Charls Sobhraj : Released By Nepal After 19 years

बिकिनी किलर के नाम से मशहूर चार्ल्स शोभराज (Charls Sobhraj)को आज नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज जेल से रिहा कर दिया गया

Charls Sobhraj

Charls Sobhraj :चार्ल्स शोभराज आखिर 19 साल बाद रिहा हुआ 

 बिकिनी किलर के नाम से मशहूर चार्ल्स शोभराज (Charls Sobhraj) को आज शुक्रवार (23 दिसंबर) को नेपाल सेंट्रल जेल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (21 दिसंबर) को ही चार्ल्स शोभराज को बढ़ती उम्र और बिगड़ती सेहत की वजह से रिहा करने का आदेश  दिया  था 
चार्ल्स शोभराज (Charls Sobhraj) दो अमेरिकी नागरिकों के मर्डर के मामले में  साल 2003 से ही नेपाल में  सजा काट रहा था नेपाल के  सुप्रीम कोर्ट ने  चार्ल्स शोभराज (Charls Sobhraj)   को  95 प्रतिसत  सजा काटने के बाद रिहा करने का फैसला लिया. कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि नेपाल जेल के नियम के अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति अपनी सजा की 75 फीसदी अवधि पूरी कर लेता हो  तथा उसकी उम्र 65 साल से ऊपर हो और उसका व्यवहार अच्छा हो तो उसे रिहा कर दिया जाता है. 
 
Charls Sobhraj

 
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नेपाल जेल रशासन ने 22 दिसंबर को शोभराज की रिहाई से इनकार कर दिया था. उनका कहना था की सुप्रीम कोर्ट का फैसला अस्पष्ट है और उसमें यह नहीं बताया गया है की  किस मुकदमे में रिहा करने को कहा गया. 

नेपाल से डिपोर्ट करने की हो चुकी है तैयारी 

 
नेपाल कोर्ट के अनुशार चार्ल्स शोभराज (Charls Sobhraj) को रिहाई के १५ दिन के भीतर नेपाल से डिपोर्ट भी कर दिया जाये ,कोर्ट के फैसले को देखते हुए फ्रांस की ओर से डिपोर्ट की तैयारी कर ली गई है आपकी जानकारी के लिए बता दू की चार्ल्स शोभराज (Charls Sobhraj) दो अमरीकन के हत्या के जुर्म में  2003 से नेपाल में सजा काट रहा है

कौन है चार्ल्स शोभराज जानिए उसके बारे में सबकुछ? Who is Charles Sobhraj, know everything about him?

आज के दौर में नटवरलाल के बाद अगर कोई जालसाज़ का नाम लिया जाता है तो इसमें  चार्ल्स शोभराज (Charls Sobhraj) का नाम पहले आता है, चार्ल्स शोभराज अपने ज़माने का बेहद खूबसूरत हेंडसम था  
कई भाषा में अपनी पकड़ रखने वाला चार्ल्स शोभराज (Charls Sobhraj) का जन्म 6 अप्रैल 1944 में वियतनाम के साइगॉन में वियतनामी माँ तथा भारतीय पिता के घर में हुआ था उस वक़्त वियतनाम फ्रांस का उपनिवेश था इसलिए वियतनाम में पैदा होने की वजह से उन्हें फ़्रेंच नागरिकता हासिल हो गई थी
 
इनके पिता का नाम सोभराज बाबानी था  ये एक इंडियन बिजनेसमैन थे और माँ वियतनाम में एक शॉपकीपर, इन दोनों के मुलाकात होती है और ये लिवइन में रहने लगते हे, इन्ही दोने के बेटे का नाम चार्ल्स शोभराज (Charls Sobhraj) था, कुछ दिनों बाद चार्ल्स शोभराज के पिता इनकी माँ को छोड़ देते है ,उस समय शोभराज बहुत छोटे थे उसके बाद शोभराज की माँ फ्रैंच लेफ्टिनेंट से शादी कर लेती है और  शोभराज अपनी माँ के साथ फ्रांस चले जाते है बचपन से ही वो ये सोचता था की उसके सौतेले पिता उसका देखभाल ठीक से नहीं करते है इसलिए वो इनसे कटा कटा रहता था इसी  सब आदत ने उसे जुर्म की दुनिया में ले गया
 
 
शोभराज ने जो पहले चोरी किया था वो फ्रांस में पेरिस के पास एक गाड़ी चुराया था जिसके इल्जाम में उसे 8 महीने जेल जाना पड़ा जेल में ही शोभराज की दोस्ती क्रिमनल टाइप के लोगो से हो गया इस तरह से वो जुर्म के रस्ते पर चल पड़ा जिसके कारण  वो कई बार जेल गया ,इस तरह छोटे मोटे जुर्म करता रहा जिस कारण से वो फ्रैंच पुलिस के नज़रो में भी रहने लगा तब उसने चुपके से फ्रांस छोड़ दिया ,और कई देश  होते हुए पहली बार इंडिया मुंबई आ गया, यहाँ इसने शादी कर लिया, लेकिन उसने जुर्म नहीं छोड़ा वह मुंबई में भी गाड़िया चोरी करता था, तथा ड्रस की तस्करी भी किया करता था, उसका  नेक्सेस  पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान तक फैला हुआ था इसके बाद ये मुंबई पुलिस के नज़रो में आ जाता है, इससे पहले पुलिस इसे पकडे ये भाग कर  दिल्ली आ जाता है कुछ दिन बाद ये दिल्ली के  एक जेवेलरी शॉप में डाका डाल  देता है और वह से  ज्वैलरी लूट के वो दिल्ली एयरपोर्ट आ जाता है ,जहा  कस्टम वाले को  शक हो जाता है, और इसे गिरफ्तार कर लिया जाता है ,फिर इसके बाद इसको दिल्ली का तिहार जेल भज दिया जाता है ये बात 1973 का है तिहाड़  जेल में एक दिन वो वीमारी का बहाना बनता है जिसके कारण   इसे हॉस्पिटल ले जाया जाता है जहा पर  ये पुलिस को चकमा देकर भाग जाता है
वहां से भाग कर वो काबुल अफगानिस्तान पहुंच जाता है  चुकी चार्ल्स शोभराज कई भाषा का जानकर था तो काबुल में इसका शिकार  आमतौर पे  विदेशी होता था जिसे वो नशीलाचीज़ खिला के बेहोश कर देता था और उसका सारा सामान लूट लेता था, कुछ दिन बाद ये काबुल से भी भाग  जाता है और बैंकॉक पहुंच जाता है
 
 
कहा जाता है की थइलैंड  बैंकॉक में उसपर  लगभग 12  से 75  क़त्ल का इल्जाम था ,लेकिन कोई इल्जाम साबित नहीं हो पाया इसके बाद ये यहाँ से नेपाल भाग गया नेपाल में दो अमरीकन नागरिक का कत्ल का इल्जाम इस पर लगा लेकिन तब तक ये इंडिया भाग गया लेकिन इंडिया में 1976  में ये पकड़ा गया

इधर बैंकॉक पुलिस को भी इसकी तलाश थी क्योकि उनको इसके खिलाफ कुछ साबुत मिल गया था बैंकॉक पुलिस ने इंडियन गवरमेंट से उसे सौपने का आग्रह किया लेकिन सरकार ने उसे नहीं सौंपा और उसपर मुकदमा चलाया जिसमे उसे 1976  में इसे १२ साल के सजा हुई और उसे तिहाड़  जेल भेज दिया, तिहाड़ जेल में ये लगभग 10 साल रहता है और तिहाड़ जेल के अधिकार्यो का  विश्वास जित लेता है एक दिन ये तिहाड़ जेल में वो एक पार्टी देता है इस पार्टी में वो केक और मिठाई में वेहॉशी के दवा मिला कर अपने ४ साथियो के साथ तिहाड़ जेल से बहग जाता है और दिल्ली से गोवा भाग जाता है । लेकिन कुछ दिन बाद वो गोवा से पुलिस द्वारा पकड़ लिया जाता है और इसे फिर से तिहाड़ जेल भेज दिया जाता है

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जेल ब्रैकिंग से उसकी मंशा बैंकॉक के सजा से वचना था जहा उसे 75 हत्या के जुर्म में मौत की सजा जरूर होती लेकिन बैंकॉक के कानून के मुताबिक अगर कोई २० साल तक नहीं पकड़ा जाता है तो उसका वारंट रद्द मन जाता है इसी से बचने के लिए उसने तिहाड़ जेल ब्रैकिंग की जिस से उसकी सजा १० साल और बढ़ गया और वो बैंकॉक के सजा से बच गया

 1997 को इसको जेल से रिहा कर दिया जाता है चुकी बैंकॉक की वारंट रद्द हो चूका था इसलिए इसे फ्रांस डिपोर्ट कर दिया जाता है । २००३ में ये काठमांडू पहुंच जाता है,काठमांडू में पुलिस ने दो अमरीकन के कत्ल के जुर्म में इसे पकड़ लिया जाता है जिसमे इसे उम्रकैद की सजा सुनाया जाता है,

अब जा कर २०२२ में उसे नेपाल से रिहा किया गया

 
कहा जाता है की थइलैंड  बैंकॉक में उसपर  लगभग 12  से 75  क़त्ल का इल्जाम था ,लेकिन कोई इल्जाम साबित नहीं हो पाया इसके बाद ये यहाँ से नेपाल भाग गया नेपाल में दो अमरीकन नागरिक का कत्ल का इल्जाम इस पर लगा लेकिन तब तक ये इंडिया भाग गया लेकिन इंडिया में 1976  में ये पकड़ा गया
इधर बैंकॉक पुलिस को भी इसकी तलाश थी क्योकि उनको इसके खिलाफ कुछ साबुत मिल गया था बैंकॉक पुलिस ने इंडियन गवरमेंट से उसे सौपने का आग्रह किया लेकिन सरकार ने उसे नहीं सौंपा और उसपर मुकदमा चलाया जिसमे उसे 1976  में इसे १२ साल के सजा हुई और उसे तिहाड़  जेल भेज दिया, तिहाड़ जेल में ये लगभग 10 साल रहता है और तिहाड़ जेल के अधिकार्यो कण विश्वास जित लेता है एक दिन ये तिहाड़ जेल में वो एक पार्टी देता है इस पार्टी में वो केक और मिठाई में वेहॉशी के दवा मिला कर अपने ४ साथियो के साथ तिहाड़ जेल से बहग जाता है और दिल्ली से गोवा भाग जाता है
 
कहा जाता है की थइलैंड  बैंकॉक में उसपर  लगभग 12  से 75  क़त्ल का इल्जाम था ,लेकिन कोई इल्जाम साबित नहीं हो पाया इसके बाद ये यहाँ से नेपाल भाग गया नेपाल में दो अमरीकन नागरिक का कत्ल का इल्जाम इस पर लगा लेकिन तब तक ये इंडिया भाग गया लेकिन इंडिया में 1976  में ये पकड़ा गया
इधर बैंकॉक पुलिस को भी इसकी तलाश थी क्योकि उनको इसके खिलाफ कुछ साबुत मिल गया था बैंकॉक पुलिस ने इंडियन गवरमेंट से उसे सौपने का आग्रह किया लेकिन सरकार ने उसे नहीं सौंपा और उसपर मुकदमा चलाया जिसमे उसे 1976  में इसे १२ साल के सजा हुई और उसे तिहाड़  जेल भेज दिया, तिहाड़ जेल में ये लगभग 10 साल रहता है और तिहाड़ जेल के अधिकार्यो कण विश्वास जित लेता है एक दिन ये तिहाड़ जेल में वो एक पार्टी देता है इस पार्टी में वो केक और मिठाई में वेहॉशी के दवा मिला कर अपने ४ साथियो के साथ तिहाड़ जेल से बहग जाता है और दिल्ली से गोवा भाग जाता है
 
कहा जाता है की थइलैंड  बैंकॉक में उसपर  लगभग 12  से 75  क़त्ल का इल्जाम था ,लेकिन कोई इल्जाम साबित नहीं हो पाया इसके बाद ये यहाँ से नेपाल भाग गया नेपाल में दो अमरीकन नागरिक का कत्ल का इल्जाम इस पर लगा लेकिन तब तक ये इंडिया भाग गया लेकिन इंडिया में 1976  में ये पकड़ा गया
इधर बैंकॉक पुलिस को भी इसकी तलाश थी क्योकि उनको इसके खिलाफ कुछ साबुत मिल गया था बैंकॉक पुलिस ने इंडियन गवरमेंट से उसे सौपने का आग्रह किया लेकिन सरकार ने उसे नहीं सौंपा और उसपर मुकदमा चलाया जिसमे उसे 1976  में इसे १२ साल के सजा हुई और उसे तिहाड़  जेल भेज दिया, तिहाड़ जेल में ये लगभग 10 साल रहता है और तिहाड़ जेल के अधिकार्यो कण विश्वास जित लेता है एक दिन ये तिहाड़ जेल में वो एक पार्टी देता है इस पार्टी में वो केक और मिठाई में वेहॉशी के दवा मिला कर अपने ४ साथियो के साथ तिहाड़ जेल से बहग जाता है और दिल्ली से गोवा भाग जाता है
 









 









 








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