Bhimashankar jyotirlinga श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भगवान के १२ ज्योतिर्लिंग के क्रम में जानते है छठे ज्योतिर्लिंग श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग(Bhimashankar jyotirlinga) के बारे में, श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar jyotirlinga) महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर से ११० किलोमीटर दूर स्थित सह्याद्रि नामक पर्वत के भोरगिरी गाँव में स्थित है । इस मंदिर मे का ज्योतिर्लिंग काफी बड़ा और मोटा है जिसके चलते इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी पुकारा जाता है । मंदिर ३२५० फीट की ऊँचाई पर है. मान्यता है कि भगवान शिव यहां पर निवास करते हैं । भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar jyotirlinga) एक सिद्ध स्थान है. ।
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जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जो भक्त श्रद्वा से इस मंदिर में प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद 12 ज्योतिर्लिगों का नाम जापते हुए इस मंदिर के दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर होते हैं, जन्म मरण के झंझट से मुक्त हो जाते है तथा अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं।
श्री भीमाशंकर मंदिर (Shri Bhimashankar Temple)
भीमाशंकर महाराष्ट्र राज्य के सह्याद्रि पर्वतों में स्थित एक प्राचीन श्रद्धालु स्थल है। भीमाशंकर मंदिर भारत में स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है। यह मंदिर पुणे के पास, खेड से 50 किमी उत्तर-पश्चिम में भोरगिरी गांव में स्थित है। सह्याद्रि पर्वतों की घाटी क्षेत्र में स्थित इस मंदिर से पुणे 125 किमी की दूरी पर है।
हाल के समय में भीमाशंकर ने बहुत महत्व प्राप्त किया है क्योंकि इसे "वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र" घोषित किया गया है। यह स्थल पश्चिम घाटों का हिस्सा है, इसलिए इसमें फूलों और पशु-पक्षियों की विविधता होती है। यहाँ विभिन्न प्रकार के पक्षियों, जानवरों, कीटों और पौधों की देखने को मिलती है। गहरे जंगलों में "शेकरू" के नाम से मालाबार जांबुक जैसा दुर्लभ पशु भी देखा जा सकता है।
यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के रूप में महाराष्ट्र में और भारत में भी बढ़ता हुआ है। भीमाशंकर भीमा नदी का मूल स्रोत है, जिसे पांढरपुर में चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है।
किस्से कहते हैं कि भीमाशंकर का नाम उस नदी भीमा से आया था, जिसने भगवान शिव और राक्षस त्रिपुरासुर के बीच के युद्ध में उत्पन्न की हुई ज्वाला को उपशम किया था। भीमाशंकर ट्रेकर्स के लिए भी एक लोकप्रिय स्थल बन रहा है।
भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की पुरानी और नई संरचनाओं का सम्मिलित है। यह प्राचीन विश्वकर्मा कलाकारों द्वारा प्राप्त की गई कौशल की उत्कृष्टता को दिखाता है। यह एक ममूलक लेकिन सुंदर मंदिर है और इसकी नींव 13वीं सदी में रखी गई थी जबकि सभामंडप को 18वीं सदी में नाना फडणवीस ने बनवाया था। शिखर को नाना फडणवीस ने बनवाया था। महान मराठा शासक शिवाजी का कहना है कि उन्होंने इस मंदिर को पूजा सेवाओं को सुगम बनाने के लिए दान दिया था। मंदिर हेमाद्पंथी शैली में बना है। इसमें दशावतार की मूर्तियों से सजा हुआ है। ये देखने में
बहुत सुंदर होते हैं। नंदी मंदिर मुख्य मंदिर के पास है, जिसे छोटे बेल के रूप में पुनः उत्थान किया गया था। चिमाजी आपा ने पुर्तगालियों के खिलाफ युद्ध जीतने के बाद पांडरपुर से पांच बड़े घंटे लाए थे। उन्होंने एक बेल यहाँ पर प्रस्तुत की थी। इस बेल का वजन 5 मान (1 मान = 40 सीन) है और इस पर 1721 ईसापूर्व का अंकित है। जब यह बेल बजाई जाती है, तो सारा स्थल उसकी ध्वनि से गूंज उठता है।
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ऐतिहासिक व्यक्तियों में छत्रपति शिवाजी और राजाराम महाराज का ज्ञात है कि उन्होंने इस देवालय का दर्शन किया था। यह पेशवा बालाजी विश्वनाथ और रघुनाथ पेशवा के लिए पसंदीदा स्थल था, रघुनाथ पेशवा ने यहाँ एक कुँए का काम करवाया था। पेशवर के दीवान, नाना फडणवीस ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया था। एक पुणे व्यापारी या साहुकार नामक चिमनजी अंताजी नायक भिंडे ने 1437 ईसापूर्व में यहाँ एक अदालत हॉल बनवाया था।
भीमाशंकर मंदिर के पास कमलाजा की पूजा भी होती है। कमलाजा पार्वती की एक अवतारिता है, जिन्होंने भगवान शिव की लड़ाई में उनकी मदद की थी। कमलाजा को भ्रमा ने कमल के फूलों की भेंट के साथ पूजा की थी। यहाँ पर उन शिवगणों की भी पूजा की जाती है, जिन्होंने राक्षस के खिलाफ शिव की लड़ाई में मदद की थी - शाकिनी और डाकिनी।
मोक्षकुंडतीर्थ मंदिर के पीछे स्थित है, और इससे ऋषि कौशिका का संबंध है। सर्वतीर्थ, कुशरण्यतीर्थ (जहाँ भीमा नदी का प्रारंभ होता है), और ज्ञानकुंड भी यहाँ पर हैं। प्रतिदिन पूजा सेवाएँ आयोजित की जाती हैं। महाशिवरात्रि भी पूजा करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।
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यह वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र एक दिलचस्प दृश्यों की पेशेवर झलक प्रदान करता है, चमकते हुए जलप्रपातों, हरियाली से भरे जंगलों और पहाड़ों की। पौधों और पशु-पक्षियों की धरोहर से भरपूर यह स्थल वन्यजीव और फोटोग्राफी प्रेमियों केलिए एक आनंद की बात है। आप यहाँ पर भारतीय विशाल गिलहरी और कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों को देख सकेंगे।
मंदिर के पास कई पर्यटन स्थल हैं। इनमें मोक्षकुंड, गुप्त भीमाशंकर, सर्वतीर्थ, साक्षी विनायक, गोरखनाथ आश्रम, कमलाजादेवी मंदिर, हनुमान झील आदि देखने लायक हैं। कोकणकड़ा या नागफनी एक खतरनाक स्थल है जो लगभग तीन हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ से पूरे तलहटी कोकण क्षेत्र की दृष्टि से देखा जा सकता है। यह लगता है कि हम आकाश में हैं।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व(Importance of Bhimashankar Jyotirlinga)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंगभगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थल भारतीय संस्कृति में गहरी मान्यता रखता है। यहां के मंदिर का इतिहास, पौराणिक कथाएँ, और विशेषता के पीछे एक आदर्शता और आध्यात्मिकता की कहानी है।
पौराणिक महत्व
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व पुराणों में मिलता है। यहां की प्रमुख कथाएँ शिव पुराण और स्कंद पुराण में विस्तारपूर्ण रूप से उल्लिखित हैं। भगवान शिव के अद्वितीय महत्व और शक्तियों की प्रतीकता के रूप में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन किया गया है।
आध्यात्मिक महत्व
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। यह स्थल ध्यान, तपस्या, और आध्यात्मिक साधना के लिए प्रसिद्ध है। यहां के प्राकृतिक वातावरण में ध्यान करने से मनश्या शांति मिलती है और व्यक्ति अपने आप को आत्मा के साथ मेल कर पाता है।
तीर्थयात्रा का स्थल
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का यह महत्व भी है कि यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जो हर साल अनगिनत शिव भक्तों को आकर्षित करता है। कई लोग यहां पर शिव जी की पूजा-अर्चना करने आते हैं और अपने आत्मा की शुद्धि करते हैं।
आध्यात्मिक शिक्षा का केंद्र
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व यहां की आध्यात्मिक शिक्षा में भी है। यहां की पौराणिक कथाएँ, सत्य और नैतिकता के सिद्धांतों को सिखाती हैं और जीवन के मार्गदर्शन करती हैं।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व न केवल भगवान शिव के भक्तों के लिए है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक जीवन की दिशा में आदर्श स्थल भी है। यहां की शांति, पवित्रता, और आध्यात्मिकता भगवान के प्रति श्रद्धालुओं के जीवन को महत्वपूर्ण बनाती है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा (Bhimashankar jyotirlinga Story)
पूर्व काल मै भीम नाम का एक बलशाली राक्षस हुआ करता था जो की रावण का भाई कुम्भकरण और कर्कटी राक्षसी का पुत्र था।एक बार भीम ने अपनी माता से पूछा की मेरे पिताजी कौन है. और कहा है,हम पर्वत पर अकेले क्यों रह रहे हैैं। तब कर्कटी ने कहा की तुम्हारे पिता रावण के छोटे भाई कुम्भकर्ण थे, जिसे श्री राम ने मारा था ।अपनी माता का वचन सुन कर भीम को भगवन विष्णु पर बहुत क्रोध आया,और उसने भगवान विष्णु से बदला लेने का प्रण लिया और ब्रह्मा जी का कठोर तप कर के महाबली होने का वर मांग लिया। तब ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह कर अंतर्ध्यान हो गए । उसके बाद उसने देवताओं को हरा कर स्वर्ग कर अधिकार जमा लिया । तत्पश्चात उसके बाद कामरूप देश के राजा को हरा कर उसे बंदी बना लिया । इस से कामरूप देश का राजा राजा बहुत दुखी हो गया । तब उसने जेल मैं ही पार्थिव शिवलिंग बना कर भगवान भोलेनाथ का पूजन करना शुरू कर दिया ।
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भीम से दुखी होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे । भगवान विष्णु उन सभी देवता को लेकर महाकेशी नदी के तट पर पहुंचे और भगवान भोलेनाथ का पार्थिव शिवलिंग बना कर पूजन करने लग गए। इससे भगवान बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा। देवताओ ने कहा की भीम नामक राक्षस हम सभी को दुखी कर रखा है, आप उसका वध कर के हमें उस से मुक्ति दिलाये तब देवताओ को तथास्तु कह कर भगवान अंतर्ध्यान हो गए ।देवताओ ने कामरूप देश का राजा को भी सुचना दी के भगवान् तुम्हारी दुख को जल्दी हर लेंगे, और तुम्हारे शत्रु का जल्दी ही नाश करेंगे ।
इधर जब दानव भीम को यह बात पता चला की राजा कैदखाने मे कोई अनुष्ठान कर रहा है ,तब वह क्रोधित होकर जेलखाने मे पंहुचा , और राजा से बोला—हे दुष्ट तू मुझे मारने के लिए कैसा अनुष्ठान कर रहा है। बता,अन्यथा मै अपनी इस तलवार से तेरे टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा । इस प्रकार भीम और उसके अन्य राक्षस सैनिक राजा को धमकाने लगे ।
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राजा भयभीत होकर मन ही मन भगवान शिव से विनती करने लगा। वह बोला—हे देवादिदेव ! कल्याणकारी भक्तवतस्ल भगवान शिव मै आपकी शरण मे आया हूँ । आप मेरी इस राक्षस से रक्षा करे । इधर, जब राजा ने उसके बात का कोई जवाब नहीं दिया तो वह क्रोधित होकर तलवार हाथ मे लिए उस पर झपटा। एकाएक वह तलवार शिवजी के पार्थिव लिंग पर पड़ी और उसमे से भगवान शिव प्रकट हो गए। उन्होंने अपने त्रिशूल से उस तलवार के दो टुकड़े कर दिए । फिर उनके गण का दैत्य सेना के साथ महयुद्ध हुआ । उस भयानक
योध से धरती और आकाश डोलने लगा। ऋषि तथा देवतागण आश्चर्यचकित रह गए। तब भगवान ने अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से भीम को भस्म कर दिया , और इस तरह उस पापी राक्षस का अंत हुआ उसके बाद भगवान शिव सदा के लिया राजा द्वारा स्थापित उस लिंग मैं विराजमान हो गए और संसार मे भीमशंकर नाम से प्रसिद्ध हुए । भगवान शिव का यह लिंग सदैव पूजनीय और सभी आपत्तियों का निवारण करने वाला है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की अन्य कथाएँ(Other Stories of Bhimashankar Jyotirlinga)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसकी कथाएँ पुराणों में विशेष महत्व रखती हैं। यहां कुछ मुख्य कथाएँ हैं जो भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के पीछे छिपे महत्व को समझने में मदद करेंगी:
1. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति(Origin of Bhimashankar Jyotirlinga)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति का कथा शिव पुराण में मिलता है। एक बार भगवान शिव और पार्वती अपने आश्रम में विश्राम कर रहे थे। उनके आश्रम में सभी देवताएँ आकर उनकी सेवा करने लगीं। इसी बीच दैत्य राज भीमासुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस ने आकर उनके आश्रम का अत्याचार किया। उसने सभी देवताओं को बंदी बना लिया और भगवान शिव की प्रतिष्ठा को हीन करने का प्रयास किया।
भगवान शिव ने देखा कि देवताएँ विचलित हो रही हैं और उनकी सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने भीमासुर से युद्ध करने का निश्चय किया और उनके साथ युद्ध करने के लिए कार्तिकेय को भेजा। कार्तिकेय ने भीमासुर से युद्ध किया और उसे मार डाला। भीमासुर की मृत्यु के बाद देवताएँ स्वतः मुक्त हो गईं और भगवान शिव के आश्रम में वापस आईं। भगवान शिव के प्रतिष्ठान और महत्व की रक्षा के लिए उन्होंने भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की।
2. पांडवों का वनवास(exile of pandavas)
महाभारत काल में पांडव राजा युधिष्ठिर ने अपने अग्नातवास के दौरान भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया था। उनके वनवास के दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के घने जंगलों में भीमाशंकर पहुंचकर शिव जी की पूजा की थी। इस घटना के पश्चात्, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को पांडवों ने अपने द्वारा स्थापित किया और उसकी पूजा-अर्चना की।
3. सावित्री का आत्मा देह त्याग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के पास एक और महत्वपूर्ण कथा जुड़ी है, जो सती सावित्री के बारे में है। सावित्री, वीरता की पत्नी, अपने पति की प्राण-रक्षा के लिए यमराज से वर प्राप्त करने के बाद उनकी मृत्यु का सामना करती हैं। वर्तमान में सावित्री अपने पति को बचाने के लिए यमराज से लड़ती हैं और उन्हें अपने पति की आत्मा को वापस देने के लिए प्रार्थना करती हैं। यमराज उनकी ईच्छा को मानते हैं और उनके पति की आत्मा को वापस देते हैं। यह घटना भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के पास होने के कारण यहां का एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा है।
4. देवी कामाक्षी की कथा
एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार, देवी कामाक्षी ने भगवान शिव की आराधना करते समय भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया था। उन्होंने शिव जी से यह व्रत करने की प्रार्थना की थी कि वे मनोबल, शक्ति, और साहस की प्राप्ति करें। देवी कामाक्षी की कृपा से उन्हें उनकी प्रार्थना का वरदान प्राप्त हुआ और उन्हें वीरता के पास साहस और शक्ति की प्राप्ति हो गई।
ये कथाएँ भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की महत्वपूर्ण कथाएँ हैं जो इस तीर्थ स्थल के पीछे छिपे रहस्यों और महत्व को समझने में मदद करती हैं। इन कथाओं के माध्यम से हम इस ज्योतिर्लिंग के आध्यात्मिक महत्व और पौराणिक महत्व को समझ सकते हैं।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में पूजा का समय (Timings of worship at Bhimashankar Jyotirlinga)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे(How to reach Bhimashankar Jyotirlinga)
भीमाशंकर जाने के लिए आपको सबसे पहले पुणे जंक्शन रेलवे स्टेशन पर आना पड़ेगा, फिर यहाँ से श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग(Bhimashankar jyotirlinga) के लिए बस या टेक्सी से आगे की यात्रा कर पुणे से ९४ किलोमीटर की दुरी पर है बस द्वारा भीमाशंकर जाने के लिए नाशिक से नारायण गांव तक बस से जाना पड़ेगा, उसके बाद नारायण गांव से डायरेक्ट बस भीमाशंकर के लिए मिलती है।अगर फ्लाईट से आते हैं तो आप पुणे एयरपोर्ट आकर यहां से अपनी भीमाशंकर यात्रा के लिए आगे जा सकते है।
महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की दूरी को पार करने के विभिन्न तरीके हैं। यहां कुछ मुख्य शहरों से ज्योतिर्लिंग के पास पहुँचने के तरीके बताए गए हैं:
1.पुणे से भीमाशंकर की दुरी (Pune to Bhimashankar distance)
पुणे से भीमाशंकर की दूरी लगभग 110-120 किलोमीटर हो सकती है, यह आपके चुने गए मार्ग और सड़क की स्थिति पर निर्भर करेगी। इस दूरी को आप वाहन या यातायात के आधार पर आसानी से पूरा कर सकते हैं।
अगर आप वाहन से जा रहे हैं, तो आपको पुणे से पूना-नगर रोड के माध्यम से जाना होगा, फिर खेड की ओर मुड़ना होगा और उसके बाद भोरगिरी जाना होगा जहाँ भीमाशंकर स्थित है।
यदि आपको स्थानीय यातायात की जानकारी चाहिए तो स्थानीय यातायात निगम या यातायात नियमिताओं से संपर्क कर सकते हैं, जिन्हें आपके मार्ग की विवरण और समय सारिणी के बारे में सहायता प्राप्त हो सकती है।
2. मुंबई से भीमाशंकर की दुरी(Distance from Mumbai to Bhimashankar)
मुंबई से भीमाशंकर की दूरी लगभग 210-220 किलोमीटर हो सकती है, यह आपके चुने गए मार्ग और सड़क की स्थिति पर निर्भर करेगी। यह यात्रा वाहन या यातायात के आधार पर करने के लिए करीब 4-5 घंटे लग सकते हैं।
आपको मुंबई से पुणे की ओर जाना होगा, फिर पुणे से ऊंडला जाना होगा, और फिर ऊंडला से भीमाशंकर की ओर मुड़ना होगा। यदि आपको स्थानीय यातायात की जानकारी चाहिए तो स्थानीय यातायात निगम या यातायात नियमिताओं से संपर्क कर सकते हैं, जिन्हें आपके मार्ग की विवरण और समय सारिणी के बारे में सहायता प्राप्त हो सकती है।
3. नाशिक से भीमाशंकर की दुरी (Nashik to Bhimashankar distance)
नाशिक से भीमाशंकर की दूरी लगभग 235-245 किलोमीटर हो सकती है, यह आपके चुने गए मार्ग और सड़क की स्थिति पर निर्भर करेगी। यदि आप वाहन या यातायात का उपयोग कर रहे हैं, तो यह यात्रा करीब 5-6 घंटे तक का समय ले सकती है।
नाशिक से आपको पहले पुणे की ओर जाना होगा, फिर पुणे से ऊंडला जाना होगा, और फिर ऊंडला से भीमाशंकर की ओर मुड़ना होगा। आपको स्थानीय यातायात निगम या यातायात नियमिताओं से संपर्क करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं, जिन्हें आपके मार्ग की विवरण और समय सारिणी के बारे में जानकारी मिलेगी।
4. नवी मुंबई से भीमाशंकर की दुरी (Navi Mumbai to Bhimashankar distance)
नवी मुंबई से भीमाशंकर की दूरी लगभग 150-160 किलोमीटर हो सकती है, यह आपके चुने गए मार्ग और सड़क की स्थिति पर निर्भर करेगी। यदि आप वाहन या यातायात का उपयोग कर रहे हैं, तो यह यात्रा करीब 3-4 घंटे तक का समय ले सकती है।
नवी मुंबई से आपको पहले मुंबई की ओर जाना होगा, फिर मुंबई से पुणे की ओर जाना होगा, और फिर पुणे से भीमाशंकर की ओर मुड़ना होगा। आपको स्थानीय यातायात निगम या यातायात नियमिताओं से संपर्क करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं, जिन्हें आपके मार्ग की विवरण और समय सारिणी के बारे में जानकारी मिलेगी।
5. नागपुर से भीमाशंकर की दुरी (Nagpur to Bhimashankar distance)
नागपुर से भीमाशंकर की दूरी लगभग 600-650 किलोमीटर हो सकती है, यह आपके चुने गए मार्ग, सड़क की स्थिति और यात्रा की गति पर निर्भर करेगी। आमतौर पर, आपको इस यात्रा के लिए 10-12 घंटे की आवश्यकता हो सकती है।
नागपुर से आपको पहले पुणे की ओर जाना होगा, जो कि महाराष्ट्र में भीमाशंकर के पास स्थित है। नागपुर से पुणे तक की यात्रा वाहन या ट्रेन के साथ की जा सकती है। फिर पुणे से भीमाशंकर की ओर मुड़ना होगा।
यदि आपको विस्तारित और सटीक यात्रा जानकारी चाहिए, तो स्थानीय यातायात निगम या यातायात नियमिताएं आपकी मदद कर सकती हैं। वे आपको आपके मार्ग के बारे में सटीक जानकारी प्रदान कर सकते हैं, जिससे आपकी यात्रा सुरक्षित और सुविधाजनक हो।
6. त्र्यंबकेश्वर से भीमाशंकर की दूरी (Trimbakeshwar to Bhimashankar distance)
त्र्यंबकेश्वर (त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग) महाराष्ट्र के नाशिक शहर में स्थित है और भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से कुछ दूरी पर है। दोनों स्थलों के बीच की दूरी आवाश्यकता और मार्गानुसार थोड़ी बदल सकती है, लेकिन आमतौर पर त्र्यंबकेश्वर से भीमाशंकर की दूरी करीब 150-180 किलोमीटर के बीच हो सकती है।
आप नाशिक से वाहन, ट्रेन या बस का उपयोग करके भीमाशंकर पहुँच सकते हैं। आमतौर पर नाशिक से भीमाशंकर जाने के लिए आपको पहले पुणे की तरफ जाना होगा और फिर खेड और भोरगिरी की ओर मुड़ना होगा जहाँ भीमाशंकर स्थित है।
यदि आप नाशिक से भीमाशंकर जाने की सटीक दिशा और मार्ग की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप स्थानीय परिवहन सेवाओं के बारे में सहायता प्राप्त करने के लिए स्थानीय परिवहन निगम या यातायात नियमिताओं से संपर्क कर सकते हैं।
इन शहरों से आप अपने आवश्यकतानुसार विभिन्न तरीकों से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की दिशा में पहुँच सकते हैं। यह सुन्दर स्थल धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से भरपूर है और आपके आगंतुक अनुभव को यादगार बना सकता है।
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श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग(Bhimashankar jyotirlinga) के आस पास बहुत सारे दर्शनीय स्थान है मंदिर के करीब 2.5 किलोमीटर की दुरी पर जंगल की तरफ एक स्थान है जिसे गुप्त भीमाशंकर कहते हैजो भीमा नदी का उदगम स्थल भी है। आप यहां जाकर इस जगह का आनंद उठा सकते हैं।
बॉम्बे प्वाइंट |
मंदिर के पास बॉम्बे प्वाइंट, नमक जगह है जहा शाम के समय सनसेट का अदभुत नजारा देखने को मिलता है फोटोग्राफ के शौकीन उस स्थान पे जा कर इस अद्भुत नजारा का दर्शन कर सकते है
भीमाशंकर वाइल्डलाइफ सेंचुरी
भीमाशंकर वाइल्डलाइफ सेंचु
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