल, जिनमें आपके पैर सुरक्षित और आरामदायक रह सकें। धूप से बचने के लिए टोपी, ग्लेस, और सूरज की चश्मा। यात्रा के लिए जरूरी औषधि या मेडिकल किट, जिसमें बेसिक दवाएं, बैंडेज, एंटी-सेप्टिक और खांसी, बुखार, और सर्दी के लिए दवाएं शामिल हों। ट्रेकिंग के लिए यात्रा राशन, जैसे बिस्किट, चॉकलेट, नट्स, और जलपान आदि।पैसे, यात्रा कार्ड, और पहचान पत्र के साथ एक पहचान प्रमाण पत्र। यात्रा के दौरान फोटोग्राफी के लिए कैमरा और मोबाइल फोन का चार्जर। यात्रा के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स की सुरक्षा के लिए एक प्लास्टिक बैग या ड्राय बैग।

प्रश्न 13: केदारनाथ यात्रा के दौरान कैंपिंग (camping) का विकल्प कैसा है? (What is the option for camping during the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा के दौरान, आपके लिए कैंपिंग का विकल्प उपलब्ध है। गौरीकुंड और लिंडम्बी स्थानों पर आप अपने टेंट स्थापित करके रुक सकते हैं। यह आपको एक अनुभवनीय प्राकृतिक माहौल प्रदान करेगा और यात्रा को अधिक आनंददायक बना सकता है। हालांकि, आपको अपने कैंपिंग सुविधाओं के लिए स्वयं संगठन करना होगा, जैसे टेंट, बिस्तर, गर्म भोजन, और बाथरूम सुविधा। कैंपिंग करने से पहले स्थानीय नियमों और मार्गदर्शन का ध्यान रखना आवश्यक है।

प्रश्न 14: केदारनाथ मंदिर का इतिहास क्या है? (What is the history of Kedarnath Temple?)

उत्तर: केदारनाथ मंदिर एक प्रमुख हिंदू मंदिर है और इसका इतिहास महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में महर्षि पाण्डु द्वारा किया गया था। केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह चार धामों में से एक है, जो हिंदू तीर्थयात्रा का महत्वपूर्ण स्थान है। इस मंदिर का निर्माण पहली बार आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था और बाद में इसे कई बार नवीनीकृत किया गया है। केदारनाथ मंदिर का इतिहास भारतीय संस्कृति, धर्म और यात्रा के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 15: केदारनाथ धाम किस महीने ज्यादातर यात्रीगण जाते हैं? (In which month do most pilgrims visit Kedarnath Dham?)

उत्तर: केदारनाथ धाम में ज्यादातर यात्रीगण मई महीने से नवम्बर महीने तक जाते हैं। यह धाम हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण, शिविरा ताल के मौसम के प्रभाव से नियंत्रित होता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह मान्यता है कि इस समय भगवान केदारनाथ का मंदिर खुलता है और यात्री उनकी दर्शन कर सकते हैं। हालांकि, यह मान्यता नहीं है कि बाकी महीनों में यह अवसर नहीं होता है, लेकिन यही समय होता है जब सबसे अधिक लोग यात्रा के लिए आते हैं।

प्रश्न 16: केदारनाथ यात्रा में स्थानीय निवासियों का क्या महत्व है? (What is the significance of local residents in the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा में स्थानीय निवासियों का महत्व बहुत अधिक होता है। वे यात्रियों को उनके यात्रा से संबंधित जानकारी प्रदान करते हैं, साथ ही स्थानीय परंपराओं, संस्कृति और धार्मिक महत्व को समझने में मदद करते हैं। वे यात्रियों को धार्मिक स्थलों के बारे में मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें आपूर्ति की जानकारी देते हैं। वे स्थानीय निवासी आदर्श पर्यटन गाइड और सहायक होते हैं जो यात्रियों को सुरक्षित रखने और उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने में मदद करते हैं।

प्रश्न 17: केदारनाथ यात्रा के लिए कौन-कौन सी पूजा और आराधना की जाती है? (Which worship and rituals are performed during the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा के दौरान कई पूजा और आराधना की जाती है। प्रमुख रूप से, प्रातः आरती, रविवार को रविवारी आरती, अभिषेक, ध्यान, भगवान की प्रतिष्ठा, दिवाली आरती, नाग पूजा, राखी पूजा, रामनवमी पूजा, श्री शिवरात्रि पूजा, गुड़ी पड़वा पूजा, वसंत पंचमी पूजा, गंगा दशहरा पूजा, गुरु पूर्णिमा पूजा आदि महत्वपूर्ण पूजा और आराधनाओं का आयोजन किया जाता है। ये आराधनाएं यात्रियों को भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का मौका प्रदान करती हैं।

प्रश्न 18: केदारनाथ यात्रा के दौरान धर्मस्थलों का क्या महत्व है? (What is the significance of religious sites during the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा के दौरान धर्मस्थलों का महत्व बहुत उच्च होता है। इन धर्मस्थलों में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और मंदिर होते हैं जिन्हें यात्री दर्शन करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। ये स्थान यात्रियों को आध्यात्मिक और धार्मिक महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करते हैं और उन्हें शांति और आनंद की अनुभूति कराते हैं। धार्मिक स्थलों का दर्शन करने से यात्री को आध्यात्मिक संबंध मजबूत होता है और उन्हें संतोष और प्रशांति की अनुभूति होती है।

प्रश्न 19: केदारनाथ यात्रा के दौरान चढ़ाई की उपयोगिता क्या है? (What is the usefulness of trekking during the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा के दौरान चढ़ाई (trekking) का उपयोग कई तत्वों में होता है। पहले तो, यह एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है जहां आप प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं। यह यात्रा में एक रोमांचकारी और स्वतंत्रता भरी परिवर्तनशीलता प्रदान करता है जहां आप अपने आप को नए सांस्कृतिक और प्राकृतिक पर्यावरण में खो सकते हैं। इसके अलावा, चढ़ाई से आपकी शारीरिक क्षमता और ट्रेकिंग कौशल में सुधार होता है, जो आपको केदारनाथ तक पहुंचने के लिए मददगार साबित होता है।

प्रश्न 20: केदारनाथ यात्रा में आपको राष्ट्रीय पार्क का क्या महत्व है? (What is the significance of the national park during the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा में राष्ट्रीय पार्क का महत्व बहुत अधिक होता है। यहां स्थित राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव अभयारण्य केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य नामक है, जो कि वन्यप्राणियों के लिए एक महत्वपूर्ण संरक्षण क्षेत्र है। यहां आपको विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीव जैसे हिमालयी तहर, हिमालयी बारहसिंघा, लाल मुर्गा, चील, लोमड़ी, वन्य बकरी, बारहसिंघा, और बहुत कुछ देखने को मिलेंगे। इसके साथ ही, यहां की प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीव संसाधनों का संरक्षण आपको एक अद्वितीय और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करेगा।

प्रश्न 21: केदारनाथ यात्रा में स्नान का महत्व क्या है? (What is the importance of bathing during the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा में स्नान का महत्व बहुत उच्च होता है। यहां स्थित केदारनाथ मंदिर के पास में मंडकिनी नदी बहती है, जिसे पवित्र माना जाता है। यात्रियों को इस नदी में स्नान करने का मौका मिलता है और इसे पवित्र मान्यता से बांधा जाता है। स्नान से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है और यात्रियों को आध्यात्मिक एवं शारीरिक सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, स्नान करने से यात्रियों को स्वस्थ्य लाभ भी मिलते हैं और इन तपस्या से उनका मन और शरीर प्रशांत रहता है।

प्रश्न 22: केदारनाथ यात्रा के दौरान वैदिक पूजा-अर्चना का महत्व क्या है? (What is the importance of Vedic worship during the Kedarnath pilgrimage?)

उत्तर: केदारनाथ यात्रा के दौरान वैदिक पूजा-अर्चना का महत्व बहुत महत्वपूर्ण होता है। केदारनाथ मंदिर एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है, और यहां वैदिक पूजा प्रथाओं का पालन किया जाता है। यात्रियों को विभिन्न पूजा-अर्चना के द्वारा अपने ईश्वर की भक्ति और समर्पण व्यक्त करने का अवसर मिलता है। वैदिक पूजा-अर्चना आपको आध्यात्मिकता के साथ सात्विक भोजन और आध्यात्मिक अनुभव की अनुमति देता है। इसके माध्यम से, यात्री अपने मन को शुद्ध करते हैं, आंतरिक शांति प्राप्त करते हैं, और ईश्वर के साथ संयोग स्थापित करते हैं। वैदिक पूजा-अर्चना से यात्री अपने आप को धार्मिक महत्वपूर्ण आदर्शों और मार्गदर्शन के साथ जोड़ते हैं। 

प्रश्न 23: केदारनाथ धाम में वाहन की सुविधा कैसी है? (What are the transportation facilities available at Kedarnath Dham?) .

उत्तर: केदारनाथ धाम में वाहन की सुविधा प्रतिस्पर्धी होती है। प्रमुख यात्रा सेवाएं हेलीकॉप्टर, पालकी, पोनी और मूल्यांकन रिक्शा के माध्यम से प्रदान की जाती हैं। हेलीकॉप्टर सेवा यात्रियों को गौरीकुंड तक ले जाती है, जहां से वे चारधाम यात्रा के लिए ट्रेकिंग का आरंभ कर सकते हैं। पालकी सेवा मुख्य रास्ता पर उपलब्ध है और यात्रियों को मंदिर तक पहुंचाती है। पोनी और मूल्यांकन रिक्शा भी विकल्प हैं जो यात्रियों को आसानी से चारधाम यात्रा करने में मदद करते हैं।

प्रश्न 24: केदारनाथ धाम में यात्रा के दौरान भोजन की सुविधा कैसी होती है? (What are the dining facilities available during the Kedarnath Dham pilgrimage?) 

उत्तर: केदारनाथ धाम में यात्रा के दौरान भोजन की सुविधा उपलब्ध होती है। मंदिर के पास कई प्रसादालय और धार्मिक आश्रम हैं जहां यात्रियों को भोजन की सेवा प्रदान की जाती है। यहां वेज और नॉन-वेज विकल्पों के साथ आपको सात्विक भोजन उपलब्ध होगा। यात्रियों को आप्त और निराश्रय स्थानों पर भी स्वयंसेवी और परिवार द्वारा बनाए गए भोजन के विकल्प भी मिलेंगे।

प्रश्न 25: केदारनाथ मंदिर का प्रमुख महोत्सव कौन सा है? (Which is the main festival of Kedarnath Temple?) 

उत्तर: केदारनाथ मंदिर का प्रमुख महोत्सव "केदारनाथ मंदिर का उत्सव" है, जिसे भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास (मई-जून) में मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है। यह महोत्सव साझा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ धार्मिक और आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति करने का अवसर प्रदान करता है।

प्रश्न 26: केदारनाथ कैसे पहुंचे? 

 
उत्तर: केदारनाथ तक पहुंचने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:
 
हेलीकॉप्टर: आप हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग करके गौरीकुंड तक पहुंच सकते हैं, और वहां से केदारनाथ तक ट्रेकिंग कर सकते हैं.

पालकी: यदि आप श्रद्धालु हैं, तो आप पालकी सेवा का उपयोग करके केदारनाथ तक पहुंच सकते हैं। पालकी आपको मुख्य यात्रा मार्ग पर ले जाएगी और मंदिर तक पहुंचाएगी.

ट्रेकिंग: केदारनाथ तक पहुंचने का एक और रूट ट्रेकिंग है, जिसमें आपको पैदल चलना होगा। यह एक पर्यटनीय मार्ग है और यात्रियों को प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है।
 

प्रश्न 27: केदारनाथ मंदिर कब खुलेगा 2023? 

उत्तर: केदारनाथ मंदिर की खुलने की तारीख 25th अप्रैल 2023 है 

प्रश्न 28: हरिद्वार से केदारनाथ कितने किलोमीटर है? 

उत्तर: हरिद्वार से केदारनाथ लगभग 223 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

प्रश्न 29: केदारनाथ मंदिर का इतिहास? 

उत्तर: केदारनाथ मंदिर एक प्रमुख हिंदू मंदिर है जो उत्तराखंड राज्य के गर्हवाल हिमालय में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और उनकी महत्वपूर्ण धामों में से एक माना जाता है। केदारनाथ मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था। मंदिर का निर्माण पत्थरों, रेत, और लकड़ी के आधार पर किया गया है और इसकी स्थापना केदारनाथ पीठधीश्वर द्वारा की गई थी। केदारनाथ मंदिर ऐतिहासिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 30: केदारनाथ का मौसम? 

उत्तर: इस क्षेत्र में यात्रा करते समय मौसम की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती है ताकि आप उचित तैयारियों के साथ यात्रा कर सकें। आपके द्वारा उद्धृत ग्रीष्मकाल, सर्दी, और मानसून के मौसम के बारे में दिए गए जानकारी के आधार पर, यह ज्ञात होता है कि अक्टूबर से अप्रैल के बीच ठंडी जलवायु का होना संभव है और यात्रा करते समय न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे जा सकता है। इस समय बर्फबारी आम होती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप इस मौसम के लिए उपयुक्त संसाधनों के साथ यात्रा करें।

ग्रीष्मकाल (मई से जून) में मध्यम ठंडी जलवायु होती है और यह समय दर्शनीय स्थलों की यात्रा और पवित्र केदारनाथ तीर्थयात्रा के लिए उत्तम होता है। इस मौसम में आपको सुखद और आनंदमय यात्रा का आनंद लेने का मौका मिलता है।

मानसून (जुलाई से मध्य सितंबर) के दौरान बारिश के साथ तापमान में गिरावट होती है। इस मौसम में भूस्खलन की चपेट में आने का खतरा रहता है, इसलिए यात्रा करने से पहले प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक होता है।

प्रश्न 31: केदारनाथ कब जाएं? 

उत्तर: केदारनाथ जाने का सबसे उपयुक्त समय गर्मियों के महीनों, अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर तक होता है। इन महीनों में मौसम उच्च गर्मी नहीं होती है और त्रिवेणी संगम (हरिद्वार) से केदारनाथ तक की यात्रा सुरक्षित और सुखद बन सकती है। हालांकि, केदारनाथ की यात्रा करने से पहले स्थानीय प्रशासनिक नियमों और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 32: 16 जून 2013 केदारनाथ की घटना? (The incident of Kedarnath on 16 June 2013) 

उत्तर: 16 जून 2013 को केदारनाथ में एक भयानक आपदा घटी थी। इस दिन, भारी बारिश के कारण हिमनदी के जलस्तर में बहुत बढ़ोतरी हुई और उससे अन्यायपूर्ण जलप्रलय आया। यह आपदा केदारनाथ और उसके आसपासी क्षेत्रों में बहुत बड़ा तबाही लायी, जिसमें बहुत सारे लोगों की मृत्यु हुई और साम्राज्य तथा अवसंरचना को भी काफी क्षति पहुंची। यह एक दुःखद घटना थी जिसने बहुत सारे लोगों की जिंदगियों को प्रभावित किया।

प्रश्न 33: केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी? (Distance between Kedarnath and Badrinath) 

उत्तर: केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 223 किलोमीटर है।

प्रश्न 34: केदारनाथ किसने बनवाया? (Who built the Kedarnath Temple?) 

उत्तर: केदारनाथ मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था। उन्होंने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर की स्थापना की थी और यह भगवान शिव को समर्पित है। वर्तमान मंदिर निर्माण में कई बार बदलाव किए गए हैं, लेकिन मूल रूप से यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित हुआ था।

प्रश्न 35: केदारनाथ कब खुलता है और कब बंद होता है? (When does Kedarnath open and close?)

उत्तर: केदारनाथ मंदिर अप्रैल-मई के बाद में खोल जाता है और नवंबर के बाद में बंद हो जाता है। यह खुलने और बंद होने की तारीखें मौसम और प्रशासनिक परिस्थितियों के आधार पर निर्धारित की जाती हैं, इसलिए आपको यात्रा करने से पहले अपडेटेड सूचना प्राप्त करनी चाहिए।

प्रश्न 36: दिल्ली से केदारनाथ कितने किलोमीटर है? (How far is Kedarnath from Delhi?) 

उत्तर: दिल्ली से केदारनाथ की दूरी लगभग 400 किलोमीटर है।

प्रश्न 37: गंगोत्री से केदारनाथ की दूरी? (Distance between Gangotri and Kedarnath) 

उत्तर: गंगोत्री से केदारनाथ की दूरी लगभग 201 किलोमीटर है।

प्रश्न 38: ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी? (Distance between Rishikesh and Kedarnath)

उत्तर: ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी लगभग 110 किलोमीटर है।

प्रश्न 39: गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी? (Distance between Gaurikund and Kedarnath)

उत्तर: गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी लगभग 16 किलोमीटर है।


 

इसे भी पढ़े -नवदुर्गा मंत्र अर्थ सहित

इसे भी पढ़े -देवी मंत्र अर्थ सहित

इसे भी पढ़े -श्री दुर्गा सहस्त्रनाम स्तोत्रम् अर्थ साहित  

इसे भी पढ़े  धन प्राप्ति के विशेष मंत्र

इसे भी पढ़े -गणेश आरती और चालीसा अर्थ सहित

इसे भी पढ़े -10 रहस्यमयी मंदिर 

जानिए रूद्राक्ष  के बारे में सबकुछ 

 




एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने